खुजली के लिए नीम के उपाय || नीम के त्वचा के लिए घरेलू उपाय || नीम के औषधीय गुण || how to use Neem for itching in hindi |

 दाद खाज खुजली के नीम का प्रयोग कैसे करें-
नीम के पोधै के पतियाँ,छाल और बीजों  का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप के किया जा रहा है। नीम को एक आयुर्वेद में औषधीय पौधा माना जाता है नीम के अंदर त्वचा संबंधी रोगों को दूर करने की बहुत सारे गुण पाए जाते हैं जैसे दाद खाज खुजली एग्जिमा फोड़े फुंसियों और यहां तक कि जोड़ों के दर्द को ठीक करने में भी नीम बहुत ही सहायक माना जाता है यह कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं है क्योंकि नीम से होने वाले फायदों के बारे में हम सभी जानते हैं।

नीम के बीजों को किस प्रकार उपयोग कर सकते है- 
इस बात में कोई शक नहीं है कि नीम का पत्तियों का उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों के रूप में किया जाता है। दिल से संबंधित समस्याओं, वायरल बीमारियों, आँखों से संबंधित बीमारियों तथा आंत की बीमारियों आदि के उपचार में इनका उपयोग किया जाता है। पुराने समय की औरतें औरतें दो नीम के फूलों से धूप में सुखाकर काजल तक बना लेती थी पर आंखें बहुत ही नाजुक अंग है हमारा इसलिए हम इस प्रकार की कोई सलाह नहीं देते


नीम के बीज के फायदे -

त्वचा की देखभाल में : नीम के बीज के तेल का उपयोग सामान्यत: हर्बल उत्पादों में घटक के रूप में किया जाता है। यह लाभकारी तेल साबुन, क्रीम, लोशन, फेस वॉश आदि में मिलता है। क्योंकि यह एक प्राकृतिक एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक है।
अत: इसका उपयोग त्वचा से संबंधित विभिन्न समस्याओं जैसे सोरेसिस, एक्जिमा, मुहांसे, रिंगवर्म आदि में किया जाता है। नीम के बीज के तेल से आपकी त्वचा नर्म, चिकनी और चमकदार बनती है। इससे त्वचा स्वस्थ और दाग धब्बों से मुक्त रहती है।

बालों की देखभाल-  सामान्यत: हर्बल शैंपू में नीम का तेल होता है। नीम तेल युक्त शैंपू का बालों पर शानदार प्रभाव पड़ता है। नीम युक्त शैपू से बाल धोने पर न वे केवल सुंदर दिखते हैं। बल्कि यह बालों के झड़ने और समय से पहले बालों के सफ़ेद होने जैसी समस्याओं को दूर रखता है। स्वस्थ और चमकीले बालों के लिए आप नीम के तेल का उपयोग कर सकते हैं।

आँखों और कानों के लिए मरहम के रूप में ---
नीम के बीज के रस का उपयोग आँखों और कानों के लिए मरहम और ड्रॉप बनाने में किया जाता है। इनमें एंटीबैक्टीरियल गुण होता है जो आँखों और कानों में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक होता है। विशेषज्ञों के अनुसार आँखों और कानों में कीटाणुओं और जीवाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण के उपचार में नीम के बीज के सत से बने ड्रॉप्स और ऑइंटमेंट का उपयोग बहुत प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।

 नीम का  मलेरिया रोग के लिए -
 आयुर्वेधिक औषधि प्रणाली में मलेरिया के प्रभावी उपचार में नीम का उपयोग किया जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार नीम के पिसे हुए बीजों की दुर्गन्ध मच्छरों को दूर रखती है तथा उन्हें अंडे देने से भी रोकती है। नीम के वृक्ष के बीजों से मिलने वाले नीम के शुद्ध तेल का उपयोग मच्छरों को अंडे देने से रोकता है जिससे मलेरिया जैसी बीमारी का खतरा कम रहता है।

 नीम का पौधा मिट्टी को पोषक बनाता है -
 नीम के बीजों से तेल निकालने के बाद जो अवशेष बचता है उससे नीम की टिकिया बनाई जाती है। मिट्टी को पोषक बनाने के लिए इसे जैविक पदार्थ के रूप में मिट्टी में मिलाया जाता है। यह मिट्टी में नाइट्रोजन को कम होने से रोकता है क्योंकि यह नाइट्रीकरण को रोकता है।

 नीम के पत्ते कपड़ो और कीड़ों को दूर रखने में सहायक - नीम के बीज का तेल एक उत्कृष्ट कीट निरोधक है। माली बग़ीचे में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कीड़ों जैसे दिंमक , घुन, टिड्डी, झींगुर आदि को पेड़ पौधों से दूर रखने के लिए इसका उपयोग करते हैं। आप घर पर भी चींटी, दीमक, तिलचट्टे, मक्खी, खटमल आदि को दूर रखने के लिए नीम के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
इसी प्रकार आप कपड़ों के अंदर भी नीम की कुछ पत्तियां सुखाकर बेड के अंदर या फिर जहां पर आप कपड़े रखते हैं वहां पर डाल दीजिए कपड़ों में किसी भी प्रकार का कीड़ा लगने का डर नहीं रहेगा।

