माँसाहारी भोजन के नुकसान | शाकाहारी भोजन खाने के फायदे | disadvantage none vegetarian food |

Tittle- माँसाहारी भोजन के नुकसान-
मांसाहारी भोजन और बीमारियां हमारे शास्त्रों में और कुछ डॉक्टरों का कहना है कि मांसाहार भोजन करना बीमारियों को निमंत्रण देना है ।आज के इस टॉपिक में हम आपके साथ इस बात को शेयर कर रहे हैं कि मांसाहारी भोजन क्यों नहीं खाए। क्योंकि मरे हुए व्यक्ति को हम या तो दबा देते हैं या फिर चिता में जला देते हैं, और  कुछ लोग सिर्फ जीभ के सवाद के लिए मरे हुए जानवरों को अपने पेट में डाल लेते हैं।
एक बार गहराई से सोचो क्या यह सही है..?
 शांत और ठंडे दिमाग से सोचो क्या मांसाहार करना सही है।
 दुनिया में खाने के लिए और बहुत सारी वस्तुएं हैं। इसलिए हमेशा मांसाहारी भोजन से दूर रहें क्योंकि इसके नुकसान ही नुकसान हैं।👇🏻


मांसाहारी भोजन और हॉर्ट अटैक शाकाहारी बनें -
भारतीय संस्कृति की आधारशिला अहिंसा व शाकाहार है इसी से विश्वशांति संभव है।
 ये धर्म के मूलाधार है, तामसिकता से मानव का आचार - विचार विकृत होता है तथा अनतिकता व अराजकता की प्रवृत्ति आती है । शाकाहारी व सात्विक प्रवृत्ति के मानव सुखी व शांत रहते हैं,जिस प्रकार बिना नीव के भवन टिक नहीं सकता उसी प्रकार अहिंसा बिना समाज जीवित नहीं रह सकता ।
अहिंसा मानव की आत्मा है, आयुर्वेद के अनुसार आसान और कारगर सलाह है कि दिल के दौरे से बचना है तो मांसाहार और वसायुक्त भोजन एकदम त्याग देना चाहिए  और उचित मात्रा में कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं लीजिए । 
12 वर्ष के लंबे अध्ययन के बाद डॉ . काल्डवेल इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि दिल से संबंधित बीमारियों में सीरम कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियत्रित करना बहुत जरूरी है ।वह कहते हैं कि कोलेस्ट्रॉल का स्तर 150 मि.ग्रा . से कम रखने पर दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है और भविष्य में भी इस बीमारी के होने की संभावना कम रहती है।  वह कहते हैं कि एक दशक से भी ज्यादा हो गए मेरे बताए गए दिशा निर्देशों पर चलने वाले एक भी व्यक्ति को दिल से संबंधित बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा ।उनके अनुसार इसका राज है,
 बस मास और चिकनाईयुक्त भोजन खाना छोड़ दे और सिर्फ हरी पत्तेदार सब्जियां ही खाएं विशेषज्ञों की राय में दिल से संबंधित बीमारियों का सीधा संबंध चरबी वाला भोजन अधिक खाने से है । वे पश्चिमी देशों में इस बीमारी के अधिक होने का कारण हैमबर्गर तथा इस जैसे ही दूसरे चिकनाई और चरबी युक्त आहार का सेवन अधिक करने को बताते हैं। डाकटरो के अनुसार  खाने की इस तरह की आदत रखने वाले लोगों  को चेतावनी देते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों के मुताबिक दुनिया  में 2022 तक दिल के दौरे से मरने वाली की संख्या दोगुनी हो जाएगी और 2025 तक भारत में लगभग 6 करोड़ मधुमेह के रोगी होंगे ।
 जहां पश्चिमी देशों के लोग शाकाहारी बन रहे है तो वही हमारी सस्कृति के लोग तेजी से मांसाहार और अधिक चिकनाई युकत भोजन खाने लगे हैं । 
 अमेरिका के सबसे तेज धावक काल लुइस का उदाहरण देते हुए  डाक्टर कहते है कि शाकाहारी बनने के एक साल बाद उसने 1991 के तोक्यो में विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था डॉ कहते है कि उन्होंने मरीजों को कभी व्यायाम या ध्यान करने से नहीं रोका,  पर उन्हें मक्खन, पराठा और घी तड़का दाल खाने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी । यही वजह है कि आज उनके ऐसे मरीज भी जीवित हैं जिनकी बीमारी देखकर आज से 12 साल पहले डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे ।


