लड्डू गोपाल की पुजा कैसे करें | लड्डू गोपाल की सेवा कैसे करें |

 Tittle-लड्डू गोपाल की पुजा कैसे करें -
लड्डू गोपाल कृष्ण भगवान का ऐसा बाल रूप है, जिन्हे हम लड्डू गोपाल के नाम से जानते हैं। सभी भगवान केे रूपों में  हम बाल रूप में कृष्ण को देखते हैं।  सिर्फ कृष्ण ही ऐसे भगवान हैं, जिनकी तस्वीरें हमें बाल रूप में दिखाई देती हैं। लड्डू गोपाल भी उनका एक बाल रूप है। जिसको लोग घर में छोटे बच्चे की तरह सेवा करते हैं।
 अगर आप भी अपने घर में लड्डू गोपाल को रखना चाहते हैं तो सबसे पहले उनके सेवा की विधि विधान जानना बहुत जरूरी है, तभी आप घर में लड्डू गोपाल लाय और तन मन धन से उस लड्डू गोपाल की सेवा करे।


 अगर आप घर में लड्डू गोपाल रखना चाहते हैं तो अगर कोई रिश्तेदार यह जान पहचान का वृंदावन में रहता है तो वहां से लड्डू गोपाल को लेकर आए। वह आपको अगर गिफ्ट के रूप में दे तो यह बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है।
 आइए जानते हैं लड्डू गोपाल की सेवा कैसे करें ।

 लडडू गोपाल जी भगवान कृष्ण के बालस्वरूप रूप हैं.लडडू गोपाल जी का घर में विराजमान होना बहुत शुभकारी है ,पर इनकी सेवा भी सरल नहीं। इसलिए घर लाने से पहले पुजा की विधि जानना बहुत जरूरी है। 
.लडडू गोपाल जी कितना प्यारा कितना नटखट नाम लगता है. सुनते ही मुख पर मुस्कान आ जाती है। यही तो वह रहस्य है जिसके कारण भगवान श्रीकृष्ण के भक्त उनके बालस्वरूप लडडू गोपाल को अपने घर में विराजमान कराते हैं.
 श्रीकृष्ण की भक्त और उनकी भक्ति की विधि सबसे निराली है. स्वयं ब्रह्माजी इस रहस्य को अब तक नहीं समझ पाए हैं. उन्होंने श्रीकृष्ण के इतने स्वरूपों के दर्शन किए हैं जिसके वर्णन में करोड़ो वर्ष लगेंगे. यह मनगढंत बात नहीं ऐसा ब्रह्माजी ने स्वयं बताया है. यह प्रसंग प्रश्न उपनिषद में आता है।

 भगवान के बालरूप यानी लडडू गोपाल जी की भी पूजा छोटे बच्चे की तरह  की जाती है. लड्डू गोपाल जी की पूजा, संतान सुख, संतान के उत्तम भविष्य, घर में सुख-शांति, धन-धान्य की कामना से की जाती है. 
इसमें भाव ऐसा होता है कि लडडू गोपाल जी अब यह घर मेरा नहीं है- आपका है. आप ही इसके स्वामी, इसके पालक, इसके रक्षक सबकुछ हैं. जो होगा वह सब आपके आशीर्वाद से होगा. जो प्राप्त होगा वह आपका प्रसाद होगा. मैंअपने कर्म वैसे ही रखूंगा या रखूंगी जोकर्म शास्त्रसम्मत हैं. इसके आगे सब आपके हाथ में प्रभु. आप ही पालनहार, आप ही खेवनहार है।

 लडडू गोपाल जी की बालक के रूप में सेवा के पीछे क्या भाव है-
 लडडू गोपाल जी की सेवा भक्ति बड़े नियम से होती है, बिलकुल एक छोटे शिशु की तरह की जाती है । संसार को चलाने वाले की सेवा एक असहाय शिशु की तरह करने के पीछे का भाव समझिए. गोपाल जी चाहते हैं। 
हमारे अंदर सेवा का भाव ऐसा हो कि अपने तो अपने, द्वार तक पहुंच गए किसी अपरिचित को भी प्रेमभाव से रखेंगे. उसकी सेवा-भगत करेंगे, उसे अंजाने में भी कष्ट न हो इसका प्रयास करेंगे. यदि ऐसा कर लेते हैं तो फिर आप अपनी, अपने परिजनों और अपने घर-संसार की ओर से बेफिक्र रहिए.
 आपके लिए लडडू गोपाल तैनात हैं । यदि सिर्फ उनकी चारों पहर की सेवा करते हैं लेकिन भाव नहीं आया तो फिर समझिए कि आपने घर में अपना मन बहलाने के लिए एक खेल का सामान भर रख लिया है. बस, इससे आगे कुछ भी नहीं है।

