मेडीटेशन कैसे करें | धयान साधना करने के लाभ | धयान कब लगाये |how to meditate in hindi |

मेडीटेशन कब और कैसे करें -
आज  इस भागदौड़ वाली जिंदगी से सब परेशानी और तनाव मे जी रहे है। और इस तनाव से ग्रस्त जिंदगी में हमारे मन और मस्तिष्क की क्षमता कमजोर हो जाती है। जिसके कारण शरीर सहित आत्मविश्वास भी कमजोर हो जाता है। इस रफ्तार से भरी दुनिया में ज्यादातर लोग कम्पीटिशन के दबाव से टूट जाते हैं और चिंता, डिप्रेशन बिमारियों के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में ध्यान की शक्ति से मस्तिष्क और मन की शक्ति बढ़ाकर खुद को शक्तिशाली बनाए रखा जा सकता है।  इसलिए अपने लिये हररोज 20 मिनट का समय जरूर निकाले और अपनी जिंदगी में मेडीटैशन जरूर करें।
 
 
 मेडीटैशन कब और कैसे करे ----
 
कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प को लेकर चलने वाला मानव ही जन - जन के कल्याण के लिए भागीरथी को ला पाता है। अगर इन्सान कुछ ठान ले फिर वह भगवान् को पा सकता है।  


ध्यान क्या है. ( meditation)? 

कभी ऐसे खाली बैठे हो कुर्सी में , पलंग में या कभी भजन करने बैठे हो , और उस वक्त कितने मन में  दुनिया के विचार आते रहते है। कुछ न कुछ चलते रहते है ख्याल ,कुछ न कुछ दिमाग खलबली करता रहता है।
अपने मन जो है यह यह पूरी तरह से ' कन्सन्ट्रेट नहीं होता ,एकाग्र नहीं होता। अगर यह टिक जाता है तो यही अवस्था ध्यान कहलाती है।

धयान का अभ्यास कैसे शुरू करें---

 सबसे पहले अपने मन को उस स्थिति में ले जाना जहां विचार कम , कम , कम होते बिल्कुल खत्म हो जाए विचार रहे ही नहीं । वो थोड़ी देर के लिए जागते हुए  गहरी नींद में जाकर ,मन का सोचना बंद होता है । नहीं तो मन सोचना बंद नहीं करता है  और मन के बहुत ज्यादा सोचने का शरीर के ऊपर दुष्प्रभाव , शरीर के ऊपर गलत प्रभाव आता है । जितना आप अधिक सोचते हैं ,उतना ही आप तनाव में जीते हैं। जब आप ने मन की बक बक रोक ली फिर समझो आपको धयान लगाना आ गया।  जिस प्रकार हम छोटे बच्चे को पढने के लिए जबरदस्ती बिठाते है, इसी तरह मन की बकबक को रोक कर धयान के लिए जबरदस्ती करनी पडती है। 

ध्यान की विधि क्या है....? 

