भावनाओं को कैसे समझे | भावनाओं को कैसे कन्ट्रोल करें | emotion control tips in hindi |

Tittle- रिश्तो को  कैसे समझे और अपनी भावनाओं को कैसे कन्ट्रोल करें- हर इंसान के अंदर एक ऐसा इमोशनल रिश्ता छुपा हुआ है जिसको हम सिर्फ खुद ही जान सकते हैं। हम सब के अंदर गुस्सा, प्यार और दूसरों से उम्मीद रखने की एक नेचुरल प्रक्रिया है। कई बार हमारी भावनाओं के अनुसार जब कोई काम या रिश्ते को सही से नहीं निभा पाते तो हमारे अंदर एक कुढन पैदा हो जाती है, तो आज हम इस लेख के माध्यम से आपको समझाने की कोशिश करेंगे कि अपनी भावनाओं को किस प्रकार कंट्रोल करें।


खुद को कन्ट्रोल कैसे करें- 

दो अजनबी लोगों के बीच जब  किसी रिश्ते में बंधते हैं तो सबसे बड़ी प्रॉब्लम दुसरे  से कुछ जयादा ही हम उम्मीद रख लेते हैं। इमोशनल खेल सबसे बड़ा खेल है। अगर आप अपनी इस आदत को कंट्रोल कर लेते हैं तो समस्या खुद सुलझ जाती है। वरना  आप भवानाऔ के बहाव  के चलते बहुत बड़ी  परेशानी खड़ी कर सकते हो क्योंकि जिंदगी जीने का सबका अलग-अलग ढंग होता है।  कुछ लोग लाइफ में प्रैक्टिकल होते हैं और कुछ हर परिस्थिति में अपने आपको एडजस्ट कर लेते हैं। ऐसे में कुछ आसान टिप्स आप अपने भावनाओं  को काबू में रख सकते हैं। 

रोना  हंसना गुस्सा होना , ऐसी भावनाएं हैं जो हमारे भीतर है । कोई पलभर में घबरा जाता है , तो कोई जल्दी गुस्सा हो जाता है । छोटी - सी बात पर भी रो देना या फिर अपनी बात समझाते समझाते आवाज तेज कर लेना , ये सभी भावनाएं ही हैं जो हमारे भीतर से अक्सर बाहर आ जाती हैं । परंतु कई बार यही भावनाएं हमारी छवि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं । भावनाओं को अनुभव करने और व्यक्त करने की क्षमता आपके एहसास से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है । 

किसी स्थिति के प्रति मानसिकता या बाहरी प्रतिक्रिया के रूप में भावनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । जब आप उन पर नियंत्रण पाना और उनके साथ तालमेल बैठाना सीख जाते हैं तो आप आधी जीत हासिल कर चुके होते हैं ।

 इसी प्रकार  निर्णय लेने , रिश्तों में सफलता पाने व प्रेम और  प्रतिदिन की बातचीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । वहीं , अगर जब ये भावनाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं तो वे आपके भावनात्मक स्वास्थ्य और पारस्परिक संबंधों पर भारी पड़ सकती हैं ।


● रिश्तो को कैसे समझे- 

उदाहरण के लिए घर के किसी बड़े या पति के केवल तेज आवाज में बोल देने पर या किसी से बहस करते वक्त रोना आ जाता है इसलिए वे अक्सर कहते हैं कि तुमसे कुछ कहना बेकार है क्योंकि जरा - जरा सी बात पर तुम्हारे आंसू आ जाते हैं । 

 दफ्तर में किसी को काम समझाना है  लेकिन समझाते वक्त आपकी आवाज तेज व सख्त हो जाती है और चेहरे पर अतिशय गंभीरता झलकती है । इसलिए लोग आपको नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं । यदि किसी व्यक्ति को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है , तो इसका मतलब है कि उसे भावनात्मक उत्तेजना के प्रभाव और विचारों , कार्यों व बातचीत की गुणवत्ता को नियंत्रित करना मुश्किल लगता है । आमतौर पर  जो लोग भावनात्मक रूप से अनियंत्रित होते हैं  वे ऐसी प्रतिक्रियाएं दिखाते हैं ,जो उनके सामाजिक परिवेश की जरूरतों से मेल नहीं खातीं ।

 

*पहले खुद को समझे फिर दूसरों को समझायें-

 अपने मन को समझने की कोशिश करें । आपकी भावनाएं किस प्रकार से बार - बार सामने आती हैं और किस समय आती हैं । यह आपको नहीं पता तो आपको इसे भांपना सीख जाये । । जब आप इसको समझने लगेंगे तब आप अभ्यासों की मदद से इन पर नियंत्रण प्राप्त कर सकेंगे । इसके लिए आप इन्हें लिख सकते हैं । समय लें , फिर प्रतिक्रिया दें प्रतिक्रिया देने से पहले आपको अपने अंदर सोचने की क्षमता विकसित करनी होगी । यदि आपकी आंखों में आंसू आ जाते हैं तो एक लंबी सांस लेनी है , थोड़ा - सा रुकना है और तुरंत किसी बात की प्रतिक्रिया देने से पहले उसके बारे में एक बार सोचना है । आप जो बात सुन रही हैं , उसे सुनने के बाद थोड़ी देर ठहरें और फिर प्रतिक्रिया दें । इससे आप कुछ पल के लिए ही सही परंतु अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर पाएंगे । इससे आपकी नियंत्रण शक्ति धीरे - धीरे और बढ़ेगी । तब जाकर आप स्वयं पर संयम हासिल कर सकते हैं ।

