जीवन के लिए अनमोल वचन || परिवर्तन से डरे नहीं बल्कि उसका सामना करें || समस्या का समाधान कैसे करें ||

Tittle- जीवन में परिवर्तन से डरें नहीं बल्कि लाभ उठाएं-
जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव को एक नए परिवर्तन के अवसर के रूप में देखना शुरू करें,कयोंकि  स्मार्ट लोग परिवर्तन को भी लाभ उठाने के  रूप में देखते हैं । जिन्दगी में  सफल होने के लिए यह नजरिया परिवर्तन का स्वागत  हम नए अवसर के रूप में कर सकते हैं । आप किसी मुश्किल समय  को अपना उत्साह दोबारा जाग्रत करने  के लिए बेहतरीन तरीके के रूप में देख सकते हो । जब भी जीवन में परिवर्तन तो होगे तो आपको खुद को सम्भालना भी होगा । 

अंति संवेदनशील होना ठीक नहीं -
जिंदगी में आपको हर क्षेत्र की बारे में सोचना चाहिए जो आप कर सकते हो। ताकि  उनको हासिल  करने की आपकी  संमभावनाओं में बढोतरी  हो । खुद से जुड़ी परिस्थितियों पर नियंत्रण  करना सीखें । 
आर्थिक रूप से आप तभी कामयाबी हसिल करेंगे जब यह स्वीकार करेंगे कि आप जो बनना चाहते हैं , वह आप पर ही निर्भर करता है । आप ही उसके लिए जिम्मेदार है कयोंकि लोग हमें सलाह दे सकते हैं पर हमारे लिए वह कुछ कर नहीं सकते। अगर जीवन में सफल होना है तो खुद ही आगे बढना होगा अपनी सुरक्षा और प्रगति के लिए ।
  अपनी आदतों को बदले और मजबूत प्लान बनाएं-
किसी बुरी आदत का एहसास होना ही  अपने आप को बदलने के लिए सबसे बड़ी बात है । अपनी बुरी आदत को सुधारने के लिए अपने ऊपर कडी नजर रखे और उन उलझनों के  बारे में सोचो जो आप को लक्ष्य तक पहुँचने में कठिनाई पैदा कर रही है। और फिर उसके मुताबिक उनसे निबटने का अपना प्लान तैयार करें । 

दयानंद सरस्वती के विचार -
* अज्ञानी होना गलत नहीं - लेकिन ,अज्ञानी बने रहना सबसे जयादा गलत है। 

*दयानंद सरस्वती  जी कहते है कि सेवा का उच्चतम रूप उसकी मदद करना है जो बदले में धन्यवाद देने में असमर्थ है।

* दुनिया को आप अपना सर्वश्रेष्ठ दें , आपके पास भी सर्वश्रेष्ठ ही लौटकर आएगा । 

* मनुष्य को दिया गया सबसे बड़ा  गुण परमात्मा को इनसान की आवाज है।  यह इन्सान के लिए किसी वाध संगीत से कम नही है। 

* लालच एक ऐसा  अवगुण है,जो प्रत्येक दिन बढ़ता है, जब तक इंसान का पतन नहीं हो जाता ।

 *अहंकार यह स्थिति है , जिसमें इंसान अपने मूल कर्तव्यों को भूल विनाश की ओर बढ़ता है । •

*कार्य को करने से पहले सोचना अक्लमंदी है करते हुए  सोचना सावधानी है , करने के बाद सोचना मूर्खता है ।

 *जीवन जीने के उच्च सुविचार-

* जिंदगी में अगर कुछ बातों को सवभाव में उतार लिया जाए तो अच्छी बातें अपने आप होने लग जाती हैं, जो लोग कुछ समझ कर नियमों का पालन नहीं करते उनके जीवन में रोग, शोक , अपमान ,अशांति और बड़े-बड़े कष्ट आते हैं और बड़ा भारी परिश्रम करके भी उन्हें दूर नहीं कर पाते।

* बहुत सी छोटी-छोटी बातें होती हैं जिन पर जो मैं अगर ध्यान दिया जाए तो वह बहुत अधिक लाभ देती हैं और उनकी उपेक्षा कर दी जाए तो वह हनी देती हैं पहले पहले ध्यान ना दिया जाए तो स्वभाव उनके ऊपर बन जाता है फिर बुरे स्वभाव को बदलने में कठिनाई होती है, लेकिन अपनी भूल जब पता लग जाए तभी से से दूर करें और सुधार लाने का पक्का निश्चय कर लेना ही जिंदगी का असली मकसद है।