शाकाहारी भोजन के लाभ-

भोजन में फाइबर का सेवन बहुत आवश्यक है ,विशेषज्ञों का मानना है कि भोजन मे रेशे या फाइबर का बहुत महत्व है । भले ही यह शरीर को एनर्जी या पोषक तत्व नहीं देता , फिर भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसका सेवन बहुत आवश्यक है क्योंकि यह हमारे शरीर से विषले पदार्थ , चर्बी  और अवशिष्ट पदार्थों को साफ करता है । यही नहीं यह कोलेस्ट्रोल के स्तर को भी कम करता है। घुलनशील रेशा जैसे ओट, सेब का छिलका , फल व सब्जियां आदि का सेवन कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखता है ।

मधुमेह के रोगियों में  ब्लड शूगर को भी नियंत्रित करता है और रक्तचाप पर नियंत्रण रखता है। इसके अतिरिक्त न घुलने वाला रेशा जो गेहूँ के चोकर , चावल के छिलके , ज्वार , बाजरा आदि में पाया जाता है , हमारी पाचन प्रक्रिया के लिए अच्छा है । और पेट के कैंसर की संभावना को भी कम रकता है इसलिए जब भी फलों का सेवन करें तो उनका जूस न लेकर फल का सेवन करें क्यों कि जूस निकालते समय फल का रेशा तो अलग हो ही जाता है साथ ही विटामिन व मिनरल भी रेशों के साथ बेकार चले जाते हैं। अंकुरित दालें जैसे मूंग ,चना , मोठ , मसूर आदि भी रेशे के अच्छे स्त्रोत हैं ।
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मांसाहार और अण्डे खाने से नुकसान ही नुकसान-
शाकाहार एक जीवन  प्रणाली है , जिसका इसका हमारी  संस्कृति से बहुत गहरा सम्बन्ध है, इसीलिये आध्यात्मिक , नैतिक , आर्थिक , अहिंसा , प्रकृति , योग एवं पर्यावरण की दृष्टि से यह निर्विवाद है कि शाकाहार उत्तम आहार है ।

परंतु सबसे बड़ी बात जो पाश्चात्य देशों के लोगों को शाकाहारी की ओर आकर्षित कर रही है,यह है शाकाहार से स्वास्थ्य की सुरक्षा मांसाहारी की तुलना में शाकाहार से अधिक है । शाकाहार में पर्याप्त प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट एवं कैलोरी
कई बार कुछ मांसाहारी और विशेषकर विद्यार्थी वर्ग डॉक्टर वर्ग बीमार व्यक्तियों को अधिक प्रोटीन उपलब्ध कराने की दृष्टि से उनको अंडा या मास खाने की सलाह देते हैं , ताकि उन्हें प्रोटीन 
  अंडे ,मछली तथा मांस में कार्बोहोइड्रेट अर्थात ऊर्जा जो शरीर के लिये अत्यन्त आवश्यक है , बिल्कुल नहीं होता, फिर अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट की दृष्टि से उत्तम फल शाकाहारियों को प्राप्त हो सकते हैं , जैसे आम , केला , अंगूर , सेब आदि । इसी प्रकार विभिन्न दाल ,गेहूँ , चावल ,आलू आदि में पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट उपलब्ध है। यही नहीं  विभिन्न  प्रकार के विटामिन और खनिज पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में फलों ,सब्जियों में मिलते हैं। 

