धनवान कैसे बने | क्या लक्ष्मी से सारे सुख संभव है | धन और सुख कैसे पायें |

Tittle-सुख प्राप्ति के लिए क्या करें- 
 जीवन में बहुत कुछ पाने के बाद भी इंसान कई बार खाली हाथ खड़ा रह जाता है । ऐसा लगता है जैसे दुनिया में सब कुछ 
 पाने के बाद भी वह अकेला और खाली है, क्योंकि अगर हमें आंतरिक सुख नहीं है तो हमें बाहरी सुख सुविधाएं सुख नहीं दे सकती। बाहरी सुविधा हमें थोड़ी देर के लिए सुख दे सकते हैं, पर जिंदगी भर के लिए नहीं। जिंदगी भर के लिए सुख पाने के लिए परमात्मा के साथ जोड़ना ही सबसे बड़ा सुख है।
 
क्या धनवान बनने से सारे सुख संभव है- हर इंसान यही सोचता है कि धन  अगर प्राप्त हो जाए तो सारे सुख शांति की प्राप्ति हो जाएगी। मगर यह इंसान की सबसे बड़ी भूल है।

 धन दौलत यानी लक्ष्मी प्राप्ति से शांति, पूर्ण सुख सुख ना तो किसी को प्राप्त हुआ और ना ही होगा. आज जिनके पास लक्ष्मी भरपूर मात्रा में है उनके ही जीवन में भी अशांति, दुख, भय , मानसिक तनाव नाना प्रकार के कष्टों से घिरे हुए हैं।
अक्सर देखने में आता है कि धनवान  लोगों के पास  समय का अभाव रहने के कारण वह अपने बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते और ना ही उनकी पूरी तरह से पालन पोषण कर पाते हैं। 

ऐसे बच्चे अक्सर को गलत रास्ते चले जाते हैं। उनमें कई प्रकार की बुराइयां जनम ले लेती है,  बुरे आचरण, स्वभाव का खानपान की कमी आ जाती है। 
ऐसी संतान के कारण  घर में अशांति समाज में बदनामी, मान मर्यादा ,प्रतिष्ठा पर काला धब्बा लग जाता है, तो फिर ऐसी लक्ष्मी के आने का क्या फायदा।
 एक बार बहुत ध्यान से सोचो अगर किसी की औलाद किसी तरह का नशा करने लग जाए और वह नशे में बुरी तरह लिपत हो जाए तो फिर वह लक्ष्मी किसी काम की नहीं। अगर घर में लक्ष्मी भी आए तो लक्ष्मी के साथ-साथ सद्बुद्धि होना भी बहुत जरूरी है।
इसलिए जब भी भगवान से धन मांगते हो साथ में सद्बुद्धि भी जरूर मांगना , क्योंकि धन के साथ बुद्धि का होना भी बहुत जरूरी है, और हमारे धर्म शास्त्रों में भी लक्ष्मी के साथ सरस्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है क्योंकि ये  रिद्धि  सिद्धि और  बुद्धि के देवता हैं।

मनुष्य ने धन दौलत पैदा की है मगर धन दौलत में मनुष्य को पैदा नहीं किया। धन दौलत कीमती नहीं है।  मनुष्य जन्म दुर्लभ , कीमती और अमूल्य है। मनुष्य जन्म को सुधारो जिससे कि वर्तमान जन्म भी सुधरे और अगला जन्म भी सुधर जाए।
 जन्म को सुधारने के अनेक रास्ते हैं कोई भी रास्ता अपना लो गरीबों की सेवा, दान, धर्म, पूजा पाठ, कीर्तन श्रवण, लेखन जैसे कि प्रभु को याद रख कर उस की कृपा प्राप्त करना है। लोग सोचते हैं कि ऐश्वर्या से, धन संपदा से, भौतिक साधनों से सुख की प्राप्ति हो जाएगी।
 यह तो मात्र मानसिक कल्पना है। धन से सुविधाएं अवश्य मिल जाएंगी पर सच्चा सुख नहीं मिलता। 

