Tittle-मुर्ति पुजा कैसे और कब करें ।
भगवान् कहां निवास करते हैं मूर्ति में या मन में यह शंका हर किसी के मन में रहती है, पर भगवान हर चीज में विद्यमान है ।बस अगर जरूरत है विश्वास और हमारी श्रद्धा की है, अगर मन में विश्वास है तो वह मूर्ति में भी है अगर मन में विश्वास नहीं है तो वह कहीं भी नहीं है ।आज का मेरा लेख मूर्ति पूजा का महत्व और मूर्ति पूजा क्यों करें टॉपिक पर है इसको पढ़कर आपका मन की उलझन दूर हो जाएगी कि भगवान मूर्ति में रहते है या मन में रहते है।
मुर्ति की पुजा करने का महत्व -
मुर्ति एक नास्तिक मनुष्य के लिए सिर्फ पत्थर है, मगर आस्तिक इन्सान भगवान् एक भगत है, एक पुजारी के लिए उसका इष्टदेव उसका सब कुछ है। वह उसके प्राण है। उदाहरण के लिए हमारे समझ लें जिस ने रेकी की शिक्षा ली वह किसी भी समय कहीं पर भी रेकी की शक्ति को अपने हाथों से बुला सकता है। हथेलियां गर्म हो जाएंगी और इस शक्ति द्वारा वह अपना यह सामने वाले रोगी का और दूर रहने वाले रोगी का उपचार कर सकता है। जिसको रेकी शक्ति की जानकारी नहीं है वह इसे अंधविश्वास कहेगा। इसी तरह जिस व्यक्ति को अपने प्रभु पर विश्वास नहीं है यह भक्ति में कोई ध्यान नहीं है, उसके लिए मूर्ति पूजा कुछ भी नहीं है। और जिस भगत का प्रभु में ध्यान है उसके लिए मूर्ति में ही सब कुछ है। वह उसके दर्शन भी कर सकता है,और उससे बातचीत भी कर सकता है।वह मुर्ति की सेवा करता है, उनको भोजन कराता है। और पास में बैठे हुए दूसरा नास्तिक इन्सान सिर्फ पत्थर की मूर्ति ही नजर आएगी। प्रभु नारायण तो सब जगह है, सब समय विराजमान है। आपके अंदर भी बैठे हुए हैं मेरे अंदर भी बैठे हैं। कोशिश कीजिए आप भी दर्शन प्राप्त कर सकते हैं ।मगर कब यह तो आपके विश्वास श्रद्धा और लगन पर निर्भर करता है। हमारे शास्त्रों में ऐसी बहुत सारी घटनाएं हैं जिनका प्रमाण है अनपढ़ धन्ना जाट ने भूखे रहकर सिर्फ तीसरे ही दिन प्रभु को भोजन खिलाया था।
नरसिंह मेहता भगत का मुनीम बनकर नगद पेमेंट किया था।
भक्त प्रहलाद की रक्षा करके जलती अग्नि में जरा सी भी आंच नहीं लगने दी।
मीराबाई ने भक्ति कैसे करी -
भक्त मीराबाई के भी हलाहल विष का प्याला को अमृत बना दिया था और मीरा को बचा लिया था। श्रीकृष्ण ने नदी के पानी का असली घी बना दिया था और कोरवो के सौ पुत्रों का सर्वनाश कर के अपने भक्तों के पांच पुत्रों को बचा लिया था। सभी देवताओं को वश में करने वाले महा बलवान रावण को पूरे परिवार सहित खत्म करके अपने भक्त विभीषण को सब कुछ दे दिया था।
श्राप के कारण पत्थर बनी हुई अहिल्या नारी को वापस नारी बनाकर मुक्ति दिला दी थी। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे शास्त्रों में देखने में मिल जाएंगे।
जिसमें भगवान पर विश्वास किया उसके लिए भगवान ने कुछ भी कर दिया।
आपके साथ भी बहुत बार ऐसा हुआ होगा बहुत सारे लोग यह कहकर मजाक उड़ाते हैं कि पत्थर की पूजा मूर्ति की फोटो की पूजा करते उसमें क्या भगवान है ?
