Tittle- motivational topic for life-
मनुष्य शरीर केवल एक बार मिलता है यह शरीर हमें परमात्मा की भक्ति के लिए मिला है। किंतु इंसान यह सब कुछ भूल कर अपने उद्देश्य से विमुख होकर धन, मान, बडाई, नशे में लिप्त, सुख सविधाऔ आदि नाशवान पदार्थों की प्राप्ति में इस अमूल्य निधि का दुरुपयोग करने लगा है। इसी में 8400000 लाख योनि भोगकर नरक में जाने की तैयारी कर ली है।
इस स्थिति से बचने का अत्यंत शुगम रासता सिर्फ सत्संग है। सत्संग मिलने पर मनुष्य जन्म का उद्देश्य पहचान में आ जाता है ।तब भी भूला भटका मानव परमात्मा की ओर बढ़ता है और सांसारिक उलझनों को सुलझान के लिए सतसंग परम आवश्यक है।
यह बात उन्हीं लोगों की समझ में आ सकती है जो श्रद्धा तथा प्रेम के साथ नित्य सत्संग और पूजा पाठ करते हैं। पहले तो संसार में ऐसे महापुरुष है ही बहुत कम, फिर उनका मिलना बहुत दुर्लभ है और मिल जाए तो पहचानना और भी मुश्किल है। यदि ऐसे महापुरुषों को किसी प्रकार मिलना तय हो जाए तो उसे अपने भाव के अनुसार लाभ अवश्य होता है, क्योंकि उनका मिलना आमोध है।
श्रीनारद जी ने कहा है कि दुख में जब सभी रिश्तेदार, बंधु ,मित्र साथ छोड़ देते हैं उस समय केवल किया हुआ धर्म और सत्संग ही साथ देता है।सत्संग में बैठने से सुनने से बोलने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और मन को शांति मिलती है प्रभु के दर्शन हो जाने संभव हो जाते हैं। जहां सत्संग होता है वहां नारायण प्रभु स्वयं विद्यमान रहते हैं। जो मनुष्य नियमित रूप से सक्षम में जाता है सुद्ध मन से उसे सत्संग प्राप्त हो जाता है। सत्संग से हर हाल में खुश रहने की विद्या मिलती है। सत्संग से नुकसान तो कुछ भी नहीं है सिर्फ लाभ ही लाभ मिलता है, नुकसान तो सत्संग में जाने से हो नहीं सकता। सत्संग से बिना कुछ किये उन्नती होती है। और बुरी संगत मे जाने से बिना कुछ किये भी पतन होता है।
बड़े-बड़े महान कार्य करने के लिए विशेष शक्ति चाहिए और शक्ति का आधार है संयम और संयम सच्चे संत संतसग से प्राप्त हो सकता है, और वह सब भगवान की विशेष कृपा होने पर ही प्राप्त होता है।
*भजन और जप का महत्व-
एक बार तुलसी दास जी से किसी ने - पूछा ' कभी - कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है , क्या उसका भी कोई फल मिलता है ? ' "
श्री तुलसी दास जी ने मुस्करा कर कहा
"तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज । भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज "॥
अर्थात् भूमि में जब बीज बोये जाते हैं तो यह नहीं देखा जाता कि बीज उल्टे पड़े हैं या सीधे पर फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है , इसी प्रकार नाम सुमिरन कैसे भी किया जाये उसके सुमिरन का फल अवश्य ही मिलता है ।
जय श्री राम
HINDI MOTIVATIONL QUOTES-
वृक्ष कभी इस बात पर दुखी नहीं होता कि उसने कितने फुल खो दिए वह सदैव नए पुष्प के सृजन में व्यस्त रहता है, जीवन में कितना कुछ खो गया , इस पीड़ा को भूल कर , क्या नया कर सकते हैं , इसी में जीवन की सार्थकता है ।
सुख सुबह जैसा होता है ।
मांगने पर नही जागने
पर मिलता है ..!!
Quotes-
मैं रास्ते से गुजर रहा था कि सामने से एक परिचित मिल गए .उन्होंने मुझसे कहा ...
मजे में हो ?
मैंने जवाब दिया ..
आनंद में हूँ !
तो उन्होंने कहा
दोनों में क्या फर्क है ?
तो परिचित को बताना पड़ा कि मजे के लिए पैसा चाहिए और आनंद के लिए परिवार और मित्र चाहिए ! मैं आनंद में हूँ .!!
Quotes-
जो दान कर सके वही धन का वास्तविक मालिक है, बाक़ी तो सभी संपत्ति के चौकीदार हैं ...!!
* मन आपका मित्र भी है और शत्रु भी है,मन को पहचानो.!!
¤ जीवन में जो भी सुख या दुख
पाया गया है वह सब आपके कर्मों का फल है !!
¤ वर्तमान जीवन के कष्ट हमारे पाप कर्मों के ही प्रतिफल है।
¤कमल कीचड़ में भी मुस्कुराता रहता है !!
¤ व्यस्त और मस्त रहने से विचार और शरीर स्वस्थ रहेगा !!
¤ चिंता किसी भी कार्य की हो वह शरीर को जर्जर बना देती है।
¤ यदि माता-पिता और पित्रेश्वर पर्सन है तो देवता भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते !!
¤ रोते रहने से आपकी समस्याएं दुगनी हो जाएंगी।
¤ सकारात्मक सोच से परेशानियां आधी हो जाएंगी।
¤ मंजिल पर बिना परिश्रम के कोई नहीं पहुंचा।
¤ सफलता मेहनत और नियम से ही मिलती है।
¤ शिक्षा से क़ीमती कोई गहना नही !!
