मौन साधना के लाभ || मौन साधना कैसे और कब करें || मौन साधना करने के नियम || meditation kesy kere|


मौन साधना करने के नियम और सवास्थय लाभ ---
मौन साधना एक ध्यान प्रणाली है जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, इंद्रियों और शब्दों को नियंत्रित करके आंतरिक शांति और स्वयंविग्यान प्राप्त करता है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है। जिसमें व्यक्ति विश्राम और अध्ययन के लिए एक शांत, चिन्ता मुक्त और स्थिर आसन में बैठता है। मौन साधना का मतलब होता है कि व्यक्ति शांति के लिए शब्दों का निरोध कर अपने आप को शांत, मन को शुद्ध और विचारों को विराम दे। 
इस सारी क्रिया को मौन साधना कहा जाता है। मौन साधना एक तपस्या और शांति को अनुभव करने का अध्यात्मिक तरीका है। जिस व्यक्ति ने मौन साधना करना सीख लिया उसको फिर किसी भी प्रकार की पूजा पाठ करने की जरूरत नहीं है। मौन साधना करनाा यानी परमात्मा से सीधी बात करना है। अगर आप परमात्मा को अनुभव करना चाहते हैं तो सिर्फ एक सबसे आसान और सरल रास्ता है मौन साधना। परमात्मा को अनूभव  करने का और कोई भी तरीका इतना आसान और सरल नहीं है। मौन साधना करना हर इंसान के बस की बात नहीं होती, जो व्यक्ति अपने विचारों पर लगाम लगा सकता है वही व्यक्ति मौन साधना कर सकता है, क्योंकि मन को रोकना पानी के वेग के रोकने के समान होता है। क्योंकी विचारों को आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और विचारों को रोकना बहते हुए नदी के पानी को रोकने के समान है। जिसने इस मन को कंट्रोल कर लिया वह मान मौन साधना को किसी भी समय कर सकता है।
किसी भी व्यक्ति का ज्यादा बोलना कभी भी अच्छा नहीं माना जाता बल्कि ज्यादा सुनना अच्छा माना जाता है, और यह हमारी शिष्टता और शालीनता का अनुभव करवाती है । प्रतिदिन मौन का अभ्यास करते हुए  आप अपने वयर्थ के विचारों को लगाम लगा सकते हो। इससे मन को खुशी का अनुभव प्राप्त होगावऔर स्वस्थ मन मानसिक शक्तियों का द्वार होता है। साधना केवल चुप रहने को नहीं कहा जा सकता बल्कि यह व्यर्थ के विचारों को रोकने का एक आसान तरीका है।

 आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से किस प्रकार मौन साधना करें और कब करें और मौन साधना करने के क्या-क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं।  मौन साधना करते समय किन किन सावधानियों को हमें बरतना चाहिए।

मौन साधना करने के स्थान कैसे चुने - 
 वह स्थान पर जहां आपको शांति की अनुभूति हो सके, जैसे आध्यात्मिक स्थल, मंदिर, या अपने घर का एक शांत कोना, या फिर जहाँ बैठकर सबसे अच्छा लगता हो।  

आसन:---
 एक सुखासन (पूर्वोत्तनासन), पद्मासन, वज्रासन, या अन्य स्थिर आसन चुनें जो आपके लिए आरामदायक हो।

शांति की स्थापना:-
 आप अपनी आंखें बंद करके ध्यान का आरंभ कर सकते हैं। शांति और स्थिरता के लिए आप मन को शांत रखने के लिए मन्त्र (जैसे "ओम" या अपना इष्ट मन्त्र) का जाप कर सकते हैं।

शब्दों का निरोध:-
 मौन साधना में, अपने मन को शांत रखते हुए, आपको अपने विचारों, भावनाओं और शब्दों के निरोध पर ध्यान केंद्रित करना होगा। यदि किसी विचार या शब्द का आपके मन में आने का अनुभव होता है, तो आपको इसे स्वीकार करते हुए उसे छोड़ देना होगा और फिर से मन्त्र जाप या शांति के लिए ध्यान केंद्रित करना होगा।

मौन साधना के लाभ --- 
• मानसिक शांति: मौन साधना आपको मानसिक शांति और स्थिरता का अनुभव कराती है। यह आपको चिंताओं और तनाव से मुक्त करके मानसिक स्थिरता की स्थापना में मदद करती है।

स्वयं समर्पण: ---
मौन साधना आपको अपने आंतरिक स्वार्थों  को छोड़कर स्वयं को समर्पित करने का अवसर प्रदान करती है। यह आपको स्वयं के साथ सम्बंधित गहरी जागरूकता और संवेदनशीलता विकसित करती है।

आत्म-विकास:---
 मौन साधना आपको अपने आंतरिक आध्यात्मिक स्वरूप के प्रति जागरूक और समर्पित बनाती है। यह आपको अपने आत्म-विकास और स्वयं प्रेम में सुधार करने की संभावना प्रदान करती है।

विचारशक्ति और संवेदनशीलता:---
 मौन साधना आपको अपने विचारों और भावनाओं के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाती है। यह आपको अपनी भावनाओं को स्पष्ट और निर्मल रूप से अनुभव करने की क्षमता प्रदान करती है।

