पुष्कर तीर्थ कहाँ है || मोक्ष की प्राप्ति के लिए पुष्कर तीर्थ पर स्नान करे | पुष्कर तीर्थ दर्शन || पुष्कर ब्रहमा के मन्दिर कैसे जायें ||

पुष्कर तीर्थ का महत्व-
राजस्थान के अजमेर शहर में धार्मिक आस्था का प्रतीक है पुष्कर राज।
यह तीर्थ ब्रह्मा पुष्कर के नाम से जाना जाता है। इस  तीर्थ  को हिनदू लोगो का पवित्र तालाबों में से एक पुष्कर सरोवर माना जाता है जिसे  पुष्कर झील भी कहते हैं। यह पुरे विशव  में भगवान ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर भारत में पाया जाता है इस स्थान को ब्रह्मा का स्थान भी कहा गया है। इस मंदिर के बगल में एक बहुत सुंदर झील है जिसे पुष्कर झील से नाम से जाना जाता है। इस झील में कार्तिक महीने में श्रद्धालु बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर इस जल में डुबकी लगाकर अपने बुरे कर्मों को विनाश करके शुभ कर्म की कामना करते हैं।

*पुष्कर की सथापना कैसे हुई 
यह पुष्कर तीर्थ अजमेर की पश्चिम उत्तर दिशा मतें पहाड़ों के बीच घिरा हुआ है । अजमेर से लगभग तेरह किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुष्कर राज का जलस्वच्छ निर्मल के समान है ।
ऐसा माना जाता है इस पुष्कर राज में स्नान करने से मनुष्य करोड़ो  पापों से मुक्त होकर इंसान ब्रह्मा लोक में जाता है । जल रूप ही पुष्कर राज है और यह जल करीब तीन मिल के घेरे में है और इसमें सप्त पाताल छेदन है। जल के चारो ओर पर्वतों का दृश्य है इन सब में श्रेष्ठ नाग पहाड बेहद दर्शनीय है । इसी द्वारा वर्षा ऋतु का जल पुष्कर राज में आता है । हिन्दुओं का मानना है कि सतयुग ब्रह्माजी ने मृत्युलोग में यज्ञ करने का विचार करके एक कमल फेंका और यह इरादा किया कि जिस स्थल पर यह फूल गिरेगा उसी स्थान पर यज्ञ किया जाएगा । सबसे पहले यह फूल बूढ़ा पुष्कर जो कि कनिष्क पुष्कर कहलाता है , यहां गिरा , फिर गिरा खास पुष्कर में जिसे ज्येष्ठ पुष्कर कहते हैं । उसी स्थल पर ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया यज्ञ करते समय सावित्री को आने में देर होने की वजह से ब्रह्माजी ने | गायत्री नाम की गुर्जरी को गऊ द्वारा पवित्र करके अपनी स्त्री सावित्री के  स्थान पर बैठाकर यज्ञ कार्य प्रारंभ कर दिया , जिसमें उनकी स्त्री सावित्री नाराज होकर पहाड़ पर जा बैठी । उनका मंदिर पहाड़ पर अभी भी मौजूद है । श्री पुष्कर राज में एक मेला वैशाखसुदी 11 से 15 तक , बड़ा मेला कार्तिक सुदी 11 से पूर्णिमा तक , इन पाच तिथियों में भव्य मेला लगता है . इसमें लाखो यात्री स्नानादि करने हेतु आते है ।

 पद्म पुराण का प्रमाण है कि जो इन पाच श्री पुष्कर राज में निवास करके स्नानादि व दान - पुण्य करता है । उसके जन्म - जन्मातर के पाप धुल जाते हैं। सरोवर के चारों तरफ राजा , महाराजाओं के 52 घाट है । नियम एवं श्रद्धापूर्वक ज्येष्ठ कुड में स्नान करके ब्रह्माजी के दर्शन करने चाहिए , श्राद्ध , पितृ कर्म एवं ब्रह्मणों को भोजन कराने से कोटि गुना पुण्य प्राप्त  होता है ।

*धार्मिक मत- 
 इस पुष्कर तीर्थ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो लोग भगवान में विश्वास रखते हैं उसे अपने जीवन में एक बार पुष्कर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए ,क्योंकि हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण तीर्थो  में से एक पुष्कर तीर्थ माना जाता है।  यह बनारस और प्रयाग की तरह बहुत ही महत्वपूर्ण है अगर लोग बद्रीनाथ, जगन्नाथ ,रामेश्वर द्वारका इन चार धामों की यात्रा करते हैं तो इस तीर्थ की यात्रा करें बगैर यह सब यात्राएं पूर्ण नहीं होती जब तक वह इस पवित्र  जल में स्नान नहीं कर लेते इसलिए अगर आप भी अपनी जिंदगी में तीर्थों की यात्रा करने में विश्वास रखते हैं तो एक बार अजमेर की यात्रा और पुष्कर तीर्थ में स्नान जरूर करें

पुष्कर का अर्थ-
 हिंदू धर्म के अनुसार पुष्कर का अर्थ है कि एक ऐसा तलाब जिसका निर्माण एक फूल के द्वारा हुआ है। हमारे शास्त्र पद पुराण के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण उस समय हुआ जब धरती पर स्थान को सुनिश्चित करते समय ब्रह्मा जी के हाथ से कमल का फूल पृथ्वी के किस भाग पर गिर पड़ा इसमें पानी की तीन बंदे पृथ्वी पर गिर गई जिससे एक बूंद पुष्कर  में गिरी तभी से  से पुष्कर झील का निर्माण हुआ है। 

इस तीर्थ स्थान के बारे में ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस जल में स्नान करते हैं उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है और साल में इस पर बहुत बड़ा मेला लगता है। 
  

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