दिल का दौरा पडने पर बचाव कैसे करें || दिल का दौरे से बचने घरेलू उपाय || दिल का दौरा पड़ने पर सावधानीया कया करें ||

Tittle- दिल का दौरा पड़ने पर बचाव कैसे करें- दिल के दौरे को डाक्टरों की भाषा में मायोकार्डियल इंफैक्शन कहा जाता है, और यह दरअसल रक्त आपूर्ति बाधित हो जाने के कारण हृदय की मांसपेशियों और आम तौर पर हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली किसी रक्त धमनी में रक्त के थक्के या कोलेस्ट्राल जमाव के कारण रुकावट पैदा हो जाने से हृदय को रक्त की आपूर्ति रुक जाती है। इसलिए हमारे ह्रदय की घड़कन या तो अनियमित हो जाती है या रुक जाती है। ऐसा हो जाने से हमें दिल का दौरा पड सकता है।और इसकी वजह से कई बार हार्ट की सर्जरी तक करवानी पड जाती है।


इससे हृदय मस्तिष्क सहित शरीर के विभिन्न अंगों को स्वच्छ रक्त नहीं भेज पाता है । ऐसी स्थिति में में अगर पांच मिनट के भीतर भी रक्त का प्रवाह चालू नहीं कर दिया जाए तो मस्तिष्क को स्थायी क्षति पहुंच चुकी होती है और मरीज की मौत तक हो जाती है।


दिल का गंभीर दौरा पड़ने की ज्यादातर स्थितियों में एक घंटे के भीतर ही मरीज की मौत होने की आशंका रहती है। अगर इस दौरान मरीज को हृदय चिकित्सा की आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचने की संभावन बढ़ जाती है ।

दिल के दौरे (मायोकाडियल इंफैक्शन ) के दौरान सीने में बहुत तेज दर्द उठता है और यह दर्द छाती के बिल्कुल बीच के भाग के ठीक नीचे से शुरू होकर आस - पास के हिस्सों में फैल जाता है। कुछ लोगों में यह दर्द छाती के दोनों तरफ फैलता है लेकिन ज्यादातर लोगों में यह बाई तरफ अधिक फैलता है । यह दर्द हाथों और अंगुलियों , कंधों , गर्दन , जबड़े और पीठ तक पहुंच सकता है ।
कई बार दर्द छाती के बजाय पेट के ऊपरी भाग से उठ सकता है लेकिन नाभि के नीचे से होकर निकलता है। और गले के ऊपर का दर्द दिल के दौरे का परिचायक ही होता है। हालांकि अलग- अलग मरीजों में दर्द की तीव्रता एवं दर्द के दायरे अलग - अलग होते हैं ।

 दिल का दौरा पड़ने पर बचाव के लिए कया करें-

* ऐसे होने पर मरीज को जमीन पर या बिना गद्दे वाले पलंग पर सीधा लिटा दें और उसके कपड़े ढीले कर दे तथा कम से कम कपड़े रखें ।

* मरीज की टांगों को ऊपर उठाएं ताकि उसके हृदय एवं मस्तिष्क तक खून पहुंच सके, अगर नब्ज धीमी चल रही हो या नहीं चल रही हो तो समय खोये बगैर डाक्टर के पास ले जायें। 

*ऐसी गंभीर स्थिति में जब मरीज बेहोश हो जाए और मरीज की सांस नहीं चले तो मरीज की छाती की मालिश करनी चाहिये और उसके मुंह से अपने मुंह को सटाकर कृत्रिम सांस देना चाहिये इसे चिकित्सकीय भाषा में कार्डियो पल्मोनरी रिसिस्टेश ( सी.पी.आर ) कहा जाता है और यह मरीज की जान बचाने में आत्यंत सहायक होता है 
और भुलकर भी ऐसी अवस्था में मरीज एक भी कदम ना चलाये। 
अगर नब्ज चल रही हो तो मरीज की नब्ज एवं श्वसन पर निगरानी रखें । अगर नब्ज नहीं चल रही हो तो उसकी तत्काल सी.पी.आर. आरंभ करें और तब तक इसे जारी रखें तब तक कि अस्पताल में जाक्टरों की निगरानी में नहीं पहुंच जाए । 
*अगर मरीज उल्टी कर रहा हो तो उसके मुंह को एक तरफ मोड में , उसके मुंह को खोल दे और जीभ बाहर निकाल दे । मरीज को खड़ा करने या बिठाने की कोशिश ना करे । उसके मुंह में पानी या गंगाजल ना डाले और उसके आसपास भीड़ ना करें ।

 हार्ट के लिए कुछ आयुर्वेद के अनुसार उपाय-

1. अर्जुन की ताजा छाल को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें, 250 ग्राम दूध में 250 ग्राम पानी मिलाकर हल्की आंच पर रख दे और उसमें उपरोक्त तीन ग्राम ( एक चाय का चम्मच हल्का भरा ) अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर उबालें। जब उबलते - उबलते पानी सूखकर दुध मात्र अर्थात आधा रह जाये तब उतार ले फिर पीने योग्य होने पर मिश्री 10 ग्राम मिला ले और छानकर रोगी द्वारा पीने से सम्पूर्ण हृदय रोग नष्ट होते है और हार्ट अटैक से बचाव होता है।

