होलाष्टक क्या है | होलाष्टक को अशुभ क्यू माना जाता है | holi festival celebration |


Tittle- होलाष्टक, होलिका दहन और धुलेंडी की पौराणिक महत्व और मुहूर्त विचार - बसंत पंचमी के बाद मानव पृकृति का भगवान् खुद अपने हाथों से सिंगार करते है , चारों तरफ रगं बिरंगे फूलो से धरती और बाग़ बगीचे सजे होते है ।यह रंग बिरंगे फूल हमारे मन को मोह लेते हैं। यह साल का सबसे अच्छा मौसम होता है। इसको हम बसंत के नाम से जानते हैं बसंत के इस मौसम   में फूलों की खुशबू अपनी महक के साथ प्रकृति में बिखरने लगती है।
होलाष्टक कया है - 

हमारे धर्म के अनुसार यह भी माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था, इसलिए इसी दिन से होलाष्टक की शुरुआत हुई।  होलााषट  यानी कल 10 मार्च से शुरू हो रहा है ,इसलिए इन दिनों में कुछ शुभ कार्योंं को टालना बहुत जरूरी हो जाता है। 
होलाष्टक पर कया करे और कया न करें- 
होलाष्टक का समय जाप, तप और ध्यान करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इन दिनों में ही भक्त प्रहलाद में भगवान विष्णु की अटूट भक्ति की थी। प्रहलाद के पिता हरिण्यकश्यप ने अपने पुत्र पर कई अत्याचार किए, कई बार उसे मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार विष्णु की कृपा से उसके प्राण बच गए। इन दिनों में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। अगर आप शिव जी के भक्त हैं तो शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। हनुमान जी के भक्त हैं तो हनुमान मंदिर में दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इन दिनों भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बालगोपाल की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। होलाष्टक के दिनों में नकारात्मकता ज्यादा सक्रिय रहती है। इस वजह से हमारे विचारों में भी नकारात्मकता बढ़ जाती है। होलाष्टक में मन को शांत और सकारात्मक रखने के लिए ध्यान करें और भगवान का ध्यान करेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
होलाष्टक से जुडी़ मान्यताओं को भारत के कुछ भागों में ही माना जाता है। होलाष्टक मुख्य रूप से पंजाब और उत्तरी भारत में ज्यादा मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,  गुजरात, गोवा आदि राज्यों में अलग-अलग ढंग से होली मनाई जाती है।

होलिका दहन के पूर्व होलाष्टक 8 दिन का माना जाता है। होलाष्टक में कोई भी नया शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इन आठ दिनों में मांगलिक कार्य, गृह निर्माण और गृह प्रवेश आदि के सभी कार्यों पर रोक रहेगी। होलाष्टक के आठ दिनों में किए गए शुभ कार्य अशुभ फल देते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी नया कार्य शास्त्र सम्मत नहीं माना जाता है। इसलिये इन दिनों में भूलकर भी गृह प्रवेश और नए घर की नींव स्थापित ना करें क्योंकि यह बहुत ही अशुभ दिन माने जाते हैं अगर आप भी अपने नए घर में जाने के प्लान बना रहे हैं तो इसके लिए सबसे अच्छे समय नवरात्रि 1 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं वह माना जाता है होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता जितना हो सके इन दिनों को avoid करे

इन ग्रहों में सूर्य, चंद्रमा, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु शामिल हैं। इन ग्रहों के उग्र रहने से मांगलिक कार्यों मे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस वजह से मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। आइए जानते हैं कि होलाष्टक में किन-किन कामो को नहीं करना चाहिए।

* होलाष्टक में कभी भी विवाह, मुंडन, नामकरण, सगाई समेत 16 संस्कार नहीं करने चाहिए।

* होलाष्टक के दिनों में नए मकान, वाहन, प्लॉट या दूसरे प्रॉपर्टी की खरीदारी से बचने की सलाह दी जाती है।

* होलाष्टक के समय में कोई भी यज्ञ, हवन आदि कार्यक्रम नहीं करना चाहिए। उसे होली बाद या उससे पहले कर सकते हैं।

*होलाष्टक के समय में कोई भी नया बिजनेस शुरु करने से बचना चाहिए। इस समय में ग्रह उग्र होते हैं। नए बिजनेस की शुरुआत के लिए यह समय अच्छा नहीं माना जाता है। ग्रहों की उग्रता के कारण बिजनेस में हानि होन का डर रहता है।

 *इसलिए जितना हो सके 
गृह प्रवेश और नए घर की नींव स्थापित ना करें क्योंकि यह बहुत ही अशुभ दिन माने जाते हैं अगर आप भी अपने नए घर में जाने के प्लान बना रहे हैं तो इसके लिए सबसे अच्छे समय नवरात्रि 1 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं वह माना जाता है। होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता जितना हो सके इन दिनों को avoid करे। शुभ काम करने के लिए नवरात्रि का इन्तजार करे।



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