अपने घर को सवर्ग बनाऔ
दुनिया में ऐसा कोई घर नहीं होगा जिस में सुख और दुख दोनों ना देखे हो। किसी को पहले और किसी ने बाद में यह दोनों परिस्थितियां झेली हुई है ,चाहे वह किसी भी रुप में आई हो। अपने घर को स्वर्ग बनाने के लिए क्या करें और क्या ना करें।
आज मैं आपको ऐसे कुछ शास्त्रों और संतों के द्वारा बताएं उपाय बता रहे हैं,
जिस घर में सभी भाग्यशाली लोग एक साथ खाना खाते हो और इकट्ठे रहते हो, वहां सदा विष्णु भगवान और लक्ष्मी जी वास करते हैं। वह घर स्वर्ग के समान है। जिस घर में नित्य प्रति अपने माता पिता, गुरुजनों बड़ों को चरण स्पर्श ,प्रणाम करता हो, वृद्ध माता पिता, गुरु जन की सेवा होती हो वहां मां लक्ष्मी हमेशा विराजमान रहती है। जिस घर में बड़ों द्वारा सभी छोटों को प्यार ,प्रेम, शिक्षा ज्ञान मिलता हो और ऊंची ऊंची आवाज में कोई बात नहीं करता हो घर में हंसने की आवाज आती रहती हो उस घर पर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है। जिस घर में प्रत्येक दिन दोनों समय प्रभु नारायण की पूजा ,पाठ, धर्म-कर्म ,आरती ,कीर्तन, धूप देव, हवन आदि होती हो उस घर में भगवान स्वयं आकर वास करते हैं। जिस घर में हफ्ते में कम से कम 1 दिन सत्संग भजन कीर्तन होता रहता हो और कुत्तों को रोटी, गाय को गुड़ रोटी, भिखारी को भिक्षा मिलती हो जिस घर में सच्चे साधु महात्मा, संत ज्ञानी, अतिथि सेवा मान मिलता हो वह घर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। जिस घर में तंबाकू, शराब, जुआ मांसाहार, मछली, अंडा किसी भी रूप में कोई भी सदस्य खाता पीता नहीं हो वह घर भी स्वर्ग के समान है।
नकारत्मक सोच को खत्म करे-
मकान कच्चा हो या पक्का इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसमें रहने वाले आपस में प्रेम से रहते हो तो वह घर स्वर्ग के समान है। घर के मंदिर का शिलान्यास प्रेम और समभाव की शिक्षा पर आधारित होना चाहिए। जीवन प्रसन्नता पूर्वक तभी व्यतीत हो सकता है, जब परिवार में रहने वालों में स्नेह और स्वभाव में मधुरता हो। परिवार का वातावरण यदि वाद विवाद ,और कलह से ग्रस्त हो तब जीवन में शांति और मधुरता नहीं आ सकती । शुद्ध और पंगु मानसिकता से ऊपर उठकर जीवन को मधुर उत्तम बनाना चाहिए नहीं तो घर नर्क के समान हो जाता है। जिस घर में प्रभु की पूजा अर्चना नहीं होती हो, हमेशा अशांति का वातावरण बना रहता हो, स्वभाविक है वह घर नर्क के समान है। जो लोग कभी किसी का भी भला नहीं चाहता, कभी भी कोई परोपकार नहीं करता, उनसे हमेशा दूर ही रहना चाहिए। ऐसे लोग हर समय दुखी रहते हैं मगर बाहर से दिखावे के लिए हंसते रहते हैं, और अपने पड़ोसियों जलन रखते हैं । ऐसे लोग दूसरों को दुखी देखकर खुश होते हैं ,और दुख दर्द में कभी किसी को सहारा नहीं देते। मगर उन्हें दुख देखकर खुशी होती है। वह अपने परिवार वालों को भी कष्ट देते हैं और छोटों को प्यार नहीं करते, और बड़ों का सम्मान नहीं करते, और आदर मान नहीं देते ऐसे लोग नरक भोगी होते हैं। ऐसे लोगों को घर किसी नर्क से कम नहीं है।
