सुखे मेवे खाने के फायदे | सुखे मेवे खाये और ईमनुयटी को बढाये | benefits of eating dry fruits | सुखे मेवे खाने का सही तरीका |


Title- सुखे मेवे खाने के फायदे- 
 जितना हमारे शरीर को भोजन की जरूरत है उसी तरह शरीर के लिए कुछ फल और सूखे मेवे भी जरूरी हैं। सूखे मेवे थोड़े महंगे जरूर हैं ,पर अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए इनका सेवन करना भी उतना ही जरूरी है। जितना किसी दवाई का क्योंकि स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं है, और सवास्थय सही है तो सारा जग सही है।


अंजीर-
अंजीर खाने के लाभ-

आर्युवेद के अनुसार अंजीर ज्वरनाशक , पौष्टिक ,पथरी,क्षय , लकवा ,जीर्णता कफ पित वात , कमजोरी यकृत गुर्दो के रोग दूर करने वाला है। यह बलगम को पिघला कर बाहर निकाल देता है । कमजोरी में एक अन्य बिमारियों में अति उत्तम पौष्टिक पाचक खाद्य पदार्य है।
 प्रतीदिन 5 अंजीर 12 घन्टे पूर्व भिगो कर खाने से संधिवात ,चर्म रोग,यकृत और गुर्दे सम्बन्धी रोग दूर होते हैं। बवासीरः दो सूखे अंजीर को शाम को पानी में भिगोकर रख दे और सुबह उठकर खाली पेट खा लेना चाहिये। इसी प्रकार सुबह के भिगाये हुए अंजीर संध्या को खा लेना चाहिये। इस प्रकार 6 से 10 दिन तक खाने से खूनी बवासीर के अंदर बहुत लाभ होता है।
 शवेत कुष्ठः सफेद कोढ़ के आरम्भ में ही अंजीर के पत्तों का रस लगाने से उसका बढ़ना बंद होकर आराम होने लगता है गांठ और फोड़ेः सूखे या हरे अंजीर को पीसकर तथा जल  में  मिलाकर गुनगुना लेप करने से गांठों तथा फोड़ों की सूजन कम हो जाती है।
 

सुबह खाली पेट इसको खाने से अन्नप्रणाली को यह आश्चर्यजनक लाभ देता है। अंजीर बादाम और पिस्ते के साथ खाने से बुद्धिवर्धक , अखरोट के साथ खाने से उत्तेजक तथा बादाम के साथ खाने से विष को दूर करने का काम करता है। अंजीर पुरानी खांसी में लाभ पहुंचाता है क्योंकि यह खांसी केवल बलगम से ही पैदा होती है । इसका दूध तीक्ष्णता के कारण रेचक है यह गाठिया और बवासीर रोग में भी लाभकारी है ।

 अखरोट के  फायदे -
 एक दिन में तीन अखरोट से ज्यादा नहीं खाये, प्रतिदिन एक से तीन अखरोट रात्रि को भिगो कर सुबह खाली पेट खूब चबा - चबा कर खाएं । इससे पथरी रोग दूर होता है और पेट के कीड़े मर जाते है।अखरोट खाने से स्मरणशक्ति की वृद्धि होती है  और पुरुषो का वीर्य  गाढ़ा होता है , शक्राणुओं की सक्रियता एवं संख्या में वृद्धि होती है। घुटनों का दर्द कम करता है। इसके खाने से स्मरणशक्ति का विकास होता है । ज्यादा अखरोट खाने  से पित कुपित होता है।  अखरोट के छिलके को पाउडर से उत्तम किस्म का दन्त - मंजन होता है ,इसके मंजन से दांत के सभी रोगों में आराम मिलता है। अखरोट एक पोषक आहार के साथ  साथ औषधीय आहार भी है। आयुर्वेद के अनुसार सार अखरोट मधुर , किंचित् खट्टा , स्त्रिग्ध , शीतल , वीर्यवर्धक , गर्म , रूचिदायक , कफ - पित्तकारक , बलवर्धक तथा वातपित्त , क्षय , उदयरोग , रक्तवाल , रुधिरदोष को दूर करनेवाला है यह बहुत ही गुणकारी एक सुखा मेवा है। सबसे जयादा यादयाशत बढाने के लिए रामबाण उपाय है।  कभी आप इसे ध्यान से देखना इसका आकार बिल्कुल हमारे दिमाग के जैसा होता है, इसीलिए यह यादाश्त के लिए बहुत उपयोगी माना गया है।