* जिसका निश्चय पक्का है वह अवश्य सफल होगा ही यदि शुरू में सफलता ना मिले तो निराश नहीं होना चाहिए बराबर कर्म करते रहना चाहिए।

* संसार का राम नाम के प्रभाव से ब्रह्मा जी सृजन करते हैं, श्री विष्णु भगवान पालन करते हैं और राम नाम के प्रभाव से ही ,शिव शंकर भगवान सहार करते हैं।

* परिवर्तन प्रकृति का एक जरूरी और शाश्वत नियम है, सृष्टि में इसी के कारण तो गतिशीलता है।

* धरती माता ने एक जमीन में अपने हजारों लाखों मालिक को देखा है, खून बहाते भी देखा है, मगर जमीन जायदाद यह मेरी है कहने वाले सब के सब चले गए पर जमीन कहीं नहीं गई वहीं की वहीं पर है, इसलिए जमीन पर कब्जा ना कर के अपने ऊपर और सांसों के द्वारा धयान लगाकर खुद को पहचानने की कोशिश करें।

* इस प्रकृति का मालिक कौन है कौन सारे परिवर्तन कर रहा है।   यह रहस्यमय रचना है। थोड़ा रुके और ध्यान से सोचिए कि इतनी बड़ी सृष्टि को कौन चला रहा है, फिर आप की क्या औकात है। जो यहां आकर दुनिया में आप परेशान हो रहे हो या किसी सुख-दुख के आने से हिल जाते हो।

* प्रकृति की रचना तो देखिए सभी की पहचान अलग अलग है। सारे संसार को सूर्य  रोशनी  दे रहा है, चंद्रमा जैसे रोशनी,  बरसात जैसे पानी ? है कोई दूसरा उस एक अदृश्य शक्ति को छोड़कर  जो हमारे लिए यह सब काम कर सकता है।  हम उसे किसी भी नाम से पुकारे, किसी भी प्रकार से उसकी भक्ति करें, सब चलेगा, मगर उसे ना मानना यह इंसान की सबसे बड़ी भूल है।
उसकी पूजा जरूर करनी चाहिए ।किसी भी धर्म का, किसी भी भगवान के नाम का निरादर कभी ना करो। आखिर सब का रास्ता एक ही है मृत्यु और फिर से जन्म लेना। बस अगर जरूरत है तो समझने की इस संसार को चलाने वाली कोई अदृश्य शक्ति है और हमारे बस में कुछ भी नहीं है। जो कुछ हो रहा है वह हमारे कर्मों के अनुसार और भगवान की मर्जी से हो रहा है।

* जो लोग  चुगलखोर और बातूनी होते है ऐसे  लोगों पर कभी विश्वास ना करो, यह लोग सूखे तालाब में भी आपको स्नान ना करवा सकते हैं, इसलिए हमेशा ऐसे लोगों से सावधान रहें।

* जिसे हम प्रकृति और भाग्य कहते हैं वह वास्तव में परमेश्वर की इच्छा होती है।

 * अगर नीच व्यक्ति के पास भी कोई उत्तम विद्या हो तो लेनी चाहिए ,क्योंकि सोने का टुकड़ा यदि गंदगी में भी पड़ा हो तो उसे कोई नहीं छोड़ता और ना ही उसकी कभी कीमत कम होती।

* जिंदगी में धन कुछ इस तरह कमाओ कि पाप ना हो जाए और खर्च करते समय इस प्रकार सोचे कि आप कर्जदार ना हो जाओ, खाना इस तरह खाओ कि आपको अपच ना हो जाए, इस तरह ना चलो कि देर हो जाए।
*  ईश्वर एक ऐसा वृत्त है जिसका केंद्र सब जगह है पर उसकी परिधि नहीं है। जीवन और कुछ नहीं केवल मृत्यु को कुछ और समय के लिए टालना है।

* जिंदगी में अगर कोई भी बुरी आदत लग जाए उसको रोका ना जाए तो वह शीघ्र ही लत बन जाएगी।

 * ईर्ष्या  एक ऐसी मक्खी की तरह हैं जो शरीर के अच्छे अंगों पर नहीं बल्कि जख्मों पर बैठती है।

