कैलाश पर्वत से जुड़े रोचक तथ्य | kailash parvat mystery in hindi | कैलाश पर्वत के रहस्य |

कैलाश पर्वत से जुड़े रोचक तथ्य- कैलाश पर्वत का नाम सुनते हैं सभी भक्तजन भगवान शिव की अदृश्य शक्ति  के बारे में जानना चाहते हैं कि ऐसा क्या है कैलाश पर्वत पर,  क्योंकि हर श्रद्धालु वहां पर जाने की इच्छा रखता है। कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग  6656 लगभग बताई जाती है। यह महादेव के सबसे पवित्र स्थानो में से एक माना जाता है। भगवान शिव सृष्टि के रचयिता हैं और ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती प्रतिदिन 3:00 बजे अमृत वेला के समय इस झील में स्नान करने आते हैं। यह दुनिया का सबसे रहस्यमयी पर्वत है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको कैलाश पर्वत के बारे में ऐसी रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जिनको पढ़कर आप भी हैरान हो जाओगे।

 ● कैलाश पर्वत से जुड़े रोचक तथ्य-

कैलाश पर्वत भारत की सबसे ऊंची चोटी है जो तिब्बत और नेपाल भारत तक फैली हुई है ।कैलाश पर्वत एक ऐसा  रहस्यमयी पर्वत है जिसको आज तक वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए। इस पर्वत के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान शिव  हमेशा निवास करते हैं।  सुबह के समय 3:00 बजे से 4:00 बजे तक प्रतिदिन ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव  और माता पार्वती इस झील में स्नान करने आते हैं और जब स्नान का समय होता है उसे समय ओम  की ध्वनि और डमरू की आवाज़ आनी शुरू हो जाती है। बहुत से लोगों का निजी अनुभव है कैलाश पर्वत के चारों ओर पहाड़ों से बना हुआ एक ऐसा अद्भुत अदृश्य है जो देखने में बहुत ही सुंदर लगता है।

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● कैलाश पर्वत के बारे में अलग-अलग धारणाएं और धार्मिक धारणायें  जुड़ी हैं। यह  धार्मिक लोगों के लिए बहुत ही पवित्र स्थान है उनकी इसके बारे में अलग-अलग मान्यता हैं जो है हिंदू धर्म का मानना है कि भगवान से और माता पार्वती स्थान पर निवास करते हैं। जबकि तिब्बत के लोग ऐसा मानते हैं कि कैलाश पर्वत उनके देवता  वास  करते है।  जैन लोग कैलाश को वह स्थान मानते हैं। जहां उन्हें पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के निर्माण प्राप्त किया था।

सभी धर्म का इस पर्वत के बारे में अलग-अलग मत है। आज हम इस कैलास पर्वत के बारे में आपको कुछ ऐसे रहस्य और रोचक तथ्य बताने की कोशिश करेंगे जो आपने पहले शायद नहीं सुने  होंगे। धार्मिक लोगों के अनुसार कैलाश पर्वत के बारे में कुछ ऐसे अनसुलझे रहसय हैं जिनको एक आम इंसान के समझ से परे  हैं जिनका ना तो इंसान समझ सकता है ना ही दूसरे को समझ सकता है। 


● चार पवित्र नदियों का उदगम स्थान-

कैलाश पर्वत का आकार जो मुख्य है इसके चार दिशाओं से चार महानदियो का उदय होता है ।जो ब्रह्मपुत्र ,सत्राजित, सिंधु और करनाली के नाम से जानी जाती हैं।  इस पर्वत के चारों दिशाओं में विभिन्न प्राणियों की मुख् स्थापित हैं। जिनसे यह नदियां निकलती हैं। पूर्व में  घोड़े का मुख है, पश्चिम में गजमुख हाथी का मुख है, उत्तर में सी मुख शेर का मुख है, दक्षिण में मयूर मुख मोर का मुख है। यह सब चारों मुख बहुत ही हैरान कर देने वाले और अनसुलझा रहस्य है जिसका आज तक किसी को नहीं पता ।


● कैलाश पर्वत पर चमकता हुआ सूर्य का प्रकाश ऐसा माना जाता है जैसे  कैलाश पर्वत पर आकाश में कई प्रकार से प्रकाश देखा गया है। यहां लोगों का कहना है इस पर्वत पर सात अलग-अलग ग्रहों की रोशनी निकलती है। नासा ने भी इस बात को मना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हो सकता है यह चुंबकीय बल अधिक होने के कारण ऐसी शक्ति  आकाश से मिलती है कई बार ऐसी आकृति  बना  जाती हैं जो एक इंसान की कल्पना से परे हैं। कुछ  लोगों ने अनुभव किया है कि सुबह के समय पर्वत बिल्कुल सोने की तरह दिखाई देता है। 


