दमा (अस्थमा) एक ऐसा रोग है ,यह व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित करने वाला सांस का रोग है। दमे के रोगियों को सांस फूलने का दौरा पड़ जाता है, और कई बार तो वह इस दौरे की वज़ह स व्यकित की मौत भी हो जाती है। परंतु कभी कभी यह थोड़े लंबे समय तक चलता है। कुछ लोगों को दमे का दौरा वर्ष में किन्हीं विशेष महीनों में यह किसी विशेष स्थान पर जाने से होता है। कई बार मानसिक तनाव की स्थिति में जैसे किसी चिंता के कारण अथवा अधिक उत्तेजित होने पर भी सांस फूलने पर दमे का दौरा पड़ सकता है । यदि दौरे का कारण सांस की नली में संक्रमण हो तो एंटीबायोटिक लेने चाहिए अन्यथा एलर्जी दूर करने वाली दवाईयों से प्रयोग से दौरा ठीक हो जाता है।
यदि किन्हीं बुरी परिस्थितियों में सांस उखड़ रहा हो तो तुरंत इनहेलर का इस्तेमाल कर लेना चाहिए इससे भी दौरा उसी समय रुक जाता है। आजकल बाजार में नोबोलाइजर भी उपलब्ध है ,इनके द्वारा सूक्ष्म मात्रा में दवा फेफड़ों तक पहुंच कर रोगी को जल्द आराम पहुंचाती है। तनाव के कारण या भावनात्मक परिवर्तन जैसे कि क्रोध, भय, चिंता होने पर भी व्यक्ति को सांस फूलने के रोग हो जाता है। दमा के रोगी को गाड़ियों से निकलने वाली गैस, धूम्रपान के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं इसलिए धूम्रपान करने से भी दूर रहना आवश्यक है। कुछ रोगियों को दूध , अंडा, खमीर , मछली के कारण भी दौरा पड़ जाता है। रोगी के लिए यह जानना बहुत जरूरी है हर बार उस वस्तु के खाने पर ही अगर दौरा पड़ता है तो उसे ना खाए।
रात का भोजन करने के 2 घंटे पश्चात ही सोए पेट भर के खाना ना खाएं कई बार रोगियों को पेट में अधिक अमल बनने पर भी दमे का दौरा पड़ जाता है। इसलिए जिन पदार्थों से पेट में अमल बनता है फिर हाइपर एसिडिटी होती हो तो इसका इलाज करें तब भी वह समस्या से बचा जा सकता है। दमे के दौरा पड़ने पर हमेशा एंटीबायोटिक्स इस्तेमाल करनी चाहिए।
दमे के लिए कुछ घेरेलू और रामबाण उपाय :------
मादर का फुल------
मादर का फूल एक तोला, छोटी पीपल आधा तोला, कटेरी फुल एक तोला, मुलहठी सत्व एक तोला। उक्त चारों को पीसकर धूप में सुखा लें उसके पश्चात उचित मात्रा में शहद के साथ मिलाकर कुछ गोलियां बना लें। दौरे आने पर उस समय दो-दो गोली गुनगुने पानी के साथ ले लै। कुछ ही क्षणों में दौरा शांत हो जाएगा।
अदरक:-------
अदरक की चाय में लहसुन की दो पिसी कलियाँ मिलाकर पिएं। यह अस्थमा का सफल इलाज करता है।अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मेथी का काढ़ा और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएँ। दमा के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाभदायक है।
करेला:---------
अस्थमा का जड़ से इलाज करने के लिए आप करेला का प्रयोग कर सकते हैं। करेला का एक चम्मच पेस्ट शहद और तुलसी के पत्ते के रस के साथ मिला कर खाने से अस्थमा में फायदा होता है।
विटामिन सी----------
विटामिन-सी अस्थमा में बहुत लाभदायक है। विटामिन-सी युक्त फलों और सब्जियों का सेवन करें। नींबू संतरे, जामुन , स्ट्रॉबेरी एवं खट्टे फल विटामिन-सी के अच्छे स्रोत हैं। इनका सेवन करें। सब्जियों में फूलगोभी एवं पत्तागोभी का सेवन करें। इससे अस्थमा का जड़ से इलाज होता है।
हल्दी:--------
