क्रोध का त्याग कैसे करें || काम और क्रोध पर काबू कैसे करें || क्रोध के नुकसान || गुस्से को कैसे ठीक करें || success tips in hindi |

Tittle- गुस्से को कैसे ठीक करें-
एक अच्छे इन्सान की पहचान और गुण कैसे होने चाहिए-  जब तक जीवन चल रहा है, तब तक इंसान को दयालु बना रहना चाहिए । महावीर स्वामी ने भी एक बड़ा सा प्यारा नारा दिया है हम सबको "  जियो और जीने दो ,,  का ,
यह स्लोगन सबके लिए बहुत  अनमोल नारा है।
अच्छे इन्सान की पहचान-
 धार्मिक आदमी की यही पहचान है जो खुद भी सुख से जीता है और दूसरों को भी सुख से जीने देता है। वह दूसरों को सुख नहीं छीनता, चिंता अपने वैभव पर इतराता नहीं है।
महात्मा बुद्ध के विचार-
 बुद्ध  भी यही कहा है कि जिस व्यक्ति के हृदय में दया है, वह धार्मिक आदमी है, वह कठोर नहीं हो सकता, सभी ग्रंथों का और सभी महापुरुषों की वाणी का सार यही निकलता है कि व्यक्ति को हमेशा दयालु बना रहना चाहिए।
श्रेष्ठ व्यक्ति वह है ,जिसने काम, क्रोध, लोभ और मोह को काबू में कर रखा है।
 काम ,क्रोध ,लोभ और मोह को एक दूसरे से गहरा संबंध है। गीता में भगवान कृष्ण जी ने कहा है कामनाओं को पूर्ण कर देने से वह खत्म नहीं होती, वरना और ज्यादा बढ़ जाती हैं और वे कामनाएं मोह को जन्म देती हैं  और मोह जब जन्म लेता है तो लोभ क्रोध को जन्म देता है।
और जिस व्यक्ति के अंदर क्रोध है , उसका पतन और विनाश कर देता है। काम ,क्रोध लोभ और मोह की बुरी कृरति एक छोटी सी चिंगारी जैसी ही होती हैं, जिसको हम चुटकी से  खत्म कर सकते हैं और पूरी तरह पर से काबू भी पा सकते हैं।
 मगर बाद में इन चारों का या किसी एक का भी बड़ा प्रचंड और बड़ा भयंकर रूप हो जाता है। जिस पर काबू पाना असंभव हो जाता है। यह सब अवगुण  पूरे जीवन को  अंधकारमय, पाप और बदनाम भी कर देते हैं।
यह चारों बुराइयां इंसान को प्रभु नारायण से दूर ले जाती हैं। अनेक प्रकार के अन्य ने पापों को हमसे करवाने लग जाती हैं। जीवन को स्वयं मोह काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे तांडव पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। श्रेष्ठ व्यक्ति वह है जिसने व्यसनों और दुर्गुणों को त्याग दिया है। 

 धर्म के अनुसार हमें कैसा होना चाहिए -
पूरे मानव समाज में धर्म हमें यह सिखाता है कि ना कोई सुंदर है, ना दलित, अब वह युग समाप्त हो गया जब सेवा करने वाले  भाई लोगों का छूत कहा जाता था। 
अगर किसी के बारे में अच्छा उसको सोच सकते तो उसका बुरा भी तो ना सोचो। किसी का बुरा,  कष्ट, दुख पहुंचाने के कामना  करके अपने विचारों को और अपने आत्मा को मेला ना होने दो। दूसरों को कष्ट पहुंचाना सोचना और अपने विचारों को मलिन और अपनी आत्मा को दूषित करना है। ऐसा करके आप दूसरों को नुकसान नहीं बल्कि खुद का नुकसान करते हो।
 
मौन  रहने के लाभ -
चुप रहना और मुस्कुराना यह इंसान के बहुत ही बड़े गुण हैं, और यह एक बेहतरीन कला है। जो जुबान को काबू में रख सकता है ,वही  मनुष्य आंख और कान का सही उपयोग कर सकता है।
 बहुत बार हम बोलकर काम बिगाड़ देते हैं कड़वी बात यदि हम चुपचाप सहन करके धीरे से मुस्कुरा दे तो एक आने वाली बड़ी  मुसीबत को आने से रोक सकते हैं।

अमेरिका के एक प्रसिद्ध डॉक्टर का कहना है, कि किसी भी पीली वस्तु को देखने से इंसान की उदासी दूर भाग जाती हैं। उनके मरीज हमेशा अपने जेब में पीला कार्ड रखते हैं जब कभी भी घोर निराशा उन्हें घेरने लगती है तो कार्ड निकाल कर उसे लगातार 10 सेकंड तक देख लेते हैं।
सफलता का रहस्य-
इसी तरह सफलता के लिए भी जब आपके सपने पूरे होने की तनिक सी भी आशा ना हो, मगर तब भी आप अपने संपूर्ण बनकर  शक्ति से लगे रहोगे तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी। 
 हमेशा हंसमुख रहो, मुख से  कभी भी बुरा  ना बोलो। आप अपना कर्म करते जाओ सफलता अवश्य मिलेगी। ना दूसरों को बुरा सोचो, न दूसरों को बुरा करो।
 अगर आप खुद अच्छा करोगे तो आपको अच्छा ही अच्छा मिलेगा इसमें कोई शक नहीं।

Last alfaaz- 
 मेहनत करना इंसान का एक ऐसा हुनर है जो कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। एक न एक दिन इंसान अपनी मेहनत और नियम से करने से अवश्य सफल होता है। उसे कोई सफल होने से रोक ही नहीं सकता भले ही भगवान ने उसकी किस्मत में ना लिखा हो तो फिर एक बार भगवान को उसकी मेहनत देखकर उसकी किस्मत को दोबारा लिखने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
धन्यवाद। 

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