ध्यान के लिए हम किसी ऐसे आसन का चयन करते हैं । जिसमें हम कुछ समय के लिए शांत और निश्चित मुद्रा में बैठ सकें । ज्ञान मुद्रा में बैठें । अपनी रीढ़ , गर्दन व सिर को एक रेखा में रखें और फिर तीन बार गहरी सांस लें । बाद में सांस के साथ ध्यान लगाकर रखें । सांस की गति व स्थान को देखते रहें । विचारों को खुला छोड़ दें । किसी ऐसी घटना के बारे में सोचें जिसमें आप को बहुत आनंद मिला हो जब सभी ने आपकी प्रशंसा की हो । आप के काम को सराहा हो । कुछ समय तक उसी घटना के बारे
सोचे उन्ही लोगों से अपने ध्यान में मिले । यही प्रशंसा से भरे शब्द सुनने की कोशिश करें । उसी खुशी का अनुभव करे ।
ध्यान के द्वारा हम अपनी एकाग्रता को दो आंखो को मध्य बिन्दु पर टिकाते है और फिर हम अपने मन को बाहरी जिस्म से हटाते है । इस अवस्था में शरीर को वही आराम मिलता है जैसा कि नींद की मुद्रा में प्राप्त होता है । धीरे - धीरे आंखे खोले व अपनी हथेलिया को मलकर अपनी आखों पर रखें ऐसा करने से आपकी थकावट दूर होगी , मन शुद्ध व प्रसन्न रहेगा तथा आपकी सोच बिल्कुल सही हो जाएगी । ध्यान की सहायता से डिप्रेशन का इलाज हो सकता है । व्यक्ति को डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए अपने पवित्र पक्ष को केंद्रित करना पड़ेगा । पवित्र जागरूकता यह होती है , जहां प्रिय - अप्रिय , मान - अपमान से परे होकर केवल शांत विचारों का ध्यान । ध्यान का अर्थ है कि व्यक्ति अपने आपको जाने , आत्मा को जाने और अपनी चेतना को पवित्र करे । चेतना की पवित्रता से मानसिक , आध्यात्मिक विकास का प्रारंभ में कोई न कोई प्वाइंट बनाकर जागरूकता केंद्रित करता है । चाहे यह श्वास को बनाए या शरीर को बनाए या फिर किसी विषय - वस्तु को प्वाइंट बना सकता है ।

ध्यान साधना से लाभ :-

धयान साधना के लिए हाथ मुंह धोकर किसी शान्त या एकान्त स्थान निर्जन , कोलाहल रहित स्थान पर का स्वच्छ हवादार कमरा नदी तट अथवा उपवन में आराम से कुर्सी पर अथवा दीवार , वृक्ष या मसनद के सहारे बैठकर भी यह साधना भली प्रकार होती है ।
अपनी सुविधानुसार बैठ जाइये तीन लम्बे - लम्बे श्वांस लीजिए । पेट में भरी हुई वायु को पूर्ण रूप से बाहर निकालना और फेफड़ों में पूरी हवा भरना एक पूरा प्रयास कहलाता है । तीन पूरे रवांस लेने से हृदय और शरीर की भी उसी प्रकार एक धार्मिक शुद्धि होती है । जैसे स्नान करने पर । हाथ पांव धोकर बैठने से शरीर की शुद्धि होती है । तीन पूरे सांस लेने के बाद शरीर को शिथिल कीजिए और हर अंग में से खिंचकर प्राणशक्ति हृदय में एकत्रित हो रही है . ऐसा ध्यान कीजिए । हाथ , पांव आदि सभी अंग प्रत्यंग शिथिल , ढीले , निर्जीव , निष्प्राण हो गये हैं ऐसी भावना करनी चाहिये । " मस्तिष्क से जब विचारधारायें और कल्पनायें शान्त हो गयी है और समस्त शरीर के अन्दर एक शान्त नीला आकाश व्याप्त हो रहा है । "ऐसी शान्त , शिथिल अवस्था को प्राप्त करने के लिए कुछ दिन लगातार प्रयत्न करना पड़ता है । अभ्यास से कुछ दिन में अधिक शिथिलता एवं शान्ति अनुभव होती जाती है । शरीर भली प्रकार शिथिल हो जाने पर हृदय स्थान में एकत्रित अंगूठे के बराबर , शुभ श्वेत ज्योति - स्वरूप , प्राण शक्ति का ध्यान करना चाहिये ।
अजर , अमर , शुद्ध , बुद्ध चेतन , पवित्र ईश्वरीय अंश आत्मा में हूँ । मेरा वास्तविक स्वरूप यही है , मै सत् , चित्त , आनन्द - स्वरूप आत्मा हूँ । उस ज्योति के कल्पना नेत्रों से दर्शन करते हुए उपरोक्त भावनाये मन में रखनी चाहिये । इस प्रकार यह ध्यान नित्य करने से आपको परम शान्ति अवश्य मिलेगी ।
धयान से गुरुदेव की कृपा मिल सकती । ध्यान से ही परमात्मा को पाया जा सकता है , ध्यान से तो वह सुख प्राप्त किया जा सकता है . जिसके पाने से , दूसरे सुख तुच्छ लगने लगते हैं । ध्यान से पता चलता है कि जो मैं हूं . वस्तुतः वह में नही हूं ...में शरीर तो हूं नहीं , मैं तो इसके अंदर मौजूद ' जीवात्मा ' हूं .... ईश्वर का ही एक अंश हूँ .... ध्यान से यह पता चलता है कि दिखने वाली हर वस्तु , एक दिन नहीं रहनी .... वह है ' आत्मा ' जो न मरती है , न सड़ती है , न गलती है, जो जेसी है , वैसी ही रहती है। सत्य की खोज मुश्किल है और जब सत्य मिल जाता है तो असीम आनंद मिलता है । ध्यान से सत्य भी मिल जाता है । जब आप को ' ध्यान मिल जाएगा तब आपको पद , धन - सम्पदा , सुख - एश्वर्य रथ - घोड़े , तुच्छ लगने लगेंगे .!! यह एक ऐसी पारस मणि है जिसको पाने के बाद और कोई इच्छा नहीं रह जाती। 

