जनमाष्टमी कैसे मनाये और कया करे और कया ना करे

जनमाष्टमी कैसे मनाये और कया करे और कया ना करे 

जन्माष्टमी भगवान कृष्ण जन्म का पावन पर्व के रूप मे एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है। इस दिन को हम जनमाष्टमी के रूप में मनाते है। यह पर्व भाद्र मास की अष्टमी की रात को आज से लगभग 5000 साल पहले भगवान कृष्ण ने कंस के कारगृह में जन्म लिया था। वह  भगवान्ज कृष्ण का जन्म साधारण नहीं था। वो स्वयं भगवान विष्णु के रूप में अवतरित हुए थे। राजा कंस का अंत करने के लिए प्रभु श्याम अपने दिव्य रूप लेकर धरती अपने  लीला परिवार के साथ देवकी  घर में पधारे थे । जन्माष्टमी का यह  पावन परम सदियों से भारतीय लोग मानस की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। यह महीनों पहले ही लोगों की चेतना जन्माष्टमी के पर्व की ओर घूम जाती हैं घरों में खरबूजे के बीज निकालने शुरू हो जाते हैं, क्योंकि उनके प्रसाद के लिए पाक बनाया जाता है। और हिंदू धर्म के लोग वृंदावन जाने लगता है। भावनाएं जन्माष्टमी के पर्व के स्वागत के लिए हैं दिल मचल उठता हैं। यु तो  जन्माष्टमी का त्योहार सारे भारत में बहुत श्ररदा और विश्वास के साथ मनाया जाता है ।आज इस त्यौहार को मनाने का सबसे प्रमुख केंन्द्र मथुरा है आज भी मथुरा में जन्मअषटमी और नवमी गोकुल की देखने के लायक होती है। मथुरा में जन्म हुआ था और गोकुल में नवमी उतसव मनाया गया था। इसलिए गोकुल नवमी  मनाई जाती है। मथुरा में श्री कृष्ण जन्म हुआ था।
यह  जन्म स्थान प्राचीन इतिहास की कहानी बताता है कि यहाँ  आज श्री कृष्ण जन्म हुआ है।  जन्माष्टमी के दिन मथुरा वृंदावन कि क्या बज्र के घर-घर भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। सुबह से ही घरों के द्वार पर बंदनवार और पूर्व की मालाएं बाघी जाती हैं।सबके घरों में धनिया की पंजीरी पीसकर और मिसरी का भोग तैयार किया जाता है।  पंजीरी और नाना प्रकार के पाक बनाए जाते हैं। फल और पंचामृत का भी भोग  बनाया जाता है। रात्रि को 12:00 बजते ही घंटे और शंख बजते हैं और खीरे में शालिग्राम निकाल कर उन्हें पंचामृत से स्नान कराकर भगवान का जन्म किया जाता है फिर उसके बाद  आरती होती हैं जो कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी यह आरती सभी  मंदिरों में स्त्रियों का समूह इस लोकगायन  होता है ।उन्ही में से कुछ  लोग गीतो पर नाचने लगते हैं । यसोदा माँ और उनके लाल के जयकारे  लगाये जाते हैं।  यह उतसव कई घंटे तक चलता है और चारों और खुशी की लहर दिखाई देती है। इस प्रकार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। कुछ ही दिनों में जन्माष्टमी आने वाली है और इस साल अगर आप करोना की वजह से मंदिरों में जन्माष्टमी नाम मना सको तो अपने घर पर लड्डू गोपाल कृष्ण भगवान का चित्र रखकर अपनी जन्माष्टमी मना सकते हो आप सबको जनमाष्टमी बधाई हो हो और आप सबकी मनोकामना पूरी हो। 

कया करे  और कया ना करे •••••

इस दिन भगवान् कृष्णा का प्रसाद बिना तुलसी के ना लगाये उनकी हर खाने के सामान मे तुलसी दल जरूर रखें ।

2• दुघ दही,मख्खन और मिसरी का भोग जरूर लगाये ।
 

3,अगर आप ने अपने घर मे  लड्डू गोपाल रखे हुए हैं तो आप उस दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाएं और फिर उनके भोग में धनिए का भोग बनाकर जरूर लगाये ।
 

4,जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के भोग में धनिया और मिश्री युक्त पंजीरी बनाकर विशेष भोग लगाया जाता है यह दोनों ने कृष्ण भगवान्  अति प्रिय है।
 अगर आप जन्माष्टमी के त्योहार पर यह भोग नहीं लगाते तो उनका हरप्रसाद अधूरा है ।इस बात का जरूर ध्यान रखें धनिया की पंजीरी अवश्य बनाये।

5• जन्माष्टमी के दिन पेड़े का भोग लगाना भी अति उत्तम माना गया है ।जो लोग पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हैं वह जन्माष्टमी वाले दिन श्री कृष्ण जी को चांदी की बांसुरी चढाएं और मन ही मन कामना करें कि हमें आने वाली जनमाष्टमी तक मनोकामना पुरी हो  ऐसा करने वालों की बहुत जल्दी इच्छा पूरी होती है

 6. आपकी इच्छा रखने वाले इस दिन व्रत रखकर व्रत रखने के बाद ओम देवकी सूट गोविंद वासुदेव जगत्पते देहि में तनयम कृष्ण राशरणम् गते वाले मंत्र जाप की 11 माला का जाप करें ऐसा जाप करने से श्री कृष्ण आपकी मनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण करेंगे ।
इस दिन श्री कृष्णा के हर भोग में तुलसी दल अवश्य रखें तुलसी दल के बिना उनका भोग  अधूरा माना जाता है  बिना तुलसी के वो कभी भी  स्वीकार नहीं करते।

इस लेख को अपने मित्रो और शुभचिंतको को को जरूर शेयर करे 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