कि तुम बेवकूफ हो फोटो या मूर्ति निमित्त मात्र है। जैसे कि आपको कोई नजदीकी रिश्तेदार दूसरी जगह गया है, उसको आपको ज्यादा याद आती है तो उसकी फोटो आपके पास तो आप उसे देखते हैं और बातें भी कर लेते हैं। आपको कुछ शांति मिल जाती है।
भगवान राम प्रभु कहां पर नहीं है वह किस जगह विराजमान नहीं है वह तो पत्ते पत्ते में कण-कण में प्रत्येक जीव में प्रत्येक निर्जीव में समाया हुआ है। अगर दृढ़ विश्वास के साथ याद करेंगे तो वह हाजिर जरूर होगा।
संसार में ऐसा नहीं है जो किसी न किसी रूप के नाम से किसी शक्ति को नहीं मानता हो। नाम कुछ भी हो रूप कुछ भी हो मगर वह एक अदृश्य शक्ति है जो भी है वही तो भगवान है। उस शक्ति के बिना तो यह सारे संसार की एक सेकंड में हजारों भाग में सब हिलना, डुलना , चलना बंद हो जाता है।
धर्म सभी अच्छे हैं,और सभी धर्मों के भगवान सभी अच्छे हैं।अपने भगवान को कभी मत छोड़ो दूसरे धर्म या देवता की कभी बुराई मत करो। दूसरे के धर्म का भगवान को हमेशा प्रणाम करो, निरादर कभी मत करो। प्रतिमा की बिना मंदिर निर्जीव है जैसे कि बिना आत्मा के शरीर मुर्दा है।
भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित परमात्मा के प्रति विश्वास होती है। मंदिर में दर्शन करने से प्रार्थना करने से शांति मिलती है। विश्वास के साथ मूर्तियां पतथर को लोग देवता मानकर पूजते हैं तो अवश्य ही उसमे प्रभु हैं और हमारा कार्य अवश्य पूरा हो जाता है। पूजा अवश्य सवीकार होगी, लाखों-करोड़ों लोग पूजा करके अपना उदार कर रहे हैं । हमारे धर्म ग्रंथों 100% प्रतिशत सत्य है उनमें हजारों लाखों उदाहरण भरे पड़े हैं कि पत्थर के भगवान को पूजने से सभी के मनोरथ पूरे हुए हैं और कभी-कभी भगवान प्रकट भी हुए हैं। विभिन्न रूप, विभिन्न नाम ,विपिन पूजा पद्धति, विभिन्न प्रकार के रास्ते सभी एक ही भगवान की शक्ति है कि हम जो भी भाई उसको मान लो उसकी पूजा करो।मगर हृदय से उसको सच्चे हृदय से पुकारो तो वह अवश्य लाभ मिलेगा। पूर्ण फल अवश्य प्राप्त देगा। पूर्ण विश्वास है उसके ऊपर रखोगे तो वह 1 दिन निराकार मूर्ति रहित रहकर सकार स्वरूप है, साकार की प्रतिमा द्वारा उपासना की जाती है और निराकार का ध्यान किया जाता है।
मूर्ति पूजा का महत्व-
जब मूर्ति पूजन ना किया हो तब तक ध्यान नहीं लग सकता।
सनातन धर्म मे पत्थर, संगमरमर, धातु ,मिट्टी आदि पदार्थों की उपासना बताता है, किंतु चेतन मूर्ति की पूजा का आदेश देता है । विधि विधान और मंत्रों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात ही प्रतिमा स्थापन का विधान है।
अतः मंदिर में कोई भी देवता साक्षात रूप में प्रतिष्ठित हो जाता है। समय के अनुसार भगवान अवतार सहित और मंदिरों का निर्माण करवाते हैं। भगवान के अनेक रूप हैं संसार के कण-कण में परमपिता परमेश्वर समाया हुआ है। जब वो कण कण में व्याप्त है तो मूर्ति में निश्चित रूप से विराजमान है। परमात्मा का भले ही मूर्ति में ध्यान करें या निराकार निर्गुण के रूप में ध्यान करें तो परमात्मा का एक स्वरूप मन मस्तिक पर छा जाता है, और ध्यान करते ही स्वरुप दृष्टिगोचर होने लगता है।
भगवान की जितनी भी मूर्तियां बनाई गई हैं उन सबको ध्यान करते हुए समय योगियों अर्थात योग साधना करने वालों ने उनको प्रत्यक्ष देखा है। आपसे किसी भी स्वरूप का ध्यान करना प्रारंभ करें तो वह स्वरूप आपको अवश्य दिखलाई देना शुरू हो जाएगा। भगवान के मंदिर में बार बार दर्शन करने के लिए इसलिए जाते रहते है अपने इष्ट देवता का स्वरूप प्रत्यक्ष आंखों के दर्शन करें।
रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली की भक्ति कैसे की-
