बैशाखी की बधाई संदेश ||बैशाखी का त्यौहार क्यू मनाया जाता है || bashakhi festival ||


Tittle- बैशाखी के बधाई संदेश और बैशाखी का महत्व- 
यह महापर्व हर साल 13 अप्रैल को बड़े उल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। सबसे जयादा यह  पजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। इसे हम नववर्ष भी कहते हैं। 
इस दिन सूर्य पहली राशि मेष में  प्रवेश करता है, इसलिए इसे हम मेष सक्रांति भी कहते हैं। धारणा है कि बैशाखी के दिन रात बराबर होते हैं, इसलिए बैशाखी के त्यौहार  सवंत्सर भी कहा जाता है। इस बात का बहुत बड़ा महत्व है कि इस  दिन सूर्य अपने कक्षा के उच्चतम बिंदुओं पर पहुंचता है।उसके तेज से शित की अवधि समाप्त होने शुरू हो जाती है तथा पृथ्वी पर नवजीवन का संचार होता है। इसी बैशाखी  वाले पावन दिवस पर 1875 में महान संत स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना की थी ।जो सामाजिक क्रांति का प्रतीक माना जाता है।

विश्व भर में बौद्ध  लोग यह पर्व 2500 से अधिक वर्षों से मनाते आ रहे हैं। 600 साल पहले बोधगया में महात्मा बुध को ज्ञान प्राप्त हुआ था । इस पावन दिवस का संबंध प्रकृति से भी बहुत बड़ा जुड़ा हुआ है यह दिन फसल पकने का प्रतीक माना गया है ।धारणा है कि अगर इस दिन वर्षा हो और बिजली चमके तो उस वर्ष फसल बहुत अच्छी होती हैं ।अगर 1 अप्रैल को वीरवार हो और रोहिणी नक्षत्र का योग हो तो अन्न बहुत  होता है।  इस दिन की शुरुआत प्रकृति पूजा के साथ जुड़ा हुआ जो बहुत ही प्राचीन काल से माना जाता है।

 बैैैैैशाखी का शुभ दिन जहां हमारे लिए असीम उल्लासकारी दिन है वहीं यह हमें 13 अप्रैल 1919  उस घटना की याद भी दिलाता है जब जलियांवाला बाग अमृतसर में एकत्रित हजारों आजादी के परवानों को पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सर  माइकल ओ डायर के आदेश पर अंग्रेज सेना के अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड ई. एच गोरखा पलटन कि  सिख रेजीमेंट 25 राईफलो से 379 व्यक्ति मार दिये तथा 1200 लोगों को को घायल कर दिया था।
अमृतसर सेवा सोसायटी द्वारा घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने पर मरने वालों में 42 छोटे-छोटे बच्चे थे, जिनमें सबसे छोटा बच्चा 7 महीने का था । भारत सरकार द्वारा जलियांवाला बाग एक trusts, म्यूजियम,  पुराना कुआं जिसमें कुद कर जान गवाई थी जहां गोलियों के निशान आज भी मौजूद है इन सबका रखरखाव एक trust को सौंपा गया है।
 अभी हाल ही में सरकार द्वारा इन शहीदों की याद में एक जोत जलाई गई है। जो हमें जान कुर्बान करने वाले शहीदों  की याद को ताजा कर देते है।
बैसाखी त्यौहार जहां हमारी खुशियां लाता है वही हमें वह  हमें जलियांवाला बाग की उस दुख भरी घटना की भी याद दिलाता है।
BESHAKHI WISHES IN HINDI- 

