दशहरे की पुजा कैसे करें | दशहरे के टोटके | दशहरे का महत्व |

इस साल करोनो के दौर में किस प्रकार मनाये दशहरा -
वैसे तो हर त्यौहार इस बार बहुत ही फिके रहे हैं, इसी तरह कोरोना के इस दौर में दशहरा भी घर में रहकर ही मनाएं और कहीं बाहर ना जाए क्योंकि करोना अभी खत्म नहीं हुआ है, बस सावधानी सबसे जरूरी है। इस शदी में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब रावण,मेधनाध आदि के पुतले नहीं जलाए जा रहे हैं। शायद कुदरत ने लोगों को कुछ सिखाने के लिए यह सारी रचना रची है, क्योंकि हर साल हम इन पुतलो के लिए कहीं करोड रुपए खर्च कर देते हैं। अगर यही पैसा हम किसी भूखे या शिक्षा के लिए दान में दें तो शायद बहुत सारे लोगों का भला हो जाए। यह हम सब के लिए एक सीख हैं।

दशहरे का महत्व:-
दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है और विजय पर्व मनाया जाता है यह रावण की युद्ध की हार में हार और राम जीत के लिए मनाया जाता है, कहने का भाव है कि बुराई पर सत्य की जीत हुई है। 
 
दशहरे के दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. इसी दिन नवरात्रि की समाप्ति भी होती है और इसी दिन माँ देवी की प्रतिमा का विसर्जन भी होता है. इस दिन अस्त्र शस्त्रों की पूजा की जाती है और विजय पर्व मनाया जाता है. इस दिन अगर कुछ विशेष प्रयोग किए जाएं तो अपार धन की प्राप्ति हो सकती है.

यह पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजय का पर्व विजयादशमी मनाया जाता है। यह श्रीराम की रावण पर एवं माता दुर्गा की शुंभ-निशुंभ आदि असुरों पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला पर्व है। इस बार विजयादशमी का पर्व 25 अक्टूबर, है। इस दिन भगवान श्रीराम, शस्त्रों व शमी के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार विजयदशमी के दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन से सभी प्रकार के भय, संकट दूर हो जाते है और समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार दशहरे के दिन किया गया उपाय अत्यंत श्रेष्ट एवं शीर्घ फल देने वाले होते है। इस दिन किए गए उपायों से समस्त सुखों की प्राप्ति होते है एवं सभी कार्यों में सफलता मिलती है।


दशहरे पर घर में सुख समृद्धि कें लिए विशेष उपाय:------------

इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करने से हमें धन और सुख समृद्धि मिलती है

आज के दिन अस्त्र शस्त्र की पूजा करने से उस अस्त्र-शस्त्र से नुकसान नहीं होता।

आज के दिन मां की पूजा करके आप किसी भी नए कार्य की शुरुआत कर सकते हैं

नवग्रहों को शांत करने के लिए भी दशहरे की पूजा अदभुत होती है।

किसी भी काम विजय प्राप्ति के लिए इस मन्त्र का जाप करे :-

"श्रियं रामं , जयं रामं, द्विर्जयम राममीरयेत, त्रयोदशाक्षरो मन्त्रः, सर्वसिद्धिकरः स्थितः---------

अगर कलश की स्थापना की है तो नारियल हटा लें और उस प्रसाद को पुरे परिवार के साथ ग्रहण करें।

कलश का जल पूरे घर में छिड़क दें ताकि घर की नकारात्मकता समाप्त हो और पोजिटिव ऊर्जा का संचार होता है।
 

दशहरे के दिन करने के लिए उपाय और टोटके :------

* दशहरे के दिन दोपहर के समय ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुमकुम, पुष्प से अष्टदल कमल का निमार्ण करके अपराजित देवी एवं जया और विजया देवी का स्मरण कर उनका पूजन करें। इसके बाद शमी वृक्ष का पूजन करें। शमी वृक्ष के पास जाकर विधिपूर्वक सभी पूजा सामग्री को चढ़ाकर शमी वृक्ष की जड़ों में मिट्टी को अर्पित करें। फिर थोड़ी-सी मिट्टी वृक्ष के पास से लेकर उसे किसी पवित्र स्थान पर रख दें। इस दिन शमी के कटे हुए पत्ते और डालियों की पूजा नहीं
करनी चाहिए।

* रात में देवी मां के मंदिर में जाकर दीपक जलाएं साथ ही पूरे घर में रोशनी रखें। नवरात्र में विजयादशमी के दिन शमी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि का स्थाई वास होता है। शमी का पौधा जीवन से टोने-टोटके के दुष्प्रभाव और नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है। 

* इस दिन संध्या के समय शमी के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से युद्ध और मुकदमो में विजय मिलती है। शत्रुओं का भय समाप्त होता है। आरोग्य व धन की प्राप्ति होती है।