रामकृष्ण परमहंस को काली माता के प्रत्यक्ष दर्शन होते थे आप और हम सभी काली माता यानी देवी देवताओं के वैसे ही प्रत्यक्ष दर्शन कर सकते हैं जैसे कि रामकृष्ण परमहंस किया करते थे। सभी सब लोग उस एक ही निराकार ब्रह्म का है तो सब जगह समाया हुआ है। परमात्मा के जिस रुप का धयान करते हैं उसे बार-बार नहीं बदलना चाहिए। ओर जीस स्वरूप का ध्यान करें उसी से उक्त मंत्र का मन ही मन जाप करें अगर राम के स्वरूप का ध्यान करें तो राम नाम मंत्र का जाप करें ।
श्री कृष्ण का ध्यान करें तो श्रीकृष्ण मंत्र का जाप करना चाहिए ।
जहां तक हो सके एक ही इष्ट देव के स्वरूप का श्रद्धा और विश्वास के साथ अन्य भाव से मंत्र का जाप करते हुए ध्यान करें। ध्यान का आश्चर्य जनक प्रभाव होता है अपने इष्ट देव के चित्र या मूर्ति का ध्यान करें। मूर्ति के अंगो को बार बार देखे, आंखें बंद करते हुए अप्रतिम का ध्यान करें ह्रदय में ध्यान लग जाएगा। इस प्रकिया को दिन में कई बार करें 1 महीने के अंदर ही आपको भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन भी हो सकते हैं।
अगर आप साकार ब्रह्मा के बजाये निर्गुण ब्रह्म को मानते हैं तो सूर्य दीपक की ज्योति का ध्यान करें, और यह अनुभव करें कि भगवान ज्योति के रूप में आप के चारों ओर है, और आपको आलोकित कर रहे हैं। आप भी ज्योति स्वरूप हो गए हैं। अगर आप परमात्मा का ध्यान करने में सफल हो गए तो समाधि लग जाएगी बिना ध्यान के समाधि नहीं लग सकती।और अगर समाधि लग गई तो दर्शन हो जाएंगे और जिसको दर्शन हो जाते हैं उसको मुक्ति प्राप्ति निश्चित है ।
ओम शांति।
घर पर पुजा के लिए मूर्तियों कैसी रखे -
ॐ. कार्तिकेय के साथ भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। मनुष्य को सुख-सुविधा की सभी वस्तुएं प्राप्त होती हैं और सभी मनोकामनाएं पुरी होती है।
ॐ. जिस मूर्ति में भगवान शिव एक पैर, चार हाथ और तीन नेत्रों वाले और हाथ में त्रिशूल लिए हुए हों। जिनके उत्तर दिशा की ओर भगवान विष्णु और दक्षिण दिशा की ओर भगवान ब्रह्मा की मूर्ति हो। ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से मनुष्य सभी बीमारियों से मुक्त रहता है
और पुरे परिवार की सेहत ठीक रहती है।
ॐ भगवान शिव की तीन पैरों, सात हाथों और दो सिरों वाली मूर्ति जिसमें भगवान शिव अग्निस्वरूप में हों, ऐसी मूर्ति की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को अन्न की प्राप्ति होती है।
ॐ जो मनुष्य माता पार्वती और भगवान शिव की बैल पर बैठी हुई मूर्ति की पूजा करता है, उसकी संतान पाने की इच्छा पूरी होती है।
ॐ भगवान शिव की अर्द्धनारीश्वर मूर्ति की पूजा करने से अच्छी पत्नी और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।
ॐ जो मनुष्य भगवान शिव की उपदेश देने वाली स्थिति में बैठे भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करता है, उसे विद्या, ज्ञान और नौकरी की प्राप्ति होती है।
ॐ. नन्दी और माता पार्वती के साथ सभी गणों से घिरे हुए भगवान शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
ॐ माता पार्वती सहित नृत्य करते हुए, हजारों भुजाओं वाली भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य जीवन के सभी सुखों का लाभ लेता है।
ॐ चार हाथों और तीन नेत्रों वाली, गले में सांप और हाथ में कपाल धारण किए हुए, भगवान शिव की सफेद रंग की मूर्ति की पूजा करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
ॐ काले रंग की, लाल रंग के तीन नेत्रों वाली, चंद्रमा को गले में आभूषण की तरह धारण किए हुए, हाथ में गदा और कपाल लिए हुए शिव मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी परेशानियों खत्म हो जाती है। रुके हुए काम पूरे हो जाते है।
ॐ ध्यान की स्थिति में बैठे हुए, शरीर पर भस्म लगाए हुए भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य के सभी दोषों का नाश होता है।
ॐ. जटा में गंगा और सिर पर चंद्रमा को धारण किए हुए, बाएं ओर गोद में माता पार्वती को बैठाए हुए और पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ स्थित भगवान शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से घर-परिवार के झगड़े खत्म होते है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
