मौन व्रत के लाभ || मौन साधना कैसे करें || मौन साधना से समस्या का समाधान कैसे करें || benefit of silence in hindi | meditation kesy kere |

Tittle- मौन साधना के लाभ- 
हमारे धर्म ग्रंथ और सन्त योगी कहते  हैं कि मनुष्य को अपना अधिकतर जीवन मौन रहकर ही गुजारना चाहिए क्योंकि मौन रहकर केवल शारीरिक उर्जा को ही नहीं बचाते बल्कि इन्सान अपनी  मानसिक ऊर्जा को भी सवस्थ रख सकता है।
ज्यादातर समस्याओं का समाधान 
मनुष्य के पास केवल खुद के पास ही होता है। अगर आपके जीवन में कोई भी कठिन समय चल रहा है तो खुद को जाने और अपने लिए समय निकाले और मौन होकर बैठने का अभ्यास करें ।आपको कुछ ही दिनों में आपकी समस्या का खुद ही उत्तर मिल जाएगा।
मौन साधना में वो ताकत है इंसान अपनी हर तरह की समस्या से मुक्ति पा सकता हैं। इसके लिए सबसे उत्तम उपाय यह है कि कुछ देर के लिए आप पूर्ण रूप से मौन हो जाइए और बोलना छोड़ दें। 
आप अपने भीतर से ही समाधान का चिंतन करें कुछ दिन ऐसा प्रयोग करने से आपको बहुत जल्द ही पोजटीव प्रणाम मिलने लगेंगे।
*आइए जानते हैं विस्तार से मौन रहने से क्या क्या लाभ हो सकते हैं-

* मौन रहने के चमत्कारी लाभ-
मौन व्रत  की शुरुआत सबसे पहले तो  जीभ को लगाम देने से होती हैं, यानी धीरे-धीरे जुबान को बंद कर के मन को भी चुप करवा सकते हैं। मन में अगर चुप्पी आ गई तो आंखें, चेहरा ,और पूरा शरीर खुद ही चुप और शांत होने लगेगा। धीरे-धीरे इस अभ्यास से आप इस संसार को एक नए सिरे से देखना शुरू कर पाएंगे बिल्कुल उस तरह जैसे कोई जन्म लेने वाला छोटा बच्चा इस संसार को देखता है।

मौन रहने से मन की शक्ति बढ़ती है-
 मौन साधना से  मन में किसी भी प्रकार का भय,चिंता, क्रोध और पीड़ा  नहीं रहती।  मौन का अभ्यास करने से सभी प्रकार के मानसिक विकार समाप्त हो जाते हैं यानी मौन रहना हमारे लिए एक तरह से औषधि का काम करता है। जो काम हमारे लिए कई बार दवाइयां नहीं कर सकती वह काम मौन कर सकता है।

 जीवन मे संतुष्टी के लिए-
अगर आप भी अपने जीवन में संतुष्टि चाहते हैं तो ऐसे में कुछ ना बोलना यानी अपने आप को कन्ट्रोल करना जी हां बोलना मौन रहना सबसे बड़ी उपलब्धि है। लेकिन आपके मन में क्या चल रहा होता है उसे आप तुरंत बोल देते हैं लेकिन अगर आप मौन रहकर उन चीजों को बिल्कुल नजरअंदाज कर दें तो आप मौन रहकर भी खुश रहना सीख सकते हो और अपने जीवन में संतुष्टि पा सकते हो। जरूरी नहीं है कि आपको किसी व्यक्ति की बात का जवाब देकर ही संतुष्टि मिलेगी आप किसी व्यक्ति को मौन रहकर भी जवाब दे सकते हो। अपनी  भावनाओं को प्रकट करना जितना आसान बोलकर है उससे ज्यादा आसान चुप रहकर है।  इसलिए कम बोलें और खुद को संतुष्ट रखें।
ध्यान देना जब आप बहुत ज्यादा बोलते हो तो आपका मन किसी काम में ना लगकर बल्कि भटकने का काम करता है।
 मौन साधना  आपको भटकाने वाली चीजों से दूर रख कर केवल ध्यान लगाना सिखाता है और ऐसा करने से हम अपने ईश्वर यानी  अदृश्य शक्ति के और नजदीक आते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान खुद ही खोज लेते हैं। 

