बाग़ी 3 मूवी रिव्यू

मुवी टाइप: ऐक्शन
समय 2 घन्टे 23 मिनट
निर्देशक -अहमद खान
कलाकार -टाइगर श्राॅप , रितेश देशमुख  ,श्रद्धा कपंर ,अंकिता लोखडे और ज़मी खोरी
क्रिटिक रिव्यू


हिंदी फिल्मों में एक्शन का ड्रामा बहुत जरूरी है,हिन्दी फिल्मों की यह एक कड़वा सच है ।
आमतौर पर हिंदी फिल्मों में किसी की बदले की भावना या करीबी रिश्ते के लिए फिल्मी पर्दे पर मारधाड़ दिखाई जाती है। इस फिल्म मे भी हीरो को मारधाड़ करते दिखाया गया है ।
जब फिल्म में  गुंडों की धुनाई होती है तो ऑडियंस खूब इंजॉय करती है इस फिल्म के निर्देशक अहमद खान ने भी भाई को बचाने वाले दहशतगर्दी खिलाफ खड़े होने वाले हीरो के जरिए एक्शन का नजराना पेश किया है ।
अगर इस फिल्म की एक्शन पर थोड़ी सी और मेहनत हो जाती तो शायद यह फिल्म कुछ और ही बन जाती। इस फिल्म में दंगों में आम लोगों को बचाने के चक्कर में अपनी जान की बाजी लगाकर शहीद हो चुका इंस्पेक्टर चतुर्वेदी (जैकी श्रॉफ) मरते हुए राॅनी (टाइगर श्राॅप ) पर अपने दूसरे बेटे विक्रम( रितेश देशमुख)की जिम्मेदारी सौंपकर जाता है। बस उसके बाद हालात ऐसे होते हैं ,कि जब भी विक्रम पर कोई तिरछी निगाह डालता है राॅनी का खून खौल उठता है। वह सामने वाले की हड्डी पसली एक कर देता है। भाई का भविष्य संवारने के लिए रोनी आगरा में  उसे पुलिस की नौकरी करने के लिए प्रेरित करता है।
वह  वहां  ट्रैफिकिंग सरगना के जाल को तोड़ने में विक्रम की मदद भी करता है । इस गिरोह से कई लोगों को  दिल चुराने वाला विक्रम विभाग का हीरो बन जाता है। और उसे  ट्रैफिकिंग में के असली सरगना को पकड़ने के लिए सीरिया भेजा जाता है ।
सीरिया में अबू जलाल गाजा( ज़मीर खोरी) विक्रम को बंदी बना लेता हैं।
तब रोनी अपनी माशूका श्रद्धा कपूर के साथ सीरिया आ जाता है ।
उसे अपने भाई की किसी भी हाल में बचाना है ।
इस फिल्म में अहमद खान ने पूरी कोशिश कि है कि इसे मैं एक्शन का डोज बागी 2 से ज्यादा हो ।
और उन्होंने मारधाड़ के दृश्यों को दमदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।
माॅल या रास्ते में ऐसे दृश्य गए हैं
कि हेलीकॉप्टर अथवा सेना के टैंक  के बीच के एकशन सब कुछ  हॉलीवुड फिल्मों जैसा लगता है।
मगर स्टोरी और स्क्रीन के मामले में फिल्म थोड़ी कमजोर दिखी ।
श्रद्धा कपूर के जरिये से कोमोडी का तड़का डाला गया है।
फिल्म मे क्लाइमैक्स के एक्शन सीक्वेंस सांस रोक देता हैं ।
मगर वह काफी लम्बा खींच गया उसमें मेलोड्रामा कम नहीं है ।
फिल्म की लंबाई कम की जा सकती थी।
विशाल शेखर के संगीत में
दस बहाने करके ले गए दिल
खूब पसंद किया जा रहा है...
यह सॉन्ग पांचवें पायदान पर है। और बाकी गाने ठीक-ठाक हैं
एक सॉन्ग में
डू यू लव मी में दिशा पटानी ने गजब का डांस दिखा है
रोनी के रोल मे टाइगर हर तरह से फिट है। मसल्स और टोन्ड् बॉडी के साथ जब वह सर्टलस होकर  एंट्री मारते हैं तो ऑडियंस तालियां बजाने से नहीं रुकती।
उनके संवाद में पहले से बहुत कुछ सुधार हुआ है ।
श्रद्दा कपूर खूबसूरत और बहुत ग्लैमरस लग रही है।
कुछ फिल्म में ज्यादा कुछ करने का नहीं मिला रितेश ने इस फिल्म में भोले भाले और डरपोक लड़के का रोल तो अच्छा किया ।
मगर कहानी उनके चरित्र को सही ढंग से नहीं दिखाया गया है।
इस फिल्म में अंकिता लोखंडे की भूमि को विस्तार नहीं दिया गया।
फिल्म में मुख्य विलेन अबू जलाल के रूप में जमील खोरी फनी और खतरनाक लगे हैं । दूसरे विलेन का कोई ज्यादा दमदार रोल नहीं दिखा  जयदीप और विजय वर्मा विलेन का रोल है । कुल मिलाकर यह फिल्म एक फैमिली ड्रामा और एक्शन फिल्म है।

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