शिव की पुजा कैसे करें || सावन महीने के व्रत और पुजा का महत्व || मनोकामना के लिए सावन में शिवलिगं पर कया चढाये ||

Tittle- सावन में शिव  की पुजा कैसे करें और कया कया अर्पित करें भगवान् शिव से आशीर्वाद लेने के लिए। 
सावन  शुरू होते  ही शिव भगवान् के मन्दिरो में भक्तो की भीड़ लग जाती है। हमारे शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान् शिव सावन के महीने में धरती पर विराजमान रहते हैं। इस महीने में पुजा करने से विवाह और संतान प्राप्ति में आने वाली दिक्कतें दूर हो जाती हैं। सावन में शिव पूजा से सभी दुख की समाप्ति होती है। शिव पूजा से⁸ हमारे सारे पाप नष्ट होते है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति मिलती है।

Sawan Month 2022-----
 हिंदी पचांग का पांचवा महीना श्रावण है, जिसे सावन नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में सावन माह को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। सावन माह देवो के देव भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में भगवान शिव की पूजा-अराधना की जाती है। सावन माह के प्रत्येक सोमवार को शिव की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। शिव भक्त पूरी श्रद्धा के साथ इस महीने का इंतजार करते हैं। इस माह के प्रत्येक सोमवार को पूजा करने का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। शिव को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं सोलह सोमवार का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखती हैं। इसी month में शिव भक्त कांवड की यात्रा शुरू करते हैं।

सावन  का महत्व-
सावन के व्रत -
सावन महीने के सोमवार के व्रत करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसा माना जाता है। लेकिन ये व्रत मीठे खाना खाकर  ही रखने होते है और  व्रत रखते समय दिन में ना सोए और शुद्ध आचरण का पालन करें।
 सोमवार के दिन बेलपत्र ना तोड़े ।शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए 1 दिन पहले तोड़ा हुआ बेलपत्र भी चढ़ाया जाता है ।इसलिए ध्यान रहे व्रत रखने के बाद बेलपत्र ना तोड़े।


व्रत कैसे करे-

अगर आप सावन का व्रत कर रहे हैं तो सुबह उठकर स्नान करें और विधि-विधान से पूजा-पाठ करें। धर्म के अनुसार, भगवान शिव की पूजा करते समय हल्दी का उपयोग नहीं करना चाहिए. भगवान शिव की पूजा में भांग, धतूरा, बेलपत्र, सफेद फूल, शहद, फल आदि अर्पित कर सकते हैं।

सावन के महीने में मास और मदिरा पान के सेवन से बचना चाहिए. अगर आप व्रत कर रहे हैं तो इन चीजों का भूलकर भी सेवन ना करें. ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं.

सावन के महीने में सात्विक भोजन करना चाहिए. इस दौरान मूली, बैंगन, लहसुन, कढ़ी, काली मिर्च और प्‍याज के सेवन से बचना चाहिए.

व्रत या उपवास करने वाले लोगों को काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, व्रत में काले कपड़े पहनने से नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है.

मान्यताओं के अनुसार, नियमों का पालन करते हुए व्रत करने चाहिए. इस दौरान शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए.

धार्मिक पुराणों के अनुसार, व्रत के दौरान दिन के समय नहीं सोना चाहिए. इसकी जगह आप भगवान शिव के भजन-कीर्तन कर सकते हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं को शिवलिंग को छूने की मनाही होती है. ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग को स्पर्श करने से माता पार्वती नाराज हो जाती हैं. इसलिए महिलाओं को शिवलिंग को छूने से बचना चाहिए. इसका मतलब ये नहीं है कि महिलाएं शिवलिंग की पूजा नहीं कर सकती।

सावन के व्रत के दौरान अगर शिव कवच या शिव चालीसा का पाठ कर रहे हैं, तो इसे पढ़ते हुए बीच में किसी दूसरे व्यक्ति से बात न करें. माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी पूजा का फल नकारात्मक शक्तियां ले जाती हैं.