 * अदृश्य शक्ति का अनुभव-
 मौन साधना से हम प्रकृति और ईश्वर को जान पाते हैं। जितना आप मौन रहकर इन सब चीजों को जान पाएंगे इससे ज्यादा और कोई और सुविधा नहीं है। इस संसार की गतिविधियों को जानने का मौन धारण करने से आप चलने वाली हवा और प्रकृति के मधुर संगीत को सुन सकते हैं। मौन हमें प्रकृति के करीब लाता है। जितना हो सके आप मौन होकर बाहर टहलने जाएं और प्रकृति की अनेक प्रकार की चीजों का आनंद लें। इस प्रकार की साधना करके आप भगवान को अपनी इन्ही आंखों से देख सकते हो। यह बहुत सारे संतों का अनुभव किया हुआ प्रयोग है।

* मौन साधना के स्वास्थ्य लाभ-
मौन  साधना आपको शरीर पर ध्यान देना सिखाता है। आप अपनी आंखें बंद करें और खुद से पूछें मुझे अपने हाथ से क्या महसूस हो रहा है ,और शरीर को महसूस करने से आपका मन भी शांत हो जाएगा और आपका स्वास्थ्य भी पहले से बेहतर होगा।  साथ ही मौन से शरीर की बहुत सारी बीमारियां खुद ही ठीक होने लग जाती हैं यह बहुत सारे लोगों का अनुभव है।

* सत्य की खोज-
 बहुत सारे लोगों का यह भ्रम रहता है कि भगवान है या नहीं है और उलझन में पड़े रहते हैं। इस उलझन को खत्म करने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है वह है मौन साधना। अगर आप भी भगवान् को  जानना चाहते हैं पर यह सिर्फ मौन रहकर ही संभव है।  योग कहता है कि मौन, ध्यान की ऊर्जा, सत्य का पहला द्वार है। मौन से जहां मन की मौत हो जाती है वही मौन से मन की शक्ति भी बढ़ती है। जैसे मोक्ष के मार्ग पर अगर जाना चाहते हैं तो वहां मन की मौत में विश्वास रखना होगा और जिसे मन का भरपूर वैसे ही उपयोग करना है। वह मन की शक्ति पर विश्वास करेगा। जब तक मन है तब तक सांसारिक इच्छाएं मन को घेरती रहती हैं और अगर मन में मौन रहने की शक्ति प्राप्त हो गई तो फिर किसी भी प्रकार की इच्छाएं नहीं रहती। मौन साधना से हम कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं योग में किसी भी क्रिया को करते समय मौन का महत्व बहुत अधिक माना जाता है।

मौन रहने का तरीका-
आप ज्यादातर चुपचाप रहने का अभ्यास करें,  कयोंकि कोई भी काम अभ्यास से सफल होता है। जब आप कहीं भी अकेले बैठे हो या चल रहे हो तो उस समय हमारे अंदर व्यर्थ ही विचार चलते रहते हैं। वह कोई नए नहीं होते बल्कि वही पुरानी बातें , वही विचार बार-बार आते रहते हैं, जो हमारे जीवन में घटित होता है, तो ऐसे में हम खुद को उन बातों से अलग करके सिर्फ अपनी सांसो पर ध्यान लगाएं और जो सामने दिखाई या सुनाई दे रहे हैं उसी तरह देखें जैसे चिड़ियों का चहचहाना और सोचे बिल्कुल भी नहीं बल्कि प्रकृति का मधुर संगीत और पक्षियों को देखने की कोशिश करें। ऐसे करते हुए आपको चुप रहने और मौन रहने का अभ्यास होगा। साक्षी भाव में रहे अर्थात किसी भी विचार में न खो जाये,   जो दिख रहा है बस उसे ध्यान से देखते रहे।  अपनी सांसो की आवाज सुनते रहे। ज्यादातर कोशिश करें आपके पास का वातावरण भी ऐसा ही हो जहां आपके सांसो की आवाज खुद को सुनाई दे। पूर्ण रूप से सांसो पर धयान से सुनने  का अपना एक अलग ही अनुभव है।
ऐसे समय में खुद को सोचते, समझते नहीं बल्कि सिर्फ प्रकृति की सुंदरता को निहारते रहे और खुद के अस्तित्व को देखें।

