औरतों के अधिकार | औरतें के लिए कानून | औरतों के सम्पती के अधिकार | women rights in hindi |

Tittle- women rights in hindi
आज औरतें मर्दो के साथ कदम से कदम मिलकार काम कर रही हैं। घर हो या बाहर हर जगह उनका प्रभाव  नजर आता है। पर हमारा समाज आज भी औरतों के साथ भेदभाव करने से बिल्कुल भी शर्म नहीं आती  , वह हर तरह का अत्याचार करने की कोशिश करता है, लेकिन अब औरतें पढ़ी लिखी होने के कारण अब वह अपने ऊपर अत्याचार सहन नहीं करती। हमारे  समाज में महिला उत्पीड़न, स्त्री द्वेष, महिलाओं का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, लिंग भेद जैसी कई प्रकार की समस्या देखने को मिलती हैं, और बहुत सी महिलाओं के लिए ये सब उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। 
अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो इन बाधाओं को पार करना ही होगा। भारतीय संविधान में महिलाओं की सुरक्षा और समानता से जुड़े कई कानून बनाए गए हैं, जो महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ भारतीय कानूनों के बारें में जिनकी जानकारी हर औरत को होनी चाहिए।

 Women's rights-  ( औरतों के  अधिकार और कानून )

संपत्ति पर अधिकार- 
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर अधिकार है।

काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार ,काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है। 

रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार-  

एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही यह संभव है।

 समान वेतन का अधिकार -
समान वेतन का अधिकार हर महिला का हक है। समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता।

घेरेलू हिंसा के खिलाफ-

घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार
ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। अगर किसी महिला के साथ घरेलू हिंसा जैसा अपराध हो रहा है तो वो खुद या उसकी शिकायत दर्ज करा सकता है।

मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार-

मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि ये उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह तक कर दिया गया है। 12 सप्ताह के लिए महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती है।

तलाक का अधिकार-
अगर पति पत्नी में सेक्स संबन्ध अच्छे नहीं हैं तो दोनों इस वजह को तलाक के सबूत के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

औरत को गिरफ्तार का समय-
भारत में केवल महिला पुलिस अधिकारी ही महिलाओं को गिरफ्तार 
करके सुरक्षित थाने में ले जाने का अधिकार होता है,अगर भारत में किसी महिला को पुरुष पुलिस अधिकारी गिरफ्तार करके थाने में लेकर जाता है तो इसको अपराध माना जाता है, ऐसे में पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कारवाई हो सकती है। 

दहेज के खिलाफ-
  भारत  की संस्कृति में दहेज प्रथा भी पुरानी परंपरा है। लड़की और उसके परिवारों को अधिकतम धनराशि का भुगतान करने के लिए अत्याचार किया जाता है,ताकि शादी किसी भी तरह से चलती रही. भारतीय कानून इस तरह के किसी भी प्रथा को दंडित करता है, जिसमें लेने और देने पर परिवारों के बीच संबंध बनाये जाते है।

औरतों के समय तय- 
अगर किसी महिला को रात के 6 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे समय के बीच पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा जाता है तो उस महिला को अधिकार है कि वह पुलिस स्टेशन जाने से मना कर सकती है।

औरतों के लिए ईमेल शिकायत अधिकार-

औरतें , पुलिस को ई-मेल के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।  दिल्ली पुलिस ने हाल ही में महिलाओं को ऐसी सुविधा दी है जिनमें महिलाएं घर बैठे-बैठे अपनी शिकायत को ई-मेल के माध्यम से दर्ज करवा सकती हैं ।
Some random facts for womens-

 1.दुनिया में सबसे पहला देश न्यू जीलैंड था जिसने 1893 में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया। सबसे अंत में महिलाओं को वोट देने का अधिकार देने वाला देश सऊदी अरब है। दिसंबर 2015 में वहां महिलाओं को यह अधिकार मिला है।

2: पुरुषों के तुलना में महिलाओं की उम्र अधिक होती है। 2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के मुताबिक, दुनिया में महिलाओं की न्यूनतम औसत आयु 73.8 साल है जबकि पुरुषों की 69.1 साल।


3: शुक्र ग्रह को इंग्लिश में Venus बोलते हैं। यही एक ग्रह है जो किसी महिला के नाम पर है। दरअसल Venus प्यार और सौंदर्य की रोमन देवी हैं। 


4: इतिहास की पहली महिला चिकित्सक मिस्र की Merit Ptath थी। वह 2700 ईसा पूर्व रहती थी और उसी के बारे में पहली महिला चिकित्सक होने के रिकॉर्ड मिलते हैं।

5: Hedy Lamarr को कभी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत और ब्यूटी विद ब्रेंस का खिताब मिला था। अपनी खूबसूरती के अलावा वह एक शानदार मॉडल, अभिनेत्री और गणितज्ञ भी थीं।
उसने इन दिनों ब्लू टूथ और वाई फाई में इस्तेमाल होने वाले फ्रीक्वेंसी हॉपिंग स्प्रेड स्पेक्ट्रम का आविष्कार किया। लेकिन चर्चा में वह अपनी खूसबूरती की वज़ह से रहती 


New rights special for daughters-
Supreme Court मैं कुछ ही दिन पहले बेटियों के हक में एक बड़ा फैसला ​दिया है. जो एक बहुत बड़ा सराहनीय कदम है। पहले बेटी को पिता की संपत्ति का वह अधिकार नहीं था जो बेटों को मिलता था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही दिन पहले बेटियों के लिए एक नया कानून पास किया है। कोर्ट ने कहा है कि बेटियों का संयुक्त हिंदू परिवार की पैतृक संपत्ति पर उतना ही हक है, जितना कि बेटों को, बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर की हकदार हो जाती है. यानी अब बेटी चाहे तो पैतृक संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी का दावा कर सकती है. देश की सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों का माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा. पीठ में जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस नजीर और जस्टिस एम आर शाह शामिल थे।
 यह फैसला आने के बाद औरतों के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा और मैं खुद एक औरत होने की वजह से इस फैसले से बहुत खुश हूं। 

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक देने की जो व्यवस्था की गई है, वह उन बेटियों पर भी लागू है, जिनका जन्म 2005 से पहले हुआ है. 2005 के बाद जन्म लेने वाली बेटियों के लिए तो यह फैसला संशोधन के बाद से लागू है ही. पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा देने से इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता कि उसका जन्म 2005 में बने कानून से पहले हुआ है। अब इस फैसले के बाद हर बैटी सुरक्षित होगी। बेटी का भी अपना घर होगा और अपनी संपत्ति होगी, क्योंकि बेटी को ना ससुराल वाले संपत्ति का अधिकारी मानते हैं और ना ही मायके वाले। यह एक बहुत ही सराहनीय कदम है उच्चतम न्यायालय का। अगर आप इन अधिकारों को जानना चाहते हो और औरों को भी शेयर करना चाहते हो तो प्लीज इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि औरतों को अपने अधिकारों का पता चल सके, क्योंकि बहुत सारी ऐसी भी औरतें हैं जिनको अपने अधिकारों के बारे में पता ही नहीं है और वह घर के चूल्हे ही पीस कर रह जाती हैं। अन्याय के खिलाफ आवाज ना उठाना भी एक अपराध है इसलिए अपने अधिकारों के  लिए आवाज उठाओ और अपने आप को और अपनी बेटियों को मजबूत बनाओ।
Posted by-kiran







 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