जल चिकित्सा कैसे करें | जल चिकित्सा बिमारियों को कैसे ठीक करें |

जल चिकित्सा से बिमारियों को कैसे ठीक करें - 


हमारे शास्त्रों में लिखा है -" अजीर्ण भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम् अर्थात् अजीर्ण में पानी दवा का काम करता है और भोजन पचने के बाद पानी में शरीर में बल होता है। जल चिकित्सा में उपचार के लिए शरीर के आंतरिक अंगों और बाहरी अंगों पर जरूरत के अनुसार तापमान पर घर में ठंडा पानी का उपयोग किया जाता है .


जिसे हम जल चिकित्सा और अंग्रेजी में हाइड्रो थेरेपी कहा जाता है। आज हम इस लेकर माध्यम से आपको जल चिकित्सा क्या है और कैसे किए जाते हैं इसके बारे में आपको बताने की पूरी कोशिश करेंगे।


*जल चिकित्सा कैसे करें-

 बहुत से रोगों में यह दवा का काम करता है । ठंडे और गर्म जल में अलग - अलग औषधीय गुण हैं । कई रोगों में ठंडा पानी और कई रोगों में गर्म पानी दवा का काम करता है । गर्म पानी हमारे रक्त नालियों को फैलाता है जिसे पसीने की ग्रंथियां सक्रिय हो जाते हैं और शरीर के ऊतकों से अवशिष्ट पदार्थ को बाहर कर देता है। अदल बदल कर गर्म या ठंडा पानी से चिकित्सा करने से इफ्लमैशन कम होती है और रक्त प्रभाव तथा लसीका तंत्र में उत्तेजना पैदा होती है।


* गर्म पानी से जल चिकित्सा कैसे करें  -

आपकी परेशानी के उपचार की जरूरत के अनुसार अधिकतम 20 मिनट तक आपको गर्म पानी में रहना चाहिए। इस पानी में आप यदि चाहे तो थोड़ा नमक भी मिला सकते हैं। इस प्रकार यह स्नान सपा की तरह काम करता है । गर्म पानी में स्नान करने से शरीर की शुद्धि होती है और साथ में भाप से शरीर के अशुद्ध तत्व  को निकालने में मदद मिलती है। 

*पानी से सिंचाई कैसे करें-

 इसी तरह जब किसी को मोच आ जाये या चोट लगे तो तुरंत उस स्थान पर खूब ठंडे पानी की पट्टी लगा दे बर्फ भी लगा सकते हैं । इससे न तो सूजन होगी , दर्द बढ़ेगा । गर्म पानी की पट्टी लगायेंगे या सेंक करेंगे तो सूजन आ जायेगी और दर्द बढ़ जायेगा । यदि चोट लगने या कटने से सूजन  आ जाये तो वहां बर्फ या खूब ठंडे पानी की पट्टी चढ़ा दे तो ऐसे में बहुत  जल्दी  आराम होगा । 

 

* गर्म पानी के लाभ-

 वात रोगों, जोड़ों का दर्द , कमर का दर्द , घुटने का दर्द, गठिया - कंधे की जकड़न में होता है । इसमें गर्म पानी का या भाप का सेंक दिया जाता है ।  इंजेक्शन लगाने के बाद यदि उस स्थान पर सूजन आ जाये या दर्द बढ़े तो ठंडे पानी की पट्टी या बर्फ लगायें । वहां गर्म पानी का सेंक न करें । 


*अनिद्रा रोग कैसे ठीक करें-

 यदि रात में नींद न आती हो तो सोने के पहले दोनों पैरों के घुटनों तक सहने योग्य गर्म पानी से भरी बाल्टी या टब में पद्रह मिनट डुबोये रखें। इसके बाद पैरों को बाहर निकालकर पोंछ लें और थोडा तेल लगाकर लेट जाएं। ऐसा करने से  बहुत जल्दी  नींद आ जायेगी । यह ध्यान रखें कि जब गर्म पानी में पैर डुबायें तब सिर पर ठंड से बचने के लिए  तौलिया अवश्य रखें । 


