लस्सी पिने के फायदे | दही और लस्सी के फायदे| दही और लस्सी मे अन्तर |


 Tittle दही और लस्सी पीने के फायदे-
दूध को जमाने पर थोड़ा सा खट्टा लगाने पर दुध जब दही में तब्दील हो जाता है, उसे हम दही कहते है। दही अब  दूध से अधिक गुणकारी हो जाती है,कयोंकि दही के अन्दर दुध और दही दोनों के गुण आ जाते है।
 अच्छी तरह से जमा मीठा रस वाला और थोड़ा सा खट्टापन लिए दही का सेवन करना चाहिए। दही का सेवन दो से 4 तोले की मात्रा से अधिक नहीं करना चाहिए। गर्म करके जमा हुए दूध का दही रुचिकारक, पित और वायु को हरने  वाला और सभी धातुओं एवं जठराग्नि को बल को बढ़ाता है। 

दही खाने के स्वास्थय लाभ-
 मलाई से निकाले हुए दुध का दही  तुरंत दस्त को रोक देता है।  वह ठंडा वायुकारक, दही पचने मे हल्का, मल को भी रोकने वाला होता है, अग्नि को प्रदीप्त करने वाला, रुचि उत्पन्न करने वाला और संग्रहणी रोग को मिटाने वाला होता है।
 छाना हुआ दही वायुनाशक,
 कफकारक, बलवर्धक, पोष्टिक और मधुर होता है। यह अधिक पितकारक नहीं होता ।
दही खाने से स्वास्थय लाभ -
दही खाने से चाहे वह भैंस के दूध की हो या गाय की दूध की इसको खाने से पीनस श्वास, खांसी, संग्रहणी, बाबासीर आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।

दही कब न खाये-
दही दूध का सेवन कभी भी रात को नहीं करना चाहिए यदि आप रात में दही खाना चाहते हो तो फिर चीनी डालकर खाने चाहिए और जुकाम होने पर कभी भी भूलकर दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
जिन लोगों को अस्थमा और साइनस की प्रॉब्लम रहती है, वह भी कभी रात को दही ना खाएं।

मट्ठे (लस्सी) का प्रयोग-
 मट्ठा को छाछ भी कहते हैं। इसमें विटामिन ए, बी और सी पाया जाता है। दही को मथ कर मट्ठा बनाया जाता है। यह अर्श, अतिसार, मंदाग्नि, वायुगोला, संग्रहणी, सुजाक, शूल आदि रोगों को ठीक कर देती है। जिन को भूख नहीं लगती, पाचन की शिकायत रहती है, खट्टी डाकारे  आती हो, सीने में घबराहट हो आदि रोगों के लिए है अमृत के समान हैं।

गाय के दूध से बना हुआ मठ्ठा अधिक लाभकारी माना जाता है। यह पेट के रोगों से पीड़ित लोगों के लिए दूध पीने से ना हजम होता तो मटठा के सेवन करने से पेट का हाजमा ठीक हो जाता है। आयुर्वेद में इनके पाँच गुण बताए गए हैं।

 लस्सी  के फायदे-
 दही और लस्सी दोनों के पीने से शरीर को प्रोटीन, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे तत्व मिलते हैं, जो हमारे शरीर के लिए गर्मी में बहुत ही जरूरी माने जाते हैं। यही वजह है कि गर्मियों में प्रतिदिन लस्सी पीने से कई प्रकार के फायदे होते हैं। यह दोनों हमें ठंडक प्रदान करती है और साथ में हमारे चेहरे पर चमक आ जाती है।

 लस्सी का सेवन करने से इसमें हींग, जीरा और सेंधा नमक मिलाकर पीने से वायु रोग को ठीक कर सकता है। 

लस्सी प्रतिदिन पीने से यह बवासीर ,मस्से, दस्त को ठीक करता है। यह रुचिवर्धक, पुष्टिदायक, बलवर्धक और पेट के रोगों के लिए बहुत ही लाभदायक माना जाता है।

 हाई बीपी के लिए-
 यह बीपी को नियंत्रित करता है। हम सब ज्यादातर लोग दोपहर के खाने के समय लस्सी और दही खाना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं, और यह हमारे लिए बहुत ज्यादा लाभदायक भी है, क्योंकि यह हमारे बड़े हुए बीपी की परेशानी को कम करता है। जिन लोगों का हाई बीपी की परेशानी रहती है उन्हें गर्मियों में लस्सी और दही का जरूर सेवन करना चाहिए।

