शराब की लत कैसे छोड़े || शराब की आदत छोडने के लिए प्रेरणादायक कहानी || शराब पिने के नुकसान |


Tittle- motivational story-  शराब की लत को छोड़ने के लिए कया करें। 
एक इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है वह अपने बुरी से बुरी आदत को छोड़ सकता है बस जरूरत है उसके अंदर अपनी इच्छा शक्ति को जगाने की, अगर इंसान ने अपने बुरी लतों को छोड़ने के लिए अपनी इच्छा शक्ति को जागृत कर लिया फिर कुछ भी असंभव नहीं है । आज मैं आपके साथ एक ऐसी ही कहानी शेयर करने जा रही हूं। इसे पढ़कर हो सकता है आपके किसी का जीवन बदल जाए। नशा चाहे किसी भी प्रकार का है वह हर तरह से बुरा ही है। वह किसी भी तरह से अच्छा ही नहीं है, नशे की सही परिभाषा सिर्फ इंसान का नाश करना है।

Motivational story by बिनोबा भावे - 


यह कहानी आचार्य विनोबा भावे से जुड़ा हुआ एक ऐसा  किस्सा है जो किसी इन्सान की बुरी आदतों को छुड़वाने में मदद कर सकती हैं। एक युवक विनोबा जी के पास पहुंचा और बोला, 'मैं अपनी शराब पीने की लत से बहुत परेशान हूं। बड़ी उम्मीद से आपके पास आया हूं। आप मेरी शराब की आदत छुड़वा दीजिए। मैं चाहता हूं कि ये आदत छूट जाए, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। ये शराब  कब मेरा पीछा छोड़ेगी। आप कुछ करिए।'

विनोबा जी ने उस युवक की सारी बात  सुनीं और कहा, 'देख भाई, आज तो मैं कुछ कर नहीं पाऊंगा। एक काम करो, कल का दिन  बहुत शुभ है, तुम कल आ जाओ।'

युवक अगले दिन फिर उम्मीद के साथ विनोबा जी के पास पहुंच गया। वह विनोबा जी की कुटिया के बाहर खड़ा था, उसने इधर-उधर देखा, लेकिन उसे विनोबा जी कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे।  थोड़ी देर बाद युवक ने जोर से आवाज लगाई, 'बाबा जी आप कहां हैं, मैं आ गया हूं। अगर आप अंदर हैं तो क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ...'

कुटिया के अंदर से आवाज आई, 'ठहरो, मैं खुद बाहर आने की कोशिश कर रहा हूं।' ये सुनकर वह युवक चौंक गया और बोला, 'आप कोशिश कर रहे हैं बाहर आने की?' विनोबा जी बोले, 'हां, मैं कोशिश कर रहा हूं, लेकिन बाहर नहीं आ पा रहा हूं। एक खंबे ने मुझे पकड़ लिया है।'

वह युवक तुरंत ही कुटिया के अंदर गया और देखा कि विनोबा जी एक खंबे को पकड़कर खड़े हैं। वह युवक बोला, 'आप ये क्या कर रहे हैं? खंबा छोड़ दीजिए। जैसे ही आप खंबे को छोड़ेंगे, आप उससे अलग हो जाएंगे। फिर आप बाहर आ सकते हैं। आप कह रहे हैं कि खंबे ने आपको पकड़ा है, जबकि सच तो ये है कि आप ने खंबे को पकड़ रखा है।'

विनोबा जी ने मुस्कारते हुए कहा  बस यही बात तो मैं  तुम्हें समझना चाहाता हूँ । शराब  ने तुम्हें नहीं पकड़ा है, तुमने उसे पकड़ रखा है। नशा करने वाले, गलत काम करने वाले लोग अपनी गलती नहीं मानते हैं, ये लोग दूसरों की गलतियां देखते हैं। तुम तैयार हो जाओ शराब छोड़ने के लिए, संकल्प करोगे तो ये बुरी आदत  जरूर छूट जाएगी।'

कहानी से सीख - 

विनोबा जी ने  इस कहानी के माध्यम से यह संदेश दिया है कि अगर हम बुरी लत छोड़ना चाहते हैं तो बहाने न बनाएं। लत छोड़ने का संकल्प ले लेंगे तो लत से छुटकारा मिल जाएगा।
कोई भी बुरी आदत हो या मनुष्य कुछ करने की ठान ले तो कुछ भी असम्भव नही होता।
अगर आपको मेरी यह कहानी अच्छी लगी हो तो प्लीज अपने चाहने वाले और दोस्तों में जरूर शेयर करें, हो सकता है किसी की यह कहानी जिंदगी बदल सकती हैं, क्योंकि एक अच्छा विचार भी इंसान की जिंदगी बदल सकता है. 

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