याद रखें, मौन साधना की व्यायामिकता की अभ्यास की जाने वाली क्षमता है, इसलिए आपको नियमित अभ्यास करने और धैर्य और समर्पण के साथ इसे अपनाने की आवश्यकता होगी।

मौन साधना के नियम---
मौन साधना करने के नियमों को अपनाने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि आप इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें और अपने गुरु या संदर्भग्रंथों से सलाह लें। 
 कुछ आम नियम और दिशानिर्देश आपको मौन साधना में मदद कर सकते हैं--- 
• समय: मौन साधना के लिए एक निश्चित समयावधि निर्धारित करें। यह समय आपकी आराम से पूर्व योग्यता के अनुसार चुना जा सकता है।

मानसिक तैयारी:---
 साधना से पहले, आपको अपने मन को शांत करने के लिए मेधावी तकनीकों और ध्यान के अभ्यास का उपयोग करना चाहिए। इससे आपको मौन साधना के दौरान अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।

वार्तालाप का त्याग: -
मौन साधना के दौरान, आपको किसी भी प्रकार की वार्तालाप से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। इसमें शारीरिक, मानसिक, वाणीज्ञानिक और ईमोशनल तरीकों से वार्तालाप शामिल होता है। 

व्रत और आहार:---
 कुछ मौन साधक अपने आहार में विशेष बदलाव करते हैं जैसे कि सात्विक भोजन खाना या निर्जला व्रत रखना। यह आपके शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।

अवस्था में स्थिरता:---
 मौन साधना के दौरान, आपको अपने शरीर को और अपने मन को स्थिर रखने का प्रयास करना चाहिए। इसमें आसन, प्राणायाम, मन्त्र जप और ध्यान तकनीकों का उपयोग शामिल हो सकता है।
संयम --
मौन साधना के दौरान, आपको अपने मन को नियंत्रित करने और अपनी इंद्रियों को संयमित करने का प्रयास करना चाहिए। इससे आपको अधिक ध्यान केंद्रित करने और अधिक आत्म-संयम प्राप्त करने में मदद मिलेगी। 


मौन साधना सावधानियां ---
मौन साधना एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिसमें आप शब्दों के साथ शांति और आत्म-समर्पण की अनुभूति करने के बजाय मौन बने रहते हैं। यह अभ्यास ध्यान का एक रूप हो सकता है और इसे अपने आंतरिक अनुभव को गहराई देने के लिए किया जाता है। मौन साधना करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

समय निर्धारण---
 मौन साधना के लिए निश्चित समय निर्धारित करें और उसका पालन करें। एक नियमित और नियमित अभ्यास करना महत्वपूर्ण है।

मन को तैयार करें:---
मौन साधना करने से पहले अपने मन को तैयार करें। योग या मेडिटेशन के माध्यम से अपने मन को शांत करें और आत्म-समर्पण की भावना विकसित करें।

संयमित आहार: ---साधना के दौरान संयमित और सात्विक आहार लेने का प्रयास करें। हार्मोनल और शारीरिक तंत्र को स्थिर रखने के लिए आपका आहार महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य की देखभाल: ----
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। योग और ध्यान के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हैं, इसलिए उन्हें अच्छे से देखभाल करें।

वातावरण की शुद्धि: ---
साधना के लिए अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध और शांत करें। अतिरिक्त शोर या व्यापारिक वातावरण से दूर रहें।

संयम:--- मौन साधना के दौरान अपने विचारों, भावनाओं और इंद्रियों को संयमित रखने का प्रयास करें। मन को विचलित न होने दें और शांति में स्थिर रहें।

गुरु का मार्गदर्शन:---
 मौन साधना को समझने और सही तरीके से करने के लिए एक अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन लेने में मदद मिल सकती है। 


 निष्कर्ष-
मौन साधना का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है अब इसको साइंस भी मानती है कि इसके असर हमारे सवासाथय  के लिए भी बेहतर माना जाता है, क्योंकि दुनिया के बढ़ते शोर-शराबे के कारण इंसान अशांत होता जा रहा है और दिमाग का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। दिमाग का संतुलन बिगड़ने के कारण इससे हाई बीपी, नींद न आना  जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
 मौन साधना केवल आंतरिक ही नहीं बाहरी सुंदरता के लिए भी बहुत जरूरी मानी जाती है। मौध साधना से आप बहुत सारे लाभ प्राप्त कर सकते हो। जीवन में असली शांति प्राप्त करने के लिए हमारे ग्रंथों में मौन को ही सबसे बड़ा समाधान बताया गया है। मौन साधना सवास्थय का बहुत गहरा संबंध है ।मौन साधना से हाई बीपी से छुटकारा और नींद जैसी समस्या ठीक हो सकती है। मौन साधना से नैगटीव विचार खत्म हो सकते हैं। मौन साधना एक अद्भुत खजाना और औषधि  की तरह काम करता है।  इसलिए जितना भी हो सके दिन में कम से कम ज्यादा नहीं तो 20 मिनट मौन साधना अपने लिए जरूर करें। इस साधना को करने में किसी भी तरह का आपका धन खर्च नहीं होता यह केवल विचारों को विराम देने का एक अद्भुत तरीका है। मौन साधना का हमारे धर्म ग्रंथों में बहुत सारा वर्णन  देखने को मिल जाऐगा क्योंकि यह तपस्या का सबसे सरल और आसान रास्ता है।
 Posted by-kiran

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