अपना भाग्य कैसे बनायें [ राजा सिकन्दर की कहानी ]



राजा सिकंदर का नाम हम सब ने बहुत अच्छे सुना हुआ है। राजा सिकंदर विश्व विजेता थे, वह दुनिया का सबसे महान राजा हुए हैं। यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। जब राजा सिकंदर14 साल के थे तो उन्होंने किसी बहुत बड़े विद्वान को पंडित को अपना हाथ दिखाया और बोले पंडित जी मेरे भाग्य में राजयोग है क्या ?
 तो पंडित हाथ की लकीरें देखकर  बोला आपके भाग्य में राजयोग नहीं है। पंडित जी का बहुत बड़ा नाम था बड़े-बड़े राजाओं के यहां आना जाना था। पंडित जी का राजा सिकंदर का हाथ देकर बोले बेटा आपके हाथ में राज करने वाली रेखा ही नहीं बनी हुई है। थोड़ी देर तो राजा सिकंदर सुनकर उदास हुए  फिर बोले पंडित जी वो रेखा कहां होती है हाथ में जरा मुझे भी तो बताओ,जिसके होने से भाग्य राज लिखा होता है ।पंडित ने हाथ पकड़ा और इशारा किया कि यह वाली रेखा होती है।
 अगर यह रेखा किसी के हाथ में नहीं है तो उसके भाग्य में राजयोग नहीं होगा अगर यह है तो उसकी किस्मत में राज करना होता है। 
 राजा सिकंदर ने अपनी तलवार निकाली और हाथ में एक लंबी रेखा खींची और बोले पंडित जी देखो क्या अब बन गई है क्या रेखा ? 
पंडित जी यह सारा दृश्य देखकर एक बार तो डर कर सहम गया उसको लगा कहीं ये मेरा ही ना कुछ कर दे, पर सिकंदर एक कर्म करने वाला इंसान था । सिकंदर ने अपने बुद्धि और तलवार के दम पर पूरी दुनिया पर राज किया है । वह कर्म करने मे विश्वास करता था।  
यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। इतिहास में सिकंदर एक ऐसा राजा हुआ जिसके नाम के आगे
सिकंदर महान लगता था 
यह स्टोरी उन लोगों के लिए है जो पंडितों की बातों पर विश्वास करते हैं और काम ना करके सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठ जाते हैं। कई बार  हमें अपना भााग्य बनाना पडता है। अगर विद्वानों और पंडितो को इतना ही पता होता तो वह अपना और अपने बच्चों का भाग्य और सबसे पहले बना लेते ।
भाग्य किसी का कमजोर नहीं होता भाग्य कर्म से बनाया जाता है।

Moral of story 
कर्म करने से भाग्य बनता है ना  की हाथों की लकीरों से और भाग्य उनका भी होता जिनके हाथ नही होते इसलिए कर्म पर विशवास रखो लकीरों पर नही..।

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