संकल्प की शक्ति के चमत्कार || संकल्प सिद्धि कैसे करें || how to take resolution | benefits of taktaking a resolution in hindi |

 Tittle - संकल्प की शक्ति कैसे खुद को ठीक करे   
हम सबके अंदर संकल्प शक्ति का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल है. हमारे जीवन में  संकल्प से हमारे जीवन का निर्माण होता है. कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सकंल्प से अपने जीवन में नया परिवर्तन ला सकते हैं। निम्न स्तर का इंसान भी महान बन जाता है ।
हम जो भी सोचते हैं यानी हमारी इच्छा जिस प्रकार की भी होती है उसके दो रूप   होते है एक सामान्य इच्छा और एक खास इच्छा । यह खास  इच्छा ही जब उत्कृष्ट दृढ बन जाती हैं उसी को हम संकल्प कहते हैं। हम जो कुछ भी कामना  करते हैं उसके तीन रूप होते हैं शरीर से वाणी से और मन से। वाणी और शरीर में क्रिया आने से पहले मन में ही होती है अर्थात कर्म का शुरुआती रूप मानसिक ही होते हैं। मन में हम बार-बार आवृत्ति करते हैं कि मैं उसको ऐसा बोलूंगा और मैं इस कार्य को ऐसे करूंगा ।
उसके पश्चात ही वाणी से बोलते हैं अथवा शरीर से करते हैं । इसी क्रिया को हम जो मन में हम बार-बार दोहराते हैं तो यह संकल्प कहा जाता है।
संकल्प  शक्ति का प्रभाव- 
जीस प्रकार व्यक्ति इच्छा करता है और सोचता है वही उसका जीवन भी उसी प्रकार बन जाता है। किसी भी काम को करने से पहले संकल्प करना हमारी प्राचीन परंपरा रही है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार यज्ञ , जप आदि  भी जो शुभ काम किए जाते हैं सबसे पहले हम संकल्प से ही पाठ आरंभ करते हैं।  संकल्प के माध्यम से व्यक्ति मजबूत बनता है और अंदर से दृढ़ और बलवान होता है।
 प्रत्येक क्षेत्र में काम करने के लिए व्यक्ति को स्वयं को संकल्पवान बनना चाहिए। जिसने मन में संकल्प कर लिया उसको व्यवहार में क्रिया करना भी अति उत्तम है जिसका संकल्प जितना मजबूत होता है उतना ही जल्दी उसको सफलता मिल जाती है।
 संकल्प कैसे बनते है- 
हम सभी ने पानी की एक -एक  बूँद  को किसी बर्तन में टपकते हुए देखा है। एक - एक बूंद से वह लगातार टपकते रहने के कारण वह ज्यादा मात्रा में इकट्ठा हुआ दिखाई देता है ।एक एक बूंद से 20 लीटर की बाल्टी भर जाती है। यह कैसे हो गया? यह संग्रह के नियम के द्वारा हुआ है ।


* विचारों की ऊर्जा-
यह उर्जा इकट्ठी होती रहती है- एक-एक बूंद जब भाप बनती जाती है तो विशाल बादल का रूप ले लेती है । ठीक वैसा ही • परिणाम हमारे विचारों के द्वारा भी होता है । विचार अर्थात् विचारों की ऊर्जा भी वाइब्रेशन के रूप में इकट्ठी होती रहती है । यदि विचार सकारात्मक तो संकल्पों की ऊर्जा के इकट्ठे होने के परिणाम भी सकारात्मक होंगे । यदि विचार व्यर्थ या नकारात्मक है तो नकारात्मक ही होंगे ।
  तो यह संकल्पों की ऊर्जा के इकट्ठे होने के परिणाम भी विचार - ऊर्जा लौट कर आती है । विचार - ऊर्जा को हम जहां भेजते हैं , वहीं इकट्ठी होती जाती है। बशर्ते कि कोई दूसरी शक्ति उसके साथ प्रतिक्रिया न करे । क्रिया या प्रतिक्रिया करने से या वापिस भेजने से वह बदल भी जाती है और वापिस भी चली जाती है । जाने या अनजाने में विचारों की ऊर्जा जहां , जिसके बारे में भेजी जाती है , वहां संग्रहीभूत होती रहती है । निश्चित मात्रा में इकट्ठी  होने के बाद वह ऊर्जा के परिवर्तन के नियम के अनुसार स्वतः वापिस उसी स्रोत पर लौट आती है। जहां से वह उत्पन्न हुई थी । 
क्या  वयर्थ के विचारों का भार होता है -

हम सभी प्रायः अपने व्यर्थ संकल्पों या व्यर्थ बातों के वर्णन की विवशता या परिस्थिति के बारे में बहानेबाजी लगाते हैं , जैसे कि हम क्या करें जी , बात ही ऐसी थी , यह व्यक्ति ही ऐसा है . यह करता ही ऐसा है , परिस्थिति ही ऐसी थी इसलिए विचार चलते हैं या बातों का वर्णन या चिंतन हो जाता है पर हम चाहते नहीं हैं ।
 विज्ञान कहता है कि संकल्पों ( विचारों) में एक निश्चित किस्म का भार भी होता है । व्यर्थ या अशुभ संकल्पों का इकट्ठा होना अर्थात् भार इकट्ठा होना अर्थात् भार चढ़ना । समर्थ , श्रेष्ठ , शुभ विचारों का इकट्ठा होना अर्थात् ऐसी ऊर्जा का अनुभव कराती है । इकट्ठा होना जो हल्की होती है और हमें हल्का अनुभव कराती है।
 