भारत और पृथ्वी के बीच की कड़ी -

 धर्म को मानने वाले लोग मानते हैं कैलाश पर्वत स्वर्ग का प्रवेश द्वार हो सकता है ।यह स्वर्ग और पृथ्वी के बीच की कड़ी है। वेदों के अनुसार भी इस पर्वत पर स्वर्ग की प्राप्ति का मार्ग कहा गया है। महाभारत की कहानी पर विचार करें तो माना जाता है इस पर्वत पर चढ़ाई करते समय पांडव और द्रोपती को मोक्ष प्राप्त हुआ था।


धरती का केंद्र-

 बहुत सारे वैज्ञानिक और शोध के अनुसार यह पता चला है कि कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र बिंदु माना जाता है। पृथ्वी के एक तरफ उत्तरी ध्रुव और दूसरी तरफ दक्षिणी ध्रुव है दोनों के बीच में हिमालय है। हिमालय का केंद्र कैलाश पर्वत है इसलिए वैज्ञानिकों के अनुसार यह है पृथ्वी का केंद्र माना गया है।



ओम पर्वत का रहस्य और स्वास्तिक चिन्ह का बनना-

 दक्षिण दिशा में देखने पर कैलाश पर्वत पर स्वास्तिक का चिन्ह दिखाई देता है ।ऐसा तब होता है जब सूर्य उदय हो रहा होता है और कहा जाता है कि सूर्यास्त के दौरान सूर्य एक स्वास्तिक  की तरह दिखने वाली छाया पर्वत पर डालता है जैसे लगता है कि पर्वत पर स्वास्तिक बनाया गया हो।  यह स्वास्तिक एक धार्मिक चिन्ह का प्रतिक माना जाता है। जैसे हिंदुओं में शुभ का संकेत स्वास्तिक चिन्ह बनाकर किया जाता है। साथ में ही पर्वत के शिखर पर जमीन पर अलौकिक शक्ति का प्रदर्शन करती है क्योंकि जब चोटी पर बर्फ गिरती है तो वह ओम का आकार ले लेती है। जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे पर्वत पर ओम किसी ने कलम के साथ लिख दिया हो।


रहस्यमयी झिलों का आकार -

कैलाश पर्वत पर दो झिले बनी हुई है। पहली है मानसरोवर झील जो दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई पर मीठे पानी की झील बताई जाती है। मानसरोवर शब्द संस्कृत से लिया गया है जो दो शब्दों से मेल से बना है जिसका अर्थ है मानव और सरोवर यह झील 320 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इस झिल का आकार सूर्य के समान है। मानसरोवर झील अपने सुंदरता और पानी के रंग के लिए प्रसिद्ध है जो तट के चारों ओर नीले रंग से केंद्र में पन्ना और हरे रंग में बदल जाती है। इसके साथ ही दूसरी झील है जिसे  राक्षस ताल भी कहा जाता है ।जो दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह झील 2225 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई बताई जाती है ।इसका आकार अर्द्ध चंद्राकार जैसा है। जैसे रक्षा झील के बारे में कहा जाता है इस झील के पास बैठकर रावण ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी इसलिए इसका नाम राक्षस झील पड़ा है ।दोनों झिल एक दूसरे के इतने पास होने के बावजूद इनके गुणो  में इतना ज्यादा अंतर है, कि जो हैरान कर देने वाला है। यह दोनों ही झिले सूर्य और चंद्रमा की शक्तियों का प्रतीक मानी जाती हैं। जो एक नकारात्मक ऊर्जा और दूसरी सकारात्मक ऊर्जा से संबंध रखती है अर्थात मानसरोवर झील को सकारात्मक झील माना जाता है और राक्षस झिल को नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। कैलाश पर्वत दोनों के बीच में संतुलन के रूप में खड़ा है साथ ही इन झिलों का कार्य इतना विचित्र है कि समझ में नहीं आता कि इनका यह  प्राकृतिक रूप से ऐसे ही था या इनका निर्माण इस तरह किया गया था। यह भी अभी एक बहुत बड़ा रहस्य है।

 ● कंपस यहां पर काम नहीं करता -

कैलाश पर्वत का आकार कंपस के चार  बिंदुओं की तरह है यानी पर्वत के चारों कंपस की चारों दिशाओं की ओर है ,परंतु सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली यह बात है कि कंपस की तरह यह दिशा सूचक सूत्र  यंत्र यहां ठीक से काम नहीं करता। 


पिरामिड का रहस्य-

 कैलाश पर्वत सबसे बड़ा रहस्य इसकी आकृति का है। रूस के वैज्ञानिकों के अनुसार यह पहाड़ी का रूप है वह एक मानव के द्वारा बनाया गया पिरामिड जैसा है ।उनका कहना है कैलाश पर्वत दुनिया का सबसे बड़ा पर्वत तथा प्राचीन मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है। जो छोटे पिरामिड का केंद्र है । कुछ लोगों का मानना है, कैलाश पर्वत के अंदर एक रहस्यमयी गुफ़ा है। उनके अनुसार यहां एक प्राचीन सभ्यता के लोग रहते हैं जो संपूर्ण पर्वत पर नियंत्रण रखते हैं और अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए इसे गुफा आकार दे रखा है। यहां कई लोगों ने हिम मानव देखने की बात भी कही है। जिसका मतलब यहां अवश्य ही कोई तो है यह सब बातें इस जगह को और भी रहस्यमयी बनाती हैं। अब यह सवाल उठता है कि यह कुदरत की संरचना है या फिर मानव द्वारा बनाई गई संरचना है, पर मेरा यह मानना है इतनी बड़ी संरचना एक मानव के बस से बाहर है ऐसी संरचना सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं जिनको हम एक अदृश्य शक्ति के नाम से भी जानते हैं।