क्यों की जाती है शमी के वृक्ष की पूजा...।

कहते हैं कि लंका पर विजय पाने के बाद राम ने भी शमी पूजन किया था। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा भी शमी वृक्ष के पत्तों से करने का शास्त्र में विधान है। दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजन परंपरा हमारे यहां प्राचीन समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शीश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी।  महाभारत के समय में पांडवों ने देश निकाला के अंतिम वर्ष में अपने हथियार शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। संभवत: इन्हीं दो कारणों से शमी पूजन की परंपरा प्रारंभ हुई होगी। घर में ईशान कोण में स्थित शमी का वृक्ष विशेष लाभकारी माना गया है। इस वृक्ष को दशहरे के दिन लगाने से घर में कभी कोई कष्ट नहीं आता। हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है।

* दशहरे के दिन लोगों को अपने कार्यक्षेत्र के अस्त्र शास्त्र अर्थात अपने लैपटाप, कम्प्यूटर, अपनी तराजू या जो भी वस्तु आपके कार्य क्षेत्र में सहायता प्रदान करती है उसकी भी पूजा करनी चाहिए ।

* राम नौवीं के दिन किसी भी पूजा की दुकान से 11 काली गूंजा ले आएं फिर दशहरे के दिन सुबह स्नान करने के बाद इन्हे गंगाजल और गाय के कच्चे दूध से धोकर पूजा घर में रखें । पूजा खत्म करने के बाद इनको अपने पास रख लें। पूजा घर में ही या अपनी तिजोरी में रखें। काली गूंजा के पास होने से जीवन में कोई भी परेशानी नहीं आती है और यदि कोई संकट आया, तो इसका रंग बदल जाता है उस समय इसको हटाकर बहते हुए पानी में विसर्जित कर देना चाहिए और फिर किसी भी शुभ मुहूर्त में फिर से स्थापित कर लेना चाहिए । 

* दशहरा के दिन छोटी-छोटी पर्चियों पर 'राम' नाम लिखकर उसे अलग-अलग आटे की लोई में रखकर मछलियों को खिलाएं, ऐसा करने से भगवान श्रीराम की कृपा से आपको जीवन में सभी सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 

* राम नवमी और विजय दशमी दोनों ही दिन जीवन में शुभता, सफलता और सभी क्षेत्रों में विजय के लिए अपने घर और किसी मंदिर में लाल पताका अवश्य ही लगानी चाहिए । 

* दशहरा के दिन से शुरू करते हुए लगातार 43 दिन तक बेसन के लड्डू कुत्ते को खिलाने चाहिए इससे धन लाभ के योग बनते हैं और धन में बरकत होने लगती है अर्थात घर कारोबार में धन रुकना भी शुरू हो जाता है । 

* नागकेसर एक बहुत ही पवित्र और प्रभावशाली वनस्पति है। यह कालीमिर्च के सामान गोल होती है, गेरू रंग का यह गोल फूल घुण्डीनुमा होता है और इसके दाने में डण्डी भी लगी होती है । यह फूल गुच्छो में फूलता है, पकने पर गेरू रंग का हो जाता है। नागकेसर भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है और तन्त्र शास्त्र में भी इसका बहुत ही ज्यादा महत्व है,रामनवमी या दशहरे के दिन नागकेसर का पौधा लाएं और अपने घर में उसे दशहरा  के दिन लगा कर नियमपूर्वक उसकी देखभाल करें। मान्यता है कि जैसे-जैसे यह पौधा बढ़ता जाएगा आपकी भी तरक्की होती जाएगी।  

* शास्त्रों के अनुसार दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन इनके दर्शन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। हालांकि अब नीलकंड पक्षी बहुत कम नजर आते हैं, लेकिन यदि ये दिख जाए, तो अतिशुभ होता है।


* विजय दशमी के दिन सवा किलो जलेबी और पाँच अलग-अलग मिठाई भैरव नाथजी के मंदिर पर चढ़ाकर धूप, दीप जलाएं और उनसे अपने जीवन के संकटों को दूर करते हुए सभी क्षेत्रों में सफलता का आशीर्वाद मांगे फिर उसके बाद उसमें थोड़ी-सी जलेबी लेकर कुत्ते को खिला दें। इससे सभी तरह की अड़चनें, बुरी नजर का प्रभाव दूर होता है और कार्यों में आशातीत सफलता मिलनी शुरू हो जाती है ।

* विजय दशमी के दिन किसी भी धार्मिक स्थान में अपनी मनोकामना कहते हुए गुप्तदान अवश्य ही करें इससे कार्यों में अड़चने दूर होती हैं, समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है।