¤ आपके कष्ट आपके ही पाप का परिणाम है।
¤ इस संसार को सिर्फ भगवान ही चला रहे हैं।
¤ आपके नाकरातम्क विचार आपको बीमारियों के संकट दे देंगे।
¤ आप कैसे भी कर्म करो उनका फल आपको ही अवश्य भुगतना पड़ेगा !!
¤ खाली दिमाग रखने से उसमें शैतान घुस जाता है। इसलिए हमेशा राम नाम का जाप करो।
¤ कर्म नहीं करोगे तो शरीर में जंग लग जाएगा और बीमार पड़ जाओगे।
¤ किसी की आत्मा मत दुखाओ वह सर्वनाश कर देगी।
¤ मौन रहने से चित्त में शांति और विचारों को शक्ति मिलती है।
¤ बुढ़ापे का संबंध मंन से है, आयु से नहीं।
¤ विधि की विडंबना और कर्म की गति की भविष्यवाणी करना असंभव है।
¤ मां बाप का उपकार कभी बेटा बेटी भी वापस नहीं कर सकते ।
¤ मां बाप की सेवा करना संतान का सर्वोच्च तीर्थ है।
¤ इस संसार में आपका सच्चे हृदय से मंगल चाहने वाला मां-बाप के समान दुनिया में कोई और नहीं है।
¤ जिसे सब तरह से संतोष हो वह धनवान है।
¤ बुरे आदमी की बुराई करना भी बुरा काम है।
¤ वह अंतर्यामी तो सब कुछ दे देता है बस सिर्फ सच्चे मन की प्रार्थना की जरूरत है।
¤ मोहम्मद गोरी 17 बार हार कर भी 18 बार जीत ही गया था।
¤ जिस घर में सुख शांति हो ,संतान सुस्तान हो, इस्त्री गृहलक्ष्मी हो वह घर स्वर्ग के समान है।
¤ आय से अधिक खर्च करने वाले कष्टों अशांति और बदनामी को बुलावा दे रहे हैं।
¤ अगर संकल्प दृढ़ हो तो सफलता आपके पाँव चूमेगी।
2 ईमानदारी के साथ आप जैसा सोचेंगे वैसे ही बन जाओगे।
¤ ठगना बुरा है, मगर ठग जाना बुरा नहीं है।
¤ गलती करना मनुष्य का स्वभाव है मगर गलती को मान लेना मानवता है।
¤ दान जो भी दो वह दूसरे को मालूम ना होने दो।
¤ जो पाना चाहते हो वह बांटना शुरू कर दो वह आपको जो चार गुना होकर मिलेगा।
¤ व्यक्ति कभी कपड़ों से महान नहीं होता अपने विचारों से महान होता है।
¤ इन्सान के लिए सुख और दुख दोनों ही ऐसी बेडियाँ हैं, एक लोहे की दूसरी सोने की।
¤ सत्य कभी वृद्ध नहीं होता !!
¤ कलंक काजल से भी जयादा काला है !!
सत्संग के सुनने के फायदे -
जैसे मनुष्य शरीर बार-बार नहीं मिलता, वैसे ही शरीर मिलने पर सत्संग बार-बार नहीं मिलता। हर हाल में खुश रहने के लिए विधा संतसग में ही मिलती है। सच्ची बात को मान लो ,यह सत्संग है । जैसे भीतर अग्नि कमजोर हो तो भोजन पचता नहीं ऐसे भीतर लगन ना हो तो सत्संग की बातें पचती नहीं ।
भगवान् की विशेष कृपा की पहचान -सत्संग प्राप्त होता है । व्यापार में तो लाभ और नुकसान दोनों होते है ,पर संतसग में लाभ ही लाभ होता है ।
नुकसान होता ही नहीं । सतंसग की बातों को महत्व देने से वृत्तियों में बहुत फर्क पड़ता है और विकार अपने - आप नष्ट होते हैं। कई वर्षों से साधन करने पर जो तत्व नहीं मिलता वह सतसंग से तत्काल मिल जाता है ।
जैसे घनी के गोद जाने से बिना कमाये धन मिलता है , ऐसे सत्संग में जाने से बिना साधन किये भगवान में रुचि बढ़ती है । सत्संग में बिना कुछ किये उन्नति होती है और बुरे लोगों की संगत से मात्र खड़े होने से कंलकित हो जाते है इसलिए हमेशा अपने जीवन में धन चाहे थोड़ा कम कमा लेना है लेकिन दोस्ती और सत्संग ऐसी कमाई जिसमें जाने से आपको बताते हुए शर्म ना आये।
Last alfaaz-
भौतिक जगत में सभी सुखों का आदि और अंत है लेकिन प्रभु भक्ति में खुशी असीमित है और इसका कोई अंत नहीं है ।
अगर आपको मेरे यह सुविचार और सत्संग का महत्व और भक्ति का फल क्या होता है। अच्छा लगा हो तो प्लीज अपने चाहने वाले और दोस्तों में जरूर शेयर करें ।
भक्ति और शिक्षा दो ऐसे गुण हैं,हमारे अंदर जिसको कोई और हमसे छीन नहीं सकता ।दुनिया में कमाई गई हर तरह की धन दौलत हमसे कोई भी छीन सकता है पर भक्ति और शिक्षा कोई भी भाई बहन बंटवारा नहीं करवा सकता। यह एक अनमोल खजाना है,इसलिए हमेशा अगर कुछ हासिल करना है तो वह है जवानी में शिक्षा और अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अंत में भक्ति और सत्संग जरूर करें जिसके सिर्फ लाभ ही लाभ है नुकसान कुछ भी नहीं है।
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