* जन्म लेने वाले हर इंसान की मृत्यु निश्चित है, इसमें किसी भी प्रकार का शक नहीं है। जो लोग ऊंचाई पर चढ़ते हैं उनका गिरना भी संभव है ।

* सच कभी बूढ़ा नहीं होता और झूठ की कोई उम्र नहीं होती। इसलिए हमेशा सच के आचरण पर चलने की कोशिश करें। गलती को स्वीकार कर लेने से  शर्म  की कई बात नहीं है।


*श्री कृष्ण, श्री राम, ओम नमो नारायण का जाप करने वाले से यमदूत वे दर भागते हैं।

* सबके दिलों की धड़कन चलाने वाला दिलबर एक ही है उसे राम कहो चाहे अल्लाह।

* निराशा एक ऐसी मानवीय दुर्गुण हैं, जो बुद्धि को भ्रमित कर देती हैं, मानसिक शक्तियों को लंगड़ा कर देती है। बिना पर्यतन के किसी भी प्रकार की प्राप्ति ना आज तक कोई कर सका और ना ही आगे संभव है। 

* सभी ग्रंथों का सार वेद है, वेदों का सार उपनिषद है ,उपनिषद का सार गीता है और गीता का सार भगवान की शरणागति है, जो मनुष्य सच्चे भाव से भगवान की शरण में जाता है उसे भगवान संपूर्ण पापों से मुक्त कर देते हैं। भगवान के नाम की महिमा अपरंपार है उसका वर्णन तो कोई कर ही नहीं सकता।

* यदि आपकी कोई निंदा करें तो भीतर ही भीतर खुश होना चाहिए उससे शत्रुता नहीं रखनी चाहिए क्योंकि निंदा करके वह तुम्हारे पास अपने ऊपर ले रहा है। तुम बिना प्रयत्न के ही पापों से मुक्त हो रहे हैं, इसलिए नींदा को परमार्थ में सहायक ही मानना चाहिए।

* कभी भी किसी व्यक्ति को ठगने की कोशिश मत करो, भले ही आप ठगे जाओ, क्योंकि संसार में हमेशा नहीं नहीं रहना है, जाना आवश्यक है और साथ कुछ भी नही जाएगा।  यह भी निश्चित है यदि किसी को ठग लोगो तो ठगी ही वस्तु तो नष्ट हो जाएगी या यही पड़ी रह जाएगी और उसका पाप तुम्हारे साथ  जाएगा और उसका फल भी आपको  ही भुगतना पड़ेगा। यदि तुमको कोई ठग ले तो तुम्हारा भागय वह ले नहीं जाएगा, विचार करो कि यह वस्तु उसके भाग्य की थी जो धोखे से तुम्हारे पास आ गई थी। अब ठीक अपनी जगह पर पहुंच गई है। ऐसी सोच बना लो किसी भी समय का पिछला हिसाब उसका तुम्हारे ऊपर था। अब वह कर्ज उतर  गया है। इन विचारों से ठगने में ज्यादा हानि नहीं , किसी को ठगने में ही ज्यादा हानि है।

* हमेशा सावधान रहो कि कोई भी काम ऐसा ना हो जाए जिसके लिए चलते समय आपको पछताना पड़ेगा। यदि इस तरह नहीं रहोगे तो नीचे गिरने से बच नहीं सकते ।संसार का प्रवाह  नीचे ही गिरायेगा।

* देने वाला भी वही है और लेने वाला भी वही फिर चिंता किस बात की हमेशा अच्छे कर्म में लगे रहो मगर फल उसी के ऊपर छोड़ दो।

* जिस घर में मां बहन और बीवी की इज्जत होती हो उस घर के लोग सदा संतुष्ट और खुश रहते हैं और उन पर मां लक्ष्मी आशीर्वाद बना कर रखती हैं और उनका सदा कल्याण करती है यह सुनिश्चित है।