काजु खाने के फायदे-

 काजू यह श्रेष्ठ कोटि का पौष्टिक मेवा है ,इसमें पूर्ण तथा प्रथम श्रेणी का प्रोटीन होता है।काजू का प्रोटिन यूरिक एसिड तथा यूरिया का निर्माण नहीं करता । इसलिए यह उच्च कोटि का प्रोटीन आहार है । इसमें श्रेष्ठ किस्म का वसा होता है जो जैतून वसा से भी श्रेष्ठ है । इस वसा को खाने से वजन तो बढ़ता है परन्तु रक्त में कोलेस्टरॉल नहीं बढ़ता
 इसमें प्रचुरता से विटामिन बी . कॉम्पलेक्स , थायमिन होता है जो नाडीमण्डल एवं पाचनसंस्थान को शक्तिशाली बनाता है। तलने - भुनने से इसके पोषक तत्त्व कम हो जाते हैं  20-25 काजू के दाने रात्रि को भिगो कर सुबह उसे सिलबटे पर छोटी इलायची , तथा खजूर डाल कर पिस ले, यह बहुत ही स्वादिष्ट , बल , वीर्य स्वास्थ्य एवं सौन्दर्यवर्द्धक पेय है। प्रतिदिन 15 काजू खूब चबा कर खाने के बाद एक चम्मच शहद चाटें यह प्रयोग दिमाग  और नाडीमंडल को ताजगी प्रदान करता है तथा सभी प्रकार की कमजोरी को दूर करता है । 
काजू के छिलकों का तेल बहुत दाहक और फफोला उठानेवाला होता है । इसलिये इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिये। 
काजू वजन बढ़ाता है मगर कोलस्ट्रोल नहीं बढ़ाता। एक काजु की कलौरी एक रोटी के बराबर होती है। और यह कमजोरी दूर करता है।

 किशमिश -

 किशमिश एक बहुत ही स्वादिष्ट मीठा व सूखा फल है , जो अगुंर से बना होता है।यह अंगूर का एक सुखा रूप है, जो अनेक मिठाइयों , सब्जियों  और व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाने हेतु प्रयोग में लाया जाता है । यह एक पौष्टिक पदार्थ भी है जिसमें 77% प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट , 20 % प्रोटीन , 4.0 %  लोह तत्व , 0.2 प्रतिशत वसा , 18.5 प्रतिशत जल व विटामिन बी कॉम्प्लैक्स की भरपूर मात्रा पाया जाता है। इसमें दूध के अधिकांश गुण मौजूद है । यह दूध से भी अधिक गुणकारी व बलवर्द्धक मानी जाती है । इसकी शर्करा को शरीर आसानी से पचा लेता है ।इन सब गुणों के अतिरिक्त किशमिश अनेक रोगों को दूर करने में भी सक्षम है ।
 किशमिश में आयरन व लौह तत्व काफी मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह शरीर में खून की कमी व कमजोरी दूर करने में सहायक सिद्ध होती है । पीलिया के रोगी इसका सेवन करने से  जल्दी स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं ।   
कब्ज होने पर किशमिश का नियमित सेवन करे और मुंह में बदबू आने की स्थिति में किशमिश को चबा - चबा कर खाने से लाभ होता है ।
 द्राक्ष ,किशमिश तथा मनुक्काः मुनक्का तथा किशमिश में विपुल मात्रा में अति श्रेष्ठ किस्म का कार्वोज मिलता है। इसकी शर्करा ग्लूकोज  पूर्व पचित शर्करा है । यह शरीर में अति शीघ्रता से अवचूषित होकर ऊर्जा ,शक्ति तथा ताप में फायदा करती है । किशमिश मुनक्काः किसी भी प्रकार के बुखार में 12 घण्टे तक भीगे हुए किशमिश का पानी बहुत ही श्रेष्ठ आहार है तथा यह रक्त शुद्धि व रक्त वृद्धि करता है । इसके खाने से 
स्मरण शक्ति का विकास होता है और दिल के  रोगियों के लिए बढ़िया पौष्टिक आहार है। 

