कुलदेवी की पूजा कैसे करें ||कुलदेवी से आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें|| अपनी कुल देवी के बारे कैसे जाने ||



कुलदेवी पूजा कैसे करें?
अपनी कुलदेवी की पूजा क्यों और कब कैसे करनी चाहिए-
कुलदेवी या कुलदेवता का महत्व भारतीय परंपरा में बहुत उच्च है। कुलदेवी या कुलदेवता आपके पूर्वजों की उपासना का एक रूप होता है और आपके वंशजों की संजीवनी शक्ति भी। इसलिए अपनी कुलदेवी की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है।
 

* पुुजा  करने का समय-
कुलदेवी की पूजा का समय और तरीका विभिन्न क्षेत्रों और संप्रदायों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। इसलिए, आपको अपने क्षेत्र या संप्रदाय की रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी कुलदेवी की पूजा करनी चाहिए। यदि आप इसके बारे में निश्चित नहीं हैं तो आप अपने स्थानीय पंडित या अध्यात्मिक गुरु से सलाह ले सकते हैं।

कुलदेवी की पूजा के लिए निम्नलिखित चीजें आवश्यक हो सकती हैं-

• एक पूजा स्थल जहां आप पूजा कर सकते हैं ।

• पूजा सामग्री जैसे कि दीपक, अगरबत्ती, फूल, नरियल, प्रसाद आदि।

• मंत्र जो आप कुलदेवी को समर्पित कर सकते हैं।

• अन्य पूजा से संबंधित सामग्री जैसे कि कलश, रुद्राक्ष माला आदि।

कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए -
अब बहुत सारे लोगों का यह सवाल होता है कि कुलदेवी की पूजा किस दिन और कब करनी चाहिए?

कुलदेवी की पूजा प्रतिदिन नियमित रूप से करनी चाहिए जिस तरह आप अपने अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं उसी प्रकार कुलदेवी की पूजा भी करना बहुत जरूरी होता है कुलदेवी हमारे कुल की देवी मानी जाती है इसलिए कुलदेवी को प्रतिदिन याद करना बहुत जरूरी होता है। प्रतिदिन कुलदेवी की पूजा अर्चना करने से उनको याद करने और उनकी स्तुति करने से  हमारी कुल देवी प्रसन्न होती और हमें आशीर्वाद, सुख, शांति और समृद्धि देती है।
ऐसा माना जाता है कि रोजाना कुलदेवी की पूजा करने से हमारे घर में हमेशा के लिए सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बना रहता है और घर के सभी सदस्यों में  प्यार प्रेम बना रहता है इसलिए आपको कुलदेवी की पूजा करनी चाहिए।

कुलदेवी की सरल पूजा विधि-

कुलदेवी की पूजा करने के लिए सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप की कुलदेवी है कौन। यह आपके घर  बड़े बुजुर्ग या आपका पंडित ही आपको बता सकता है।
कुलदेवी की पूजा प्रतिदिन नियमित रूप से करने से आपके घर में किसी  कारण से नहीं होती यह बिना कारण के ही प्रतिदिन करनी होती है।
अगर  कुलदेवी की पूजा नही की जाती है तो यह कुलदेवी का अपमान माना जाता है। इस बात को इस प्रकार समझने की कोशिश कीजिए अगर आप अपनी दादी को याद न करें न कुछ खाने को दे तो क्या वह आपको आशीर्वाद देगी और आप ऐसा बर्ताव देखकर वह खुश रह सकती है।
इस  आसान भाषा में इस प्रकार समझे कि हम अपने बड़े बुजुर्गों को याद ना करके सिर्फ खुद को याद कर रहे हैं।
कुलदेवी को मानना यानी अपने परिवार के सबसे बड़े सदस्य को मानने जैसे हैं।
कुलदेवी की पूजा सुबह और शाम दोनों समय करना चाहिए। अगर आप सुबह समय दोनों समय पूजा करते हैं तो आप सुबह 6 के बीच में कुल देवी की पूजा करने अगर आप शाम को कुलदेवी की पूजा करते हैं शाम को 7:00 बजे से पहले सूर्यास्त होने से पहले कुलदेवी की पूजा कर ले।
कुलदेवी की पूजा हमेशा स्नान  करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने के बाद ही करनी चाहिए। कुलदेवी की पूजा आपको कुलदेवी की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर करना चाहिए।
इसके बाद अगर हो सके तो भोग जरूर लगाये। इतना हो जाने के बाद कुलदेवी को भी आरती  करें और सारी पुजा होने के बाद  माफी मांग कर उनसे अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
यदि आपको कुलदेवी की पूजा करने के लिए और पूजा करते समय अपने कुलदेवी से निवेदन करें  कि मेरे घर में सब कुछ आपका है।  मैं भी आपकि हूं और घर परिवार सब कुछ आपका है। आप इसकी रक्षा करो तभी मैं इस घर के  लिए कुछ कर सकती हूं। इस तरह से प्रार्थना करने से मां भगवती  आपके परिवार का सब भार अपने ऊपर ले लेती हैं और फिर आपके परिवार की रक्षा करना मां कुलदेवी के ऊपर ही निर्भर करता है। माँ  इस प्रकार की रक्षा करती है आपको उसके बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं है। 

कुलदेवी की पूजा करने क्यों जरूरी है-

कुलदेवी की पूजा करना इसलिए जरूरी मानी जाती है क्योंकि वह हमारे घर की सती के रूप में मानी जाती है। हो सकता है आप किसी और देवता को मानते हो।
 वह आपके लिए सही है पर ऐसा नहीं हो सकता कि आप भगवान को तो पूजते रहें और अपने मां समान कुलदेवी को इग्नोर करके आप आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो।  जब तक घर की मां खुश नहीं होगी तो आपको कोई और आशीर्वाद नहीं दे सकता अगर मिल भी गया तो वह फलीभूत नहीं होगा, इसलिए सबसे पहले किसी भी काम को करने के लिए अपनी मां कुलदेवी की पूजा करना बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण माना गया हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार ।कुलदेवी यानी अपनी मां,  दादी का ही रूप माना गया है, अगर घर की औरतें खुश नहीं होंगी तो बाहर के लोगों को कितना मर्जी खुश कर लो  वो तुम्हें खुशी नहीं दे सकते इसलिए सबसे पहले अगर पूजा की शुरुआत करने हैं तो अपने कुलदेवी और पितरो देवताओं से करनी चाहिए तभी पूजा आपकी सफल होगी। तभी आपको आशीर्वाद मिलेगा।

निष्कर्ष-
आज हमने इस लेख के माध्यम से आपको बताया की कुलदेवी की पूजा किस प्रकार करनी चाहिए हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल जरूर आपके लिए उपयोगी  होगा और अगर हो सके तो इसको शेयर जरूर करें।
धन्यवाद।



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