घर में लाने के बाद लडडू गोपाल की सेवा विधि विधान-
भाव का नाम ही भगवान है। लडडू गोपाल जी की सेवा तो भाव का शिखर बिंदु हैं।  जहां भगवान का घर में प्रवेश ही इस भाव से काराया जाता है कि अब इस घर का मालिक कोई और नही खुद भगवान्  हो गया, जैसे मालिक का विशेष ध्यान रखना होता है।

वैसे ही लडडू गोपाल जी का विशेष ध्यान रखना होता है. अपने सामर्थ्य अनुसार घर में विराजमान लडडू गोपाल जी की सेवा करनी चाहिए. भगवान को ताम-झाम कभी नहीं चाहिए. हम उन्हें संसार का ऐश्वर्य क्या देंगे भला, उन्हें तो श्रद्धा-प्रेम की तलाश है.

 नीचे लिखी कुछ प्रचलित मान्यताएं, कुछ विधान बताए जा रहे हैं. ये विधान भगवान को भजने वाले उन भक्तों की सेवा से प्रचलन में आए जिनकी भक्ति के वश में वशीभूत हो गए लडडू गोपाल जी. परंतु यदि अंतिम विधान नहीं है. इसे तो बस एक मार्गदर्शक मान लें.

लडडू गोपाल जी की सेवा में प्रचलित विधान जिसका रखें विशेष ध्यान-
जिस घर में लडडू गोपाल जी का प्रवेश हो जाता है ,वह घर लडडू गोपाल जी का हो जाता है. इसी भाव से लडडू गोपाल जी का घर में अभिनंदन करें. मेरा घर का भाव मन से छोड़कर लडडू गोपाल जी के घर का भाव मन में बिठा लेना चाहिए।

जिस घर में लडडू गोपाल जी आ गए वहां पर मांस-मदिरा जुआ आदि का प्रवेश नहीं होना चाहिए. इस नियम को नहीं मान सकते तो फिर लडडू गोपालजी को न लाएं, अन्यथा भगवान कुपित हो जाते हैं.

एक बात अक्सर आती है कि क्या घर में एक से अधिक लडडू गोपाल जी हो सकते हैं. वैसे तो इस विषय पर प्रामाणिक रूप से क्या कहा जा सकता है, पर भाव से देखें तो एक ही रखें. 
घर का स्वामी एक ही हो. वैसे घर में एक से अधिक बच्चे होते हैं इसलिए एक से अधिक लडडू गोपाल जी का विराजमान होना कोई अनुचित है , पर ऐसा कहना शायद उचित न हो. हां कई बार ऐसा होता है कि परिवार के सदस्यों में आपसी प्रतिस्पर्धा या आपसी खटपट के परिणामस्वरूप एक से अधिक लडडू गोपाल जी या कई बार किसी टोटके के रूप में लोग रख लेते हैं. यह उचित नहीं है. बाकी तो भगवान और भगत के बीच का भाव है, जैसे रहे भावना, प्रभु मूरत तिन्हीं देखि तैसी.

लडडू गोपाल जी की जरूरतों का ध्यान भी परिवार के सदस्य की जरूरतों के अनुसार ही रखना चाहिए. उन्हें भी पर्व-त्योहार आदि पर विशेष लाड-प्यार चाहिए. लडडू गोपाल जी की हर आवश्यकता का ध्यान रखें.

 लडडू गोपाल जी की आवश्यकता का ध्यान रखने का अर्थ यह नहीं कि उनके लिए बहुत ताम-झाम करने की जरूरत है. लडडू-गोपाल जी तो बालक भाव में हैं. उन्हें ताम-झाम से क्या काम. उन्हें तो प्रेम चाहिए.

