ईश्वर कैसा है और कंहा रहता है || परमात्मा का अस्तित्व कया है || परमात्मा को कैसे देखे ||

Tittle- ईश्वर कौन है और वो  ईश्वर कैसा दिखता है ? 
हम सब इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि परमात्मा कैसा है और कहां रहता है। बहुत सारे लोगों का अनुभव है कि परमात्मा हर जीव के अंदर बसते हैं ,और कुछ लोगों का अनुभव है कि परमात्मा कुछ भी नहीं है, पर ऐसा नहीं है यह संसार किसी बिना शक्ति के चल रहा हो। अगर हम हमारी सांसे चल रही हैं तो वह एक अदृश्य शक्ति के भरोसे ही चल रही हैं।
बहुत सारे लोगों का  सीधा जवाब होता है  - ईश्वर कुछ नहीं है , मगर यह "कुछ नहीं , कुछ नहीं , नहीं है । इस  कुछ नहीं  में ही सब कुछ है छिपा हुआ है। 
अब प्रश्न उठता है कि ईश्वर को " कुछ नहीं " क्यों कहा जा रहा है ? 
क्योंकि इंसान की इंद्रियों की शक्ति सीमित है । वह उसे ही कुछ समझता है जिसे देख सके , छू सके , सूँघ सके , शरीर के स्तर पर महसूस कर सके । मगर ईश्वर इंसान की इंद्रियों , मन और बुद्धि की पहुँच से बाहर है । इसलिए इंसान के लिए पहला यही जवाब सही है, पर जैसे - जैसे वह इस  कुछ नहीं ,को खोजने और जानने का प्रयास करेगा , उसे इसका कुछ - कुछ  मिलता जाएगा । 
तो आइए , पहले ईश्वर को बुद्धि के स्तर पर समझने का प्रयास करते हैं । यदि आपसे पूछा जाए पूरी सृष्टि के बनने से पहले क्या था ?  तो आप कहेंगे- कुछ नहीं ।  जबकि उस कुछ नहीं  के गर्भ से ही पूरी सृष्टि का निर्माण हुआ । 
ठीक ऐसे ही जैसे एक बीज को तोड़ने पर उसमें कुछ नहीं होता लेकिन उस एक बीज को जमीन  पर  दबाने  के कुछ समय अंतराल में एक पूरा जंगल खड़ा हो सकता है ।
 इस  कुछ नहीं को ही ब्रह्म , ईश्वर , अल्लाह , शिव, वाहेगुरु  या परमचैतन्य आदि नामों से जाना गया है । हम यहाँ इसे केवल सेल्फ यानी स्व कहेंगे ताकि किसी धर्म विशेष की बात न लगे ।
 यह सेल्फ ही इस पूरे ब्रह्मांड की एकमात्र जिंदा शक्ति है , जिससे यह पूरा ब्रह्मांड चल रहा है । इस शक्ति को आप तरंग या ऊर्जा भी कह सकते हैं । इसके होने से ही सब कुछ है और इसके न होने से कुछ नहीं रहता । यह ऊर्जा अपने मूल रूप में स्थित रहते हुए भी अन्य रूपों में मेनिफेस्ट यानी आभासित हो रही है । संसार में जो भी प्रकट , अप्रकट , जड़ , चेतन , सूक्षम , स्थूल , है , वह इसी ऊर्जा का प्रकटीकरण है । यह ऊर्जा नाशरहित है जो कभी समाप्त नहीं होती । उसे परिवर्तित तो किया जा सकता है, मगर समाप्त नहीं । अब तो विज्ञान ने भी इस सत्य को स्वीकारा है कि संसार में जो कुछ भी है वह ईश्वर की ही सत्ता से है।
ईश्वर तो दिखाई भी नहीं देते अब मै विश्वास कैसे करूँ ?_

"श्रद्धा वाई-फ़ाई की तरह होती है …
दिखती तो नहीं है … पर सही पासवर्ड डालो 
तो कनेक्ट हो जाते हो।    
इसी प्रकार ईश्वर के भी कुछ  पासवर्ड है-
जैसे- औम नाम जप,
औम नमें भगवते वासुदेवाय नमः,
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। 
हरे राम हरे राम राम राम राम हरे हरे - आदि  
एक बात और भी जरूरी है कि रेंज में रहना है, अधिक दूर जाने से भी सिग्नल नहीं मिल पाएंगे। यह रेंज है भक्तों का सत्संग।    
इसलिए भक्तों के सत्संग में महामंत्र जपते रहो, एक दिन अवश्य ही कनेक्ट हो जाओगे।
जब आप उस अदृश्य शक्ति से खुद को कनेक्ट कर लोगे तो फिर कभी भी किसी से कुछ नहीं पूछोगे कि ईश्वर कौन है , कैसा है और कहां रहता है ?
सभी सवालों के जवाब अपने अंदर ही समाए हुए हैं बस जरूरत है खुद के टीचर बनने की।
Last alfaaz- 
इन सब शब्दों को समझना बहुत मुश्किल है पर  जानना बहुत आसान है, क्योंकि भगवान को पाना खुद को जानना है, और खुद को जान लिया तो मान लो भगवान को पा लिया। इसीलिए शब्दों से यह भाषा समझ में नहीं आती अगर समझ में आती है तो अंतर्मन से आती है, इसलिए कभी भी ईश्वर की सत्ता पर अविश्वास ना करें, क्योंकि अगर वह  शक्ति नहीं है तो फिर मानव का जन्म भी सम्भव  नहीं हैं। ईश्वर  के सहारे ही इस पूरी सृष्टि का संचालन हो रहा है और कोई दूसरा इतनी बड़ी सृष्टि का संचालन नहीं कर सकता।  अगर परमात्मा नहीं होते तो प्रकृति के पास इतने तरह के रंग बिरंगे फल, फूल और पौधे ना होते।  बहुत ध्यान से सोचो कि कुदरत कैसे इतनी तरह के फल , फूल बना देती हैं, कोई न कोई अदृश्य शक्ति है जो इस पूरी सृष्टि को चला रही है। जो इंसान के समझ से बाहर है पर बुद्धिमान इंसान उसको पहचानने में देर नहीं लगाते, मूर्ख व्यक्ति ही इन सब सवालो में उलझते रहते हैं कि भगवान कौन है और कैसा है। उसको तो दिल की आंखों से देखना पड़ता है वह बाहर ही आंखों से नहीं दिखता। इसलिए अपने अंदर की आंखों को खोलो और भगवान के दर्शन कर लो।
 ओम शांति।

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