महामृत्युंजय का जप कैसे करें ||महामृत्युंजय मंत्र जप कब करे | महामृत्युंजय करने के लिए सावधानियां ||

 Tittle - महामृत्युंजय जप कैसे करें और कब करें ।
महामृत्युंजय जप करने की विधि
महामृत्युंजय जप, भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंत्र है जिसे शिव पुराण में प्रशंसित किया गया है। यह जप भक्ति और शिव भक्तों के द्वारा विशेष रूप से मृत्यु के भय और रोग से मुक्ति के लिए किया जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप निम्नलिखित विधि के अनुसार किया जाता है:-

• सबसे पहले, आपको एक शिवलिंग के सामने या किसी शिव मंदिर में बैठना चाहिए। यदि शिवलिंग उपलब्ध नहीं है, तो आप एक शिव मूर्ति के सामने भी बैठ सकते हैं।

• अपने सामने रखे शिवलिंग या मूर्ति के लिए प्रणाम करें और शिव की कृपा की भावना करें।

• फिर से अपने मन में शिव की आराधना करें और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।

• अब माला लेकर आरंभ करें। माला में १०८ मन्त्रों का जप करना होता है, इसलिए अपनी माला में १०८ मोती या बीजों को ध्यान से बांधें। और माला को हमेशा  रखे।

महामृत्युंजय मंत्र-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

इस मंत्र का अर्थ है: हम त्रयम्बकं (तीन आँखों वाले) शिव को पूजनीय मानते हैं, जो सुगन्धित (आरोग्य और सुख से भरे हुए) है और बढ़ाता है। हम उसे मृत्यु और बंधन से मुक्त करें, यह मंत्र शिवजी की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक मार्ग है और इसे विधि और भक्ति से जाप किया जाता है। 


महामृत्युंजय जप करते समय सावधानीया-
• जप के लिए शुदता बनाए रखें: शुदता अपनाने के लिए स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। स्थान को भी साफ रखें और एक पवित्र और शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखें।

• मन स्थिर रखें: जप के दौरान मन को स्थिर और ध्यानित रखें। अन्य विचारों को दूर करें और शिव की आराधना में समर्पित रहें।

• उच्चारण के नियमों का पालन करें: मंत्र को सही ढंग से उच्चारण करें। यदि आपको मंत्र का उच्चारण नहीं पता है, तो आप एक गुरु से मार्गदर्शन ले सकते हैं।

• नियमितता से जप करें: महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करें। सर्वाधिक प्रभावी रूप से, रोज़ाना सुबह और शाम के समय एक निश्चित संख्या में मंत्रों का जप करना उचित होता है, जैसे १०८ या २००८ मंत्रों का जप।

• जप के दौरान समर्पण करें: जप के समय अपने मन, शरीर और आत्मा को भगवान शिव को समर्पित करें।

महामृत्युंजय जप करने के लाभ-----
महामृत्युंजय जप करने के विभिन्न लाभ हैं। यहां कुछ मुख्य लाभों की एक सूची है:

• रोगों से रक्षा: महामृत्युंजय जप को अभिशाप और मौत से बचाने वाला माना जाता है। इसका जप करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से रक्षा होती है और ऊर्जा का संतुलन स्थापित होता है।

• दीर्घायु: महामृत्युंजय जप का नियमित अभ्यास करने से जीवन की अवधि बढ़ती है और दीर्घायु होती है। इस जप से शरीर की प्राकृतिक शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

• मन की शांति: महामृत्युंजय जप करने से मन की शांति और स्थिरता मिलती है। यह मन को अशांति, चिंता और स्त्रेस से मुक्त करके आध्यात्मिक शक्ति को प्रोत्साहित करता है।

• मानसिक और आध्यात्मिक विकास: महामृत्युंजय जप करने से मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह ज्ञान, उच्चता की भावना, स्वयं के प्रति उदारता और आत्म-उन्नति को प्रोत्साहित करता है।

महामृत्युंजय जप करने के लिए सामग्री-

• शिवलिंग या शिव मूर्ति: आप मंदिर में या अपने घर में एक शिवलिंग रख सकते हैं। यदि शिवलिंग उपलब्ध नहीं है, तो एक शिव मूर्ति या फोटो भी उपयोगी हो सकती है।

• पूजा सामग्री: शिवलिंग या मूर्ति के सामने पूजा के लिए विभिन्न सामग्री की आवश्यकता होती है। इसमें धूप, दीप, अगरबत्ती, पुष्प, नैवेद्य (फल, मिठाई या चावल), पान, जल, बिल्वपत्र, गंगाजल, गंध और वस्त्र शामिल हो सकते हैं।

• माला: एक माला (जपमाला) की आवश्यकता होती है जिसमें १०८ मोती या बीज होते हैं। यह माला जप के दौरान मंत्रों की गणना करने के लिए उपयोगी होती है।

• पुस्तक या मंत्र पाठ संग्रह: आप मंत्र पाठ संग्रह या शिव पूजा से संबंधित पुस्तक का उपयोग करके मंत्रों को सही ढंग से पढ़ सकते हैं। यह आपको जप करने में मदद करेगा और आपको संगीत रूप में मंत्रों का उच्चारण करने के लिए मदद मिलेगी। 