 लडडू गोपाल जी को प्रतिदिन सुबह स्नान अवश्य कराना चाहिए. जैसा मौसम है उसके अनुकूल पानी हो. सर्दी हो तो गुनगुना पानी, गर्मी है तो ठंडा  जल हो और अगर हो सके तो उसमें गुलाबजल भी थोड़ा डाल दें।


स्नान कराने के बाद लडडू गोपाल जी को साफ-सुथरे वस्त्र पहनाएं. वस्त्र की रोज धुलाई होनी चाहिए. लडडू गोपाल जी को चटक रंग पसंद हैं. उन्हें बन-ठन के रहना भी पसंद है. ऐसा समझना चाहिए। वो एक राजा की तरह श्रृंगार करते हैं। 

 लडडू गोपाल जी के वस्त्र भी ऋतु के अनुसार होने चाहिए. सर्दियों में गर्म कपड़े, गर्मियों में हल्के सूती कपड़े. गर्मी से बचाव का प्रबन्ध भी होना चाहिए।

 लडडू गोपाल जी बालक हैं. उन्हें खिलौने बहुत प्रिय हैं, जैसे हर बालक को होते हैं. लडडू गोपाल जी के लिए खिलौने अवश्य लेकर आएं और उनके साथ समय निकालकर खेलें भी और लड्डू गोपाल के साथ एक छोटी सी बांसुरी भी जरूर रखें।

 जिस प्रकार आपको भूख महसूस है वैसे ही लडडू गोपाल जी को भी भूख लगती है. आपके घर के बालक जिस-जिस समय भोजन की आशा रखते हैं वैसे ही लडडू गोपाल जी को भोजन अल्पाहार आदि कराना है।

 घर से बाहर यदि आप बाहर से कुछ लाकर खा रहे हैं तो भोजन को प्रणाम कर कहें पहले गोपाल जी भोग लगाओ, फिर विनती करने के बाद कुछ पल विराम कर लें. फिर उस भोजन को लडडू गोपाल जी का प्रसाद समझकर सब प्रेम सहित ग्रहण करें।

घर में यदि खाने-पीने की कोई विशेष वस्तु आ रही है तो परिवार के सदस्यों की गिनती करते समय लडडू गोपाल जी की भी गिनती हो. उनके हिस्से का भी सामान जरूर आना चाहिए.

लडडू गोपाल जी को भी बाहर घुमाने समय-समय पर अवश्य लेकर जाएं. उनका भी मन घर में रह के बोर हो जाते है. इसलिए उन्हें घुमाने ले जाये।

सबसे बड़ी बात, लडडू गोपाल जी से कोई ना कोई नाता अवश्य बनाएं. भाई, पुत्र, मित्र, गुरु कोई भी नाता उनसे बना सकते हैं. जो भी नाता लडडू गोपाल जी से आप बनाते हैं उसे श्रद्धा और निष्ठा से निभाएं। 

.अपने लडडू गोपाल जी को कोई प्यारा सा नाम अवश्य दें. उन्हें स्नान कराते समय, वस्त्र पहनाते समय, खिलौने आदि भेंट करते समय या घुमाने ले जाते समय इस नाम से प्रेम के साथ पुकारें. बिलकुल अपने घर के सदस्य की तरह रखे । मैने अपने लड्डु गोपाल का नाम नंदू रखा हुआ है। 
 लडडू गोपाल जी रूठते भी हैं. यशोदा मैया से वह अक्सर रुठ जाया करते थे और मैया घंटों मनातीं तो मानते. यदि लडडू गोपाल जी से प्रेम प्रदर्शन नहीं करते रहेंगे तो वह रुठ जाएंगे. उनके साथ खेलें. घर के सदस्य की तरह प्रेम से भोजन कराएं।

 .पहले लडडू गोपाल को भोजन कराएं,जल आदि दें. उन्हें संतुष्ट करने के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करें। 

रोज रात में लडडू गोपाल जी को शयन अवश्य कराएं. जैसे छोटे बालक को प्रेम से सुलाना पड़ता है उसी प्रकार से उनको भी सुलाएं. उन्हें थपकी दें, लोरी सुनाएं, कहानियां सुनाएं. जैसे आपके बच्चों को भाता है, वही प्रेम लडडू गोपाल जी के लिए भी करे ।

प्रतिदिन सुबह लडडू गोपाल जी के प्रेम से पुकार कर जगाएं, उनके नाम से पुकार सकते हैं।