 नीम का कीटनाशक के प्रयोग कैसे करें  - ऑर्गेनिक खेती करने वाले कृषक कीटों के संक्रमण को रोकने के लिए नीम के बीज के तेल का उपयोग करते हैं। नीम के पिसे हुए बीजों को रात भर पानी में भिगाकर रखा जाता है तथा इस पानी का फसलों पर छिडकाव किया जाता है।
यह छिडकाव अण्डों को निष्क्रिय करता है, कीटों को दूर रखता है तथा उन्हें मारने में सहायक होता है। एक बार छिडकाव होने पर भूख के कारण कीड़े कुछ ही दिनों में मर जाते हैं। नीम के बीज से बने कीटनाशक उत्कृष्ट होते हैं क्योंकि ये रसायन मुक्त होते हैं।

अन्य बीमारियों के लिए -
 नीम के बड़े पत्तों और बीजों से चाय बनाई जा सकती है। जबकि  ये बहुत अधिक कडवे होते हैं तथा इन्हें पीना बहुत मुश्किल होता है परन्तु यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। यह किडनी, मूत्राशय और प्रोस्टेट से संबंधित बीमारियों के लिए  बहुत प्रभावी है। यह उपचार है

बालतोड़ के लिए-
 प्रयोग मुट्ठी भर नीम के पत्तों को खूब बारीक पीसकर एक टिक्की बना ले और फिर उस पेस्ट  को फोड़े या बालतोड़ पर रखकर पट्टी बांध ले यह उपाय करने के बाद कुछ ही दिनों में बालतोड़ फूट जाएगा और धीरे-धीरे आराम हो जाएगा ।

 नीम का जोड़ों के दर्द के लिए घरेलू उपाय-
 नीम का तेल जोड़ों के दर्द के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है नीम का तेल लगाकर हल्के हाथों से जोडो पर लगाने से आमवात और संधिवात जैसे रोगों से राहत मिलती है ।

पायरिया रोग के लिए नीम के उपाय -
 दांतो को एक पायरिया रोग बहुत ही बुरी तरह की दुर्गंध आने वाली समस्या है ।इसके लिए मसूड़ों में खराबी होना एक मुख्य कारण होता है। नीम की पत्तियों को धोकर साफ कर लें और एक गिलास पानी में खूब उबाल कर ठंडा कर लें फिर इस पतियों  को निकाल कर इस पानी से कुल्ला करने से  रोग पायरिया रोग ठीक हो जाता है और अगर हो सके तो प्रतिदिन निम की ताजी दांतून का प्रयोग जरूर करें ।

बालों को झड़ने से रोकने के लिए-
 अगर आपको भी बाल झड़ने की समस्या है नीम के पत्ते और बेर के पत्ते दोनों को पानी में डालकर खूब उबाल ले। अब इस पानी को ठंडा करके छानकर रख लें और इस पानी से बालों को लगाकर हर सप्ताह में एक बार सिर धो ले और फिर नीम के तेल से उंगलियों के साथ धीरे-धीरे जड़ों में मसाज करें। अन्य कोई तेल ना लगाए इस प्रयोग से धीरे-धीरे बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।


चेचक रोग के लिए नीम के उपाय -
 चेचक रोग के लिए भी नीम को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नीम की पत्तियों  के साथ काली मिर्च पीसकर पानी के साथ लेनेसे चेचक रोग में बहुत जल्दी राहत मिलती है। जिन लोगों को चेचक निकल आती है उस रोगी के लिए इलाज में नीम का उपयोग लाभदायक सिद्ध होता है। रोगी के कमरे में रोज नीम की पत्तियां तोड़कर लटकाए ,रोगी के बिस्तर पर भी नीम के ताजे पत्ते बिछाकर रोगी को सुलाना चाहिए। नीम की घनी पत्तियों वाली डाल से रोगी के ऊपर से हिलाते हुए हवा करे ।  नीम के पत्तों को खूब महीन पीसकर छानकर इस पानी से पोहा भिगोकर चेहरे पर लगाने से जलन शांत होती है जिससे रोगी को बेचैनी दूर होती है और नीम के बीज को  पीसकर लेप लगाने से नीम का तेल लगाने से कुछ ही दिनों में दाग मिट जाते हैं।