प्रयोगविधि - नित्य एक बार प्रातः खाली पेट लें और उसके बाद डेढ़ - दो घंटे कुछ ना लें और एक मास तक नित्य प्रातः ले और तत्पश्चात् प्रतिमास के प्रारंभ में तीन दिन तक लगातार नित्य सवेरे लेते रहने से पुनः दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती।
चूर्ण के स्थान पर ताजा अर्जुन की छाल का प्रयोग अधिक लाभकारी रहता है । हृदय - रोगों में अर्जुन की जल का कपड़छान चूर्ण का प्रभाव इजेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चुसते ही रोग कम होने लगता है। यह प्रयोग उच्च रक्तचाप में भी लाभदायक है ।

2. उच्च रक्तचाप के कारण यदि हृदय पर शोथ या सूजन उत्पन्न हो गई हो तो यह उसको भी दूर करता है ।

3. हृदय - रोगों के अतिरिक्त शरीर के विभिन्न अंगों में पानी पड़ जाने और शरीर पर शोथ आ जाने पर भी अर्जुन की छाल का सफलता से प्रयोग किया जाता है।

4. अनार , आंवला या आंवला का मुरब्बा , सेब या सेब का मुरब्बा , अंगूर , नींबू का रस , थोड़ा उष्ण गाय का दूध , जौ का पानी, कच्चे नारियल का पानी , गाजर , पालक , लहसुन , कच्चा प्याज , छोटी हरड़ , सौंफ , मैथीदाना , किशमिश , मुनक्का, गाय के दुघ की दही, गाय का शुद्ध घी का सीमित प्रयोग ,गेहूं का दलिया चोकर , मोटा आटा , चना और जो मिश्रित आटे की रोटी ,योड़ी मात्रा में भिगाये काले चने , किशमिश , भुने हुए चनों का नियमित सेवन , बिना पालिश के चावल , हरी सब्जियां और ताजे फल , कम चिकनाई वाले दूध से बने पदार्थों को धोकर उसे छिलके सहित पिस लें और फिर उसमें तुलसी के सात - आठ पत्ते और पोदीने की पांच - छः पत्तियां डालकर ग्राइण्डर में अथवा सिलबट्टे पर पीस लें । तत्पश्चात् उसे कपड़े से छानकर रस निकाल लें। छाने हुए रसकी मात्रा 125-150 ग्राम होनी चाहिये। उस रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें और पानी की मात्रा 250-300 ग्राम होनी चाहिये।इस रस में पिसी हुई चार काली मिर्च और एक ग्राम सेंधा नमक मिला ले। इस रस का सुबह , दोपहर और रात को तीनों रामय भोजन के आधा घण्टे बाद सेवन करें।

5. हर बार ताजा रस ही निकालना चाहिये। शुरू में तीन - चार दिन यह रस पेट साफ करेगा , जिससे पेट में कुछ खलबली महसूस होगी। इससे घबराना नहीं चाहिये फिर पेट सामान्य हो जायेगा। इसे लेते रहने से कुछ ही दिनों में हृदयरोग ठीक हो जाता है और रोगी को किसी सर्जरी ' से बचा जा सकता है।

6.रोगी को प्रतिदिन लगभग पाच -छ : किलोमीटर पैदल चलना चाहिये हृदयरोगियों को मांस ,मदिरा , धूम्रपान आदि का पूरी तरह त्याग करना आवश्यक है। चार - पांच किलोमीटर टहलना भी जरूरी है। बहुत तेज नही धीरे धीरे चलें।

7.अनार हृदय को शक्ति देता है और अनन्नास हृदय रोग को दूर करता है . प्रोटीन कम करता है, रक्त प्रवाह सुगम बनाता है।

8.आंवला रक्त वाहिनियों की कठोरता दूर करके नसों को लचीली बनाता है और खरबूजा नली इन्फेक्शन मिटाता है । केला हृदय को पुष्ट करता है ।पपीता हृदय को बल देता है और फालसा अति उत्तम होता है।

9. बेल और स्ट्रॉबेरी हृदय को बल देने वाला फल है।और सेब को हृदय को सबसे जयादा बल देने वाला फल है।

10. चार लौंग पानी में रात को भिगो दें सुबह पीस कर पानी में घोल कर पीयें ।

11. चार अखरोट की गिरी नित्य खाने से हृदय रोग दौरे में लाभदायक है।

12. अर्जुन  की छाल का  काढा बनाकर रोजाना पीना बहुत लाभ दायक है।

13.नागर पान का पत्ता : पीसकर आधा गिलास पानी में घोलकर पीना लाभदायक है ।

14.चिलगोजे 20 ग्राम नित्यप्रती दो महीने खायें अखरोट पीसकर पानी मिलाकर पीयें।


15.इमली के बीज 250 ग्राम 4 दिन पानी में भिगोये छिलके उतार कर सुखाकर बराबर बराबर मिश्री मिलाकर एक चौथाई चम्मच सुबह शाम दूध के साथ या 250 ग्राम भुनकर छिलका फेंक कर बराबर की मिश्री 2 चम्मच प्रातः दूध के साथ ले।