आपको तो पता ही है कि यह रसोई घर में बहुत आसानी से मिल जाती है इसलिए अगर आप अस्थमा का सफल उपचार करना चाहते हैं तो दूध में हल्दी डालकर पिएँ। इसके अलावा आप दूध में लहसुन पकाकर भी पी सकते हैं।
सोंठ:----------
सोंठ, सेंधा नमक, जीरा, भुनी हुई हींग और तुलसी के पतों को पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इसे पीने से अस्थमा की समस्या दूर हो जाती है।
अजवायन और गुड:------
पुराना गुड़ अदरक का रस और अजवायन 300 ग्राम अजवाइन को बारीक पीस लें फिर उसमें पुराना गुड़ और अदरक का रस डालें और कांच के बर्तन में भरकर रख लें एक चम्मच सुबह शाम ले।
पीपल:--------
पीपल के पत्तों को कूटकर कपड़छान कर लें 3 ग्राम चूर्ण 12 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से दमा ठीक हो सकता है।
अजवायन:-----------
अस्थमा से अनेक लोग पीड़ित रहते हैं। अगर आप भी अस्थमा से पीड़ित हैं तो आपके लिए बहुत ही आसान उपाय है। अस्थमा का जड़ से इलाज करने के लिए आप डालकर इसे उबालें और इस पानी से उठती भाप लें। यह अस्थमा को जड़ से खत्म करता है।
मेथी:------------
मेथी सांस की परेशानी को करे मेथी हर घर में होती है। आप जानते हैं आप मेथी से अस्थमा का सफल इलाज कर सकते है। शरीर की भीतरी एलर्जी को खत्म करने में मेथी सहायक होती है। मेथी के कुछ दानों को एक गिलास पानी के साथ तब तक उबालें जब तक पानी एक तिहाई न हो जाए। इस पानी में शहद और अदरक का रस मिलाकर रोज सुबह-शाम सेवन करें। यह अस्थमा का सफल उपचार का तरीका है
अस्थमा का घरेलू उपचार अगर कामयाब ना हो तो आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए.....?
आमतौर पर सुबह-सुबह या व्यायाम और ठण्डी हवा की प्रतिक्रिया के कारण इसके लक्षण और भी बिगड़ जाते हैं। इलाज न करने पर फेफड़ो में वायु प्रवाह गंभीर रूप से अवरूद्ध हो जाता है और मृत्यु का कारण बनता है। जब दमा के लक्षण जटिल होने लगे और पांच दिनों से ज्यादा दिनों तक रहे तो तुरन्त डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आपको अस्थमा का सफल उपचार करने के लिए ऊपर के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। आपको क्या खाना है और क्या नहीं खाना है। यह अस्थमा का जड़ से इलाज करने के बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
अस्थमा के रोगी कया ना खाये:----दमा के मरीजों को अंडे, गेहूं और सोया से बने पदार्थ नहीं खाने चाहिए। इसके अलावा कई अस्थमा के रोगियों के लिए पपीता, केला, चीनी, चावल और दही भी नुकसानदायक होता है। साथ ही दमा के मरीजों को तले हुए खाद्य पदार्थ भी नहीं खाने चाहिए। कयोंकि यह वसा से भरपूर होते है। जिनके खाने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है।
प्रोसेस्ड फूड आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक होते हैं। इसके अलावा प्रोसेस्ड, चायनीज और पैक्ड फूड में बहुत अधिक मात्रा में मोनो सोडियम ग्लूटामेट होता है, जो अस्थमा के खतरे को और बढ़ाता है। इसलिए इस प्रकार के खाद्य पदार्थों को अस्थमा के रोगियों को नहीं खाना चाहिए।
अगर अपने आप को स्वस्थ रखना चाहते हो तो सबसे पहले अपने खानपान और जीभ पर कंट्रोल करना सीखना होगा, क्योंकि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है।
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