अंडा भी स्वास्थ्यवर्धक नही है:-

 आजकल प्रायः यह सुनने में आ रहा है कि बच्चों को अंडे आदि के सेवन से अधिक स्वस्थ बनाया जा सकता है , यह  केवल एक भ्रान्ति है  जिसका निराकरण सन् 1985 ई ० के नोबल पुरस्कार विजेता डॉ ० माइकल एस ० ब्राउन तथा डॉ ० जोसेफ एल ० गोल्डस्टीन नामक दो अमेरिकन डॉक्टरों ने किया उनके अनुसार कॉलस्टेरोल नामक तत्त्व को रक्त में जमने से रोकना बहुत आवश्यक है और कॉलस्टेरोल अंडों में सबसे
अधिक मात्रा में अर्थात् 100 ग्राम अंडे में लगभग 500 मि ० ग्रा ० पाया जाता है ।
यह बनस्पतियों एवं फलों में शून्य - सा होता है , परंतु मांस ,अंडों और जानवरों से प्राप्त वसा में प्रचुर मात्रा में होता है ।
अब यह भी सिद्ध हो गया है कि अंडा सुपाच्य नहीं है बल्कि अंडे के छिलके पर लगभग 15,000 सूक्ष्म छिद्रों के द्वारा कई जीवाणु उसमें प्रवेश कर जाते हैं , जो हमारे  सवास्थय को खराब कर देते है ।
जो व्यक्ति मांस या अंडे  खाते हैं , उनके शरीर में रिस्पटरों की संख्या में कमी हो जाती है , जिससे रक्त के अंदर कॉलस्टेरोल की मात्रा अधिक हो जाती है ।
इससे हृदय -रोग आरम्भ हो जाता है ।
गुर्दे के रोग एवं पथरी जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। शाकाहारी को विदेशों में बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है।
सन् 1985 ई ० में मात्र 60 लाख अमेरिक शाकाहारी थे परंतु एक नवीनतम सर्वेक्षण के अनसार अमेरिका के दो - तिहाई घरों में अब शाकाहार आकर्षक हो गया है। खिलाड़ियों के लिये अच्छा स्वास्थ्य शाकाहार से सम्भव क्रिकेट के विश्वविख्यात बहुत  से खिलाड़ी पूर्णतया शाकाहारी है।
विश्व के कई प्रख्यात खिलाड़ी और पहलवान शाकाहारी रहे हैं ,जैसे - गुरु हनुमान् तथा गामा मास्टर चन्दगीराम , जो पूर्णतया शाकाहारी हैं वह भी अपने समय के बहुत ही प्रख्यात पहलवान रहे हैं।
 ओलम्पिक में विश्व - रिकार्ड कायम करने वाले स्टेनमाईस और दूर पैदल चलने में विशेष योग्यता रखनेवाले स्वीटगौन तथा लम्बी दौड़ में बीस विश्व - रिकार्ड बनाने वाले नूरमी ये सब शाकाहारी हैं।
 इंग्लिश चैनल नहर को तैरकर द्रुतगति से पार करनेवाले रिकार्ड - होल्डर बिलपिकिंग और चार सौ मीटर एवं पंद्रह सौ मीटर की दौड़ में विश्व रिकार्ड रखनेवाले मुरेरोज भी पूर्णतया शाकाहारी है।
 अन्तराष्ट्रीय बाडी  बिल्डिंग चैम्पियन एण्डूज शिलिंग तथा पिरको वर्नोट भी शाकाहारी हैं। इतना ही नहीं कराटे के क्षेत्र में राष्ट्रीय कराटे जीतनेवाले ' एबेल शाकाहारी हैं।
 टेनिस के श्रीकमलेश मेहता और विश्वविख्यात विजयमर्चेन्ट एवं बीनु मांकड शाकाहारी रहे हैं।
 रोगों की रोकथाम में मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार विभिन्न रोगों की रोकथाम में अधिक सहायक सिद्ध हुआ है। न्यूयार्क लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन के डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि मांस खाने से रक्तचाप बढ़ता है और मांसाहार शरीर में विषाक्त पदार्थों को प्रवेश कराता है।
जब पशु मारा जाता है  उस समय त्यागने योग्य द्रव्य उसके शरीर में रह जाते हैं  जिसके कारण मांसाहार में उत्तेजना का तत्व होता है ।
इन त्याज्य  पदार्थों की मात्रा मृत पशु में उसके जीवित अवस्था तथा उसके वध की अपेक्षा अधिक होती है । इसी प्रकार रक्तचाप ,आर्टरीकी कठोरता और गुर्दे के रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के लिये भी मांसाहार हानिकारक है।

खाना हमेशा सोच समझकर खाऔ  कयोंकि सवास्थय का सीधा हमारे मन पर पड़ता है। हम जैसा भोजन करते हैं वैसा ही हमारे विचार और बुद्धि हो जाती है।
 अगर शुद्ध शाकाहारी भोजन खाएंगे तो हमारे विचार भी शुद्ध होंगे और अगर हम मांस ,मछली खाएंगे तो हम जानवरों जैसे ही हो जाएंगे । इसलिए भोजन हमेशा सोच समझकर और शांत चित्त रहकर ही करना चाहिए ,जिसमें बनाने वाले की भी पोजिटिव  उर्जा शामिल होनी चाहिए।  जहां तक संभव हो अपना घर का बना हुआ ही भोजन खाएं,क्योंकि इसमें बनाने वाली आपकी मां ,और बहन या बीवी ही होती हैं ।जिनका खाने के साथ  स्नेह भी उसमें शामिल होता है।

Disclaimer-
इस लेख में बताये गई सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिये गये हैं ,अगर आप अंडे या माँस खाने के शौकीन हैं तो आप जरूर खाये ,कयोंकि भोजन इन्सान अपने जीभ और मन के अनुसार खाता है । अगर आपको किसी भी प्रकार की समस्या है तो अपने  पेशेवर चिकित्सक की सलाह जरूर करें । फिटनेस और सवास्थय पर लिखना जनहित के लिए केवल सुझाव है।


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