 तुरंत जवाब देने से पहले थोड़ी देर उलटी   गिनती मन में गिनें । इससे आपका मन शांत हो जाएगा व आपकी नियंत्रण शक्ति बढ़ेगी । आपको भावनाओं पर धीरे - धीरे नियंत्रण करने की समझ आ जायेगी। 

हमारे  समाज का हर व्यक्ति और रिशतेदार  अपने लिए खुद को बहुत ज्यादा समझदार समझते है, इसलिए कभी भी किसी की भावनाओं में न आकर ना तो अपना निर्णय देने की जल्दी करें और ना ही उनकी भावनाओं में आकर किसी प्रकार का निर्णय ले। जिस रिश्ते की जो भी समस्या है उसको खुद ही अपने समस्या से निपटने दें आप जल्दबाजी में किसी की समस्या में हाथ ना डालें।

● अपने अंदर बदलाव लाएं -अपनी दिनचर्या को नियमित बनाएं , अनुलोम - विलोम व प्राणायाम जरूर करें । रोज सैर पर जाएं और अपने दिमाग को एकांत में कुछ समय दें अर्थात अपने मन व मस्तिष्क को कुछ देर के लिए शांत जगह पर ले जाएं । इससे मस्तिष्क पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इसका प्रभाव भावनाओं पर भी दिखता है । अपना ध्यान भटकाएं जब आपको लगे कि आपको गुस्सा या रोना आ रहा है तो ऐसे में  गाना गुनगुनाएं या ध्यान आसपास की चीजों पर लगाएं । जैसे- 5- चीजें जो आप देख सकते हैं । 4- चीजें जिन्हें आप छू सकते हैं । 3- चीजें जो आप सुन सकते हैं । 2- चीजें जिन्हें आप सूंघ सकते हैं । 1- चीज़ जिनका आप स्वाद ले सकते हैं । 

यह सब करने के बाद आप अपने तनाव से कुछ हद तक अपना ध्यान भटका सकते हैं और इससे  तंत्रिका तंत्र  शरीर की गतिविधियों को आराम देने वाला  को सक्रिय कर सकते हैं ।


● समस्या को खुद पर हावी न होने दें-

जिस प्रकार प्रकृति की कुछ समस्या हमारे हाथ में नहीं है। इस प्रकार रिश्तो में भी बहुत सारी ऐसी समस्याएं होती हैं जो हमारे बस में नहीं होती। इसलिए कभी भी समस्या को अपने ऊपर हावी न होने दे। जिंदगी में बहुत सारे दुख और सुख आते हैं तो ऐसी कंडीशन में पैनिक होने से बचना चाहिए क्योंकि जो चीज आपके हाथ में नहीं है उनको लेकर परेशान होकर अपने आप को बीमार करना कोई समझदारी नहीं है। कुछ  समस्याओं को सिर्फ भगवान पर छोड़ देना चाहिए और खुद एक सामान्य जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए। 


● नजरअंदाज करना भी जरूरी है-

 जिंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनको नजर अंदाज करना भी जरूरी है।  कुछ रिश्ते ऐसे स्वार्थी होते हैं जो सिर्फ आपका फायदा उठाना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में भावनाओं में न बेहकर उन लोगों को नजरअंदाज करना सीखे क्योंकि कुछ लोगों को सिर्फ दूसरों से अपना काम निकालने की आदत होती है, तो ऐसे समय मैं खुद अपने दिमाग से काम ले।


● समस्या से दूरी बनाने के लिए मेडिटेशन करें-  अगर आप किसी भी बुरी स्थिति में फंसे हुए हैं और कोई भी रास्ता नहीं दिख रहा दिख रहा हो तो ऐसे में खुद को कंट्रोल करना सबसे अच्छा तरीका है मेडिटेशन करना।  खुद को कंट्रोल करना मेडीटेशन बहुत  मददगार साबित  होगा।  ऐसे समय में एकांत स्थान पर बैठकर सिर्फ अपने मन की बात भगवान से शेयर करें और कुछ देर रुक कर इंतजार करें कि आपके अंदर क्या विचार आ रहे हैं। ऐसा करने से आप मानसिक तौर से काफी मजबूत बनेंगे और समस्या को समझने का एक बेहतर उपाय है, क्योंकि अगर आप अपनी समस्या को लोगों और रिश्तेदारों से शेयर करते हैं तो आप समाज में मजाक का पात्र बन सकते हो, इसलिए ध्यान रखें कि अगर आपकी समस्या किसी से भी शेयर करने के लायक नहीं है तो सिर्फ एक भगवान ऐसे हैं जो हमारी बात को किसी और तक नहीं पहुंचते । ऐसे समय में आप अपनी बात को किसी लेटर पर लिखकर भगवान के आगे भी रख सकते हो या फिर ध्यान लगाकर भगवान से बातें कर सकते हो। यह छोटी-छोटी बातें जीवन में बहुत ही उपयोगी हैं, इनको अप्लाई करके आप खुद को भावनाओं को कंट्रोल करें और दूसरों को भावनाओं में बहने से बचें क्योंकि दुनिया बहुत स्वार्थी है।

Posted by-kiran

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