अगर हो सके तो ऐसे लोगों के घर कभी भी भूल कर पानी तक ना पिए। ऐसे लोग आप आकरण ही दूसरों के काम बिगाड़ देते हैं दूसरों को नुकसान कर देते हैं जो अपना कुछ पाने के लालच से दूसरों का 10 गुना भी नुकसान करने से नहीं रूकते।
ऐसे मनुष्य को उसके दोष कर्मों की सजा प्रभु उसे अवश्य देता है और उसे भोगना भी पड़ता है। अपने पास दोष, बुरे विचारों को कभी मत आने दो,और दुसरे लोगों को शिक्षा देकर उन्हें सुधारने की चेष्टा करो ।
गंदे विचारों के कारण स्वार्थी आदमी अपने लिए तो दुख पैदा करता है और औरों को भी दुखी कर देता है।
मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं-
संसार में मनुष्य 3 तरह के होते हैं, एक मध्यम और उत्तम ।
जो मनुष्य विघ्नों के भय से कोई काम शुरू ही नहीं करते वह नीचे स्तर के होते हैं और जो काम तो शुरू कर देते हैं,पर विघ्न बाधा आते ही बीच में ही काम छोड़ देते हैं वह मध्यम स्तर के होते हैं।
जो व्यक्ति विध्न पर विध्न होने पर भी काम को पूरा करके ही दम लेते हैं वो मनुष्य उतम होते हैं। आपको उत्तम ही बनना है। इसलिए आप अपने सोच को सकारात्मक रखो आप भी अपने घर को स्वर्ग बना सकते हैं।
नेगेटिव सोच वाले लोग अपने घर को हमेशा अंधकार की ओर ले जाते हैं, पर आप ने अपने घर को स्वर्ग बनाना है इसलिए हमेशा अच्छा सोचो और आपके साथ अच्छा ही होगा। यह मेरा अपना अनुभव है।
महापुरुषो के सुविचार :-
1. हर समय सकारात्मक ही सोचो कभी भी नकारात्मक नहीं सोचो ।
2. सिर्फ भगवान के सामने रो लेना, लेकिन लोगों के सामने नहीं..!!
3. असली धन दौलत का
मालिक राम है।
4.सत्सग के द्वारा चढ़ने वाली भगवान को प्राप्त करने के लिए पहली सीढ़ी है !!
5. जल में राम ,अग्नि में राम, हवा में राम, ऐसा सोचते रहो !!
6. वह इन्सान कभी भूखा नहीं मरता, जिसके हाथ में एक भी कला हो।
7. जो दूसरों की आजादी छिनता है, वह पापी है...!!
8. सुख के समय हमेशा गंभीर रहो।
9. दूर की मित्रता स्थाई होती है..!!
10. नसीब के भरोसे बैठ कर अपना जीवन दुखी मत करो।
11. निंदा तो भगवान की भी होती है फिर तुम क्या चीज हो !!
12. जो समय तय है, प्रयतन करने पर भी मौत रुकेगी नहीं..!!
13 प्रयत्न करने पर भी धन-संपत्ति स्थाई नहीं रहती।
14. मानसिक चिंतन का भी फल भोगना पड़ता है .!!
16. दूसरों की बुराई करना, अपना नुकसान करना है।
17. क्रोध आने पर मौन रहना सर्वोत्तम दवाई है .!!
18. दूसरों के बारे में बुरा सोचना सबसे बड़ा पाप है !!
19. जहां भी जाएं वहां अपना आत्मविश्वास को साथ ले जाएं .
20. लहरों के पीछे ही एक संपूर्ण समुद्र होता है !!
21. पैसा तो विरासत में भी पा सकते हो पर इज्जत और पहचान खुद ही बनानी पड़ती है।"
अगर किसीको कुछ देना चाहो है तो उसे अच्छा वक्त दो, क्यूंकि आप हर चीज वापिस ले सकते हो लेकिन किसीको दिया हुआ अच्छावक्त कभी नहीं !!