गुर्दे की पथरी के लिए-
 गुर्दे में पथरी होने पर नीम के पत्तों की राख 2 ग्राम मात्रा में प्रतिदिन पानी के साथ लगातार लेते रहने से पथरी गल कर मूत्रमार्ग से बाहर निकल आती है। पत्तों को छाया में सुखाकर रख ले और फिर पत्तों को थाली में रखकर जला ले और फिर  राख  को ठंडी होने पर न शीशी में भर लें।  इसको प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ ले ।

 नीम के उपाय दांतो के लिए-
 नीम के फूलों का काढ़ा बनाकर इसके साथ कुल्ला करने से दांत और मसूड़े मजबूत व निरोग रहते हैं और साथ में मुंह की दुर्गंध नहीं रहती यह दांतो के लिए एक रामबाण उपाय है ।

नीम की छाल का प्रयोग-

 नीम की बाहरी छाल पानी में घिसकर फोड़े फुंसियों पर लगाने से बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।  छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाद तथा अन्य चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन उससे स्नान करने से सूखी खुजली में लाभ मिलता है। छाया में सूखी छाल की राख बनाकर छानकर  उसमें दो गुना पीसा हुआ  सेंधा नमक मिला लें इस चूर्ण से मंजन करने से पायरिया रोग में लाभ होता है, मुंह की बदबू मसूड़ों का दर्द दूर होता है।

बुखार के लिए-
 नीम की छाल का काढ़ा सुबह-शाम पीने से पुराने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।

नीम की दातून कैसे करे -
 नीम की दातून दांतो के लिए एक रामबाण औषधि है, प्रतिदिन नीम की दातुन करने से मुंह की बदबू दूर होती है दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं पायरिया मसूड़ों में खून आना और मसूड़ों की सूजन के उपचार के लिए इसकी दातुन बहुत ही उपयोगी मानी जाती है।

नीम की पत्तियों का  इस्तेमाल  कैसे करें 
 नीम की कोमल पत्तियां चैत्र मास में बहुत सुंदर प्यारी निकल आती हैं, इसलिए प्रातः काल से उनको सुबह चबाकर खाने से रक्त की शुद्धि होती है और साथ में फोड़े फुंसी नहीं निकलते और मलेरिया जैसा बुखार नहीं आता ।

पेट के कीड़ों के लिए नीम  का  प्रयोग कैसे करें -
 अगर  बच्चे के पेट में कीड़ों की शिकायत है नीम की पत्तियों के चूर्ण में 1 ग्राम अजवाइन तथा गुड़ मिलाकर कुछ दिन लगातार पीने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं ।

घाव को ठीक करने के लिए नीम के उपाय-
 नीम की पत्तियां घाव के लिए भी रामबाण का काम करती हैं। पत्तियों को पानी में उबालकर घाव धोने से ठीक होता है, उसके जीवाणु मरते हैं और उसमें दुर्गंध कम हो जाती है और साथ में घाव में आई हुई सूजन में राहत मिलती है। पत्तियों को उबालकर पानी से स्नान करने से त्वचा की सारी तरह की बीमारियां दूर होती हैं।

पीलिया रोग के लिए-
 अगर किसी को पीलिया रोग की समस्या शुरू हो रहा है तो रही है तो निम की पत्तियों को रस दो चम्मच सुबह-शाम शहद में मिलाकर पिलाने से पीलिया रोगी ठीक हो जाता है।

खाद सामग्री के बचाव के  लिए-
  घर में खाने के सामान में  नीम की पत्तियों को संचित अनाज में मिलाकर रखने से उसमें कीड़े आदि नहीं लगते ।

निबोरी-
 नीम का एक फल होता है जिसको हम निबोरी के नाम से जानते हैं। इससे तेल निकाला जाता है आग से जले घाव पर इसका लेप लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है।

कुछ समय पह कुछ डॉक्टरों ने यह रिसर्च किया था कि आयुर्वेद के अनुसार कैंसर पीड़ितों पर किए गए अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया था नीम की दातुन करने वालों को मुख कैंसर होने की संभावना बहुत कम होती है। एक अध्ययन में कहा गया कि सप्ताह में एक बार  नीम की दातुन से अपने दांत और मसूड़ों को साफ करना चाहिए, कयोंकि यह मुंह के कैंसर से बचने के लिए यह आवश्यक उपाय है।
निष्कर्ष-
नीम के पौधे को कल्पवृक्ष भी माना जाता है नीम के पौधे में जड़ से लेकर सिर तक सभी  फल,फूल, पत्ती हर तरह से भरपूर पाया जाता है। नीम के पौधे से आयुर्वेद में बहुत सारे प्रयोग किए जाते हैं। नीम से त्वचा संबंधी समस्या  के लिए बहुत ही उपयोगी माना जाता है।  इसीलिए नीम को एक औषधीय पौधा कहा गया है ।

अगर आपकी समस्या बहुत ज्यादा गंभीर है तो आप अपने नजदीकी डॉक्टर से अवश्य सलाह करें।
Posted by-kiran

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