1.बैसाखी आईं साथ मे खुशियाँ लाई है, मेरे बाबा की फसल भी पक आई है ।


Best wishes-

आज मुस्कुराया है हर चेहरा, हर ओर ख़ुशी है छाई,

खुशियों के त्यौहार है बैसाखी

  आप सभी को डेर सारी बधाई  ...।

Best wishes- 

2. खुशबू तेरी यारी दी साणूं महका जांदी है,

तेरी हर इक किती होयी गल साणूं बहका जांदी है,

साह तां बहुत देर लगांदे ने आण जाण विच,

हर साह तो पहले तेरी याद आ जांदी है।

Best wishes--

3. नए दौर, नए युग की शुरुआत, सत्‍यता, कर्तव्‍यता हो सदा साथ,

बैसाखी का यह सुंदर पर्व, सदैव याद दिलाता है, मानवता का पाठ।



4. नचले गाले हमारे साथ,

आई है बैसाखी खुशियों के साथ,

मस्ती में झूम और खीर पूरी खा,

और न कर तू दुनिया की परवाह,

2022 बैसाखी मुबारक हो...।


5. नाचो-गाओ, खुशी मनाओ,

आई है बैसाखी, चलो जश्‍न मनाओ,रखकर सब चिंताओं को एक आरे मिलकर गीत खुशी के गाओ और बैसाखी का त्‍योहार मनाओ..।

6. भंगड़ा पाओ, खुशी मनाओ त्यौहार है बैसाखी का,

बैसाखी आई, साथ में ढेर सारी खुशियां लाई,

मिलकर सब बंधु भाई, खुशी मनाओ त्यौहार है बैसाखी का.

बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं 2022...।


7. आप प्यार और खुशी के साथ फसल के त्यौहार की कामना करते हैं.आशा है कि भगवान आपको सबसे अच्छी, खुश बैशाखी प्रदान करें....। 


8. बैसाखी का खुशहाल मौका है, ठंडी हवा का झौंका है, पर तेरे बिन अधूरा है सब, लौट आओ हमने खुशियों को रोका है!!

9. खुशबु आपकी यारी की हमें महका जाती है, आपकी हर एक की हुई बात हमें बहका जाती है, सांसें तो बहुत देर लगाती हैं आने-जाने में, हर सांस से पहले आपकी याद आ जाती है!!


10. बैसाखी आई साथ मे 

फसल लाइ ,मेरे घर में बहुत सारी खुशियाँ लाई। 


11. सुनहरी धूप हो थोड़ी सी बरसात हो, हर खुशी आपके साथ हो ,बैशाखी की हर खुशी आप के पास है।

12. सुबह शयाम तक बरसे वाहेगुरु की कृपया, बैशाखी आई आपके घर लाये बहुत सारी खुशियाँ लाये।


क्यु पड़ा बैसाखी नाम..?

बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है. विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं. कुल मिलाकर, वैशाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है. इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है.

देश के अलग-अलग जगहों पर इसे अलग नामों से मनाया जाता है-जैसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु के नाम से लोग इसे मनाते हैं.

फसल पकने का उत्सव है बैशाखी-

सूर्य की स्थिति परिवर्तन के कारण इस दिन के बाद धूप तेज होने लगती है और गर्मी शुरू हो जाती है. इन गर्म किरणों से रबी की फसल पक जाती है. इसलिए किसानों के लिए ये एक उत्सव की तरह है. इसके साथ ही यह दिन मौसम में बदलाव का प्रतीक माना जाता है. अप्रैल के महीने में सर्दी पूरी तरह से खत्म हो जाती है और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है. मौसम के कुदरती बदलाव के कारण भी इस त्योहार को  बैशाखी के नाम से मनाया जाता है।

इस तरह आप अपने बच्चों को अपने त्योहारों के बारे में जरूर बताएं और उनका महत्व समझाएं कि क्यों हम कौन सा त्यौहार किस वजह से मनाते हैं, ताकि हमारे आने आने वाली पीढ़ियां हमारे संस्कारों का पालन कर सकें। हमारे बच्चे  अपने धर्म की रक्षा करने की सिख जाये। आप सब को अपने परिवार और रिश्तेदारों को वैशाखी की बधाई  देकर नए साल की नई शुरुआत करें और अगर आपको यह मेरा टॉपिक अच्छा लगा तुझे अपने चाहने वाले और दोस्तों में जरूर शेयर करें।





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