ॐ.हाथ में धनुष-बाण लिए हुए, रथ पर बैठे हुए भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
ॐ घर में गणपति की मुर्ति अवश्य रखें और सबसे पहले गणपति की पुजा करे बाद मे ही और देवताओं की पुजा का विधान माना गया है ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है ।
ॐ. जिस मूर्ति में भगवान शिव एक पैर, चार हाथ और तीन नेत्रों वाले और हाथ में त्रिशूल लिए हुए हों। जिनके उत्तर दिशा की ओर भगवान विष्णु और दक्षिण दिशा की ओर भगवान ब्रह्मा की मूर्ति हो। ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से मनुष्य सभी बीमारियों से मुक्त रहता है
और पुरे परिवार की सेहत ठीक रहती है।
ॐ भगवान शिव की तीन पैरों, सात हाथों और दो सिरों वाली मूर्ति जिसमें भगवान शिव अग्निस्वरूप में हों, ऐसी मूर्ति की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को अन्न की प्राप्ति होती है।
ॐ जो मनुष्य माता पार्वती और भगवान शिव की बैल पर बैठी हुई मूर्ति की पूजा करता है, उसकी संतान पाने की इच्छा पूरी होती है।
ॐ भगवान शिव की अर्द्धनारीश्वर मूर्ति की पूजा करने से अच्छी पत्नी और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।
ॐ जो मनुष्य भगवान शिव की उपदेश देने वाली स्थिति में बैठे भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करता है, उसे विद्या, ज्ञान और नौकरी की प्राप्ति होती है।
ॐ. नन्दी और माता पार्वती के साथ सभी गणों से घिरे हुए भगवान शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
ॐ माता पार्वती सहित नृत्य करते हुए, हजारों भुजाओं वाली भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य जीवन के सभी सुखों का लाभ लेता है।
ॐ चार हाथों और तीन नेत्रों वाली, गले में सांप और हाथ में कपाल धारण किए हुए, भगवान शिव की सफेद रंग की मूर्ति की पूजा करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
ॐ काले रंग की, लाल रंग के तीन नेत्रों वाली, चंद्रमा को गले में आभूषण की तरह धारण किए हुए, हाथ में गदा और कपाल लिए हुए शिव मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी परेशानियों खत्म हो जाती है। रुके हुए काम पूरे हो जाते है।
ॐ ध्यान की स्थिति में बैठे हुए, शरीर पर भस्म लगाए हुए भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य के सभी दोषों का नाश होता है।
ॐ. जटा में गंगा और सिर पर चंद्रमा को धारण किए हुए, बाएं ओर गोद में माता पार्वती को बैठाए हुए और पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ स्थित भगवान शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से घर-परिवार के झगड़े खत्म होते है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
ॐ.हाथ में धनुष-बाण लिए हुए, रथ पर बैठे हुए भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
ॐ घर में गणपति की मुर्ति अवश्य रखें और सबसे पहले गणपति की पुजा करे बाद मे ही और देवताओं की पुजा का विधान माना गया है ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है ।
Last alfaaz:------------
अगर आज का यह मूर्ति पूजा का लेख आपको अच्छा लगे तो आप इसे जरूर शेयर करें अगर मेरे इस लेख में किसी भी प्रकार का कोई बात आपके मन में हो तो आप मुझे कमेंट करे।
यह सारी बातें शास्त्रो के अनुसार बताई गई हैं। मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है बिना रूप के किसी की कल्पना नहीं की जा सकती। इसी तरह हम भगवान की भी पत्थर की मूर्ति में देख कर ही उनका स्वरूप को ध्यान करते हैं। आप सब का दिन मंगलमय और शुभ हो।
Posted by-kiran
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