सुख समृद्धि के लिए उपाय || सुख समृद्धि के लिए टोटके || how to have peace of mind |

Tittle-मन को शान्ति कैसे मिले ? 
 आज के समय में 100 में से 90 % लोग यह प्रश्न करते हैं कि मुझे हर समय टेसंन रहता है । मेरे मन को शान्ति कैसे मिले ? 
शान्ति प्राप्त करने के लिए हमने बहुत सारे उपाय भी किए मगर शान्ति नहीं मिली में क्या करू ?
 मन को शान्ति मिलने का  स्वामी रामसुखदासजी ने एक बहुत ही सीधा - साधा और छोटा सा मंत्र बतलाया है कि मन से चीजों को निकाल दो भगवान सर्वज्ञ है । भगवान सर्वव्यापक है। ( मन को खाली कर दो ) तुरंत शान्ति मिल जायेगी । ध्यान दे एकदम सही 100 % ग्रान्टेड उपाय है- 
शान्ति को पाने का जब तक मन में बहुत सारी इच्छाएं रहेंगी कि यह मेरी है , यह मेरी है , उस चीज को प्राप्त जरूर करना है । यह चीज खराब न हो जाये तो शान्ति मिल ही नहीं सकती।  
चाहे जितना भी उपाय कर लो । मन से जब सारी चीजो , कामना , इच्छायें   चाहना निकाल दी गई हो तो साथ - साथ अशान्ति का कारण भी चला जायेगा और शान्ति भी मिल ही जायेगी । 
 
ऊँ नाम के लाभ और चमत्कार -
 ॐ " का पहले उच्च स्वर में थोड़ी देर , फिर मानसिक जप, ॐ का जप शुरू कर दें मानसिक पुर्ण शान्ति अवश्य मिलेगी । 
 राम नाम का जप शुरू कर दें . सारा ध्यान राम में लगा दें , अभ्यास करते - करते मन को शान्ति अवश्य मिलेगी । मनुष्य चाहना करता रहता है और चाहना किसी कि भी कभी पूरी नहीं होती और चाहना पूरी नहीं होने पर दुःख होना भी स्वाभाविक है । 
तो अब सवाल यह है कि हम " चाहना " क्यों करे ? 
चाहना करने का मतलब है दुखो को निमंत्रण देना। चाह को त्याग दें । प्रभु ने जो भी हमें दिया है, यह  सब भी बहुत ज्यादा दिया है। इसी में परमानंद मानये , उसी में मस्त रहना सीखें , कोई चाह न करें , तो शान्ति मन को अवश्य ही प्राप्त होगी । हम यह भी सोचते  मन में की जो लोग  करोड़पति है , गाड़ी, बंगला, नौकर - चाकर फैक्टरियां है ये सब बहुत  सुखी और शान्तिप्रिय जीवन जी रहे होंगे है। मगर यह सच नहीं है । उनके मन में बहुत ज्यादा अशान्ति है। वे घोर अशान्त है, जो जितना ज्यादा धनी है उसके उतना ही ज्यादा अभाव है । वह मन से ज्यादा गरीब है ।उसको सबसे ज्यादा अशान्ति है ।
हम सभी जानते है कि कब जाना है किसी को भी मालूम नहीं है मगर जाना अवश्य यह 100 प्रतिशत सत्य है कि जाना अवश्य पड़ेगा। मगर हो सकता है कि हम कल होने वाला सुर्योदय भी नहीं देख सकें और यह भी 100 प्रतिशत सत्य है कि एक छोटा सा तिल भी साथ में हम नहीं ले जा सकेंगे तो फिर भी हमारी यह अन्तहीन चाह क्यों है ? किसके लिये है ? जीते जी आराम से खाने पीने , पहनने की कोई कमी नहीं है , तो फिर इकट्ठा करने की घर में और धन जोड़ने की बेटों - पोतों के लिये कया जरूरत है। एक झूठी चाहना करके हम क्यों अशान्ति मोल ले रहे हैं , क्या हमें हमारे बेटे , पोतों पर विश्वास नहीं है कि वे अपने गुजारे के लिये कमा नहीं पायेंगे ? 
आंखें बन्द करके 15 मिनट सोचें आपको अपने आप सही जवाब मिल जायेगा कि हम भ्रमवश ही अपने आप ही अपने मन की शांति खो रहे है। यह सब आपके ही हाथ में है। अतः मन को शान्ति मिले ? इसका साधारण उपाय है, और वह आपके हाथ में ही है। कि यहाँ से कुछ भी लेकर जाना संभव नही है।

