हिन्दू धर्म कैसे बना || हिन्दू धर्म की विशेष बातें || hindu dharm God | god se preyer kesy kere |

क्या आप जानते हैं ?
हिंदू धर्म में बहुत सारे ऐसे विधि विधान और कुछ बातों को नैगटीव  माना जाता है कुछ बातों को पोजटीव रूप  से देखा जाता है कयोंकि आप एक अदृश्य शक्ति में विश्वास रखते हैं तो इन बातों पर भी जरूर विश्वास करना चाहिए क्योंकि अगर दुनिया में भगवान है तो फिर नैगटीव  उर्जा भी हो सकती है। जिस प्रकार हम अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए कुछ घरेलू उपाय करके खुद को खुद ही ठीक कर सकते हैं । इसी प्रकार के हैं छोटे-छोटे उपाय और टोटके हमारे जीवन के लिए बेहद  लाभकारी सिद्द होते है। इस प्रकार  छोटे-छोटे उपाय हम जीवन में आने वाली कुछ गलतियों  से हमें बचा सकते हैं। 

  आइए जानते हैं इनके बारे में अलग-अलग विचार और मत क्या कहते हैं-

* हिन्दू धर्म के अनुसार घर में सुख शांति और समृद्धि के सबसे पहली रोटी गाय की,एक रोटी कुत्ते की और एक रोटी अपनी त पर पक्षियों के लिए प्रतिदिन जरूर निकाले। 

*हिंदू धर्म के अनुसार हजामत करवाने के लिए बुधवार का दिन अति उत्तम माना जाता है और तेल मालिश करने के लिए सोम बुध शनि सबसे अच्छे दिन माने गए हैं.

*कभी-कभी रविवार को अपने सिर के ऊपर दूध की थैली रखकर सोने से और सुबह उठकर उसको नदि यां नहर में डाल देने से मानसिक परेशानियों का अंत होने लगता है. यह उपाय और सप्ताह में एक दिन जरूर करना चाहिए अगर आप मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं और ऐसा करने से रात को अच्छी नींद भी आती है.

* 43 दिन लगातार मछलियों को चावल के दाने खिलाने से बिगड़े हुए कार्य बनने लगते हैं और घर पर आई हुई और तारा की वीपदा दूर हो जाती है।

*नीलम रत्न के साथ कभी भी भूलकर पुखराज नहीं पहना चाहिए क्योंकि यह लाभ के स्थान पर आपको हानि कर सकता है।

* जब आपका कोई भी काम नहीं बन रहा है और आप हर तरह से थक चुके हैं तो ऐसा मैं आपको अंधे लोगों को भोजन करवाना चाहिए आपके सब प्रकार के रास्ते खुल जाएंगे।

* हिन्दू  धर्म के गुरु शंकराचार्य जी स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने बतलाया है कि जिस दिन भारत में ये पांचगं , गगा , गीता , गायत्री , गोविंद , गाय , नहीं रहेगी तो  हमारी हिन्दू संस्कृति नष्ट हो जायेगी।

*  बानर की पूंछ को लांधना नहीं चाहिये कयोंकि ऐसा करने से हमे  दोष लगता है वानर को भगवान् हनुमान जी का रूप माना जाता है। जो हमारे शास्त्रों ने वर्जित किया है ।

 *  ब्रह्मा जी की आयु : मनुष्यों का एक महीना पितरों का एक दिन एक रात होता है । पितरों का एक वर्ष देवताओं का एक दिन एक रात होता है । देवताओं का दो हजार युग का ब्रह्मा जी का एक दिन होता है । एक सौ वर्ष ब्रह्माजी की । आयु पूरी होने तक चौदह मनूऔ  का काल पूरा हो जाता है । 

* हमारा भारत सबसे प्राचीन होने के साथ सभ्य भी है इसका प्रमाण है , हमारी काल गणना और वेद भारत का सृष्टि संवत् आजकल 1, 97, 29,ष49,103 यानी लगभग दो अरब वर्ष चल रहा है । हमने समय को सूक्ष्म से सूक्ष्म यूनिट से लेकर चार युगों और प्रलय एवं महा प्रलय तक बांटा है।

* कलियुग की आयु 432000 वर्ष मानी गई है और उससे दुगना द्वापर , तिगुना त्रेता एवं चौगुना सतयुग है । 
आजकल कलि का वर्ष 4200 चल रहा है । इन चारों युगों को मिलाकर एक महायुग होता है और 72 महायुगों को मिलाने से एक मंवन्तर होता है ।

  * दस वर्ष तक कस्तूरी तथा एक वर्ष तक कपूर सारवान् कहा गया है , परंतु चन्दन को सदा सारवान् ही कहा गया है। पवित्र नारिकेल के फोड़ने के बाद एक दिन - रात के अनन्तर असार हो जाता है। सूखे नारियल और खजूर में यह दोष नहीं होता !

