धन प्राप्ति के लिए मन्त्र|| मन्त्रो की शक्ति से धन को कैसे आकर्षित करे || मनोकामना पूर्ण करने के लिए मन्त्रो से पुजा कैसे करें ||


Tittle- मन्त्रो की शक्ति के चमत्कार----
आज के इस लेख में आज आपको बताते हैं कि मंत्र शक्ति क्या है और किस प्रकार हम मंत्रों का जाप करके अपनी मनोकामना और समस्या का निवारण कर सकते हैं। 
मंत्र शक्तियों का हमारे शास्त्रों और ग्रंथों में बहुत सारे ऐसे वर्णन सुनने को मिल जाते हैं कि जिनके करने से बड़ी से बड़ी समस्या का निवारण हो जाता है। जब इंसान किसी भी समस्या को लेकर दुखी होता है तो वह या तो पंडित या फिर भगवान की शरण लेता है। ज्ञानी पंडित मंत्र जाप ही करने का उपाय बताते है। मंतर जाप करने से बहुत लोगों ने लाभ भी उठाए हैं।
आइए जानते हैं कौन सा मंत्र की समस्या के लिए किया जाए।

मंत्र का अर्थ -
मंत्र का अर्थ होता है, मन को एक तंत्र में बाधना। जब मन एक तंत्र में बंध जाता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से शक्तिशाली बन जाता है।
 
जप योग के तीन प्रकार हैं-

 वाचिक, उपांशु और मानस। वाचिक का अर्थ मुंह से स्पष्ट उच्चारण के साथ किया जाने वाला जप। उपांशु का अर्थ मंद स्वर से मुंह के अंदर ही किया जाने वाला जप और मानस अर्थात मन ही मन किए जाने वाला जप।

मंत्रो के  नियम ------
मंत्र-साधना में विशेष ध्यान देने वाली बात है- मंत्र का सही उच्चारण। दूसरी बात जिस मंत्र का जप अथवा अनुष्ठान करना है, उसका अर्घ्य पहले से लेना चाहिए। मंत्र सिद्धि के लिए आवश्यक है कि मंत्र को गुप्त रखा जाए। प्रतिदिन के जप से ही सिद्धि होती है। किसी विशिष्ट सिद्धि के लिए सूर्य अथवा चंद्रग्रहण के समय किसी भी नदी में खड़े होकर जप करना चाहिए। इसमें किया गया जप शीघ्र लाभदायक होता है। जप का दशांश हवन करना चाहिए और ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराना चाहिए।
 
ईश्वर से जोड़ता है जप :-----

अपने ईष्ट या किसी शक्तिशाली मंत्र का निरंतर जप करने से व्यक्ति   सकारात्मक ऊर्जा और शक्तियों से जुड़ जाता है। जपयोग व्यक्ति के अवचेतन को जाग्रत कर उसे दिव्य दृष्टि प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति स्वयं को किसी भी रूप में स्थापित करने में सक्षम हो जाता है। इससे व्यक्ति टेलीपैथिक और परा मनोविज्ञान में पारंगत हो सकता है।
 
सूक्ष्म शरीर का सक्रिय करता है जपयोग ---

निरंतर मंत्र जप करने से ध्वनि तरंग उत्पन्न होती है, उससे शरीर के स्थूल व सूक्ष्म अंग तक कंपित होते हैं। इसके कारण व्यक्ति का सूक्ष्म शरीर सक्रिय होकर शक्तिशाली परिणाम देना प्रारंभ कर देता है।

मन्त्रो की शक्ति ----

1. सब प्रकार के संकटनिवारण मंत्र----
सब अनिष्टों के नाश के लिये: ----

ऊ नमो भगवते तस्मै
कृष्णायाकुण्ठमेघसे । सर्वव्याधिविनाशाय प्रमो माममृत कृघि ।।

इस मन्त्र का प्रतिदिन प्रात : काल जगते ही बिना किसी से कुछ बोले तीन बार जप करने से सब अनिष्ट का नाश होता है । इसका अनुष्ठान 59000 मन्त्रजप तथा 5900 दशांश हवन से सम्पन्न हो जाता है ।

2 विपत्ति - नाश के लिये-

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे । रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।।
ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर स्नान करके प्रतिदिन उपर्युक्त अर्धाली सहित मन्त्र की सात माला 108 दाने की प्रत्येक जप करना चाहिये और प्रत्येक माला की समाप्ति पर धूप - गुगुल की अग्नि में आहुति देनी चाहिये । सातों माला पूरी होने पर उस भस्म को यत्न से उठाकर रख लेना चाहिये और प्रतिदिन कार्य में लगते समय उसे ललाट पर लगा लेना चाहिये । यह जप तथा भस्म प्रतिदिन धारण करते रहने से विपत्तियों का नाश और कार्य में सफलता की प्राप्ति होती है ।

3--- सब प्रकार की विपत्तियों के नाश के लिये और सुख - सौभाग्यकी प्राप्ति के लिये---- 
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल असाध्य साधय साधय मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा ।
मंगलवार से प्रारम्भ करके इस मन्त्र का प्रतिदिन 108 बार जप करता रहे और कम - से - कम सात मंगलवार तक तो अवश्य करें । इससे इसके फलस्वरूप घर का पारस्परिक विग्रह मिटता है , दुश्मनों का निवारण होता है और बड़ा कठिन कार्य भी आसानी से सफल हो जाता है ।
पुनि मन बचन करम रघुनायक । चरन कमल बंदौ सब लायक ।। राजिवनयन धरे धनु सायक । भगत बिपति भजन सुखदायक ।। ॐ नमो भगवते रायरराय श्रियः पतये नमः

