motivational story | जीवन को बदलने वाली प्रेरणादायक कहानी | true love story in hindi |

Tittle true love story 
जिंदगी में उतार-चढ़ाव हर किसी के आते हैं ,किसी के पहले किसी के बाद में ,यह सब हमारे द्वारा किए हुए कर्मों का फल होता है ।
आज के इस लेख में दो ऐसी कहानियां बिल्कुल सच्चाई पर आधारित हैं। जिन का टाइटल कर्मों का फल है ,जो आंखों देखी और  कानों सुनी हुई है ।इसलिए हमेशा कर्म सोच समझ कर करो क्योंकि उनका फल हमें अवश्य भुगतना पड़ेगा यह एक कड़वी सच्चाई है।

TITTLE-
कर्मो का फल:- 
true love story in hindi 👇🏻
 कर्मों का फल सब को भुगतना पड़ता है सिमरन बहुत सुंदर लड़की थी वह जब कॉलेज में जब पढ़ती थी, हर लड़का उसका दीवाना था। देखने में  बहुत सुंदर तो थी ही साथ में उसका पहनवा और बोलने  का  जो तौर तरीका था वह सबसे अलग था, इसलिए वह सबकी आंखों का तारा थी और कोलिज के टीचर भी पसंद करते थे । कयोंकि पढने में भी बहुत अच्छी थी, पर वह अंदर से बहुत चलाक लड़की थी। रवि नाम का एक उसी के कॉलेज का लड़का उसको बहुत प्यार करता था। वह भी पढने और देखने में बहुत smart था। दोनों एक दुसरे देखते समाईल करते धीरे धीरे दोनों की बातें होने लगी और  सबसे छुपकर बैठ कर घन्टो बाते करते।  
 लड़के को लगा शायद यह भी मुझे बेहद प्यार करती और मेरे साथ शादी कर लेगी। पर सिमरण  काफी चालाक लड़की थी वह सिर्फ उसको अपना टाइम पास समझती थी। ऐसे करते-करते कॉलिज के 5 साल निकल गए और 1 दिन सिमरण रवि को बिना बताए कॉलेज छोड़ कर चली गई। रवि उसको अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था । यह बात आज से 26 साल पहले की तब मोबाइल नही होते थे कि रवि को उसके बारे कुछ पता नहीं वह क्यू बीना बताये चली गई। सिमरण दो महीने के बाद अपने final year के exam देने जब वह कोलिज पहुँची तो उसके तो हाथों में लाल चूड़ा और मांग में सिंदूर भरा हुआ था। रवि यह सब देखकर सदमे में आ गया, और मरने तक की सोच ली। बस एक ही बात दिमाग में बैठ गई कि  मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? मेेरे में ऐसी कौन सी कमी थी जो उसने मेरे साथ धोखा किया पर सिमरण की दोस्त को पता था कि वह सच्चा प्यार नहीं करती क्योंकि वह जानती थी कि रवि बहुत गरीब घर से हैं। ऐसे गरीब लड़के से वह शादी नहीं कर सकती।रवि तो उसके लिए टाईम पास था। 
जब सिमरण की दोस्त रिया से यह बात पता चली तो उसको और जयादा दुख हुआ कि मेरे साथ क्यु घंटो बैठकर बातें करती थी। इस बुरे हालात से निकालने के लिए रवि की बहन ने अपने भाई को बहुत मुश्किल से संभाला और एक लडकी देखकर शादी करवा दी रवि की ताकि उसको भुल जाये और अपनी नई जिंदगी शुरू करें। 

