महिला दिवस निबंध कैसे लिखें | Happy women's day thoughts | महिलाओं के लिए सुविचार |

Women day topic in hindi-
आज पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जाता है। 8 मार्च 2022 को आज महिला दिवस है।
औरत की पहचान- औरत के कई रूप हैं जो मां, बहन, बीवी और नारी शक्ति के रूप मे लिए जानी जाती है। हम सबके लिए मां का चरित्र तो और भी अधिक महत्व रखता है ।जिसने हमें पूरे 9 महीने अपने पेट में रखकर और सख्त से सख्त तकलीफ सहकर और कोई सैकड़ों परहेज करके जिंदगी और मृत्यु के मध्य लटक कर उसे जन्म दिया और शरद सर्दी की रातों में बच्चे के पेशाब से तब बिस्तर को बदल बदल कर स्वयं पेशाब से तर बिस्तर पर सोना और बच्चे को सुखी बिस्तर पर चलाना और ढाई 3 वर्ष तक मल मूत्र से उसको साफ करना, क्या हमारे लिए महत्व नहीं रखता है।
 गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं, विष्णु के समान कोई पूजनीय नहीं, मां के समान कोई और दुनिया में पूज्य देवता नहीं।
 मां सर्वोपरि नारी मां है, बेटी है, दोस्त है,   माँ ममता की देवी है, स्नेह का भंडार है, और त्याग दया की स्वामिनी है।
 श्री तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में माँ  सती अनुसूया द्वारा सीता को दी गई पतिव्रत शिक्षा का वर्णन किया है।  उसकी प्रत्येक पंक्ति भारतीय स्त्री के लिए आदर्श व स्मरण योग्य है। भागवद में भी कहा गया है कि जो स्त्री पति में हरीभाव रखकर लक्ष्मी की तरह उसकी सेवा करती है वह बैकुंठ में हरी कोई ही प्राप्त होकर लक्ष्मी की भांति आनंद प्राप्त करती है।
 पति-पत्नी की अर्धांगिनी और परम मित्र है, संसार में जिसका कोई सहायक ना हो उसकी पत्नी जीवन यात्रा में उम्र भर साथ देती है।
 स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं एक की अनुपस्थिति में दूसरे के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पति और पत्नी रूपी दो पहिए की गाड़ी को मंजिल तक पहुंचाने के लिए एक दूसरे के जीवन भर साथ देते हैं। यदि कोई पति सफल होता है निश्चय ही उसकी पत्नी को उस में पूर्ण योगदान होता है। इसी तरह यदि कोई पत्नी सफलता के शिखर पर पहुंचती है तो उसके पति के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। यदि कोई पिता, भाई, बेटा ,प्रिय मित्र के रुप में महिला का कोई सहयोग ना करें तो इस्त्री भी सफलता अर्जित नहीं कर सकती। ईश्वर ने स्त्री की रचना करते समय उसमें अन गणित भावों को भरा  प्रेम ,करूणा, वात्सल्य की मूर्ति के रूप में स्त्री से अपने भीतर कई तरह के किरदारों को समेटे परिवार के प्रति पूरी तरह समर्पित होती है। वह बचपन में आज्ञाकारी बेटी, युवावस्था में अपने छोटे भाई बहनों के लिए मार्गदर्शक, मां-बाप का सहारा और भाई को संबल होती है। शादी के बाद वह अपने नए जीवन की शुरुआत ससुराल से करती है वहां एक ही समय में समझदार पत्नी, आज्ञाकारी बहू, है। ननंद और देवर की दोस्त बनकर ससुराल के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करती हैं।
 इन सब किरदारों के बीच प्रत्येक स्त्री के जीवन में फिर वह क्षण भी आता है जब उसका बचपन की एक बार बेटा या बेटी की शक्ल में उसकी गोद में अठखेलियां करने लगता है।
 किसी भी स्त्री की पूर्णता मां के रूप में ही पूर्ण मानी जाती है। अपने जीवन के इतने पडावो को पार करने के बाद औरत अपने ही अस्क अपनी संतान के रूप में देखकर पुलकित हो होती है। यही जीवन  उसे पूर्ण होने  का एहसास कराता है।  मां के रूप में स्त्री अपने बड़े हो रहे बच्चों को गुरु की भांति सामाजिक जीवन की व्यवहारिक शिक्षा देती है। अपने पति और बच्चों के बीच भावनाओं को सेतु बनकर दोनों पक्षों को समान रूप से तवज्जो देती है।औरत कुदरत की बनाई हुई 
सृष्टि की सबसे सुन्दर
रचनाओं मे से एक है ...!!

* औरत की कोख के  बिना तो भगवान्  भी जन्म नहीं  लेते ..!!