दुनिया में ऐसे व्यक्ति को खोजना सबसे मुश्किल काम है, जिसने जीवन में कभी किसी भी प्रकार की गलती ना की हो। अपनी गलती को मन से मान लेने में अक्सर लोग हिचकिचाते हैं । कारण वे गलती स्वीकार करने का अर्थ स्वयं ही स्वयं के द्वारा अपमानित होना लगाते हैं । कुछ अडियल किस्म के लोग स्वीकारना तो दूर अपने गलत आचरण को भी सही सिद्ध करने में धन , पैसा , ऐश्वर्य प्रतिष्ठा दांव पर लगाने में नहीं हिचकिचाते । मगर इतना सब करने के बाद भी उन्हें वह सुखानुभूति शायद ही होती होगी जो अपनी मूल के लिए क्षमा के एक शब्द कह देने से होती है । तकलीफ को सहन करने के बाद ही किसी को महसूस होता है कि माफी मांगने से बढ़ कर आत्मसंतोष की बात कोई दूसरी हो भी नहीं सकती, हृदय से शांति मिलती है। तब उसके सुख का आकाश कितना बड़ा हो जाता है , यह तो कोई भुक्तभोगी ही जान - समझ सकता है । माफी मांग लेने से टूटते संबंध फिर से केवल जुड़ ही नहीं जाते बल्कि पहले से भी ज्यादा पक्के और सुधुर जाते हैं । हमें यह बात कभी भी अपने दिल में नहीं रखनी चाहिए कि भुल स्वीकार करने से हम छोटे या दीन हो जाएंगे या हमारे लिए अपमानजनक बात होगी । 
 माफी तो वहीं मांग सकता है जो स्वयं महान हो , जिसका हृदय विशल हो । हमें ऐसा भी प्रतीत होता है कि सामने वाले की सरासर गलती थी और उसे भी माफी मांगनी चाहिए । ऐसी परिस्थिती में समझदारी से फोन करके अथवा संदेशा भिजवा कर अथवा द्वितीय पक्ष तक पत्र लिख कर अपनी बात पहुंचा दें । साथी समझदार और दूरदर्शी होगा तो अवश्य ही क्षमा याचना कर लेगा।  भूल प्रायः सभी से होती होती है किंतु भूल हो जाने पर प्रायश्चित अवश्य किया जाना चाहिए । व्यक्ति की सबसे बड़ी गलती मानव मात्र के प्रति घृणा जीवों के प्रति अत्याचार और ईश्वर के प्रति अनास्था है । यह मानव जान कर भी प्रायश्चित नहीं करता तो यही समझना चाहिए कि वह अपना अपने परिवार का समाज का और देश का अहित करता है ।

 अगर आपसे भी किसी कारणवश कोई गलती हो या भूल हो जाए तो फौरन स्वीकार करें , साथ ही इसके लिए माफी मांगने में भी संकोच न करें । आपको शान्ति मिलेगी , ऑफिस , घर , बाहर में भी सामान्य वातावरण  हो सकेगा। क्षमा में अपार शक्ति है । यह क्षमा प्रदाता को तो ऊंचा उठाती ही है , क्षमा प्राप्त करने वाला भी उसकी कृपापूर्ण उदारता से वंचित नहीं रहता। सावधान रहते हुए भी मानव को ज्ञात - अज्ञात , क्रोधकषाय बाधित करते रहते हैं । उन्हें क्षमा के निर्मल नीर से प्रक्षालित करने वाला अपने आत्मा में शांति के शीतल स्पर्श सरायरों की रचना करता है । जो दुर्वचन बोलता है , उसे रात्रि में नींद नहीं आती , किंतु उसे सहन करने वाला आसानी से सो जाता है। दशलक्षणों में क्षमा को पहला  स्थान प्राप्त है । मानव जाति जब क्षमाहीन हो जाती है,  विश्व मे प्रचलित  मतस्य न्याय उसे विनाश के बर्बर युग में धकेल देता है । 
 क्रोधजन्य स्थिति में क्रोधित हो जाना , उत्तेजक अवस्था में उतेजित हो जाना , अपमान किये जाने पर क्रोधित होकर , प्रतिशोध लेने की इच्छा पैदा कर लेना , एक समझदार मनुष्य की निशानी नहीं है । आप सोचिए , क्या मिला ? उसको इस तरह करने से ? मानसिक पीड़ा और सन्ताप की ज्वाला में जलने के अतिरिक्त , सुख , शान्ति और आनन्द की हानि के अतिरिक्त ? और इनसे भी एक बड़ा नुकसान अपने शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति क्षीण होती रहती है। जब तक की आप शांत नहीं हो जाते। समझदार मनुष्य वह है और उसकी जीत भी इसी में है कि अपनी आन्तरिक शांति और सन्तुलन बनाए रखें और क्रोध के प्रभाव में कभी भी न आये ।
 क्रोध को क्षमा से, उत्तेजना को शांति से, अहंकार को विनम्रता से पराजित करे। जो काम , क्रोध , लोभ , अहंकार को बढ़ावा देने की विषय , परिस्थिति पैदा करता है उन सभी को धन्यवाद देना चाहिए वे तो सब आपकी शक्ति की परीक्षा कर रहे है। सबसे अच्छा  उपाय है कि आप उन सब क्षमा कर देवें।