खुुुुबानी-
 यह वात , पित्त , कफ का हरण करती है । खुबानी शरीर से जहरीले पदार्थों को निकालने मे काफी सक्षम है । यह कब्ज  तथा शरीर  विषाक्ता के लिए उत्तम औषधि है । इसमें अति श्रेष्ठ किस्म का लोहा प्रचुर मात्रा में होता है । इसमें लोहा तथा तांबा का अनुपात निश्चित् होने के कारण रक्तहीनता के रोगियों के लिए उत्तम औषधि है , खुबानी को खाने से  हिमोग्लोबिन - उत्पादन की क्रिया तीव्र  हो जाती है । खुबानी को भिगो कर गूदा खा जाये तथा इसकी गुठली को फोड़ कर खाये । यह छोटे बादाम जैसा होता है तथा स्वाद व गुण में भी एक जैसे होते है । इसे दूध के साथ उबाल कर खाने से काफी स्वादिष्ट तथा सुपाच्य होता है । इसे रात्रि को भिगोकर सुबह खाने से कब्ज ठीक होता है ।आतों के कीडे तथा अन्य पैथोजेनिक बैक्टरिया समाप्त होते है। यह ज्वर को ठीक करता है और  बवासीर में लाभदायक है । 
 
चिलगोजा कैसे खाये - 
आयुर्वेद की दृष्टि से मधुर उष्ण पचने में हल्का तथा धातुवर्धक होता है । इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी कॉम्पलेक्स , थायमिन , फास्फोरस तथा अन्य खनिज लवण भरपूर मात्रा में होते है । यह मानसिक कार्य करने वालों के लिए बहुत अच्छा  टॉनिक है। इसके खाने से स्मरणशक्ति का विकास होता है । धातु रोग व स्नायुदौबर्ल्य वाले रोगी प्रतिदिन 15 ग्राम चिलगोजे छ : घन्टे पहले भिगो कर खाये। इसका प्रोटीन उच्चतम किस्म का होता है ।  इसकी वसा में पॉली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में होने के कारण यह हृदय रोगियों के लिए पौष्टिक आहार है । चिलगोजा मानसिक कार्य करने वालों के लिए बढ़िया टानिक है इसके खाने से  स्मरण शक्ति का विकास होता है । हॉर्ट रोगियों के लिए बढ़िया पौष्टिक आहार है ।

 चिरोंजी का उपयोग कैसे करें - 
यह प्रबल पुष्टिकारक होती है ।इसमें थायमिन व अन्य बी काम्पलेक्स फास्फोरास की मात्रा पर्याप्त होती है , इसलिए यह मस्तिष्क एवं स्नायु संस्थान को सबल एवं सशक्त बनाती है । इसमें प्रोटीन भी अच्छी गुणवत्ता का होता है ।यह वातज व्याधि के लिए भी उत्तम औषधि है ।15 से 20 ग्राम 2 घन्टे पहले  भिगी चिरोंजी प्रतिदिन खाने से वीर्य गाढ़ा होता है । चिरौंजी को नीम के पत्तों के साथ पीस कर लगाने से  खुजली मे बहुत जल्दी आराम आता है। 

बादाम-

 बदाम का छिलका  उतारकर पीस लें और शहद या संतरे के साथ साथ लेने से मानसिक पीलिया, दर्द की कमजोरी के लिए बादाम सर्वश्रेष्ठ माना जाता है  पिलीया, गले तथा स्वरनली की सूजन , मूत्र मार्ग का  संक्रमण, सुुखी खासी , हृदय की दुर्बलता , रकत की कमी , यकृत का सूजन , कफ ,गर्भावस्था तथा स्तन काल की दुर्बलता,नंपुसकता दूर होती है ।अनिद्रा , मानसिक तथा स्नायवबिक विक्षेप, पागलपन , उन्माद , हिस्टीरिया, बहरापन , आदि मे  प्रतिदिन पाच बादाम घिसकर किशमिश या मुनक्का या संतरे का रस या शहद मिला कर  खा लो बादाम यह बहुत लाभदायक है।  
बादाम केे साथ दूध भी लिया जा सकता है। मस्तिष्क एवं आखो के लिए यह विशेष रूप में उपयोगी मेवा है।  शिशुओं को दूध पिलाने वाली मा को अश्वगंधा चूर्ण को शहद के साथ लेने से उनके दुध मे वृृृद्धि होती है।    षुुुुुरूषो का वीर्य गाढा होता और सामान्य कमजोरी , स्नायविक   रक्तहीनता आदि बीमारी दूर होती है । बादाम की गिरी को 10-12 घन्टे पानी में भिगोकर तत्पश्चात् छिलका हटाकर प्रयोग करने से पाचन क्रिया की शक्ति बढ़ाता है । विशेषकर बच्चों  और दिमागी काम ज्यादा करने वालों को इस प्रयोग में अश्वगंधा चूर्ण मिलाकर  शहद मिलाकर चाटले ।मीठे बादाम का तेल हलका होता है और दिमाग में बहुत तरी पैदा करता है। सिरदर्द को मिटाता है और यह सनिपात और निमोनिया में लाभदायक है  जुलाब की औषधियों में इसे मिलाने से उनका प्रतिक्रियात्मक दोष दूर हो जाता है । इसका निरन्तर उपयोग हिस्टीरिया की बीमारी में बहुत लाभदायक है। गर्भवती स्त्री को पहला महीना लगते ही मीठे बादाम के ताजे तेल को प्रतिदिन प्रातः 1 तोले की मात्रा में दूध के साथ या और किसी प्रकार भी देने से प्रसव में बहुत सरलता हो जाती है।
  यह शरीर के लिये बहुत अच्छी शक्ति  देने वाला उपाय है। यह नया खून पैदा करता है और पुराने खून को शुद्ध और साफ करता है ।इसका शीत शक्कर के साथ सूखी खांसी को आराम करता है। इसको देने से कफ के साथ आनेवाला खून बंद हो जाता है । दमा और निमोनिया के लिये भी यह लाभदायक है ।यह मूत्रनलीकी सूजन और सुजाक में भी लाभदायक है।  अंजीर के साथ बादाम देने से कब्जियत मिट जाती है। 
दुबलापन  3-4 बादाम के लेप में एक चम्मच मक्खन मिलाकर डबल - रोटी के स्लाइस पर लगा कर ऊपर से मिश्री का पाउडर बुरक दें और सुबह नाश्ते में ऊपर से मीठा दूध पी लें । इस प्रयोग से दुर्बलता दूर होती है और शरीर का वजन बढा देता है। 
 दंतमंजनः बादाम छिलकों को जला कर रख लें और उसकी चौथाई मात्रा में सेंधा  नमक मिलाकर कपड़छान करके प्रयोग करने से दांत मजबूत और मसूढे निरोग रहते है। बादाम कई प्रकार के मिलते हैं उनको अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे गुलबन्दी और मामरा बादाम। मामरा बादाम याददाश्त के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं अगर आपको यादाश्त के लिए खाने हैं तो आप बाजार से मामरा बदाम ही लेकर आएं।

