गोमुत्र के फायदे | गोमुत्र का प्रयोग कैसे करें | how to use cow urine in hindi |

Tittle- गोमूत्र का प्रयोग कैसे करेंi
गोमूत्र का रोगों के लिए घरेलू प्रयोग आइए जानते हैं गौमुत्र चलता फिरता चिकित्सालय है, वह एक तरह से सभी बिमारियों के लिए रामबाण ओषधियाँ का भंडार है। गौमूत्र से चिकित्सा पद्धति में कारगर रीति से घर पर ही अनेक असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है।


गौमूत्र के गुण और सवास्थय लाभ----

पंचगव्य से रोगों को ठीक करने की अद्भुत क्षमता है हमारे पावन ग्रंथों वेदों में भी इसका वर्णन किया गया है

पंचगव्य बनाने की विधि----
छना हुआ गोमूत्र पाच चम्मच, कपड़े में रखकर निचोड़ा गया गौ रस( गोबर का रस एक चम्मच,
गाय का दूध दो चम्मच, गांय के दूध की दही एक चम्मच, गौ धृत घी एक चम्मच, शुद्ध मधु दो चम्मच, इन सभी वस्तुओं को चांदी अथवा कांच की कटोरी में रख कर मिला लें और प्रातः मुख शुद्धि के बाद थोड़ा सा जल पिकर पंचगव्य धीरे-धीरे पीना चाहिए ।यह आदत हो जाने के बाद जलपान की तरह आपको सबल बनाऐगा।
सर्दियों में पंचगव्य की मात्रा बढ़ा देने से आपको जलपान की अवशकता ही नहीं पड़ेगी।
पंचगव्य आरंभ करने से पहले 1 सप्ताह तक त्रिफला, गोमूत्र अथवा गर्म दूध में घी डालकर पैट साफ कर ले।ऐसा करने से पंचगव्य का सेवन अधिक लाभकारी सिद्ध होगा।

गर्भवती महिलाओं को आप विटामिन कैप्सूल खिलाते हैं, यह कैप्सूल गर्भवती महिलाओं का वजन बढ़ाते है, बच्चे को लाभ नहीं पहुचता। लेकिन यह पंचगव्य गर्भस्थ शिशु को भी लाभ पहुंचाता है। इसके पीने से नॉर्मल डिलीवरी होगी जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे।

महिला की डिलीवरी के बाद ही पंचगव्य में घी की मात्रा बढा देनी चाहिए ऐसा करने से शरीर की निर्बलता जल्दी दुर होगी।


पंचगव्य गोमूत्र महाऔषधि का काम करता है।
गोमूत्र में कार्बोलिक एसिड, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, पोटाश ,अमोनिया, नाइट्रोजन, लेक्टोज हारमोंस तथा अनेक प्रकार के प्रकृतिक लवण पाए जाते हैं। जो मानव शरीर की शुद्धि तथा पोषण करते हैं।
गोमूत्र का कार्बोलिक एसिड से अस्थीसिथ्त मजजा एव वीर्य को परिष्कृत कर देता है। नि:सातानो को संतान देता है।
जो गाय गोमूत्र सेवन के लिए रखी जाती है वह निरोगी तथा युवा होनी चाहिए। जो गाय जंगली घास और प्राकृतिक वनस्पति खाघ पदार्थों का सेवन करती हो, उसी गाय का गोमूत्र अधिक अच्छा माना जाता है।
गोमूत्र को हमेशा स्वच्छ वस्त्र में छानकर सुबह खाली पेट पीना उचित माना गया है। गोमूत्र पीने के 1 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए। सतनपान कराने वाली मां बहनों को गोमूत्र का सेवन करना बच्चे और माँ के लिए बहुत अच्छा टॉनिक माना जाता है।
मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को यदि गोमूत्र सेवन करवाया जाए तो मासिक धर्म में होने वाली पीड़ा में लाभ मिलता है।
सामान्य युवा व्यक्ति को एक छंटाक से एक पाव की मात्रा में ही गोमूत्र का सेवन करना चाहिए।

 गोमुुत्र से कब्ज की समस्या का समाधान कैसे करें ---

कबज जैसे रोगों को ठीक करने के लिए और उधर की शुद्धि के लिए गोमूत्र को कई बार कपड़े से छान कर पीना चाहिए।