*डायरिया के जल चिकित्सा कैसे करें-

आपने अस्पतालों और नर्सिंग होमों में देखा होगा कि पतले दस्त या उल्टी - दस्त के रोगियों को सलाइन का पानी चढ़ाते हैं । यह सेलाइन क्या है - नमकीन पानी है । इससे रोगी ठीक हो जाता है । इसी प्रकार बच्चों के पतले दस्त या डायरिया में जीवन रक्षक घोल बनाकर देने से बच्चे ठीक हो जाते हैं ।  शरीर में पानी की कमी न होने पाये इसीलिये यह घोल दिया जाता है । पानी की कमी से मृत्यु तक हो जाती है । यही कारण है कि रोगी शरीर में पानी पहुंचाया जाता है । चाहे मुख से हो या सेलाइन चढ़ाकर दिया जाता है।  ये गर्मी की उष्मा का काफी महत्व है ।


 * पानी के कुछ उपचार  -

 चोट और दर्द के उपचार में ठंडे पानी , बर्फ की बोतल से सिंकाई की बात आपके लिए कोई नई पर , यदि वह गुम चोट हो , तो इस शीतोपचार और पानी और की पट्टी और गर्म नहीं । किसी चोट लगे स्थान ऊष्मोपचार का बहुत प्रभावी की मांसपेशियो । असर देखने को मिलता है ।  जब लंबी दूरिया तय करके थके हुए रोमन सैनिक लौटते थे  तो उनकी थकान तुरंत खत्म करने के लिए उनके पैरों पर बर्फ लगाई जाती थी । हिप्पोक्रेटस का दावा था कि इससे सैनिकों के पैरों में खून का नया संचार होता था और वे फिर से भाग - दौड़ करने लायक हो जाते थे । 

मिस्र और चीन में भी कुछ इलाजकर्ता बारी - बारी से ठंडे और गर्म उपचार का उपयोग कुछ यौगिकों के साथ मिलाकर ' हृदय को पुनजीवित करने और ' सांस लेने को आसान बनाने के उपाय करने में करते थे ।

दर्द के लिए जल चिकित्सा कैसे करें- दर्द के कम होने का भौतिक कारण शोधकर्ताओं ने यह बताया कि बर्फ और ठंडा पानी चोट लगे स्थान पर मांसपेशियों का संकुचन कम कर देता है । संकुचन कम होने से दर्द से मुक्ति मिल जाती है । इस बात के प्रमाण उन लोगों में पाए और देखे जा सकते हैं जिन्हें पीठ में मांसपेशियों के खिचाव से दर्द महसूस होता है ।शीतोपचार से दर्द इसलिए भी कम हो जाता है क्योंकि आपकी सहनशक्ति बढ़ जाती है । 

 शीतोपचार चोट लगी कोशिकाओं में खून का थक्का जमने नहीं देता ।

 शीतोपचार से दर्द दूर करने के बाद ग्रीष्मोपचार या गर्म सिंकाई है न उल्टी बात । लेकिन यह प्राकृतिक उपचार का स्वभाव है। पहली अवस्था में चोट का सीत उपचार खून का दौरा कम कर सूजन और दर्द को दूर करते हैं और दूसरी अवस्था में उसे चोट का उसमें प्रचार की आवश्यकता होती है, क्योंकि जब उपचार दूसरे चरण में आता है तो जख्मी स्थान को  ठीक होने के लिए अतिरिक्त मरम्मत सामग्री यानी खून की आवश्यकता होती है।

खून का दौरा यहा पर बिना सूजन पैदा किए चोट खाए कोशिका तंत्र को के लिए उस स्थान की गर्म सिकाई या ऊष्मोपचार की जरूरत होती है । गर्मी से यानि खून की आवश्यकता होती है । खून का दौरा चोटग्रस्त स्थान को बढ़ाने के लिए  जल्दी ठीक करता है । खून का दौरा अच्छा होने से सख्त हो गई मांसपेशियां ढीली पड़ती है और जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है । इस तरह की सिंकाई का गठिया का उपयोग गुम चोट , जले स्थान पर , दर्द कम करने और मांसपेशियों के खिंचाव और जोड़ों के दर्द में काफी प्रभावकारी उपयोग पाया गया है । शीतोपचार  आदि में किया जाता है । 

 बुखार और सिर दर्द के लिए-

यह सिरदर्द , बुखार और माइग्रेन में भी प्रभावकारी है । इसके लिए तैयार आइस पैक , कोल्ड कॉम्प्रेज बाजार में उपलब्ध है , लेकिन जरूरत पड़ने पर ठंडा पानी और घर में रखी फ्रिज की बर्फ भी इस्तेमाल की जा सकती है । 