* मौन रहना क्यों उचित है-
योगी और साधु लोग कहते हैं, जरा एक बार ध्यान से सोचो अपने जीवन में आप कितना समय मौन रहकर व्यतीत किया है और कितना समय व्यर्थ की बातों में बिताया है। हो सकता है  आप बहुत समय से वह व्यर्थ की बातों की बहस करते रहे हो।
 कई वर्षों से इसी क्रम में सोचते रहने से क्या मिला आपको ?
 उन बातों से सोचने से अंत में  डर ,कमजोर  मानसिकता, चिंता और ब्लड प्रेशर की शिकायत या डायबिटीज का बढ़ना ही होता है, मिलता कुछ भी नहीं और मौन रहने से बहुत कुछ हासिल हो सकता हैं। जो हमारी सोच से भी बड़ा होता है। मौन रहने से स्वास्थ्य ही नहीं शारीरिक मानसिक हर तरह का लाभ ही लाभ है नुकसान कुछ भी नहीं है।
मौन की अनुभूति होने पर हमें किसी भी प्रकार का आनंद महसूस करवा सकती हैं। मैं अगर अपना निजी अनुभव से बताऊं तो मुझे सिर के ऊपर  वाले हिस्से में एक हल्की सी वाइब्रेशन की फीलिंग अनुभव होती है जिसमें मुझे बहुत ही आनंद और सुकून मिलता है। 

* सकारात्मक सोच बढ़ती है-
 मौन रहने से हमारी सकारात्मक सोच का विकास होता है। सकारात्मक सोच हमारे अंदर की शक्ति को और मजबूत बनाती हैं। ध्यान योग और मौन को निरंतर अभ्यास करते रहने  से शरीर की कई तरह की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है और हम स्वास्थ्य मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हो जाते हैं। 

* मौन के प्रकार-
मौन हमारे लिए दो प्रकार का होता है।
 एक मन और दूसरा वाणी से ।  हम मन को वश में कर सकते हैं। कम बोलकर हम वाणी को कन्ट्रोल कर सकते है। 
 जरूरत के अनुसार शब्दों का उच्चारण करके हम इसको वाणी को मौन रहना कहा जाता है। मन को स्थिर करना मन में बुरे विचार नहीं आना, विचारों को हटाकर, आत्म विचार करना ,यह बाहरी दुनिया  की इच्छाऔ से मुक्त होकर अंतर के रूप में व्यस्त होना, मन को आत्मा को वश में रखना, इन सब क्रियाओं का पालन करके  मौन रहना कहलाता है।
जो लोग मन से बातें करते हैं, उन मौन व्रत धारियों को हम मुनि नाम से संबोधित करते हैं। मौन व्रत धारियों के अंदर एक महान शक्ति होती है ,यह बात बिल्कुल सत्य है। मौन का मतलब यह नहीं है कि आप बिल्कुल भी नहीं बोले परंतु जितनी जरूरत है उतनी ही वाणी का उपयोग किया जाए ।ऐसा करने से हम अपनी शक्ति का निर्वाह करने से बच सकते हैं। कुछ औरतों और पुरुषों की आदत होती है कि बिना वजह ही बोलते रहते हैं । ऐसी  लोगों कम बोलने का अभ्यास करना चाहिए।
*गीता के अनुसार-
 गीता कहती है कि जीवन में वाणी से अधिक मौन का प्रयोग होना चाहिए। 
गीता के 16 व 17 अध्याय में कहा गया है मन की चंचलता को नियंत्रित करने वाले मौन की स्थिति में मनुष्य सीधे परमात्मा से बात कर सकता है।
 इसी प्रकार चाणक्य नीति में भी बताया गया है कि मौन आत्मशक्ति एवं आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
 लेकिन मन में पैदा होने वाली भावनाओं को व्यक्त ना करने से मन पर अधिक दबाव पड़ता है। इसका मतलब साफ है कि सिर्फ वाणी को शांत कर लेने से मौन नहीं कहा जाता। अगर ऐसा होता तो हर गूंगा व्यक्ति जीवन भर मौन साधक होने के बाद सबसे महान  होता।  अधिकांश शास्त्र में मौन व्रत का महत्व तो बहुत बताया गया है लेकिन वह स्थितियां नहीं बताई गई जिनमें मौन संभव हो सकता हैं। मन की चंचलता को निरंतर करना ही मौन कहलाता है जो हमारे जीवन  में बहुत ही लाभकारी हैं। 