Last alfaaz-
प्रभु नारायण सब देख रहे हैं:-
हम जो कुछ भी करते हैं, कहीं पर छुपकर करें, पहाड़ पर, नदी पानी में, गुफा में छिप कर ,धरती के अंदर जाकर, जो भी कर्म करेंगे वह सब कर्म प्रभु देख रहे हैं। प्रभु से छिपना असंभव है, और जैसा जैसा कर्म करेंगे उन्ही के अनुसार हमें फल भी अवश्य भोगना पड़ेगा। जो भी कार्य करें हम गलत समझते हैं वह हमें इसलिए ही भी नहीं करना चाहिए प्रभु देख रहे हैं और गलत काम का फल हमें अवश्य भुगतना पड़ेगा। प्रभु से बचकर कौन कहां जा सकता है, यह एक सोचने की बात है ।नारायण प्रभु हमेशा हर समय हमें देख रहे हैं उनसे छिपकर हम कहीं नहीं जा सकते। उनका हाथ सदैव तुम्हारे कल्याण कार्य के लिए कर रहा है और वह जो भी कार्य कर रहे हैं जिस व्यवस्था में तुमको रख रहे हैं उसमें ही तुम्हारी भलाई और कल्याण है।
उनको प्रत्येक कार्य तुम्हारे कल्याण के लिए है ,हर अवस्था में खुश रहो। कार्य तो करना पड़ेगा ही कार्य नहीं करोगे तो पाप के भागीदार बनोगे ।किसी व्यवस्था में किसी घटना के प्रति चिंता क्यों करते हो बीती हुई बातों का अनुभव प्राप्त करके आगे बढ़ो और आगे बढ़ते चलो, सफलता प्रभु अवश्य देंगे, क्योंकि प्रभु सब देख रहे हैं ।
सफलता ,समृद्धि ,धन ,सम्मान ,सुख, शांति यह सब चीजें ज्यादा से ज्यादा जल्दी से जल्दी हम सब प्राप्त करना चाहते हैं। प्रभु नारायण के पास इन सब चीजों का भंडार समुद्र में जितना जल है उससे भी कईं गुना ज्यादा भंडार भरा हुआ है।
बस उन को खुश करना है वह सब देख रहे हैं उन को खुश करने के लिए मानवता की निष्काम भाव से सेवा करो,सुख शांति का प्रकाश सुनाओ, गंदी सोच का अंत करो । सब कुछ उसी पर छोड़ दो, फिर देखो आपको क्या-क्या नहीं मिलता।
दुखों को आप भूल ही जाओगे पर प्रकृति की प्रत्येक वस्तु ईश्वर के हुक्म से ही चलती है पेड़ का एक पत्ता भी उसकी इजाजत के बगैर ही नहीं सकता वह भी उसके हुकम से ही हिलता है। सूर्य, चंद्रमा, हवा, वर्षा, सर्दी ,गर्मी, आंधी, भूकंप उसी की इच्छा से होते हैं ।प्रभु नारायण को छोड़कर कोई और नहीं आपकी सारी विपत्ति समूल नाश कर देवें। उन्हें का प्रत्येक क्षण पल पल कष्ट में भी और सुख में भी हर सेकंड में उनको याद रखो। प्रभु की सेवा पूर्ण भाव से करो उनसे कुछ मत मांगो प्रभु से सिर्फ प्रभु को मांगों।, यदि प्रभु आ गया तो उसके पीछे सारी रिद्धि सिद्धि सब अपने आप आ जाएंगी। हे भगवान मेरी वाणी आपके गुणगान में लगी रहे ,मेरे कान आप की लीला कथा सुनने में लगे रहे, मेरे हाथ आपकी सेवा में कार्य करें, मन आपके चरणो में चिंतन में लगा रहे, मेरे मस्तक पर आपके जगत को नमस्कार के झुका रहे, और मेरी आंखें आपके स्वरूप, संत जनों के दर्शन में लगी रहे और मेरी सारी भूल चूक गलतियों को क्षमा करो। इस प्रकार प्रभु प्रकार को वाणी और मन में रखते हुए प्रभु से भक्ति करें। फिर आपके कष्ट आपके नहीं वह भगवान के हो जाएंगे, यही सच्ची भक्ति है।
अगर आपको मेरा यह टॉपिक संतो के विचार और संतों की वाणी अच्छी लगी हो तो आप प्लीज मुझे फॉलो करें और मेरे इस टॉपिक को अपने दोस्तों में शेयर करें।
0 टिप्पणियाँ