सावन माह कब शुरू हो रहा है-

पचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के बाद श्रावण माह की शुरुआत होती है। 14 जुलाई  से शुरू हो रहा है। 

श्रावण माह में पड़ने वाले सोमवार व्रत कि तिथी-------

18 जुलाई को पहला सावन सोमवार व्रत

25  जुलाई दूसरा सावन सोमवार व्रत

1 अगस्त को तीसरा सावन सोमवार व्रत

8 अगस्त को चौथा सावन सोमवार व्रत

सावन की
 पुजा विधि -

सावन माह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस माह में शिव की पूजा से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। 
इस माह में सोमवार के व्रत से शीघ्र फल प्राप्त होता है। इस माह में शिव की पूजा से विवाह में आने वाली दिक्कतें दूर हो जाती हैं। सावन में शिव पूजा से सभी तरह के दुख की समाप्ति होती है। शिव पूजा से हमारे समस्त पाप का नाश होता है।
विधि-----
वैसे तो शिव भगवान् एक जल के लोटे से खुश हो जाते है पर हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान् शिव को धतूरा, भांग, भस्म, दुध, फल फुल और काले तिल बेहद प्यारे है ।अगर आप के पास इनमें से कोई भी सामग्री आप शिव को समर्पित करते हो तो यह पुजा करने के लिए बहुत ही अच्छे उपाय है।

गन्ने का रस ------
गन्ने का रस सावन में शिव पर चढाना अति उत्तम माना गया है, ऐसा माना जाता है कि गन्ने के रस से शिव को स्नान करवाने से हर मनोकामना पूरी होती है। यह उपाय सबसे उत्तम माना गया है सावन के महीने में। 

संतान प्राप्ति  के लिए----

जिन लोगों को संतान प्राप्ति में दिक्कत आ रही हो वह आक के फूल भगवान शिव को 41 दिन तक हर रोज मर्पित करें। इस उपाय से आपको हो जल्दी संतान की प्राप्ति होगी यह सब उपाय शास्त्रों के अनुसार बताए गए हैं।

 शिव पूजन की जानकारी-

 शिव का वाहन नंदी  वृषभरूप नंदी शिव का वाहन है व उसका शिव परिवार महत्वपूर्ण स्थान है । शिव के  दर्शन से पहले  नंदी के दर्शन करना चाहिये और फिर गणेश और शिव परिवार की पुजा करनी चाहिए सबसे बाद में  शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस प्रकार सावन महीने में लगातार 41 दिन का महत्व बताया जाता है, पूजा करने के लिए ।अगर आपके पास शिव को अर्पित करने के लिए कुछ भी नहीं है केवल एक जल लुटिया से भी भगवान् शंकर बहुत भोले हैं। वह बहुत जल्दी  खुश हो जाते हैं।  बस जरूरत है केवल भगत की  श्रद्धा  और भाव की।
शिवलिंग  की पुजा कैसे शुरू हुई- 
 स्वयंभू की शिवेच्छा से तैयार होकर किसी भक्त को साक्षात्कार होकर उनकी पूजा आरम्भ होनी शुरू हूई थी । इनमें शक्ति शिवतत्व इतनी ज्यादा होती है कि यदि ऊपर होती तो उसमें से बाहर निकलने वाली शक्ति हम सहन नहीं कर पायेंगें । पूजक जमीन पर लेटकर पेट के बल पडकर उसकी पूजा करता है । 

विशेष शिवलिंग -
ज्योतिलिंग अनन्त शक्ति वाले तेजस्वी रूप प्रकट होने वाला बारह ज्योतिलिंग है , इनकी शक्ति के बारे में या बताने में किसी भी प्राणी या मनुष्य के पास इतनी शक्ति या ज्ञान है ही नहीं , जो इस शक्ति का विवरण कर सके । 
ज्योतिलिंग दक्षिणमुखी होते हैं दक्षिणामुखी अधिक शक्तिमान होता है ।  
काठमण्डू ( नेपाल ) का पशुपति नाथ , इन बारह ज्योतिलिंगों का मुकुट माना जाता है । 
शालुंका का अन्दर का घेरा ( गोलाई ) , लिंग के घेरे से चार गुना हो तो उत्तम होती है , तीन गुणा घेरे वाली प्रथम और डेड़ गुणा घेरे वाली शालुंका मध्यम मानी जाती है । शालुंका का मुख उत्तर दिशा में होना उत्तम माना जाता है ।

 शिव लिंग- क्या आप जानते हैं ?
 प्रश्नः शालिग्राम और शिवलिंग के हाथ - पांव क्यों नहीं होते ?