* विजयदशमी के दिन हनुमान जी को प्रात: गुड़ चने और शाम को लड्डुओं का भोग लगाकर उनसे अपने जीवन के सभी संकटों को दूर करने की प्रार्थना करें इससे जीवन में भय समाप्त होता है और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है । 
दशहरे पर सर्वकार्य सर्वसिद्धि वाला विजय मुहूर्त होता है। इस दिन कोई कार्य विशेष करते  समय यदि बताए गए उपाय अपनाएं तो अत्यंत लाभ होता है।

* दशहरे के दिन दोपहर के समय ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुमकुम, पुष्प से अष्टदल कमल का निमार्ण करके अपराजित देवी एवं जया और विजया देवी का स्मरण कर उनका पूजन करें। इसके बाद शमी वृक्ष का पूजन करें।

* मान्यता है कि विजयदशमी के दिन ही कुबेर देव ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए शमी के वृक्ष के पत्तों को सोने का बना दिया था। उसी समय से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है।

शमी वृक्ष के पास जाकर विधिपूर्वक सभी पूजा सामग्री को चढ़ाकर शमी वृक्ष की जड़ों में मिट्टी को अर्पित करें। फिर थोड़ी सी मिट्टी वृक्ष के पास से लेकर उसे किसी पवित्र स्थान पर रख दें। इस दिन शमी के कटे हुए पत्ते और डालियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। रात्रि में देवी मां के मंदिर में जाकर दीपक जलाएं साथ ही पूरे घर में रोशनी रखें।

* शमी का पौधा जीवन से टोने-टोटके के दुष्प्रभाव और नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है। इस दिन संध्या के समय शमी के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से युद्ध और मुक़दमो में विजय मिलती है शत्रुओं का भय समाप्त होता है । आरोग्य व धन की प्राप्ति होती है।

* कहते हैं कि लंका पर विजय पाने के बाद राम ने भी शमी पूजन किया था। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा भी शमी वृक्ष के पत्तों से करने का शास्त्र में विधान है। दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजन परंपरा हमारे यहां प्राचीन समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शीश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी।

* महाभारत के समय में पांडवों ने देश निकाला के अंतिम वर्ष में अपने हथियार शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। इन्हीं दो कारणों से शमी पूजन की परंपरा प्रारंभ हुई होगी। घर में ईशान कोण में स्थित शमी का वृक्ष विशेष लाभकारी माना गया है।

* आश्विन माह की विजयदशमी के दिन शमी वृक्ष के पूजन की परंपरा विशेष कर क्षत्रिय व राजाओं में रही है वह लोग इसके साथ ही अपने अस्त्र शास्त्रों की भी पूजा करते थे । आज भी राजपूत, क्षत्रिय लोग यह परंपरा निभाते है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति की सभी जगह पर विजय होती है उसका अन्ताकरण पवित्र हो जाता है। इस दिन हमें अपने कार्यक्षेत्र के अस्त्र शास्त्र अर्थात अपने लैपटाप, कम्प्यूटर, अपनी तराजू या जो भी वस्तु हमारे कार्य क्षेत्र में सहायता प्रदान करती है उसकी भी पूजा करनी चाहिए।

* विजयदशमी के दिन रावण दहन के बाद बची हुई लकड़‌ियां ला कर उसे घर में कहीं सुरक्ष‌ित रख दें। इससे घर में नकारात्मक शक्‍त‌ियों का प्रवेश नहीं होता है।

* दशहरा के दिन किसी भी धार्मिक स्थान में अपनी मनोकामना कहते हुए गुप्तदान अवश्य ही करें इससे कार्यों में अड़चने दूर होती है, समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है ।

* शास्त्रों के अनुसार इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस दिन ज्वारे यानी जौं की भी पूजा की जाती है यह बहुत ही सुखदाई मानी जाती है। अगर आप के जवारे में कोई भी पीले रंग का जवारा उतपन्न हो तो आप उसे उठाकर अपने लॉकर या तिजोरी में लाल रंग के कपड़े में बाँध कर रख ले। इससे आपके धन में बरकत होगी और धन में वृद्धि होगी । 


Last alfaaz:---------
अगर आपको मेरा यह दशहरे के लिए उपाय और टोटके हैं अच्छे लगे हो तो प्लीज अपने चाहने वाले और दोस्तों को जरूर शेयर करें।
क्रोना के इस दौर में समय थोड़ा ठहरा है,रुका नहीं है फिर से जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। इस साल जो भी सावधानी है वह अपने परिवार और अपने लिए जरूर बरते और दूरी बनाकर रखें। अगर हम सब सही रहेंगे अगले साल धूमधाम से त्यौहार मिटायेंगे। सबसे पहले अपने परिवार की सुरक्षा जरूरी है अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए दूरी और सावधानी जरूर रखें क्योंकि परिवार के साथ ही खुशियां हैं इसलिए आप सब का दिन शुभ हो।

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