* हमेशा खुद और अकेले चलना सीखो किसी का साथ मत ढूंढो ईश्वर सदा तुम्हारे साथ है और उसक तो जन्मों का साथ है ।बनना है तो नदी की लहर के समान बनो, देखो यह कैसे लगातार कार्यशील है ।कभी तो इसे स्थिर देखा है नहीं, यह ना तो कभी रुकती है ना ए कभी पीछे मुड़कर देखती हैं। लहरों के मार्ग में कितनी ही बाधा आइ हो पर यह आगे ही बढ़ती रहती है। जिसने अपने आपको नदी की लहरों के समान बना लिया तो वह कभी असफल नहीं हो सकता ।यह सत्य के मार्ग पर बढ़ती चली जाती है और अपनी मंजिल को हासिल कर ही लेती है।

* कभी भी किसी काम को छोटा मत समझो, काम कभी भी छोटा नहीं हो सकता, इंसान छोटे बड़े हो सकते हैं पर काम नहीं इसलिए जो भी काम करो उसमें कभी भी शर्मिंदगी महसूस ना करो।

* बहुत सारी किताबें पढ़ने वाला व्यक्ति जरूरी नहीं है कि बुद्धिमान हो एक अनपढ़ आदमी और सड़क के किनारे  फल बेचने वाले व्यक्ति भी बुद्धिमान हो सकता है ।
सत्य और असत्य में अन्तर-
 सत्य बलवान है और असत्य निर्बल हैं। सत्य की जड़ें मजबूत और गहरी है। असत्य की जड़े बहुत कमजोर हैं। सत्य स्थाई हैं और असत्य हमेशा ही अस्थाई है। सत्य और असत्य की लड़ाई में आखिरी जीत तो हमेशा सत्य की ही होती है ।आखिर सत्य तो सत्य यही है। सत्य को बदलना नहीं पड़ता मगर असत्य को अवसर के अनुसार बार-बार बदलना पड़ता है। सत्य तो सिर्फ एक ही बार बोलना पड़ता है। मगर असत्य को लेकर बार बार झुआ बोलना पड़ता है। प्रत्येक धर्म सत्य बोलने की शिक्षा देता है मगर कोई झूठ बोलने की शिक्षा  नहीं देता। हो सकता है कभी कभी सत्य पर असत्य  के बादल  कुछ समय के लिए ढक दे। पर वो ज्यादा देर टिक नहीं सकते । सत्य  अपनी पूरी चमक-दमक के साथ चमकेगा ही और चमकता भी रहेगा। यह हमारे जीवन का एक मूल मंत्र होना चाहिए अगर जिंदगी में कामयाब होना है।

किसी काम की बैचनी से कैसे बचें-
कभी काम की बेचैनी और एग्जाइटी की वजह से जीवन में परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं । कई शोध बताते हैं कि जब ऑफिस में काम का दबाव बढ़ जाता है तो दिमाग में नकारात्मक विचार आने की संभावना भी बढ़ जाती है । 
यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है ।दरअसल ,काम की अधिकता की वजह से आप जो बेचैनी और तनाव महसूस करते हैं , वही ज्यादातर परेशानियों का सबब बनता है । उसी से समस्याएं भी पैदा होती हैं ।

 इससे कैसे निपटा जाए-  
नकारात्मक सोच से खुद को दूर रखें। काम के प्रीति ज्यादा बेचैनी भी हानिकारक साबित हो सकती है । यह बेचैनी आपके आसपास नकारात्मक प्रभाव पैदा करती है ।
आप यह सोचने लगते हैं कि आपके आसपास  जो भी लोग मौजूद है वो आपको नापसंद करते हैं और प्रतिभाशाली  नहीं मानते।  इस तरह की सोच से खुद को बचाना जरूरी है क्योंकि जब तक आपके पास कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं यह कोरी कल्पना ही है।
फीडबैक से बचने की कोशिश न करें -
बेचैन लोग फीडबैंक की बेहद गंभीर मामले की तरह लेते हैं । फिडबैक को वो अपनी असफलता का संकेत भी मान  लेते हैं । अगर आप  फीडबैक नहीं चाहते हो आलोचना सुनने कोई और तरीका खोजें , यह जो आपको आसान लगे फीडबैक से परेशान और असहज होने की जरूरत नहीं है । आप केवल इतना कह सकते हैं कि ये फायदेमंद बिंदु थे और आपको अकेले में जाकर इन पर विचार करने का समय चाहिए । 