औरत घर को स्वर्ग बना देती है-
एक गुणवान औरत एक उजड़े हुए,अशांत, क्लेश, दुखी घर को स्वर्ग बना सकती हैं। घर में सुख शांति, अनंत, खुशियां, हंसी की आवाज सबसे प्रेम पूर्ण व्यवहार प्रत्येक दिन बड़ों को चरण स्पर्श छोटों को दुलार, सारे गुण सिर्फ एक अच्छी गृहणी ही पैदा कर सकती है। एक गुणवान औरत प्रत्येक दिन सुबह और शाम प्रभु नारायण की पूजा पाठ, धूप दीप आरती करती हैं, जिससे पूरे घर के वातावरण पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। सद ग्रहणी कभी थकती नहीं, कभी हार नहीं मानती कठिन से कठिन कष्टों में मुसीबतों में भी मुस्कुराती रहती है। उसके कारण घर के  सारे कष्ट कट जाते हैं। वहां पर शांति सुख प्रेम आनंद ही आनंद हो जाता है।
स्त्री को प्रभु नारायण सेवा भाव, उसके स्वभाव में दिया है। उसके बोलने में मिठास है, न नम्रता है, प्यार भरा है ,नारी एक सेवा की सुंदर मूर्ति है। सास ससुर की सेवा पति की सेवा ,बच्चों की सेवा ,ननंद देवर की सेवा, अतिथि की सेवा, रोगियों की सेवा एक नारी ही कर सकती है ,और और एक सद्दग्रहणी प्रत्येक घर में यह काम कर रही है। सेवा एक ऐसा मंत्र है जिसके द्वारा सभी को वश में किया जा सकता है सेवा करने के खेल में कुछ पाने की लालसा यह अभिमान का भाव नहीं आना चाहिए ।सेवा करने वाले को जो आत्म संतोष और परम आनंद की प्राप्ति होती है। वह एक अमूल्य धन है। यह बात एक ग्रहणी से बहुत अच्छी तरह जानती हैं।
मां लक्ष्मी कहती है, जो औरत घर के बर्तन झूठे छोड़कर इधर-उधर घूमती फिरती रहती है। हमेशा पति के खिलाफ बोलती है, दूसरों के घरों में घूमने फिरने की अशक्त रहती है, और लज्जा छोड़ देती है तो ऐसी औरतों से मैं हमेशा दूर रहती हूं।
 जो स्त्रियां सत्यवादिनी  और अपने सौम्य वेशभूषा के कारण देखने में प्रिय हती हैं,
सौभाग्यशाली , गुणवती, पतिवर्ता एव कल्याणमर में अचार विचार वाली होती हैं ऐसी स्त्रियों के साथ में सदा निवास करती हूं।
 एक नारी घर परिवार की धूरी और निर्माता है। जिस घर में सदा चारणी और पवित्र पतिव्रता नारी होगी उस घर में पवित्रता की वर्षा अपने आप हो जाएगी। वह घर स्वर्ग के समान है। भगवान भी पवित्रता के साथ ही उठते बैठते हैं। सती व पतिव्रता नारी निश्चित रूप से श्रेष्ठ व पवित्र आचरण ही करेगी ,बच्चों के निर्माण में मां की  भूमिका ही अहम होती है ।बच्चे की पहली गुरु उसकी मां होती है । एक कहावत के अनुसार माँ ही जब है अज्ञान तो बच्चे कैसे बनेंगे महान। "
 माता के पवित्र सदाचार का बच्चो पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और बच्चे अच्छे व सदाचारी बनेंगे तो धरती पर स्वर्ग बनेगा ही। जिस घर के निवासी पूजन करते हैं उस घर पर परमात्मा की कृपा बरसती है। जहां बालक अपने माता-पिता के आज्ञाकारी हैं, पतिवर्ता, आज्ञाकारिणी, पत्नी हो वहां स्वयं भगवान् के आनंद की वर्षा अवश्य होगी। सारे शास्त्रों के अनुसार संत महात्मा आदि का यही कहना है, एक दुराचारी नारी जहां रहेगी वहां पर पहले कलेश होगा और अशांति  ही रहेगी।  जिस घर में औरत अपने घर की सुख शांति और समृद्धि की कामना करती है और किसी भी काम को लेकर कलेश नहीं करती,वहां मां लक्ष्मी खुद आकर निवास करती है ।
इसमें किसी भी प्रकार का शंका नहीं है।वो औरतें धन्य हैं जो अपने परिवार की सेवा परमात्मा की सेवा समझकर करती हैं।  उस घर में भगवान खुदा का निवास करते हैं।
अगर आज आपको मेरा यह लेख अच्छा लगा हो तो प्लीज इसे अपने चाहने वाले और दोस्तों को शेयर जरूर करें, क्योंकि आज हम महिला दिवस मना रहे हैं। महिला हमारे लिए किसी देवी से कम नहीं है, इसलिए महिलाओं का आदर करें और उनको सम्मान दें। जो आप महिला को देंगे वही आपको वापस मिलेगा। अगर आप औरत को इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी ।इसलिए औरतों की इज्जत करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़े जितना हो सके मान सम्मान दे कयोंकि वह सिर्फ आदर की भूखी होती है इसलिए उनको मान सम्मान जरूर दें ।

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