 उत्तर- ईश्वर के प्रतीक चिन्ह ( मूतियों ) चार प्रकार से प्रकट होते हैं । 
1. स्वयंभू विग्रह- अपने आप प्रकट होने वाले ईश्वर कृत पदार्थ स्वयंम्मू विग्रह कहलाते हैं , जैसे सूर्य , चन्द्र , अग्नि पृथ्वी , दिव्य नदिया इत्यादि । 

2. निर्गुण निराकार विग्रह प्रकृति प्रदत्त निर्गुण निराकार विग्रह भगवान के निराकार निर्दोष निरंजन रूप के प्रतिनिधि माने जाते हैं ,
 जैसे- शालिग्राम , शिवलिंग नर्मदेश्वर , शक्ति पिंड , मिट्टी पिंड , रुद्राक्ष , सुपारी विरचित गणेश इत्यादि

 3- सगुण साकार विग्रह- शंख चक्र चतुर्भुज विष्णु , पंचमुख शिव , सिंहवाहिनी अष्टभुजा दुर्गा , लाक्षासिन्दूर वन्दन गणपति , जटाजूट , गंगाघट भालचन्द्र शंकर इत्यादि।
 
4. अवतार विग्रह -
धनुषधारी राम , वशी विभूषित कृष्ण , नृसिंह रूप विष्णु , दत्तात्रेय वगैरह - वगैरह । इनमें शिवलिंग , शालिग्राम , सुपारी आदि प्रतिमाएं निर्गुण निराकार का ही प्रतीक है । अतः उनमें हाथ - पांव आदि अंगों के अस्तित्व का प्रश्न ही निर्मूल है । शालिग्राम समस्त ब्रह्माण्डभूत नारायण ( विष्णु ) का प्रतीक है ।
 शिव - पूजन कैसे करें-

भगवान् शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन , पवित्री - धारण शरीर - शुद्धि और आसन - शुद्धि कर लेनी चाहिये । तत्पश्चात् पूजन सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्वलित कर ले , तदनन्तर स्वस्ति - पाठ करे । इसके बाद पूजन का संकल्प कर तदंगभूत भगवान् गणेश एवं भगवती गौरी का स्मरणपूर्वक पूजन करना चाहिये ।
 रुद्राभिषेक , लघुरूद्र तथा सहस्रार्चन आदि विशेष अनुष्ठानों में नवग्रह , कलश षोडशमातृका आदि का भी पूजन करना चाहिये । यदि ब्राह्मणों द्वारा अभिषेक कर्म सम्पन्न हो रहा हो तो पहले उनका पादप्रक्षालपूर्वक अर्ध्य , चन्दन , पुष्पमाला आदि से अर्चन करे , फिर वरणीय सामग्री हाथ में ग्रहणकर संकल्पपूर्वक उनका वरण करें । संकल्प- ॐ अद्य ... मम ... रुद्राभिषे कारव्ये कर्मणि
 एभिर्वरणद्रव्यै : अमुकामुकगोत्रोत्पन्नन् अमुकामुकनाग्नो ब्राह्मणान् युष्मानहं वृणे ।
 तदन्तर ब्राह्मण बोलें ' वृताः स्मः । ( स्वस्तिवाचन एवं गणपत्यादि - पूजन ) भगवान् शंकरजी की पूजा में उनके विशिष्ट अनुग्रह की प्राप्ति के लिये उनके परिकर - परिच्छद एवं पार्षदों का भी पूजन किया जाता है । यदि कोई भी पूजा का उपचार न जुट पाये या जुटाना आवश्यक हो तो उसे मन से तैयार कर चढ़ा देना चाहिये । जैसे - दिव्यमासनं मनसा परिकल्प्य समर्पयामि , पुष्पिता पुष्पमालां मनसा परिकल्प्य समर्पयामि आदि नन्दीश्वर- पूजा- ॐ आयं गौः पृश्रिरक्रमीदसदन मातरं पुरः । पितरं च प्रयन्त्सवः ।  इस प्रकार की हुई शिव की पुजा मनोकामना पूरी होती है और प्रत्येक सोमवार को श्रद्धा से  व्रत करने से करने से हर स्त्री को सौभाग्य सुख , संतान सुख सुख समृद्धि और भाग्य सुख अवश्य मिलता है।

Disclaimer-----
इस लेख में सारी जानकारी, गणना ज्योतिषियों, पंचांग, धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसे आप एक सूचना और सही मार्गदर्शन का माध्यम समझे।

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