अपने जीवन को सरल बनायें  जटिल नहीं-
 अक्सर लोग उन चीजों से बचने की कोशिश करते हैं , जो उन्हें जरूरत से ज्यादा बेचैन करती है । उसके बाद वो शर्मिंदा भी होते हैं । हो सकता है आप किसी ईमेल का जवाब देने में अहसज महसूस कर रहे हैं , तो आप उसे लंबे समय तक टालते रहते हैं । इससे आपकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकता है । बेहतर होगा कि आप अपनी इस हिचकिचाहट को पूरी सहजता और ईमानदारी के साथ स्वीकार कर लें । कयोंकि सच को सवीकार करके आप अपनी बहुत सारी मुश्किलों को खुद हल कर सकते हो।

*नए विचारों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दें-
 नए विचारों पर यदि आपको पहली प्रतिक्रिया रिस्क और फेल्युअर को लेकर है , तो लोग इसे नकारात्मक मान सकते हैं हर नए विचार के सकारात्मक पहलू पर पहले बात करें ।पहले बताएं कि इसमें अच्छा क्या है । उसके बाद अपनी चिंता व्यक्त कर सकते हैं । लेकिन इस दौरान सकारात्मक बने रहें । ऐसा नहीं कर पा रहे हैं , तो प्रतिक्रिया देने में अपना समय लें । प्रतिक्रिया पूरे सोच - विचार के बाद ही दे ।

अपने जीवन में खुशियाँ कैसे लाये-
सबसे पहले यह समझना होगा कि खुशी की परिभाषा क्या है? खुशी की सही परिभाषा है खुद से प्यार,  आत्मविश्वास व परिपक्वता। इन तीनों गुणों से भरपूर व्यक्ति सभी को अच्छा लगता है। इसके विपरीत वहमी कुंठा ग्रस्त व सदैव शिकायतों का भाव चेहरे पर लाने वाले व्यक्ति को कोई पसंद नहीं करता। विशेषज्ञों के अनुसार भी उदास या क्रोधित होने पर जो रसायन   त्वचा को सुंदर रखने में सहायक होते हैं उनका संतुलन गड़बड़ा जाता है, और हमारी त्वचा बुझी हुई वह चमकहिन हो जाती है। सुंदर दिखने के लिए खुश रहना सबसे जरूरी है। अक्सर देखा जाता है कि उदास वही लोग रहते हैं जिन्हें अपने आप से प्यार करना नहीं आता। वह जीवन भर अन्य लोगों को खुश व संपन्न देकर कुढ़ते रहते हैं और यही कुंठा उनके चेहरे पर खुशी की झलक तक नहीं आने देती।
 ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है वह किसी भी काम को करते समय असमंजस की स्थिति में रहते हैं कि मुझे उस काम में सफल होंगे या नहीं यही स्थिति उनकी असफलता का कारण बन जाती  हैं ।हमेशा खुश रहने के लिए मन में व्यर्थ विचारों पर ना आने दे।  हर समय अच्छा सोचे।  निराशावादी दृष्टिकोण नअपनाएं आशावादी बनाएं, तथा हर काम को कुशलतापूर्वक करने का प्रयास करें एक दो बार असफलता मिलने पर निराश ना हो बल्कि फिर से पूरे जी-जान से उस काम में जुट जाएं। आपको सफलता अवश्य मिलेगी।
छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव न लाये । ऐसी बातें जिंदगी की अहम हिस्सा हैं, इन्हें हवा में उड़ा देना ही बेहतर है। दूसरों की सफलता को देखकर ईर्ष्या करने की बजाय अपने अंदर वही गुण धारण  करे। क्योंकि ईर्ष्या एक ऐसी बुरी प्रवृत्ति है यह तरक्की के रास्ते में बाधा बन जाती। अगर आप किसी कार वर्ष बहुत ज्यादा तनावग्रस्त हो तो अंदर ही अंदर घुटने की बजाए अपने किसी सच्चे हितैषी से अपने मन की बात कह कर मन हल्का करें।
 जहां चाह वहां राह, जहां मन की गहरी चाह होती है ,आदमी वही पहुंच जाता है, अच्छे कर्म ,अच्छा व्यवहार  करने से हमारे अंदर अच्छे विचार पैदा होते है,  हमारे जीवन के अच्छी यात्रा होती है, और बुरे कर्मो से बुरे विचार उत्पन्न होते हैं, इसलिए जीवन अधोगति की ओर चला जाता है।
 हर महान कार्य कठिन है और हल्का कार्य सरल है। उत्थान कठिन है और पतन सरल है। पहाड़ी पर चढ़ने में परिश्रम होता है उतरने में परिश्रम नहीं होता। पतन के समय जरा भी परिश्रम नहीं करना पड़ता लेकिन परिणाम दुखद होता है। उत्थान के समय आराम नहीं होता परिश्रम लगता है, लेकिन परिणाम हमेशा सुखद होता है। इसलिए जितना हो सके ईमानदारी से मेहनत करें और कठिनाइयों से ना डरे।
 अपने जीवन मे इन  बातों को अपनाकर आप अपने जीवन को बहुत कीमती और मूल्यवान बना सकते हो, क्योंकि इंसान को जीवन एक बार मिलता है, बार-बार नहीं। जितना भी समय आपको मिला है उसको सही से प्रयोग करें। 
जीवन में किसी भी प्रकार के परिवर्तन से डरे नहीं बल्कि उसका डटकर सामना करें ,क्योंकि अगर मुसीबत आई है तो समाधान भी आएगा। कई बार किसी भी समस्या का आना साथ में वह समाधान भी लेकर आती है ।हो सकता है कोई समस्या आई हो और उसके साथ वह जीवन में परिवर्तन लाकर शायद आपको कहीं और ले कर जाना चाहती हो। इसको आप प्रकृति का ही खेल समझिए कि शायद खुदा  आपको कहीं और ले कर जाना चाहते है। औम शान्ति। 
एक औरत के जीवन की सच्ची कहानी-
राजबाला एक पढी लखी और समझदार औरत थी । पर शादी के बाद जब उसे पता चला उसका पति बहुत ज्यादा शराब पीता है और पीने के बाद उसको मारता पीटता भी है। यह सिलसिला लगभग 12 साल तक चलता रहा। राजबाला हर रोज कलेश झेलती और पीटती रही। पर अगर  इंसान की जिंदगी में  किसी भी बात की बहुत ही ज्यादा अती हो जाती है तो  वह कोई कदम जरूर उठता है। 