 अब सिमरण की शादी को 25 साल बीत गए और पता ही नहीं चला कब समय निकल गया सिमरन के पास और दो बच्चे थे। सिमरण की बेटी जिस कॉलेज में पढ़ती थी उसको एक लड़के से प्यार हो गया और जिद करने लगी कि शादी करूंगी तो इसी लड़के से करूंगी,वरना सारी जिन्दगी कुँवारी बैठी रहूंगी। आखिरकार सिमरण को अपनी बेटी की जिद के आगे झुकना पडा और लडके के माॅ बाप से मिलने के लिए समय रखा जब सिमरण लड़के के बाप से मिली तो उसके पैरों के नीचे की जमीन सरक गई कयोंकि वह लड़का रवि का बेटा ही निकला और अब सिमरन इस सदमे को सहन नहीं कर पाई , कि यह आज कया देखने को मिला मुझे जो मुझे कभी याद भी नहीं था वह मेरी आखों के सामने खडा है  मेरी बेटी का ससुर बनने के लिए, क्योंकि बेटी की इतनी जिद थी कि अगर मैं शादी करूंगी तो इसी लड़के से करूंगी भले यह गरीब क्यों ना हो बार-बार यह सोचने से मजबूर थी यह भगवान ने मेरे साथ क्या किया लाख कोशिश करने के बाद भी सिमरण की बेटी इस बात के लिए पीछे नहीं हटी।

माँ ने बहुत समझाया कि तु गरीबी में नहीं रह सकती। पर शायद सिमरन के लिए यह कोई सजा थी किसी को धोखा देने की। अब अपनी आंखों के सामने ही सब कुछ हो दोबारा देखने को मिला जो कभी उस ने ठुकराया था। यह सोचने पर मजबूर थी कि बेटी ने मेरे मुंह पर तमाचा मारा या भगवान् ने। सिमरण को अब इस बात का पछतावा था अगर इस लड़के से मै टाइम पास ना करती और उसको धोखा ना देती, शायद भगवान मुझे ऐसी औलाद ना देता। इसलिए जो भी करो सोच समझ कर करो भगवान हमारे हर कर्म को लिख रहा है और हमे साथ- साथ  प्रसाद के रूप में वापस भी दे देता है।

 कहानी से शिक्षा:
 हम चलाकी इंसान से कर सकते हैं पर भगवान से नहीं।
 भगवान हमारे बुरे कर्मों की सजा यही हमें इसी जन्म में दे देता है। 


कर्मो का फल:- ( second story )
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कभी-कभी इंसान अपने आप को इतना चलाक समझ लेता है कि उसको लगता है कि शायद मेरे जैसा समझदार और दिमाग वाला कोई व्यक्ति नहीं है पर मेरा यह मानना है कि भगवान इंसान को अगर दिमाग देता है।अच्छे लोगों को अच्छे काम करने के लिए देता है ,इसका मतलब यह नहीं कि आप अगर बुुुद्धिमा हो तो किसी और को बर्बाद करने पर तुल जाओ।