उपर्युक्त चौपाई सहित इस मन्त्र का प्रतिदिन 108 बार कम - से - कम जप करे । इससे विपत्तिनाश , सुखलाभ और स्त्रियों के द्वारा जपे जाने पर उनका सौभाग्य अचल होता है ।

4. विपत्ति -नाश को लिये:----

हे कृष्ण द्वाराकावासिन् क्यासि यादवनन्दन । आपद्मिः परिभूता मा त्रायस्वाशु जनार्दन ।।
इस मन्त्र का कम से कम 108 बार स्वयं जप करें । कुछ दिन जपने के बाद में स्वप्न में आदेश होना सम्भव है ।
अनुष्ठान के लिये 59000 जप और दशांश के लिये 5900 जप या आहुतियाँ आवश्यक है ।

5. संकट दूर होने के लिये-----

हा कृष्ण द्वारकावासिन् क्यासि यादवनन्दना आपदभिः परिभूता मा त्रायस्वाशु जनार्दन ।। हा कृष्ण द्वाराकाबासिन् बचासि | यादवनन्दन । कोरवै: परिभूता मां किं न त्रायसि केशव ।।
उपर्युक्त दोनों मंत्रों का 32 हजार जप करने से बड़े - बड़े संकट दूर हो जाते है ।

6. अकस्मात् आयी विपत्ति के निवारण के लिये:-------

हनुमान सर्वधर्मज्ञ सर्वकार्य विधायक । अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते ।। अथवा हनूमन्नञ्जनीसूनो वायुपुत्र महाबल । अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते ।।

प्रतिदिन तीन हजार के हिसाब 11 दिनों में 33 हजार जप हों , फिर 3300 दशाश हवन या जप करके 33 ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाये । इससे अकस्मात आयी हुई विपत्ति सहज ही टल जाती है ।

7. लक्ष्मी प्राप्ति  के लिए  मंत्र- ।। 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ।। इस मंत्र हर रोज 108 बार या उससे अधिक बार जप करने से भरपूर धन की प्राप्ति होने का साथ जीवन की सारी निर्धनता हमेशा के लिए दूर हो जाती है।


8. रोग निवारण मन्तर-----

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार ।। 

मन्तरो का चमत्कार और विघी विधान----
तंत्र शास्त्र में कुछ ऐसे बीज मंत्र हैं जिनका जप करते ही तुरंत चमत्कार दिखाई देने लगते हैं । इन मंत्रों में इतनी शक्ति होती हैं कि मानव जीवन की हर वह समस्या जो असंभव दिखाई देती हैं वे भी पूरी हो जाती हैं । 
इनका प्रयोग करके कोई भी लखपति, करोड़पति बन सकता हैं । असाध्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं । इन मंत्रों का जप करने की एक ही सर्त होती हैं कि इन्हें पूरी श्रद्धा, पवित्रता एवं विश्वास के साथ ही करना पड़ता हैं ।

मंत्र शक्ति ----
जपयोग के चमत्कार के संबंध में शास्त्रों में ढेर सारे उल्ले‍ख मिलते हैं। वेदों में विभिन्न प्रकार के मंत्रों का प्रयोग किया गया है। वेदों में उल्लेख है कि विशेष प्रकार के मंत्रों से विशेष तरह की शक्ति उत्पन्न होती है।
 अनेक परिक्षणों से यह सिद्ध हो गया है कि मंत्रों में प्रयोग होने वाले शब्दों में भी शक्ति होती है। मंत्रों में प्रयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्द हैं, जिन्हे 'अल्फा वेव्स' कहते हैं। मंत्र का यह शब्द 8 से 13 साइकल प्रति सैंकेंड में होता है और यह ध्वनि तरंग व्यक्ति की एकाग्रता में भी उत्पन्न होती है। इन शब्दों से जो बनता है, उसे मंत्र कहते हें। मंत्रों के जप करने से व्यक्ति के भीतर जो ध्वनि तरंग वाली शक्ति उत्पन्न होती है, उसे ही जपयोग या मंत्र योग कहते हैं।

मानसिक शक्ति बढ़ाती है -

 अच्छे विचार, मंत्र और भगवान का बार-बार जप करने या ध्यान करते रहने से मानसिक शक्ति बढ़ती जाती है। मानसिक शक्ति के बल पर ही व्यक्ति सफल, स्वस्थ और शक्तिशाली महसूस कर सकता है। मंत्र के द्वारा हम खुद के मन या मस्तिष्क को बुरे विचारों से दूर रखकर उसे नए और अच्छे विचारों में बदल सकते हैं। लगातार अच्छी भावना और विचारों में रत रहने से जीवन में हो रही बुरी घटनाएं रुक जाती है और अच्छी घटनाएं होने लगती है। यदि आप सात्विक रूप से निश्चित समय और निश्चित स्थान पर बैठक मंत्र प्रतिदिन मंत्र का जप करते हैं तो आपके मन में आत्मविश्वास बढ़ता है साथ ही आपमें आशावादी दृष्टिकोण भी विकसित होता है जो कि जीवन के लिए जरूरी है।
इस इस प्रकार हम अपने किसी भी समस्या को लेकर परेशान है तो मंत्र जाप पूरी विधि विधान और भाव और परमात्मा में विश्वास रखते हुए अगर कोई भी मंत्र जाप करते हैं तो हमारी समस्या का अवश्य ही समाधान हो जाता है। इसमें किसी भी प्रकार की शक की गुंजाइश नहीं है।
 इसलिए अगर आप भी अपनी किसी समस्या को लेकर परेशान है तो मंत्र जाप पूरे विधि विधान के साथ करना चाहिए तभी आपको सही लाभ मिलेगा।

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