असली सुख कया है - 
 सुख केवल दो बातों से मिल सकता है। एक संतोष से दूसरा एकांत में प्रभु चिंतन से।
 जिसका मन किसी वस्तु विशेष में नहीं रहता और जो कुछ प्राप्त है उसे ईश्वर का वरदान मान कर स्वीकार कर लेता है। वह व्यक्ति सबसे सुखी इंसान है ।
इस संसार में सुख शांति और आनंद का भाव अलग-अलग है। सुख संसारिक होता है और शान्ति मानसिक होती है, तथा आनंद की प्राप्ति होती है।
जिसके पास भरपूर मात्रा में धन, है, वैभव , कोठी , कार है तथा अन्य प्रकार के साधन उपलब्ध है उन्हें ना तो दुख होता, न ही आशान्ती ही होती, आनन्द  तो उनके जीवन में हिलोरें मारता है।, ऐसा हम सब को लगता है।  लेकिन ऐसा सच में नहीं होता । 

ऐसे लोगों के पास सुख सुविधा तो हर प्रकार की है पर यह अंदर से बहुत अशांत होते हैं।  इनकी परेशानी यही लोग जानते हैं ।जितना ज्यादा अधिक धन है उतनी ही ज्यादा यह लोग परेशान रहते हैं।
 
परमात्मा का ज्ञान ही असली सुख है -
 भारी मात्रा में धन संचय करने से ऐश्वर्या अनेक साधनों को ढेर लगाने से न तो आत्मसाक्षात्कार  हो सकता, और न हीं आनंद की अनुभूति हो सकती है। 
यदि भोग में उपकरण साध्य होते तो नचिकेता को उक्त सभी प्रकार की सामग्री ऐश्वर्या, प्रसाधन यमराज द्वारा अनायास प्राप्त हो रहे थे। वह ग्रहण करता और आज की भाषा में ऐशो आराम का जीवन जीता। लेकिन नचिकेता जिज्ञासु था।  उसके मन में एकमात्र अभिलाषा यही थी कि वह आत्मसाक्षात्कार करें। वह राजमार्ग का पथीक था। वह गलत रास्ते पर चलने वाला नहीं था।  इस मार्ग पर जो भोग ऐश्वर्या जो कामदि  में जीवन को लिपत कर दे और जन्म मरण के प्रपंच में फंसकर मकड़ी की तरह अपने ही बुने जाल में फंसकर जीवन लीला समाप्त कर ले। ऐसे मार्ग का कोई फायदा नहीं क्योंकि यह सिर्फ भड़काने वाला मार्ग है। असली मार्ग तो ज्ञान मार्ग ही कहते हैं। 
यह साधु संतों का मार्ग है ,इस मार्ग पर चलने वाले के लिए छल, प्रपंच, दांवपेच आदि की जरूरत नहीं हैं। 
  
* मन को एकाग्र कैसे करें- 
निर्मल मन के लिए  मनुष्य का  भगवान् की याद में रहना ही  सबसे ज्यादा आवश्यक है। इसलिए अगर आप भी जीवन में पूर्ण सुख प्राप्ति चाहते हैं तो सिर्फ भगवान की याद में लग जाओ ।असली संतोष तो भगवान की याद में मिल सकता है। इन संसाधनों में नहीं । 
अगर संसाधनों से सुख मिलता तो शायद ही इतिहास का कोई राजा दुखी होता, क्योंकि उन राजाओं के पास धन की किसी भी प्रकार की कमी नहीं थी ।
बहुत सारे राजे दुखी होकर मरे हैं। इसलिए आप भी इस बात को अच्छी तरह समझ लो अगर आप जीवन में असली धनवान बनना चाहते हो तो धनवान बनने के लिए परमात्मा की शरण में लग जाओ, जिसने परमात्मा को पा लिया उसने सब कुछ पा लिया क्योंकि परमात्मा से बड़ा इस दुनिया में कुछ भी नहीं है।
 मन को एकाग्र  करने के लिए जिस प्रकार छोटे बच्चे को पढ़ने के लिए जबरदस्ती बिठाना पड़ता है । 
उसी प्रकार मन को भी भगवान की याद में जबरदस्ती लगाना पड़ता है। यह धीरे-धीरे अभ्यास करने से ही सुधार होता है ।भगवान की याद में बैठना कोई मुश्किल काम नहीं है क्योंकि कोई भी काम दुनिया में ऐसा नहीं है जो मानव जाति नहीं कर सकती। इसलिए ध्यान लगाना भी कोई मुश्किल काम नहीं है। बस अगर जरूरत है तो निश्चय की जरूरत है और निश्चित किसी भी पल किसी भी समय हो सकता है।