एक दिन  राजबाला ने  भी समाज की परवाह को छोड़कर  एक रात को अपनी जान बचाने से बचने के लिए घर छोड़कर निकल गई, लेकिन  घर छोड़कर जाना तो आसान था पर आगे अंधेरा ही अंधेरा था। उस रात वह एक धर्म स्थान  औम शान्ति की सस्थां पर रुकी और उन बहनों  व ने उसकी बहुत मदद की कुछ दिनों बाद उसे एक स्कूल में एक टीचर की जॉब मिल गई। धीरे-धीरे अपने आप को संभालने लगी और फिर एक कमरा किराए पर लेकर अपने दोनों बेटों को भी अपने पास ले आई।
 इस तरह अपनी जिंदगी से गुजर-बसर करते करते उसने अपने  दोनों बेटों को भी पढ़ाया और खुद भी जॉब करते हुए नौकरी में तरक्की पाने के लिए पढ़ाई की।
अब वह अपना जीवन बहुत अच्छे से बता रही है और उसने कभी फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
 पूछने से पता चला कि तेरे पति को कोई एहसास हुआ क्या कभी ?  क्या उसमें कोई सुधार आया है।
 राजबाला का जवाब था नहीं ।
उसकी आज और भी बदतर जिंदगी है कोई उसे खाना देने वाला भी नहीं है, बल्कि वह अपने राते भी सड़कों पर ही बिता देता है।वह आज भी सड़कों पर जिंदगी बिता रहा है, पर अगर उस दिन राजबाला घर से बाहर कदम रखने की हिम्मत ना करती शायद आज राजबाला या तो तगं होकर मर जाती या फिर डिप्रेशन का शिकार हो जाती। क्योंकि शराबियों के कोई घर नहीं होते,इसलिए कभी भी जीवन में कोई समस्याएं आये तो डरे नहीं बल्कि उसका डटकर सामना करें ।भगवान कोई ना कोई रास्ता अवश्य ही निकाल देगा। अगर आप थोड़े से भी पढ़े लिखे हैं तो शिक्षा  आपके पास जीवन का यह सबसे अच्छा हथियार है समस्या से निपटने के लिए।  इस हथियार  का यूज करें और अपनी सुरक्षा खुद करें समस्या आने पर किसी पर भी बोझ न बनो ।
औम शान्ति। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