महामृत्युंजय मंत्र का मतलब-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
अनुवाद:-
 हम उस त्रिनेत्र भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सुगंधित, पुष्टिकर और समृद्धि देने वाले हैं। हमें उस बांधन से जैसे अरण्य गुच्छ में फंसे हुए ग्रीष्म फल सदृश प्रतीत होता है, वैसे ही मृत्यु के बन्धन से मुक्ति प्राप्त होनी चाहिए और हमें अमृत से छूटकर मुक्त होना चाहिए। यह मंत्र मृत्युंजय अवतार के रूप में जाने जाने वाले भगवान शिव की प्रशंसा करता है और मृत्यु और अमृत से मुक्ति की प्रार्थना करता है। यह मंत्र जीवन की रक्षा, स्वास्थ्य, शांति और सुख के लिए प्रार्थना करता है। इसका जप करने से मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है और शिव की कृपा प्राप्त होती है।


महामृत्युंजय का जप कितनी संख्या में करना चाहिए-
महामृत्युंजय मंत्र का जप आप किसी निश्चित संख्या में कर सकते हैं। साधारणतः, १०८ मंत्रों का जप सबसे प्रभावी माना जाता है। आप एक माला (जपमाला) का उपयोग करके १०८ मंत्रों का जप कर सकते हैं। इसके अलावा, आप २१६, ४३२, ८६४ या अन्य अधिक संख्या में मंत्रों का जप भी कर सकते हैं, यह आपकी साधना और समय की उपलब्धता पर निर्भर करेगा। आपके अभ्यास के आधार पर आप अपनी आराधना में अधिक मंत्रों की संख्या का चयन कर सकते हैं, लेकिन नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है।


महामृत्युंजय मंत्र के जप के फायदे-

• शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह रोगों से रक्षा करता है, ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है और मन को शांति देता है।

• दीर्घायु: महामृत्युंजय मंत्र के जप से जीवन की अवधि में वृद्धि होती है। यह जप शरीर की प्राकृतिक शक्ति को बढ़ाता है और बीमारियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।

• आध्यात्मिक विकास: महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से आध्यात्मिक विकास होता है। यह मन को उदारता, शांति, समर्पण और उच्चता की भावना के साथ परिपूर्ण करता है।

• भयमुक्ति: महामृत्युंजय मंत्र के जप से भयमुक्ति होती है। यह मंत्र मन को अशांति, डर और चिंता से मुक्त करके आत्मविश्वास और आत्मशक्ति को प्रोत्साहित करता है।

कया गलतियाँ न करें-
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय पूजा का सही तरीके से करना बेहद जरूरी है इसमें की गई गलती आपको दुष्प्रभाव भी डाल सकती हैं।
 
* मंत्र का जाप करते समय ध्यान रहे कि आप जिस आसन पर बैठे हो वह एकदम शुद्ध  और कुशा के आसन पर बैठकर ही जप करना सबसे उत्तम माना जाता है।

*  इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करें।

 विधि विधान से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग में दूध मिले जल से अभिषेक  करते रहें। 
 इस मंत्र का जाप करते समय निश्चित संख्या पहले से निर्धारण कर ले अगले दिन उनकी संख्या बढ़ा ले लेकिन कभी भी कम ना करें।
 महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए।

 अगर आप इस जप को नियमित रूप से नहीं कर सकते थे उसके सुनने मात्र से ही नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है ।
इसलिए आप कहीं भी इसको शुभ कार्य करने से पहले सुन लेना बहुत अच्छा माना जाता है।
 निष्कर्ष-
मृत्युंजय मंत्र का जाप भगवान शिव को समर्पित है और भगवान शिव को तीनों लोकों का देवता माना जाता है। हम भगवान को पूरे संसार के पालनहार तीन नेत्र वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस पूरी सृष्टि को रचने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें जिसकी मोक्ष की प्राप्ति के लिए हम इस तरह से जाप और विधि विधान का प्रयोग करते हैं। ध्यान रहे कि इन सब मंत्र जाप करते समय सावधानियां और शुद्धता जरूर होनी चाहिए तभी यह फलदाई होते हैं।
 इस मंत्र को हम अकाल मृत्यु, धन हानि, कलेश और ग्रह पीड़ा को ठीक करने के लिए ऐसी स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय का जाप किया जाता है। इस मंत्र के करने से चमत्कारी लाभ देखने को मिलते हैं इन सभी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।

Disclaimer- महामृत्युंजय जप की विधि हमारा खुद का कोई योगदान नहीं है. यह हमें धर्म शास्त्रों के अनुसार लिखा है और अंत में मैं यही कहना चाहूंगी इस महामृत्युंजय जाप को करने के लिए किसी विशेष पंडित यह ज्ञानी की सलाह लेकर ही किया जाए। क्योंकि यह मंत्र कोई साधारण मंत्र नहीं है कि आप इसे  इंटरनेट से पढ़ कर खुद ही पंडित बन जाए। इसको करने के लिए विधि विधान, सावधानियां इन सब बातों का बहुत धयान रखना पड़ता है। जिसको इसकी जानकारी हो उसकी सलाह और उसकी देखरेख के अनुसार ही इस मन्त्र को शुरू करना चाहिए। 
 धन्यवाद 
 


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