Navratri 2020: नवरात्रि के पर्व पर इस बार विशेष संयोग बन रहा है.अबकी बार 165 साल बाद ये संयोग बन रहा है. की श्राद्ध पक्ष के खत्म होने के बाद एकदम नवरात्रि शुरू हो जाते हैं पर अबकी बार ऐसा नहीं है। शरद नवरात्रि की अब की बार 17अकतुबर शुरू होकर 24 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी की पूजा की जायेगी। आइए जानते हैं नवरात्रि क पर्व कब और कैसे करे।
नवरात्रि 2020: पंचांग के अनुसार इस बार पितृ पक्ष के समापत के बाद नवरात्रि का पर्व नहीं मनाया जाएगा. क्योंकि इस वर्ष पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष के समाप्त होने के बाद अधिकमास आरंभ हो जाएगा. और यह 165 साल बाद आ रहा है। जिसके कारण नवरात्रि का पर्व पितृ पक्ष के समापन के एक माह बाद मनाया जाएगा.
यह एक ऐसा संयोग है जो करीब 165 साल बाद बन रहा है. इस बार चातुर्मास चार माह का नहीं बल्कि पांच माह का है. चातुर्मास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. क्योंकि भगगवान विष्णु चातुर्मास में विश्राम करने के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं.और वह गहरी निद्रा में होते है। पांच माह का चातुर्मास होने के कारण इस वर्ष दो आश्विन मास होंगे. इस वर्ष को लीप वर्ष कहा जाता है. 165 साल बाद लीप ईयर और अधिमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं. पितृ पक्ष का समापन 17 सितंबर को हो रहा है, और इसके अगले दिन अधिमास शुरू होगा जिसको. अधिकमास के नाम से जाना जाता है। जो 16 अक्टूबर तक रहेगा और फिर 17 अक्टूबर से नवरात्रि की पूजा आरंभ होगी।
नवरात्रि 2020: पंचांग के अनुसार इस बार पितृ पक्ष के समापत के बाद नवरात्रि का पर्व नहीं मनाया जाएगा. क्योंकि इस वर्ष पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष के समाप्त होने के बाद अधिकमास आरंभ हो जाएगा. और यह 165 साल बाद आ रहा है। जिसके कारण नवरात्रि का पर्व पितृ पक्ष के समापन के एक माह बाद मनाया जाएगा.
यह एक ऐसा संयोग है जो करीब 165 साल बाद बन रहा है. इस बार चातुर्मास चार माह का नहीं बल्कि पांच माह का है. चातुर्मास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. क्योंकि भगगवान विष्णु चातुर्मास में विश्राम करने के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं.और वह गहरी निद्रा में होते है। पांच माह का चातुर्मास होने के कारण इस वर्ष दो आश्विन मास होंगे. इस वर्ष को लीप वर्ष कहा जाता है. 165 साल बाद लीप ईयर और अधिमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं. पितृ पक्ष का समापन 17 सितंबर को हो रहा है, और इसके अगले दिन अधिमास शुरू होगा जिसको. अधिकमास के नाम से जाना जाता है। जो 16 अक्टूबर तक रहेगा और फिर 17 अक्टूबर से नवरात्रि की पूजा आरंभ होगी।
अधिकमास में क्या ना करे :-
अधिकमास लगने से विवाह, सगाई, शुभ काम, कर्ण छेदन ,मुन्डन आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस समय में पूजन पाठ, व्रत, उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है।
इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं।
इस साल 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे। इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा।
कलश स्थापना:-
इसके बाद ही कलश स्थापना होगी और 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखें जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त हों जायेगा। फिर ही इस साल शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई और गृह प्रवेश आदि शुरू होंगे। विष्णु भगवान के निद्रा में जाने से इस काल को देवशयन काल माना गया है। चतुर्मास में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इस काल में दुर्घटना, आत्महत्या आदि जैसी घटनाओं की होने की सम्भावना होती है। इस तरह की समस्या से बचने के लिए शास्त्रो में चतुर्मास में एक ही उपाय है गुरु यानी ईश्वर की पूजा करने को जोर दिया है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। और नेगटिव विचार आने बदं हो जाते है।
मान्यता :-
ऐसी माना जाता है ,कि भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड की सकारात्मक शक्तियों को बल पहुंचाने के लिए व्रत पूजन और अनुष्ठान का हमारी संस्कृती में अत्याधिक महत्व है। हिन्दु धर्म में सबसे ज्यादा त्यौहार और उल्लास का समय भी यही है। चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा सबसे जयादा होती है।
अधिकमास का कारण और निर्माण:-
अधिकमास का ऐसे होता है निर्माण
पंचांग के मुताबिक एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब छह घंटे का होता है. जबकि, एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है. यही अंतर हर तीन साल में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को दूर करने के लिए तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है. जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिमास कहा जाता है.
नवरात्रि का समय और तिथियाँ:-
पहला नवरात्रा प्रतिपदा माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना 17 अक्टूबर 2020 दिन ,शनिवार
नवरात्रि 2: द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा 18 अक्टूबर 2020 दिन रविवार
नवरात्रि 2: द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा 18 अक्टूबर 2020 दिन रविवार
नवरात्रि दिन 3: तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा 19 अक्टूबर 2020 दिन, सोमवार
नवरात्रि दिन 4: चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा 20 अक्टूबर 2020 दिन मंगलवार
नवरात्रि दिन 4: चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा 20 अक्टूबर 2020 दिन मंगलवार
नवरात्रि दिन 5: पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा 21 अक्टूबर 2020 दिन बुधवार
नवरात्रि दिन 6: षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा 22 अक्टूबर 2020 दिन गुरुवार
नवरात्रि दिन 7: सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा 23 अक्टूबर 2020 दिन शुक्रवार
नवरात्रि दिन 8: अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा 24 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार
नवरात्रि दिन 9: नवमी माँ सिद्धिदात्री
नवरात्रि दिन 6: षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा 22 अक्टूबर 2020 दिन गुरुवार
नवरात्रि दिन 7: सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा 23 अक्टूबर 2020 दिन शुक्रवार
नवरात्रि दिन 8: अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा 24 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार
नवरात्रि दिन 9: नवमी माँ सिद्धिदात्री
विजय दशमी 25 अक्टूबर 2020 दिन रविवार
नवरात्रि दिन 10: दशमी दुर्गा विसर्जन 26 अक्टूबर 2020 दिन सोमवार
यह अद्भुत संयोग अबकी बार 165 साल बाद आया है इसलिए श्राद्ध पक्ष और नवरात्रि में समय बिल्कुल अलग अलग है। इस समय कोई भी पूजा पाठ या शुभ कार्य नहीं किए जाते ।आज का यह लेख अगर आपको अच्छा लगे तो आप अपने चाहने वालेेेेेेेे और दोस्तों मे जरूर शेयर करें।
नवरात्रि दिन 10: दशमी दुर्गा विसर्जन 26 अक्टूबर 2020 दिन सोमवार
यह अद्भुत संयोग अबकी बार 165 साल बाद आया है इसलिए श्राद्ध पक्ष और नवरात्रि में समय बिल्कुल अलग अलग है। इस समय कोई भी पूजा पाठ या शुभ कार्य नहीं किए जाते ।आज का यह लेख अगर आपको अच्छा लगे तो आप अपने चाहने वालेेेेेेेे और दोस्तों मे जरूर शेयर करें।
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