नकसिर फूटने पर भी शीतोपचार लाभकारी है ।

 ऊष्मोपचार के लिए  सिंकाई के लिए गर्म पानी की बोतल , हीट कॉम्प्रेस या हीट लैम्प का इस्तेमाल किया जा सकता है चोट लगे स्थान पर खून का दौरा बढ़कर जल्द ही चोट ठीक करता है मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में विशेष लाभकारी है। सख्त हो गई मांसपेशियों को इसमें आराम पहुंचता है।


*जल चिकित्सा के चमत्कार -

जल सिर्फ पानी से बीमारियां ठीक ही नहीं बल्कि  जानलेवा बीमारियों से मुक्ति पाने का भी बहुत सुधार और सरल उपाय है। 

 पानी के प्रयोग हाइपरटेंशन, गैस की तकलीफ , कब्ज, कैंसर, डायबिटीज, टीवी ,जोड़ों का दर्द ,आदि बीमारियों के लिए जल चिकित्सा का बहुत सारे आयुर्वेदिक वेद इसको उपचार के रूप में प्रयोग करते हैं पर यह सब उपचार सिर्फ एक अच्छा वैध  ही कर सकता है। 


 आखों के लिए-

सुबह पानी पीने से पहले दोनों आंखों में बासी थूक लगाइए। जिसे आंख के नंबर तीन माह में घट जाएंगे।


*पानी कब नहीं पीना चाहिए -

भोजन के अंत में जल पीना  हानिकारक होता है, क्योंकि यह भोजन को पचाने वाले रसों को पतला करके अपच की स्थिति निर्मित करता है। भोजन से पहले पानी पीना कमजोरी को बढ़ाता है। जल पीने के तुरंत बाद पहले सांस को एक साथ मुंह से छोड़े नाक से नहीं।

गर्म करके ठंडा किया हुआ जल जल्दी पचता है।

 भोजन करने के तुरंत बाद रात को सोने से पहले पेशाब  करके सोना चाहिए।

 वास्तव में यह प्रयोग सभी प्रकार के सवस्थ व्यक्तियों के लिए लाभदायक है।  स्वस्थ व्यक्ति इस प्रयोग से अंतिम समय तक स्वस्थ रह सकता है।

हर व्यक्ति को प्रतिदिन 8 से 10 क्लास पानी जरूर पिना चाहिए।

जापानी पदति-

जल चिकित्सा का सबसे पहले प्रयोग जापान से शुरू हुआ था। इसे वैसे भी जल चिकित्सा के नाम से जाना जाता है। इसके अनुसार दिन में 7 से 8 गिलास पानी पीने चाहिए जिससे आप ठीक से हाइड्रेट रह सकते हैं । प्राप्त जल योजना से कई तरह के लाभ हैं जिसे हमारे शरीर की ऊर्जा स्तर और शरीर के तापमान और रक्तचाप पर नियंत्रण शामिल है। इसके अलावा अधिक पानी पीने से कब सर दर्द और गुर्दे की पथरी को रोकने में मदद मिल सकती हैं। हालांकि आपको काम का दबाव है बाहर काम करते हैं गम या गर्म वातावरण में रहते हैं तो आपको अधिक पानी पीने की जरूरत होती है। खूब पानी पीने से हमारे शरीर का सिस्टम ठीक रहता है। हमारे शरीर के अंदर दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और अंगों को स्वच्छ और ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचते हैं। इसके अलावा जब तक शरीर दूषित पदार्थों को बाहर नहीं निकलता तब तक त्वचा में चमक नहीं आती । रक्त के माध्यम से ही त्वचा को आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्राप्त होता है। जिसके कारण हमारी त्वचा चमकदार और कोमल दिखाई देती है।


Disclaimer- इस जल चिकित्सा से केवल छोटी-मोटी बीमारियों के लिए ही आप घर पर उपाय कर सकते हो। कोई गंभीर बीमारी होने पर यह चिकित्सा करने की आपको सलाह नहीं दी जाती। अगर आप किसी गंभीर बीमारी से परेशान हैं तो अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें। इस चिकित्सा का बारे में बताने का हमारा खुद को कोई योगदान नहीं है ।

 यह एक जापानी चिकित्सा है और इसको आयुर्वेद में भी माना गया है।

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