मौन के सक्रिय हो जाने से  मानसिक ऊर्जा का खर्च कम होती है। मन शांत, सहज व शांत स्वरूप हो जाता है। ऐसा कहा जाता है मन को जीतने वाला पूरी दुनिया को जीत सकता है। इसलिए मौन से आंतरिक जगत के साथ-साथ बाहरी दुनिया को भी लाभ मिलता है। जापान के बौद्ध मठ में एक साधक ने  यह साबित किया है कामकाजी या लौकिक जीवन में मन से सकारात्मक सोच का विकास होता है।
मनुष्य का मन हमेशा बाते करता रहता हैं। यदि आप बात कर रहे हैं तो मन की बात को सुनना संभव नहीं है, इसलिए मन की बात को सुनने के लिए आपको मौन पर ध्यान देना ही होगा। उसको शांत करना असंभव है इसलिए अपने मन की बात सुनने के लिए आपको खुद अपने लिए मौन होना अति आवश्यक है। मन की पूर्ण शांति प्राप्त करने के लिए मौन की अवस्था सर्वोपरि है।
 
मौन रहने का अभ्यास कैसे करें-
 सबसे पहले आपको छोटी सी अवधि से उ शुरू करना चाहिए। कम से कम एक साथ 24 घंटे के लिए मौन रहना किसी इंसान के बस में नहीं है। आप केवल बोलती बंद करके मौन रहने का अभ्यास  केवल 25 % ही होगा। मौन अभ्यास का अर्थ है पूरी तरह से निशब्द अर्थात किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं करना। शुरू में मौन के समय आपको इसके लिए थोड़ी कठिनाई जरूर आएगी और आपको कुछ बेचैनी सी भी अनुभव होगी। परंतु आप इस बात को लेकर चिंता ना करें यह एक आम समस्या है। संयम के साथ लगातार प्रयत्न करते रहे फिर धीरे-धीरे शांति का अनुभव करेंगे। इस प्रकार आप ध्यान करने के लिए तैयार हो जाएंगे।
 मौन का अभ्यास करना एक उपजाऊ भूमि तैयार करने के समान हैं।
मौन केवल भाषण का नियंत्रण नहीं है। इसे आप अपने विचारों को शांत किया जा सकता है । एक उपासक जो ईश्वर को किसी देवता के रूप में उसकी  स्तुति कर सकता है।  उसके लिए उनका उद्देश्य मात्र मन की शांति द्वारा अपने एक देवता के प्रति अपनी भक्ति को और अधिक सबल बनाता है।

* मौन रहने के लाभ -
मौन रहने से हमारे शरीर की सारी इंद्रियां शांत रहती हैं और मन शांत व एकाग्र होने से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। या मानसिक और स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत ही लाभदायक योग साधना है।

