दुर्गा पुजा कैसे करे|| नवरात्रि में कन्या पुजन कैसे करें | durga puja ||



Tittle- दुर्गा अष्टमी  पुजा कैसे करें अष्टमी पूजन की सही विधि और कैसे करें कन्या पूजन। 
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण सृष्टि प्रकाश-मान है इनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी है. महागौरी की चार भुजाएं हैं उनकी दायीं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल शोभता है. बायीं भुजा में डमरू डम डम बज रही है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती हैं. शास्त्रो के अनुसार अष्टमी पूजन से तमाम दुख दूर होते हैं और सुख की प्राप्ती होती है।


नवरात्रि के  विशेष मन्त्र कैसे करें-
इस मन्त्र की एक माला हररोज करे

या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
 
 दुर्गा  माँ  की  कथा कैसे  करें  ......
मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती में शुभ निशुम्भ से पराजित होकर गंगा के तट पर जिस देवी की प्रार्थना देवतागण कर रहे थे वह महागौरी हैं. देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ के प्रकोप से देवताओं को मुक्त कराया. यह देवी गौरी शिव की पत्नी हैं यही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी पूजी जाती है और यही देवी दुर्गा रूप भी माना जाता है

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं, पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा.
वैसे तो नवरात्रो के दसों दिन कुवारी कन्यायो को भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं. देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है।

उसी प्रकार Durga Ashtami के दिन भी देवी की पंचोपचार सहित पूजा करें ।
अगर आप के पास समय हो तो सफेद तिल से हवन कर ले एक माला जाप यह अति उत्तम माना जाता है ।

कन्या पूजा कैसे  करें-

 नवरात्रि में माँ दुर्गा को खुशियाँ प्राप्त करने के लिए।
इस दिन कुवारी कन्याओं का पूजन किया जाता है. कन्या या कंजक पूजन में सामर्थ्य के अनुसार इन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करते हैं और बैठने के लिए लाल या रंग का आसन दे । एक से दस वर्ष तक की कन्याओं का पूजन किया जाता है। 
इससे अधिक उम्र की कन्याओं को देवी पूजन में वर्जित माना गया है। कन्या पूजन में सर्वप्रथम कन्याओं के पैर धुलाकर उन्हें आसन पर एक पंक्ति में बिठाते और मंतर के साथ पंचोपचार पूजन करते है और अगर हो सके जो भी वस्तु दे उनकों वो लाल रंग की हो माँ दुर्गा को लाल रंग बहुत पसंद है । कनयाऔ को लाल रंग की चूडियां और बिन्दी जरूर दे।

तिलक करने के बाद उनकी कलाईयों पर कलावा बांधा जाता है. इसके पश्चात उन्हें हलवा, पूरी तथा रुचि के अनुसार भोजन कराते हैं। और भोजन मे काले चने का प्रयोग जरूर करे चने के बगैर भोग अघुरा माना जाता है।
पूजा करने के पश्चात जब कन्याएं भोजन ग्रहण कर लें तो उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें कोई भी गिफ्ट शरदा अनुसार मन से भेंट करें और दक्षिणा देकर विदा करें ।
इस प्रकार श्रद्धा पूर्वक अष्टमी पूजन करने से भक्तों समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं. और ये सारी विघी करने के बाद माँ की आरती जरूर करे आरती के बिना पुजा अधुरी मानी जाती हैं।


अगर आप भी नवरात्रोंं में व्रत रखते है तो इसके लिए कन्या पूजन  विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि नवरात्रों की पूजा कन्या पूजा के बिना अधूरी मानी  जाती है इसलिए नवरात्रों पर कन्या की पुजा जरूर करें और जितना आपके आय के अनुसार संभव हो कन्याओं केेेेे लिए दान भी अवश्य करें और मन में इस प्रकार के भावना रखें कि यह कन्या मेरेेे घर में मां दुर्गा का  रूप धारण करके आई है । 

Happy navratri-
दुर्गा मां के 32 नामों जप कैसे करें -

ॐ दुर्गा , दुर्गतिशमनी , दुर्गाद्विनिवारिणी , दुर्ग मच्छेदनी , दुर्गसाधिनी , दुर्गनाशिनी , दुर्गतोद्धारिणी , दुर्गनिहन्त्री , दुर्गमापहा , दुर्गमज्ञानदा , दुर्गदैत्यलोकदवानला , दुर्गमा , दुर्गमालोका , दुर्गमात्मस्वरुपिणी , दुर्गमार्गप्रदा , दुर्गम विद्या , दुर्गमाश्रिता , दुर्गमज्ञान संस्थाना , दुर्गमध्यान भासिनी , दुर्गमोहा , दुर्गमगा , दुर्गमार्थस्वरुपिणी , दुर्गमासुर संहंत्रि , दुर्गमायुध धारिणी , दुर्गमांगी , दुर्गमता , दुर्गम्या , दुर्गमेश्वरी , दुर्गभीमा , दुर्गभामा , दुर्गमो , दुर्गतारिणी ।
जब किसी भी व्यक्ति को हर तरफ से निराशा हाथ लग रही हो कोई भी काम नहीं बन रहा हो तो मां के इन 32 नामों का एक माला प्रतिदिन काम करने से बिगड़े हुए सभी काम करने लग जाते हैं। क्योंकि यह सपतशती के सिद्ध नाम हैं ।जो मनुष्य इस दुर्गा की  नाम माला का पाठ करता है वह निस्संदेह सब प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। अगि कोई शत्रुओं से  पीड़ित हो अथवा दुर्भेद बंधन में पड़  हो तो इन 32 नामों के पाठ मात्र से संकट से छुटकारा पाया जा सकता है।  इसमें किसी भी प्रकार की संदेह  की आवश्यकता नहीं है। 
इस कलयुग में इससे आसान कोई दूसरा उपाय नहीं है। रह पाठ करने से भक्तों को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती

इन 32 नामों की अग्नि में मधु मिश्रत  तिलों से इन नामों द्वारा सवा लाख हवन अगर करें तो मनुष्य हर प्रकार की विपति से छुटकारा पा सकता है। इस प्रकार कुछ विधि और मंत्र जाप द्वारा इंसान अपने असाध्य कार्यों को भी सिद्द् कर लेते हैं। मां दुर्गा का कहना जो मानव प्रतिदिन  मेरा भजन करता है वह कभी विपत्ति मे नहीं पड़ता। देवताओं से भी ऐसा कहकर जगदंबा वही अंतर्ध्यान हो गई ।दुर्गा जी के इस इन नामों  को जो सुनते हैं उन पर किसी भी प्रकार की विपत्ति नहीं आती। 

नवरात्रि पर  ज्वारे  कैसे बोये -




Last alfaaz- 
पूजा चाहे किसी भी प्रकार की हो हर पूजा में सारा खेल भावना का है ,क्योंकि मां दुर्गा् हो या फिर भगवान शिव शंकर यह सिर्फ हमारे भाव के भूखे हैं। इसलिए पुजा हमेशा मन से होनी चाहिए दिखावे से नही। 

Posted by-kiran.

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