पेट के किसी भी रोग में गोमूत्रके पिने से लाभ होता है ।
जलोदर में रोगी को केवल गोमुत्र का सेवन करना चाहिए और साथ-साथ गोमूत्र में शहद मिलाकर नियमित रूप से पीना चाहिए।

शरीर की सूजन को ठीक करने के लिए केवल गाय का दूध पीकर ही साथ में गोमूत्र का सेवन करना चाहिए।

गोमूत्र में नमक और शक्कर समान भाग में मिलाकर सेवन करने से पेट के सभी प्रकार के रोगों का शमन होता है।

गोमूत्र में सेंधा नमक और राई का चूर्ण मिलाकर पीने से उदर रोग मिटता है। 

सफेद दाग का इलाज के लिए------

श्वेत कुष्ठ रोग होने पर बागची के बीज को गोमूत्र में अच्छी तरह पीसकर लेप करने से स्फेद दाग ठीक हो जाते है।

कान दर्द के लिए------
कान में पीड़ा होने पर गोमूत्र की मालिश करनी चाहिए और स्नान करना चाहिए।

बालों को सुंदर और मुलायम बनाने के लिए गोमूत्र को सिर पर लगा कर थोड़ी देर रखना चाहिए और फिर सूखने के बाद बाल सुंदर और मुलायम हो जाते हैं।

खाज खुजली के लिए------
शरीर के किसी भी भाग में खुजली होने पर गोमूत्र की मालिश करनी चाहिए और फिर उसके बाद स्नान कर लेना चाहिए।

गौमूत्र में पुराना गुड़ और हल्दी का चूर्ण मिलाकर पीने से पुराने से पुराने दाद, खाज, खुजली, कुष्ठ रोग तक ठीक हो जाते हैं।


गोमूत्र के साथ अरंडी का तेल 1 मास तक पीने से संधिवात और अन्य वातविकार नष्ट हो जाते हैं।

शरीर के किसी भी भाग में खाज खुजली होने पर गोमूत्र में नीम के पत्ते पीसकर लगाने से शरीर की खाज खुजली और निशान ठीक हो जाते हैं।

गोमूत्र को जितनी बार छानकर पिएंगे उतनी ही बार दस्त लगेगा यह इसकी एक विशेषता है।

लगातार गोमूत्र को पीने से पेट की पथरी निकल कर बाहर आ जाती है किंतु यह प्रयोग कुछ दिन ही करना चाहिए।

प्रातकाल गोमूत्र से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज हो जाती है और धीरे-धीरे चश्मा उतर जाता है। पर यह प्रयोग करने से पहले एक बार अपने आयुर्वेद डॉक्टर से जरूर सलाह कर लें। क्योंकि आंखें बहुत ही नाजुक हिस्सा होता है हमारे शरीर का।

प्रतिदिन गाय का घी नाक में डालने से साइनस( छींक) की प्रॉब्लम ठीक हो जाती है।

बच्चों के पेट में कीड़े होने पर आधा चम्मच गौमूत्र में दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से बच्चों के पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।


सर्दी ,जुखाम, सांस फूलना, दमा आदि होने पर तवे को खूब गर्म करके फिटकरी तोड़कर गर्म तवे पर डालकर उसका जलेश जला हुआ अंश को सुखा दें और चाकू से खुरचकर सफेद पाउडर को सुरक्षित रख ले। इसे आयुर्वेद में टंकण भी कहते हैं।अब आधा कप गोमूत्र में एक भाग 1 छोटा चम्मच टंकण मिलाकर खाली पेट पीने से पुराना से पुराना जुखाम भी बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।

दमे के लिए रामबाण औषधि:-----
दमा के पुराने रोगियों को गोमूत्र में अडुषा ( वसाचूरण) 5 ग्राम मिलाकर पिने से पुराने से पुराना दमा ठीक हो जाता है।

बंद नाक हो जाने पर गोमूत्र में सरसों के तेल की दो बूंदे मिलाकर नाक में टपकाने से रोगी को बहुत जल्दी सांस लेने में अराम मिल सकता है।