16.पीपल गाछं की बरंटी फल सुखा पाउडर एक चौथाई चम्मच दूध के साथ ले।

17.बरगद के फल पके हुये तोड़कर सुखाकर पाउडर बराबर की मिश्री आधा आधा चम्मच सुबह और शाम दूध के साथ ले।

18. कच्ची हल्दी का रस 2 चम्मच 2 चम्मच मधु के साथ मिलाकर 1 बार रोजाना सिघांडा का आटा 3 चम्मच चूर्ण गर्म दूध के साथ ले

19. तुलसी की जड़ या बीज आधा चम्मच नित्य दूध के साथ लेने से दिल के मरीजों को लाभ मिलता है।

20. आंवला का रस 3 चम्मच , शहद 3 चम्मच पानी मिलाकर नित्य पीयें ।

21. छाछ एक गिलास भोजन के साथ एक अजवायन और मिश्री समान मात्रा में पीसकर आधा चम्मच रोजाना सुबह शाम दूध के साथ ले।

22. दो केला पका हुआ, दो चम्मच शहद खाने से हृदय को शक्ति मिलती है ।

23. सुखा आंवला चूर्ण बराबर की मिश्री 2-2 चम्मच सुबह और शाम पानी से नित्य ले। यह सब उपाय दिल के मरीजों के लिए लाभदायक है।


हॉर्ट एटैक (दिल् का दौरा) में तुरंत आराम पाने के लिए कयाकरें- 

अपमान वायु मुद्रा योग विधी- 

1: हॉर्ट अटैक में और गैस की तकलीफ हो जाने पर सांस लेने में तकलीफ , बैचेनी हो जाने पर फौरन आराम पाने के लिए अपानवायु मुद्राः एक आसान आसन मुद्रा में बैठ कर ( अंगूठे के पास वाली ) तर्जनी अंगुली को अंगूठे की जड़ में छूकर रखें और बीच की दोनों अंगुलियों ( कनिष्टका को छोड़कर ) के अग्रभाग को अंगूठे के अग्रभाग से छू करके हल्का सा दबाव देकर 15 से 20 मिनट तक रखें। यह एक और रामबाण नुस्खा है।

2: एक चम्मच पान का रस , एक चम्मच लहसुन का रस , एक चम्मच अदरक का रस , एक चम्मच शहद इन चारों रसों को एक साथ मिला लें और पी जायें । इसमें पानी मिलाने की आवश्यकता नहीं है ।इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पीयें । तनाव तथा चिन्ता से मुक्त होकर इसका प्रयोग करें ।

3: हृदय में कोई और कठिनाई हो तो जो दवाई लेते रहे हैं उसे ले लें । यह नुस्खा 21 दिन का है । आगे चलकर इस दवा को यदि प्रतिदिन सबेरे एक समय लेते रहेंगे तो हृदयरोग कमी नहीं होगा ।

नोट - गर्भनिरोधक गोलियों से महिलाओं में घातक रक्त का थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है । डाक्टरों के अनुसार गर्भनिरोधक गोलियों में डेसोगेस्ट्रेल या गेस्टोन हार्मोन इस्तेमाल किया जाता है, जो खतरनाक साबित हो सकता है । पुराने गर्भनिरोधकों में लेवोनोर गेस्ट्रेल इस्तेमाल किया जाता था।
जो अपेक्षाकृत सुरक्षित था।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन गर्भनिरोधकों का पहली बार उपयोग करने वाली महिलाओं में रक्त का थक्का जमने का खतरा अधिक होता और यदि थक्का रक्त के साथ संचार तंत्र में चला जाए तो फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं।

5: अगर व्यक्ति का दिल नहीं धड़क  रहा है, तो उसे सीपीआर देना शुरू करें।

6: अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो अपने हाथ व्यक्ति की छाती पर रख कर एक मिनट में 100 से 120 बार उसकी छाती दबाएं।

7: अगर व्यक्ति को एलर्जी नहीं है तो उसे एस्पिरिन  tablet चबाने के लिए दें।और हो सके तो नजदीकी डााक्टर को घर पर ही बुुुला ले।

8: किसी भी स्थिति में मदद आने से पहले व्यक्ति को अकेला छोड़ कर ना 
जाएं।

 Disclaimer- 
यह सारे उपाय आयुर्वेद के अनुसार और अनुुुुभवी डाकटर की अनुमति से लिखे गए हैं, पर इनको करने के लिए अपने नजदीकी डाकटर की  सलाह जरूर करें ।

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