पाचन क्रिया के लिए लाभदायक-
गर्मी के समय पेट के लिए लस्सी और दही बहुत ज्यादा लाभदायक है, क्योंकि गर्मियों के दिनों में हमारे शरीर को गर्मी बहुत ज्यादा लगती है। इसलिए प्रतिदिन लस्सी, दही खाने की सलाह दी जाती है। लस्सी और दही खाने से पेट जल्दी साफ होता है और साथ में पाचन क्रिया दिन भर दुरुस्त रहती है। इसलिए सुबह या दोपहर के इनमें से एक चीज का  जरूर सेवन करें।

तनाव  से बचाती है-
आजकल इस भाग दौड़ भरी दुनिया में हम अपने शरीर पर इतना ध्यान नहीं देते। जिसकी वजह से हम अक्सर तनाव में आ जाते हैं, लेकिन लससी का सेवन करने से हम तनाव से बच सकते हैं, क्योंकि इन दोनों में ही तनाव से बचने के लिए बहुत ज्यादा सहायक माना जाता है। लस्सी पीने से हमारे शरीर की ऊर्जा मिलती है। जिसे हमें थकान नहीं रहेगी और तनाव भी नहीं होगा। इसलिए इन दोनों का पीना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है।
 
लस्सी के गुण-
लस्सी एक ऐसा तरल पदार्थ है इसमें से सारा मक्खन निकाल लिया गया होता है, और यह मट्ठा हल्की और सुपाच्य हो जाती है। जिससे कुछ मक्खन निकाला गया हो वह मट्ठा थोड़ा भारी होता है। यह वष्य और कफकारक होता है। जिसमें जरा सा भी मक्खन ना निकाला गया हो वह मट्ठा भारी और कफकारक होता है। लस्सी  शीतल और तृषा को दूर करती है।  यह बहुत ही गुणकारी मानी जाती हैं। नमक से युक्त छाछ अग्नि वर्धक है। लससी हमारे घर का एक तरह से डॉक्टर है।

अजीर्ण होने पर लाभदायक -
 अजीर्ण होने पर होने पर सोंठ  , काली मिर्च, पिपर और सेंधा नमक संमभाग मिलाकर पीसकर चूर्ण बनाकर छाछ में डालकर पीने से बहुत जल्दी लाभ होता है। अथवा काली मिर्च, सेंधा नमक का चूर्ण बनाकर लस्सी में डालकर पीने से ठीक हो जाता है। लस्सी में पीपर पीपरामूल, चवक, चित्रक, सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से भोजन के बाद पेट भारी होने के कष्ट को दूर कर देती है, और दस्त लगने पर लस्सी में  बर्फ मिलाकर पीने से बहुत जल्दी दस्त बंद हो जाते हैं।

दही और लस्सी मे अन्तर-

दही दूध में थोड़ा सा खट्टा लगाने पर दूध का दही बन जाता है और फिर उसी दही को बहुत अच्छी तरह मथने पर मक्खन निकलाने पर लस्सी बन जाती है।  दही की परत थोड़ी मोटी होती है और उसी दही में पानी डाल कर मथने  से  लस्सी  बन जाती है। आयुर्वेद के अनुसार दही को मथने से उसकी वैल्यू और ज्यादा बढ़ जाती हैं। दही को मथने से वह छाछ में बदल जाती है और उसकी प्रोटीन की संरचना बदल जाती है। जिससे उसको आसानी से पचाने में मदद मिलती है।
 
 दोनों के गुण-
यह दोनों दूध के ही रूप हैं और दोनों ही बहुत ज्यादा गुणकारी हैं। अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं और अपने खान-पान पर संयम बरतकर अपने भोजन में  लस्सी  को शामिल करके अपना वजन कम कर सकते हैं, और जो लोग अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं वह खाने में दही ज्यादा मात्रा में खाएं।

यह दोनों पाचक व मल को बांधने वाले होते हैं। यह पेट की वायु  को दूर करते हैं।  यह दोनों हमारे लिए गुणों की खान है और हम सबके घर में या बहुत आसानी से मिल भी जाते हैं। इसलिए जितना हो सके गर्मियों में दही और लस्सी का सेवन करें क्योंकि हमारा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। स्वास्थ्य के लिए दवाइयां खाने से बेहतर है अपना घर का बना हुआ सामान खाया जाए क्योंकि बाहरी वस्तुओं में बहुत तरह के केमिकल मिले होते हैं। जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित होते हैं।


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