घुटने, कुहनियों, पैरों की पिंडलियों में साइटिका रोग होने पर और मांसपेशियों में दर्द होने पर और सूजन होने पर, गोमूत्र से बढ़कर कोई दूसरी औषधि नहीं है।

अगर ब्लडशुगर बहुत अधिक बढ़ा हुआ हो तो स्वर्णबसंत सुकुमार दोनों समय गोमूत्र के साथ लेने से डायबिटीज के कारण गुर्दे लीवर, तथा हार्ट कमजोर हो जाता है तो ऐसे रोगियों को केवल गौमूत्र और शिलाजीत ही ठीक कर सकता है।


गाय के गर्म दूध में एक चम्मच गाय का शुद्ध घी मिलाकर पिलाने से गर्भवती महिलाओं को कब्ज नहीं रहेगा।

यकृत रोग मलेरिया के कारण तिल्ली बढ़ जाती है शराब पीने तथा मांस खाने से यकृत निषिक्रय होकर पीलिया और अंत में कामला रोग हो जाता हैं। खुन की कमी से पेशाब पीला आने लगता है तथा आंखें पीली हो जाती हैं, इस बीमारी में खाली पेट को गौमूत्र पिलाने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है।


हृदय रोग यानी cholesterol बढ़ने पर गोमूत्र पीने से खून के जमे हुएधक्के तक ठीक होने लगते हैं। हाइ एवं लो ब्लड प्रेशर में भी गोमूत्र का लैक्टोज असर करता है, हृदय रोग में गोमूत्र सबसे अच्छा टॉनिक है। यह दिल की शिराऔ और धमनियों के कैस्ट्रोल को जमने नहीं देता। 10 ग्राम अर्जुन छाल का चूर्ण गोमूत्र में मिलाकर पीने से अर्जुन छाल की चाय बनाकर पीने से बहुत ही जल्दी दिल की बीमारियों में लाभ पहुंचता है


हमारे शरीर की किडनी मानव के रक्त को अशुद्धियो निकालकर मुत्र द्वारा विष को बाहर निकालती हैं। किडनी फेल होने पर इसका प्रत्यारोपण करना पड़ता है और यह बहुत ही महंगा इलाज हैं। जिनकी किडनी कमजोर है तो रात में बार बार पेशाब आने लगे तो उसमें प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ गई हो उन्हें नियमित रूप गोमूत्र पिलाने से रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।

गाय के दही, मूत्र तथा तुलसी पत्रों के योग से असाध्य कहे जाने वाले रोग कैंसर की औषधि तैयार की जा सकती है। इससे कैंसर के अनेक रोगियों को रोगमुक्त करने में सफलता मिली है।  यह औषधि  आयुर्वेदिक डाक्टरों  के दवारा तैयार की जाती है। 

गौमूत्र का नियमित सेवन करने से बुड्ढे को भी जवान बना देता है।

गोमूत्र भारतीय नस्ल की किसी भी रंग की सवसथ देसी गाय हो अथवा बछिया का लेना चाहिए।
गोमूत्र कभी भी खराब नहीं होता किंतु इसे हमेशा काँच या मिट्टी के बर्तन में रखना चाहिए।
इसे भूल कर भी फ्रिज में ना रखें गर्भवती गाय का गोमूत्र सेवन नहीं किया जा सकता बच्चे को जन्म देने के 25 दिन के बाद ही गोमूत्र का यूज़ करना चाहिए ।

हमारे शास्त्रों के अनुसार गोमूत्र को गंगा जल की तरह पवित्र माना गया है गोमूत्र के सेवन से थायराइड जैसी बीमारी से भी मुक्ति प्राप्त की गई है।


केवल गाय ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिस मल नहीं व मलशोधक माना जाता है। इसे किसी भी प्रकार की घृणा नहीं होती। इसे किसी तरह तयागने की नही बल्कि संग्रह की वस्तु माना जाता है। गाय को हमारे धर्म में पूजनीय माना जाता है। इसलिए गाय का गोमूत्र हो या गोबर हो दोनों ही बहुत गुणकारी और लाभदायक माने जाते हैं।

Disclaimer:------
All information and articles available on this site are for educational purposes only. The information given here should not be used for diagnosis or treatment of any health related problem or disease without expert advice. A qualified medical practitioner should always be consulted for medical examination and treatment


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