* गर्भवती स्त्रियों को मौन साधना अवश्य करनी चाहिए-  क्योंकि ऐसा करने से आपके बच्चे के ऊपर आचार विचार पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि सुनने में भी आता है जैसा मां सोचती है वैसा ही बच्चे के मस्तिष्क पर असर पड़ता है। इसलिए जितना भी हो सके गर्भवती स्त्री मौन रहने का अभ्यास अवश्य करें।

तनाव से मुक्ति-
अगर आप डिप्रेशन या तनाव का शिकार हैं तो ऐसे में आपको अपने ऊपर मौन रहने का अभ्यास अधिक से अधिक करना चाहिए।  ऐसा करने से आप अपने गुस्से और नकारात्मक विचारों को खत्म कर सकते हैं और इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
 मौन साधना से ईमनुयटी को बढाये- 
मौन साधना से आप रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद मिलती है जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है।
मौन रहने से बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ होते हैं। तनाव को कम होना, जोड़ों का दर्द खत्म,  माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, अनिद्रा आदि बीमारियों से निजात पाने के लिए मन को शांत रहना बहुत जरूरी है। यह हम तभी कर सकते हैं जब हम मौन रहने का अभ्यास शुरू करेंगे।
 
सवयं की खोज-
मौन रहने से हम खुद को जान सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से अशांत मन शांत हो जाता है। हम इस दुनिया में क्यों और किस लिए आए हैं इस बात का जवाब सिर्फ मौन साधना से ही मिल सकता है और जिस व्यक्ति ने स्वयं की खोज कर ली उसने सब कुछ खोज लिया। 

गृह कलेश खत्म-
अगर आपके घर में किसी भी बात को लेकर घर में गृह क्लेश है तो ऐसे में आप मौन रहकर उस समस्या को आसानी से सुलझा सकते हो, क्योंकि एक व्यक्ति को मौन रहकर दूसरे व्यक्ति को बहुत आसानी से चुप रहकर हरा सकता है। ऐसी स्थिति में सामने वाला व्यक्ति कब तक अकेला बोलता रहेगा। आखिर में वह बोल कर थक जाएगा और थोड़ी देर में शांत हो जाएगा। यह घर के क्लेश को शांत करने का सबसे सही तरीका है, क्योंकि अक्सर पति पत्नी में लड़ाई झगड़ा होना एक कॉमन समस्या है और इस समस्या से निपटने के लिए मौन साधना सबसे ज्यादा जरूरी है।
 
Last alfaaz- 
 यदि आप अपनी जिंदगी में भरपूर खुशियां और स्वस्थ जिंदगी चाहते हैं तो इसके लिए कुछ घंटे प्रतिदिन रहने मौन रहने  का अभ्यास जिंदगी में शामिल कर लें, क्योंकि
वेदों और शास्त्रों के अनुसार यह बात कही गई है कि बोलने वाला व्यक्ति महान नहीं बनता बल्कि चुप रहने वाला व्यक्ति ज्यादा महान माना जाता है।
*एक श्लोक के अनुसार यह बात भी समझाई गई है किसी दीपक में तेल अधिक होता है और  किसी में कम।
 तेल का पुरा भंडार किसी दीपक में नहीं समा सकता। उसी प्रकार इस धरती पर ईशवर ने मानव और  दानव सभी को प्रकृति ने प्राणशक्ति सीमित दे रखी है। उसका लाभ वही पा सकते हैं जो उसका प्रयोग संयम से करते हैं।  संयम का पहला अभ्यास वाणी का संयम करना है। जो लोग अपनी वाणी पर संयम रखना जानते हैं बे मतलब अनावश्यक शब्दों को प्रयोग नहीं करते, वो मौन रहने का अभ्यास करके अपने जीवन में  स्वस्थ और शांति पा सकते हैं, और हर इंसान के जीवन में सही  स्वास्थय और शांति का होना सबसे अमूल्य धन है।
इस लेख  के माध्यम से हमने मौन साधना के बारे में आपको सही जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है, अगर कोई कहीं कोई  कमी रह गई हो तो प्लीज कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगे हो तो प्लीज अपने चाहने वालों को जरुर शेयर करें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