धयान से लाभ----
. ध्यान से तनाव ही नहीं, पीठ का दर्द, लकवा, मांसपेशियों में खिंचाव, मधुमेह व अस्थमा जैसे रोगों का उपचार भी संभव है।
 
☆. याददाश्त बढ़ाने, मन-मस्तिष्क को एकाग्र करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और आज के प्रतिस्पर्द्धी वातावरण के दबावों का सामना करने के लिए ध्यान की शक्ति महत्वपूर्ण सिद्ध होती है।
☆ धयान सेे मस्तिष्क पहले से अधिक सुन्दर, नवीन और कोमल हो जाता है। ध्यान मस्तिष्क के आतंरिक रूप को स्वच्छ व पोषण प्रदान करता है। 

☆.जब भी आप व्यग्र, अस्थिर और भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं तब ध्यान आपको शांत करता है। 

ध्यान के आध्यात्मिक लाभ----

ध्यान का कोई धर्म नहीं है और किसी भी धर्म और विचारधारा को मानने वाले इसका अभ्यास कर सकते हैं। ध्यान की अवस्था में आप प्रसन्नता, शांति व अनंत के विस्तार में होते हैं और यही गुण पर्यावरण को प्रदान करते हैं, इस प्रकार आप सृष्टी से सामंजस्य में स्थापित हो जाते हैं।
ध्यान से आप में 100% वैयक्तिक परिवर्तन ला सकता है। 
आप अपने बारे में जितना ज्यादा जानते जायेंगे, प्राकृतिक रूप से आप स्वयं को ज्यादा खोज पाएंगे।

 ध्यान से भौतिक लाभ---

भौतिक लाभ अर्थात समाज, परिवार, धन, सफलता से सम्बंधित लाभ । ऊपर वर्णित ध्यान के सभी लाभ किसी न किसी रूप में भौतिक लाभों से सम्बंधित है । अतः सभी ध्यान करेंगे तो सभी के विचार पवित्र होंगे जिससे घर, परिवार, समाज और देश में शांति की स्थापना होगी । आपका व्यक्तित्व विकास होगा जिससे लोग आपको अधिक पसंद करेंगे । इससे सफलता के आसार बढ़ जायेंगे । कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ध्यान से धरती पर स्वर्ग का अवतरण संभव है ।

 ध्यान मे सावधानियां------
  ध्‍यान की शक्ति को बढ़ाने के लिए शाकाहारी होना आवश्यक है। शाकाहार में भी मिर्च, मसाला ,प्याज और लहसुन का प्रयोग भी वर्जित है। यह शाकाहार सिर्फ खाने-पीने में ही नहीं, पहनने, ओढ़ने में भी होना चाहिए। अर्थात चमड़े की बनी कोई वस्तु ना पहने । जब आप अपने आचरण को ठीक कर लेगें तब ध्यान बहुत जल्दी लग जायेगा। 
Posted by-kiran



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