 राममेहर बहुत ही बुद्धिमान और चलाक व्यक्ति था गांव के लोग हर बात पर फैसला करने के लिए सबसे पहले उसको ही बुलाते थे वह जो फैसला सुना देता लोगों को वही मंजूर था।  राम मेहर के गांव में एक लड़के ने अपने ही गांव की गोत्र की लड़की से शादी कर ली । पुरे गाँव इस शादी के चरचे होने लगे कि ऐसे एक गोत्र में  शादी करना अपराध है।अब राममेहर ने गांव पंचायत बिठा ली और कहा यह गलत है हम हमारे गोत्र में ऐसा नहीं कर सकते। यह लड़की हमारे गांव की बेटी है और हमारे गांव की बेटी और ऐसी शादी गाँव में  मंजूर नहीं है,  और इस सारे किस्से में राममेहर ने सबसे ज्यादा बढ़ चढ़कर भाग लिया।अब दोनों बच्चों को यह फैसला सुना दिया कि दोनों को भाई-बहन बनने के लिए मजबूर कर दिया। पर शायद भगवान सब कुछ देख रहा होता है। जब बच्चों ने शादी कर ली तो उनको कोई भाई बहन कैसे बना सकता है। इससे बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता। दोनों बच्चे गांव से निकाल दिए गए। अब तुम दोनों शादी करके इस गांव में नहीं रह सकते क्योंकि यह लड़की हमारी बेटी है और हम अपनी बेटी को अपने गांव की बहू बना कर नहीं रख सकते। चलो जो भी हुआ पंचायत का फैसला दोनों बच्चों ने माना और वह गाँव  छोड़कर कहीं और रहने लग गए। ऐसे करते करते समय बीत गया कुछ साल बाद राममेहर  की बेटी जवान हुई और उसकी बेटी ने किसी लड़के से लव मैरिज कर ली और यही कहानी फिर से दोहराई गई उसकी लड़की ने भी गोत्र सब कुछ भुलकर  सिर्फ अपने प्यार को देखा और किसी की परवाह किए बगैर अपनी मर्जी से शादी कर ली।
 पूरा गांव में अब राम मेहर की बेटी की शादी के चर्चे थे कि जो राममेहर पंचायत में इतना बोलता था इनको बहन भाई बनाओ उसकी बेटी ने उसकी आंखों के सामने यह सब कुछ फिर से दोहरा दिया। 
अब बेटी अपने ही गोत्र में शादी करके बैठ गई। 
 राममेहर अब किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं था। आखिरकार यह बात उस लड़की तक भी पहुंच गई जिसको राममेहर ने भाई-बहन बनने के लिए मजबूर किया था । लड़की के मुंह से बस यही शब्द निकले कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। 
वह हर इंसान को उसके बुरे कर्मों का हिसाब किताब यही कर देता है, और आज मेरे को इंसाफ मिला है। जब राममेहर ने गाँव में मेरे लिए पंचायत बिठाई थी तो मेरी आंखें ही नहीं मेरी आत्मा भी रोई थी। शायद इसी बुरी हाय का नतीजा है कि राम मेहर के घर ऐसी बेटी पैदा हुई कि उसने पूरे समाज के सामने राममेहर की इज्जत मिट्टी में मिला दी, इसलिए कुछ भी बोलने करने से पहले एक बार अपनी तरफ भी देख लो, कि हो सकता आने वाले टाइम में हमारी औलाद हमारे साथ पता नहीं क्या कर दे ।
अरे भगवान हमें ही निचा देखने के लिए मजबूर कर दे। कभी भी अपने आप को आप चाहें कितने भी बुद्धिमान इंसान हो पर भगवान किसी को अपने से ऊपर नहीं होने देता।



TITTLE:- आत्मसम्मान
Motivational hindi story
 एक भिखारी एक स्टेशन पर पेंसिलों से भरा कटोरा ते कर बैठा हुआ था और उनके बेचने के लिए लोगों को आग्रह कर रहा था, तभी एक युवा अधिकारी उधर से गुजरा और उसने कटोरे में एक डॉलर डाल दिया , लेकिन उसमें कोई पेंसिल नहीं ली । उसके बाद वह ट्रेन में बैठ गया । डिब्बे का दरवाजा बंद ही होने वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास लौटा और कुछ पैसिलें उठा कर बोला “ मैं कुछ पेंसिलें ले लूंगा । इनकी कीमत कया है , आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैं भी ।और उसके बाद वह तेजी से ट्रेन में चढ़ कर चला गया । छह महीने बाद वह अधिकारी एक पार्टी में गया, वहां भिखारी भी सूट और टाई पहने हुए मौजूद था । भिखारी ने उस अधिकारी को पहचान लिया वह उसके पास जाकर बोला “ आप शायद मुझे नहीं पहचान रहे हो , लेकिन मैं आपको पहचानता हूँ । भिखारी ने उसके साथ छह महीने पहले घटी घटना का जिक्र किया । और अधिकारी ने कहा तुम्हारे याद दिलाने पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख माँग रहे थे पर अब तुम यहाँ सूट और टाई में क्या कर रहे हो ?
भिखारी ने जवाब दिया ,आपको शायद मालूम नहीं कि आपने मेरे लिए उस दिन क्या किया । मुझे दान देने के बजाए आप मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आए । आपने कटोरे से पेंसिलें उठा कर कहा , इनकी कीमत कया है , आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैं भी ।आपके जाने के बाद मैंने सोचा , मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ ? भीख क्यों माँग रहा हूँ ? मैंने अपनी जिंदगी को संवारने के लिए कुछ अच्छा काम करने का फैसला लिया और उस दिन के बाद मैंने अपना झोला उठाया और काम करने लगा। और आज आप के एक शब्द की वजह आज मैं यहाँ मौजूद हूँ । मुझे मेरा सम्मान लौटाने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । उस घटना ने मेरा जीवन बदल दिया ।