मूंगफली का सेवन कैसे करें-
 केसिन तथा लाइसिन जैसे उच्चतर किस्म के प्रोटीन प्रचुर मात्रा में मूंगफली में पाए जाते है ।इसे अधिक खाने से भूख खत्म हो जाती है । मूंगफली को अंकुरित करने से इसमें वृहद् स्तर पर गुणात्मक रूपान्तरण होता है ।अंकुरण में सभी प्रकार के विटामिन ए . बी . सी . ई  कई गुण पाये जाते हैं।  विटामिन बी तथा ई . अन्य खाद पदार्थों  की अपेक्षा अत्याधिक होता है। इसके अंकुरण के दुध से अनेक प्रकार की अभावजन्य रोग भी ठीक होते है । मूंगफली का तेल एक्जिमा तथा फोड़े फूंसी में अत्यधिक लाभदायक है । मूंगफली  अन्य मेवे को खूब चबा कर खाये , अन्यथा गैस बन जायेगी । दमा एवं खासी के रोगी  मुगफली न खाये। मूंगफली को आम भाषा में गरीबों के बदाम भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें बादामों के जितने ही गुण पाए जाते हैं ।

आंवला  का सेवन कैसे करें -
यह एक दिव्य फल है इसमे  विटामिन सी भरपूर  मात्रा में पाया जाता है और यह आखों ,बालों के  लिए परम हितकारी, इसका इसका स्वाद थोड़ा खट्टेपन में होता है ,इसलिए इसको जब भी कच्चा खाएं तो थोड़ा सा नमक लगाकर खा ले फिर यह आसानी से खा सकते हो। यह हमारी आंखों का चश्मा तक हटा सकता है यह आंखों के लिए बहुत ही हितकारी है। सभी प्रकार के  हॉर्ट - रोगी को सर्दी  जुकाम मे 4 से 8 नग हरे आंवले का रस दो चम्मच शहद के साथ सुबह एवं सांयकाल लें  सुखा आंवला भिगोकर मसलकर शहद के साथ ले सकते हैं।
 सूखे मेवे हमारे शरीर और बीमारियों के लिए बलवर्धक और उपयोगी हैं किसी भी एक मेवे का प्रयोग हर रोज जरूर करें, क्योंकि हर मेवे के गुण अलग-अलग हैं इसलिए इनका प्रयोग थोड़ा बहुत जरूर करना चाहिए, क्योंकि शरीर के लिए अच्छा भोजन करना बहुत जरूरी है यह ताकत ही नहीं , यह हमें  बीमारियों से भी हमें भी बचाते हैं।
Posted by-kiran



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