* धन से संबंधित सभी कामों के लिए सोमवार, बुधवार के दिन को अधिक महत्व दें क्योंकि धन संबंधी कार्य करने के लिए घर से निकलते समय अपने घर में स्थापित धनदायक ही यन्तर या फिर गणेश जी के दर्शन अवश्य करें और उन पर उस अर्जित करके एक फूल अपने पास रखे।


* जब भी गुरू या शुक्र अस्त हो उस समय में नया घर यानी मकान की नीव रखना, नए मकान में प्रवेश करना ,नए आभूषण बनवाना या पहनना, पूजा-पाठ, अनुष्ठान, विवाह, वधू प्रवेश आदि में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।


* पुरुषोत्तम मास यानी अधिक मास जिसे हम मलमास के नाम से भी जान जानते हैं यह पौने 3 वर्ष के अंतर पर एक महीना परसोत्तम नाम से अधिक मास आता रहता है ।इस मास का मालिक भगवान पुरुषोत्तम श्री कृष्ण चंद्र जी हैं इसलिए भगवान पुरुषोत्तम जी की पूजा करने वाले मनुष्यों के लिए हर प्रकार का आधि व्याधि एवं दुख दरिद्रता  नष्ट हो जाती है और शुभ कार्य विवाह ,वधू प्रवेश ,देव प्रतिष्ठा  प्राप्ति की कामना से किए जाने वाले सभी प्रकार के कार्य वर्जित माने जाते  हैं।  इसलिए इस मास में प्रतिदिन भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए और अगर हो सके तो एक कांसे के बर्तन में अनन वस्त्र आदि का दान रखकर और साथ में गुड वाली वस्तुओं  को का दान करना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। 


* अपने शयनकक्ष में कभी भी झाड़ू नहीं रखनी चाहिए चाहे वह पुरानी हो या फिर नहीं क्योंकि ऐसा करने से आपको धन की हानि होती है

* कई बार रात को सोने पर भयंकर सपने  पदिखाई देते हैं जिससे सपने में बहुत दुख मिलता है और जागने पर भी याद करके उनको दिल जोर-जोर से धड़कने लग जाता है। ऐसे सपनों के प्रभाव को कम करने के लिए गायत्री मंत्र या फिर शास्त्र नाम और या हनुमान चालीसा का पाठ करके इन सपनों के प्रभाव को नष्ट कर सकते हैं।


* क्या आप जानते हैं 108 मंत्र जाप का क्या लाभ है यानी क्या आपने कभी भी माला को जाप को ध्यान दिया है कि माला में 108 मोती ही क्यों होते हैं। अगर नहीं पता तो आज हम बताना चाहेंगे 108 संख्या को  पवित्र माना गया है।  जिसकी वजह से 108 संख्या को शुभ माना जाता है। इसके पीछे कारण यह भी है कि वास्तव में 108 संख्या सूर्य और चंद्रमा की पृथ्वी की दूरी का अनुपात है। इसलिए माला में 108 मोती पिरोये  जाते हैं और 108 बार ही किसी मंत्र का जाप करने की विधि विधान बताया जाता है। 


* ऋग्वेद संस्कृत में लिखा गया सबसे पुराना ग्रंथ है तारीख अनिश्चित है लेकिन अधिकार विशेषज्ञ से पंद्रह सौ साल ईसाग्रो की तारीख देते हैं यह दुनिया में ज्ञात सबसे पुरानी किताब है और उसने हिंदू धर्म को कभी-कभी सबसे पुराने धर्म के रूप में भी माना जाता है

* हिंदू धर्म के अनुसार केवल एक ही सास्वत उर्जा है लेकिन यह कई प्रकार के देवी देवताओं का रूप ले सकते हैं यह भी माना जाता कि ब्रह्मांड में प्रत्येक प्राणी में ब्रह्मा का एक अंश रहता है।