कहानी से  शिक्षा:- 
" भिखारी की जिंदगी में उसके द्वरा  बोले गये शब्दों से  बदलाव  आया और उसका आत्मसम्मान जाग गया और उसके साथ ही उसकी कार्यक्षमता भी बढ़ गई । 
हमारी जिंदगी में आत्मसम्मान इसी तरह का जादुई असर डालता है। पता नहीं कब किसी अनजान व्यक्ति की सलाह और शब्द काम आ जाते है। 


TITTLE -
बच्चों की परवरिश :-
Hindi motivation story in hindi 


एक चोर को सजा देते समय जज ने उससे पूछा कि क्या तुम अपनी सफाई में उसे कुछ कहना चाहते हो ?
उस आदमी ने जवाब दिया“ जी हुजूर, मेहरबानी करके मेरे माँ - बाप को भी सज़ा दीजिए ।
जज ने पूछा , क्यों ? चोर ने जवाब दिया “ जब मैं छोटा बच्चा था,तो मैने स्कूल से पहली बार पेन चुराकर लाया था तब मेरे माँ बाप ने जान बूझकर नज़रअंदाज किया था। उसके बाद मैं स्कूल और पड़ोसियों घरों से एक के बाद एक चीजे चुराता रहा और चोरी करना मेरी आदत बन गई । अगर मेरी पहली गलती पर मेरे माँ बाप मुझे ऐसा करने से रोकते तो आज में कटघरे में खड़ा नहीं होता ,पर सवाल यह पैदा होता है कि क्या माँ - बाप को बच्चों को गलत काम करने का चुनाव करने का मौका देना अच्छी बात है ।
पेंसिल चुराने से लेकर मेरे माँ - बाप को यह सारी बातें मालूम थीं , पर उन्होंने मुझे कभी रोका नहीं इसलिए मेरे साथ उन्हें भी जेल जाना चाहिए।
वह बच्चा सही कह रहा था । हालाँकि इन बातों से वह अपनी जिम्मेदारी से बरी नही होता पर सवाल यह पैदा होता है कया माँ बाप ने सही काम किया?

बच्चों को मन मुताबिक काम कर करने की अनुमति देना अच्छी बात है, पर सही रास्ता दिखाएं बिना चुनाव करने की छूट देना उनकी तबाही की वजह भी बन सकता है। शरीर और मन को पूरी तैयारी त्याग और अनुशासन से ही संभव है।

कहानी से शिक्षा  अपने बच्चों की गलतियों को नजरअंदाज ना करो  बचपन के बुरे संस्कार आने वाले कल तक बहुत बड़ी सज़ा बन सकती है। 

Last alfaaz- 
अगर आपको जिंदगी को बदलने वाली मेरी यह कहानियां अच्छी लगी हो तो प्लीज अपने चाहने वाले और दोस्तों को जरूर शेयर करें क्योंकि ऐसी कहानियां पढ़ने से बच्चों को प्रेरणा मिलती है और अच्छे बुरे का ज्ञान का अनुभव होता है क्योंकि इंसान इंसान से चला कि कर लेता है पर भगवान से नहीं इसलिए अपने बच्चों को इस तरह की कहानियां दूर करने के लिए प्रेरित करें या फिर उन्हें कथा के रूप में इन कहानियों को सुनाएं।

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