डमरू और औम की ध्वनि का आना- कैलाश पर्वत के बारे में एक ऐसी धारणा है कैलाश पर्वत पर सुबह के समय जिसको हम अमृतवेला कहते हैं ऐसी ध्वनि  निकलती है जैसे ही आप इस क्षेत्र में आएंगे तो एक आपको अद्भुत ध्वनि सुनाई देने लगेगी। लोगों को मानना है कि यह आवाज भगवान शिव के डमरू के और ओम की ध्वनि है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कैलाश पर्वत पर बर्फ के पैनल टूटने की आवाज को ऐसा आभास होता है। लोगों का मत है यह शिवजी के डमरु और ओम की आवाज सुनाई दे रही है, परंतु अभी तक वैज्ञानिक इसका पूर्ण रूप से पता नहीं लगा पाए। सच में यह आवाज किस चीज की है ,लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि ध्वनि को गौर से अगर सुना जाए तो सचमुच डमरू की और ओम के धवनी सुनाई देती है। आप लोग इसे संयोग माने या भगवान  शिव की रहस्यमयी  शक्ति को मन यह आपके ऊपर निर्भर करता है।


● समय का तेजी से बढ़ाना-

 कैलाश पर्वत पर बहुत तेजी से समय  बीत जाता है कई लोगों ने बताया है कैलाश पर्वत के चारों ओर समय तेजी से घूमता है।  जो दुनिया में कभी कहीं भी नहीं देखा गया। यहां आने वाले लोग लगभग सभी यही महसूस किया कि उनके बाल और नाखून बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। कई लोगों ने यह भी दावा किया है कि यहां पर चढ़ाई करते वक्त उन्हें लगता है कि उनके नाखून और बाल 12 घंटे के भीतर ही बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सामान्य वातावरण में बाल और नाखूनों का विकास लगभग दो सप्ताह का समय लगता है सिर्फ आम इंसान ही नहीं वैज्ञानिकों ने भी इस चीज को खुद देखा है। इसी आधार पर वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि करते हैं कि यहां समय की गति बहुत तेज हो जाती है हालांकि इसके पीछे के कारण अभी तक किसी भी समझ में नहीं आए।

शिखर पर पहुंचना संभव नहीं है- 

कैलाश पर्वत दुनिया का एकमात्र ऐसा पर्वत है जिसके शिखर पर आज तक कोई नहीं चढ़ सका। समुद्र तल से कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6656 मीटर है यह माउंट एवरेस्ट से काफी कम है। फिर भी लोग इस  पर्वत की चढ़ाई नहीं कर पाये। यह अनुमान है कि इसका मुख्य कारण है कि यह पर्वत अपनी स्थिति बदलता रहता है कई देशों के अनेक पर्वत रोहीयो ने  अनेक बार कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की है, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी।  पर्वत श्रेणियां से बातचीत की गई तो अविश्वसनीय तथ्य सामने आए किसी ने कहा कि पर्वत पर चढ़ते ही अचानक से मौसम बदलने लगा और तेज बारिश होने लगी जिससे चढ़ना नामुमकिन हो गया, तो किसी ने कहा हम एकदम सही दिशा में जा रहे थे अचानक से दिशा भ्रमित हो गए और अपने अपनी मंजिल तक पहुंच ही नहीं पाए। लोगों का मानना है कि एकदम इस तरह से भ्रमित होना और लोगों का भटकना यहां पर कैलाश पर्वत एक दिव्य ऊर्जा है जो किसी को भी इस पर्वत पर नहीं चढ़ने देती, क्योंकि यह पर्वत भगवान भोले भगवान शिव का निवास स्थान है अब तो इस पर्वत पर चढ़ने की मनाही हो चुकी है। किसी को भी यहां पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती।

निष्कर्ष- कैलाश पर्वत के बारे में यह है  यह थे कुछ अनसुलझे रहस्य । जिनको एक इंसान के लिए समझना संभव नहीं है । अगर आप भी धर्म और भगवान में विश्वास रखते हैं तो अगर हो सके तो कैलाश पर्वत की सैर करने एक बार अवश्य जाएं क्योंकि इससे पवित्र स्थान धरती पर कोई और हो ही नहीं सकता। यह भगवान शिव और माता पार्वती की एक ऐसी पवित्र स्थल है जिस पर साक्षात भगवान शिव के दर्शन होते हैं कुछ लोगों का ऐसा निजी अनुभव रहा है।


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