घर में सुख शांति के लिए टोटके-

* साल में  एक दिन ही आती है " गुरू पूर्णीमा इस दिन गुरू को घर पर भोजन खिलाने  से घर में बरकत और सुख शांति होती है  । 
* वर्ष भर में एक दिन ही आती है " मातृ नवमी " इस दिन माँ को अपने  हाथो से खाना खिलाने से 
माँ का आशीर्वाद बना रहता है और शांति प्राप्त होती है। 

* प्रत्येक दिन हवन करने एवं हवन का धुआं घर के चारों कोनों और हमारे साँसों में  जाने से घर में बरकत और शांति प्राप्त होती है। 
* खीर का भोजन हर पूर्णिमा पर बनाने से और किसी को दान करने करने से शान्ति बनी रहती है। 
* प्रत्येक दिन सुर्योदय के समय सूर्य भगवान के दर्शन करने एवं अर्ध्य देने से घर सुख शान्ति बनी रहती है। 
 *प्रत्येक पवित्र सथान का जल का घर में छिड़कव करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।

* घर की औरतों द्वारा प्रेम से बनाया हुआ शुद्ध भोजन खाने से और उनके बनाए हुए खाने की तारीफ करने से और औरत की इज्जत करने से मां लक्ष्मी खुश होती है और आशीर्वाद देती हैं ।

* चिड़ियों , कबूतरों को दाना , कुत्तों को और सांड़ , गाय को रोटी खिलाओं अपने - अपने धर्म के अनुसार , अपने - अपने ईष्ट का नाम जाप करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

* किसी भी  दूसरे धर्म की निन्दा , आलोचना न करो।  किसी का भी धर्म परिवर्तन न करो जीने का अधिकार सबको। यह सब परम पिता परमात्मा ने प्रदान किया है। 
* सभी को सुख - शांति से  जीने दो औरो को  भी जीने दो इस मंत्र का जीवन में उपयोग करने से खुद के जीवन में भी शांति रहेगी और दूसरों के जीवन में भी।

* परमपिता परमात्मा पर पूरा भरोसा रखो वह जो भी करेगा आपके हित में ही करेगा।
अपने आप को भगवान् को पुर्ण रूप से समर्पण कर दो। आपको  शांति भी मिलेगी और हर तरह का सुख मिलेगा।

* अगर घर में छोटा बच्चा बहुत ज्यादा जिद्दी हो और वह कहना ना मानता हो तो इसके लिए काली चीटियों को चीनी और आटा मिलाकर बाहर कहीं पर भी जहाँ पर उनका  घर दिखे तो वहां पर डालना शुरू कर दे। 

* घर में सुख शांति और बरकत के लिए सबसे पहले गाय, कौवे   और एक रोटी कुत्ते की जरूर निकालें।

* अपने काम में बरकत के लिए घर की लड़कियों को जरूर दान दें क्योंकि घर की लड़कियों की दी हुई दुआ कई गुना ज्यादा असर करती हैं। कभी भी भूल कर घर की लड़कियों को निराश ना करें क्योंकि वह हमारा हाथ का दिया हुआ लेकर जाती हैं।वह शादी के बाद  कुछ भी उठाकर नहीं ले जाती।

* घर में सुख शांति और धन की वृद्धि के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर एक तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं क्योंकि तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है उसकी सुबह शाम पूजा भी जरूर करें। ऐसा करने से घर में बरकत होती है और परिवार में प्यार बना रहता है।

* जिस घर में लड़ाई झगड़ा और गृह क्लेश होता रहता है, तो इसके लिए सत्यनारायण की कथा हर महीने जरूर करवाये। 

* सुख समृद्धि के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करे।

* घर में शांति और सुख समृद्धि के लिए अपने इष्ट देव की निश्चित एक ही समय पर पूजा करें 

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Posted by-kiran

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