* ओम शब्द को हिंदू धर्म में सबसे  पवित्र माना जाता है। इसे इस मंत्र से सबसे पहले स्वतंत्र रूप से जप किया जाता है इसे ब्रह्मांड की  ध्वनि माना जाता है इसका उपयोग बौद्ध, जैन ,सिख धर्म सभी ने किया है। यह एक अध्यात्मिक ध्वनि है जिसे आप योग का अभ्यास करते समय किसी मंदिर में जाते समय अक्सर सुनेंगे इसका प्रयोग ध्यान के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ओम नाम शब्द की ध्वनि हर पल ब्रह्मांड में गूंज रही है।


* आयुर्वेदिक ऐसी चिकित्सा है जो पवित्र वेदों का हिस्सा मानी जाती है और गाय को हिंदू धर्म में लाखों लोग पूजते हैं। हिंदू धर्म के तीन प्रमुख संप्रदाय हैं शिव, शक्ति और वैष्णव।


*  तुलसी सदा सारयुत ही रहती है , एकादशी के दिन गीली हो या सूखी अथवा जल के साथ हो वह सदा सारवान् ही बनी रहती है तुलसी को ग्रहण करना चाहिये । एकादशी के दिन अन्न निःसार हो जाता है । एकादशी के दिन मनुष्यों के लिये हरिका तीर्थ ( चरणामृत ) सार होता है । हरि के नामोच्चार से विहीन मुख और हरि को नैवेद्य के रूप में अर्पित किये बिना बना हुआ समस्त भोजन निःसार हो जाता है- अष्टमी , चतुर्दशी , अमास्वया और पूर्णिमा इन चारों तिथीयों को " पर्व - तीथियों कहा जाता है । 

* अपने पुत्र को पांच वर्ष तक लाड़ प्यार से पालना चाहिये , पांच से पन्द्रह साल तक अनुशासन में और 16 साल के बाद मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिये ।

*  मल - मूत्र का त्याग दिन में उत्तराभिमुख होकर करना चाहिए। 

* इस बात को हमेशा याद रखे कि इस दुनिया  एक अदृश्य शक्ति ही सृष्टि को सुनियोजित ढ़ंग से चला रही है । 

* हनुमान सिद्ध मन्त्र है सभी को पूरा भरोसा करके श्रद्धा चाहिये ।शिवरात्री की रात को कृष्ण पक्ष की चौदस की अर्धरात्रि तो अति लाभकारी है ।

 * ऊनी वस्त्रों की शुद्धि सूर्य की किरणों से गरम होने पर पूर्ण शुद्धि हो जाती है ।

 *  रेशमी वस्त्रों की शुद्धि पीली सरसों लेप से हो जाती है । 

* लोहे का पात्र को या कांसे के पात्र को राख के से मांजने से शुद्ध हो जाता है । 

* ताम्बे के पात्र को खटाई से मांजने पर शुद्ध हो जाता है । 
 पान के पत्ते के अग्रभाग में और डंडल में दारिद्रयता का निवास रहता है , अतः देव पूजा में या खाने से पहले अवश्य तोड़ दे ।

* गाय के खुर से उड़ी हुई धूलि सिर पर धारण करने से सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिल जाता है ।

  हाथी , घोडा , रथ , धान्य ( अन्न ) गौधूलि , शुभ होती है और कुत्ता , गधा , ऊंट , बकरी , भेड़  , बिल्ली , की धूलि अशुभ होती है ।

 * झाड़ू की धूलि भी अशुभ होती है । इनकी धूलि शरीर में लग जाये तो नहाना चाहिये ।

* तेल मालिश किया हुआ शरीर ( नहाने के पहले तक ) अशुद्ध रहता है । भेड़ के पैर की धूल , सूप ( छाजल ) की हवा , पानी के घड़े से छलके हुए जल के छीटें चिता का धुवां अशुद्ध होता है।

*; प्रातःकाल प्रतिदिन उठते ही देवी - देवताओं के दर्शन , पितृ दर्शन मोर पंख के दर्शन , प्रजलीत दीपक ( अखण्ड दीपक की ज्योति ) का दर्शन एवं घी , दही , सरसों , राई गाय का स्पर्श करता उसके पाप कटते हैं ।




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