* विज्ञान व्यर्थ विचारों के बारे में
 क्या कहता है ? 
चिकित्सा विज्ञान या मनोविज्ञान की मानें तो हम कह सकते हैं कि वर्तमान के दौर में प्रत्येक मनुष्य को मानसिक स्थिति एक निश्चित मात्रा में व्यर्थ वाली रहती ही है । एक समय था जिसे हम सतयुग कहते हैं , वह स्वभावतः ही व्यर्थ से मुक्त समय था लेकिन वर्तमान समय जो भी मनुष्य हैं वे व्यर्थ से पूर्णतः मुक्त नहीं हैं । नंबरवार कम या ज्यादा मुक्त हो सकते हैं पर किसी भी मनुष्य की व्यर्थ से पूर्णतः मुक्त स्थिति नहीं है । अपूर्णता में पूर्णता देखने का प्रयास करें भार किसी को नहीं चाहिए । निर्भार सब होना चाहते हैं जीवन है तो बातें भी होती हैं जीवन अपूर्ण है कोई भी यहां पूर्ण नहीं है। अपूर्णता में अपूर्णता कि व्यर्थ बातें ही तो होंगी ही लेकिन हमेशा अपूर्णता में पूर्णता देखने का प्रयास करें । बात ऐसी या वेसी हो या कोई ऐसा वैसा हो। इस बात व्यक्ति का ऐसा वैसा होना तो हमारे कंट्रोल में नहीं होता है । परंतु यह तो हमारे हाथ में है कि हम अपने मन में कैसे संकल्प पैदा करें और कैसे ना करें। हमें व्यर्थ  नकारात्मक, अशुभ नहीं  सोचना चाहिए। हमें हमेशा शुभ श्रेष्ठ संकल्प करते करते समय को व्यर्थ विचारों को उर्जा से निर्भार रहना चाहिए। हम जितने हल्के होते हैं उतना ही हम जीवन का आनंद उठा सकते हैं और सुख शांति, ज्ञान और इश्वर की अनुभूति  का अनुभव बढ़ा सकते हैं। श्रेष्ठ और पोजटीव  संकल्पों की उर्जा के द्वारा हम बहुत बड़े काम कर सकते हैं यानी मेरे कहने का भाव है शुभ संकल्पों में इतनी शक्ति है जो आप सोचते हैं वह आपके जीवन में होता ही है क्योंकि संकल्पों की शक्ति बहुत बड़ी शक्ति है। संकल्प यानी सिद्धि प्राप्त कर लेते हो संकल्प से सिद्धि हो सकती हैं।
अगर आपके अंदर भी गलत सोचने की बुरी आदत है तो अपने दोषों  को पहचान और उनको दूर करने का प्रयत्न करें और शुभ संकल्प लेने के लिए प्रयास करें, ताकि आप अपने शुभ संकल्पों में सफल हो पाए।
 हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है अपनी जिंदगी में आनंद की प्राप्ति यानी ईश्वर प्राप्ति को अनुभव करना। इस महान लक्ष्य के लिए हमें संकल्प में उतना ही महानता के साथ लेना होगा जितना महान हमारा पुरुषार्थ होगा तो आइए अपने जीवन में संकल्पवान  बने और अपने जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करके अपने जीवन को सार्थक और सफल बनाएं।
सकंल्प की शक्ति का महत्व - 
हमारे अंदर इतनी महान शक्ति है कि हम असंभव को भी संभव कर सकते हैं ।संकल्प शक्ति से हमारा मनोबल बढ़ता है और हमारे अंदर विश्वास की ज्योति जलती है। संकल्प शक्ति में सबसे बड़ी खास बात यह है कि हमारी बुरी आदतों से छुटकारा दिला सकती है। अब बात यह समझने की है कि शुरुआत कैसे की जाए।
 अगर आप किसी भी बुरी आदत को छोड़ना चाहते हैं तो सिर्फ इस प्रकार संकल्प लीजिए कि मैं आज 1 दिन के लिए इस बुरी आदत से दूर रहूंगा पहले दिन अगर आप संकल्प को लेकर अपने किसी भी बुरी आदत से दूर रह गए तो प्रतिदिन यह संकल्प लें और यह संकल्प एक दिन सिद्ध हो जाएगा। सुबह उठकर सबसे पहले यह सोचे कि मैं आज के दिन किसी भी बुरी लत को अपने आसपास भी आने नहीं दूंगा। सिर्फ 1 दिन के लिए सोचना है और यह प्रतिदिन अभ्यास करना है। जिंदगी को 1 दिन के हिसाब से जिया जाता है ना कि जिंदगी भर का सोच कर । धीरे-धीरे प्रतिदिन यह अभ्यास करके आप अपनी बुरी आदत पर विजय प्राप्त कर लेंगे। इसी प्रकार अपनी बुरी आदतों को बदलकर  मेरे कहने का अभिप्राय है अपना मुकाम हासिल कर लेंगे। बस जरूरत है प्रतिदिन अभ्यास को जारी रखें। आप अपने काम में अवश्य सफल होंगे ध्यान रहे कि मन और मस्तिष्क को संकल्प से मुक्त ना रखें यह मन में चलता रहना चाहिए पानी के टपकने की तरह जिस प्रकार पानी की टपकने से बाल्टी भर जाती है उसी प्रकार हमारे संकल्प भी सिद्ध  हो जाते हैं।
धन्यवाद । posted by kiran
 
 

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