धनी व्यक्ति का अपने बच्चों के लिए संदेश- 
एक धनवान व्यक्ति ने अपने बच्चों के लिए एक लेटर लिखा और उसमें अपने अनुभव की बात करता हुआ अपने बच्चों के लिए यह सब  कुछ लिख कर गया कि संसार में मनुष्य जन्म बहुत ही मुश्किल से मिलता है। यह सच बात है और मनुष्य जन्म पाकर जिसमें शरीर का दुरुपयोग किया वह पशु के समान है। तुम्हारे पास धन है, तंदुरुस्ती है, और सब प्रकार के साधन है तो उनको सेवा के लिए उपयोग करो तब तो साधन सफल हैं, अन्यथा यह सब शैतान के औजार हैं। 
तुम इतनी बातों का ध्यान रखना कि धन मौज मस्ती में कभी भी प्रयोग ना करना। रावण ने मौज मस्ती की थी और जनक ने सेवा की थी। आप सबको उनका नतीजा भी पता है कि अंत में क्या हुआ था।
 धन सदा रहेगा भी नहीं इसलिए जितने दिन पास में है इसका उपयोग सेवा के लिए करो। अपने ऊपर कम से कम खर्च करो बाकी दीन दुखियों की सेवा करने में खर्च कर दो । धन शक्ति है। इस शक्ति के नशे में किसी के साथ अन्याय हो जाना संभव है। इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है । अपनी संतान के लिए यही उपदेश छोड़कर जाओ।
 यदि बच्चे आराम करने वाले होंगे तो पाप करेंगे और हमारे व्यापार को खत्म करेंगे, तो ऐसी नालायक औलाद को कभी धन ना देना उनके हाथ में जाने से पहले गरीबों में बांट देना,  क्योंकि तुम यह समझना कि  तुम नयासी हो  और हम भाइयों ने  व्यापार  है तो यह सोचकर कि तुम लोग धन का सदुपयोग करोगे। सदा यह ख्याल रखना कि तुम्हारा धन जनता की धरोहर है तो उसे अपने स्वार्थ के लिए उपयोग नहीं कर सकते। भगवान को कभी ना भूलना यही अच्छी बुद्धि देता है।
 इंद्रियों पर काबू रखना वरना ये तुम्हें डुबो देंगी।  नित्य नियम से योग और पुजा पाठ करना। भोजन को दवा समझ कर खाना स्वाद के वश में होकर मत खाओ , ऐसे लोग  जल्दी ही मर जाते है और वो कोई काम नहीं कर पाते।

 आज पूरी रोशनी है तो अंधेरा भी जरूर आएगा। जितना खर्च कर सकते हो प्रभु के नियमित करके धार्मिक कार्यों में और दीन दुखियों की सेवा के लिए खर्च करो तो हो सकता अंधेरा आए ही नहीं और आएगा भी तो वह थोड़े समय के लिए ही आएगा, अवश्य ही खत्म हो जाएगा।
 जिसने भगवान को याद कर उसके धर्म-कर्म में अपने धन को और अपने तन मन धन को खर्च किया वह किसी भी प्रकार से दुखी नहीं रह सकता भगवान उसकी एक दिन जरूर सुनता है।

Last alfaaz- 
इसलिए मन को संतोष होना सबसे बड़ा धन है। जिस इंसान ने संतोष कर लिया उसने संसार में सब कुछ पा लिया इसमें किसी भी प्रकार का शक नहीं है। धन कमाया जा सकता है, बांटा जा सकता है, पर धन साथ नहीं जाता। अगर साथ जाता है तो इंसान की नेकी और उसके कर्म   और संतोष साथ जाता है, इसलिए जितना भी हो सके अपने जीवन में अच्छे कामों के लिए खर्च करें और बुराई से हमेशा दूर रहे। ना किसी का बुरा सोचे  और ना ही किसी को बुरा करें ,क्योंकि यह जीवन लीला समाप्त कर एक दिन हम सब को परमात्मा के घर जाना ही होता है। फिर वहां हिसाब हमारे कर्मों का होता है ना कि धन का।
 अगर आपको मेरा यहां टॉपिक अच्छा लगा हो तो प्लीज इसे ऐसे लोगों के साथ जरूर शेयर करें जो भगवान में विश्वास करते हो ।


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