 लडडू गोपाल जी का भी जन्मदिन मनाना होता है. वैसे तो जन्माष्टमी को संसार भर में लडडू गोपाल जी का जन्मदिन धूम-धाम मनाया जाता है. फिर भी जिस तिथि को आपने अपने घर में उन्हें प्रवेश कराया है ,उस दिन और तिथि को याद रखे फिर साल बाद उनका जन्मदिन मनाये . जन्माष्टमी के अलावा उस दिन भी जन्मदिन मनाना होगा. धूम-धाम से घर को सजाकर बच्चों को घर बुलाकर उनके साथ लडडू गोपाल जी का जन्मदिन मनाएं. लडडू गोपाल जी के लिए खिलौने लाएं और बच्चों को गिफ्ट दें.

भोग लगाने की विधि-
घर में जो भी खाने का समान है सबसे पहले उसमें से एक हिस्सा लड्डू गोपाल के लिए रख लें और लड्डू गोपाल को उस चीज का भोग लगाएं।
 चाहे वह मीठा हो या फिर नमकीन,  बस याद रहे कि किसी भी भोजन में उनके लहसुन प्याज वाला नहीं होना चाहिए। आप मीठे भोजन के साथ नमकीन भोजन  भी उनको दे सकते हैं।
 हर खाने के सामान में उनके एक तुलसी दल अवश्य रखा जाता है क्योंकि वह बिना तुलसीदल के भोजन को ग्रहण नहीं करते।

लड्डू गोपाल को भोग लगाने के लिए अगर आप से संभव हो तो उनके खाने की थाली और चम्मच एक छोटा सा गिलास अलग रखें, क्योंकि हमारे घर के जो बर्तन होते हैं वह हमारे द्वारा बार-बार खाने से झूठे होते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखें उनको बर्तनों को अलग से धोएं और बर्तन धोने वाला कोई कपड़ा या फिर स्पंज वह भी अलग ही रखें, क्योंकि लड्डू गोपाल को घर में रखने के बाद शुद्धि का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।

दही, मक्खन और मिस्री का भोग, उन्हें बहुत पसन्द है।  ऐसा भोग लगाने से आप हमेशा निरोगी और स्वस्थ रहेंगे।

 कान्हा जी को मक्खन और लड्डू का भोग खिलाने से संतान सुख मिलता है और मिश्री का भोग लगाने से अच्छी नौकरी मिलेती है।


इलायची वाले दूध का भोग लगाने से सुख समृद्धि हासिल होती है। और इस बात का अवश्य धयान रखें कोई भी भोग उनको बिना तुलसी के नहीं लगाया जाता कयोंकि वह बिन तुलसी के भोग ग्रहण नहीं करते।
 
उनके कोई भी  काम करते समय मन ही मन औम नमो: भगवते: मंत्र जाप जरूर करते रहे यह उनका प्रिय मंत्र है।

 इस प्रकार आप हर रोज लड्डू गोपाल जी की सेवा तन मन धन से करें आपको अवश्य मनोकामना पूरी होगी।
 ज्यादातर लोग लड्डू गोपाल की सेवा संतान प्राप्ति के लिए करते हैं। 
अगर आप भी संतान प्राप्ति के लिए सेवा कर रहे हैं तो इसके साथ आप लड्डू गोपाल की सेवा के साथ हरिवंश पुराण का पाठ भी कर सकते हो।
 यह बहुत ही जल्दी मनोकामना पूरी करने वाला है। इसकी विधि इस प्रकार है अगर आप संतान प्राप्ति के लिए कर रहे हैं तो आपको हरिवंश पुराण का 9 दिन में ही पाठ पूरा करना होगा। यह बहुत जल्दी फल देने वाला है। 
Last alfaaz- 
इस प्रकार आप घर पर अपने लड्डू गोपाल लाये और उनकी तन मन धन से सेवा करें और मन में ऐसा भाव रखें कि हम भगवान को घर लाए हैं। लड्डू गोपाल को घर में लाने के बाद शुद्धि भाव का विशेष ध्यान रखें क्योंकि अगर घर की औरतें पीरियड्स के दिनों में उनकी सेवा ना करें तो इस समय आपके बच्चे या फिर पति से उनकी सेवा करवाएं यह छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
Posted by kiran


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