बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत कैसे बनायें | बच्चों का आत्मविश्वास कैसे बढाये | how to build confidence |

अपने बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत कैसे बनाएं- बच्चे कच्चे घड़े की तरह होते हैं उनका जिस तरह ढाला जाता है तो वह ढल जाते हैं। हम सभी को अपने बच्चे बहुत प्यारे होते हैं। बच्चों के पालन पोषण में हम कोई कसर नहीं छोड़ते, पर जब बात आती है मानसिक स्वास्थ्य की तो ज्यादातर लोग इस बात पर खास ध्यान नहीं दे पाते। कुछ लोगों को लगता है छोटे बच्चों की क्या तनाव हो सकता है उसे क्या परेशानी होगी। लेकिन छोटे बच्चे भी कई बार ऐसी पस्थितियों से गुजरते हैं जो उन्हें परेशान कर सकते हैं ।इनमें से कुछ उन पर हावी हो जाती हैं और आगे चलकर उनका आत्मविश्वास और जिंदगी से जुड़े निर्णय पर बहुत ही बुरा असर डाल सकते हैं। ऐसे में आपको मैं सिर्फ अपने बच्चों के मानसिक परेशानियों पर ध्यान देना होगा बल्कि शिक्षक और दोस्त बनकर उन्हें इन चुनौतियों को सामना करने के लिए भी तैयार करना होगा ।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से यही बताने की कोशिश करेंगे कि अपने बच्चों को मानसिक रूप से कैसे मजबूत बनाएं।


बच्चों को  संघर्ष करने हेतु प्रेरित करें-

अधिकांश माता - पिता बच्चे को संघर्ष में देखना नहीं चाहते और उसे सारी सुख - सुविधाएं देने की कोशिश करते हैं । ये यह नहीं सोचते कि बच्चा जब तक स्वयं संघर्ष नहीं करेगा यह कैसे मानसिक स्तर पर मजबूत होगा । 

 उदाहरण के तौर  पर , जब बच्चा साईकल चलाना सीखता है तो गिर जाने पर उसे चलाने के लिए मना करेंगे या बहुत सावधान रहने के लिए कहेंगे । बार - बार इस तरह की रोक - टोक और ज्यादा खयाल बच्चे में आत्मविश्वास पैदा नहीं होने देता । उसकी सूझबूझ का विकास नहीं होता और मानसिक स्थिति भी संघर्षशील नहीं हो पाती और धीरे - धीरे कमजोर होने लगती है । उसे छोटी - छोटी चीजों के लिए संघर्ष करने दें , उसे स्वतंत्र छोड़ें जिससे वह इन चुनौतियों पर विजय प्राप्त करके अपने मानसिक स्तर को भी बढ़ा सके । उस पर ध्यान जरूर दें परंतु दूर से ही और ख़ुद को भी यह समझा लें कि उसे अपनी मदद के लिए ख़ुद जूझना होगा ।

 अपनी समस्याएं सुलझाने का मौक़ा दें आप एक कोच का किरदार निभाएं और उसे उसकी समस्याएं सुलझाने के लिए अकेले छोड़ें ।

 मान लीजिए कि आपके बच्चे ने अपना गृहकार्य समय पर नहीं किया है । उसके शिक्षक ने स्कूल डायरी पर चेतावनी लिखी कि अगर वह अपना गृहकार्य पूरा नहीं करेगा तो परीक्षा में उसके अंक कम कर दिए जाएंगे । ऐसे में आप स्वयं उसका गृहकार्य पूरा करने के बजाय उसे अधिक मेहनत करने के लिए कह सकते हैं । आप उसे गृहकार्य समझा तो सकते हैं पर पूरा उसे स्वयं ही करना होगा । यदि वह इसमें लापरवाही बरतता है तो इसका परिणाम भी उसे भुगतने दें । बाद में उसे समझाएं कि अगर उसने गृहकार्य किया होता तो स्थिति अलग होती । साथ यह भी विश्वास दिलाए की स्थिति कितनी भी कठिन हो उसे भागना नहीं है बल्कि उसका सामना करना है और मेहनत करने का फल अवश्य मिलता है।


* सफलता और असफलता का अंतर समझाये-

 आपके बच्चे कई चीजों में असफल होते रहते हैं जैसे खेलकूद में दोस्तों के साथ पढ़ाई और प्रतियोगिता में नृत्य या  गायन की प्रतियोगिता में ऐसे में  बच्चा निराश होकर कहीं घूमने या अनेक गतिविधियों में भाग लेना छोड़ देता है। ऐसी स्थिति में उसको आपको हिम्मत बनानी होगी उसे समय-समय पर यह भी याद कराना होगा की असफलता भी सफलता के एक सीढी ही होती है। यह जरूरी नहीं कि वह हर क्षेत्र में मामले में सफल हो। इस असफलता से सीख कर वह आगे बढ़ सकता है साथ ही उसे विश्वास दिलाए की लगातार किया गया परिश्रम अनुभव देता है और सफलता की आशा और ज्यादा बढ़ जाती है।


बच्चों की तारीफ जरुर करें-

 अगर आपका बच्चा किसी भी खेल या रेस में हार गया है तो घबराएं नहीं ना ही अब बच्चे को घबराने दे। बल्कि बच्चे की हर उस बात की प्रशंसा करें जो भी आपने किया है वह बहुत अच्छा किया है ताकि बच्चा निराश ना हो और कभी भी अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से ना करें आपका बच्चा जैसा भी है वह अपने आप में पूर्ण है।हारने के बाद उस खेल को दोबारा करने के लिए उसका आत्मविश्वास और बढ़ जाएगा। अगर आपका बच्चा हार से डर रहा है या घबरा रहा है तो उसे समझाएं की जिंदगी में हारने के बाद जीत जरूर हासिल होती है, बस जरूरत है आपको लगातार मेहनत करने की यह अपने बच्चों को जरूर सीखये की अगर जिंदगी में सफल होना है तो सफलता का एक ही मंत्र है लगातार मेहनत करना।

बच्चों के सपने के निर्णय का सम्मान करें- अगर आपका बच्चा कोई भी अपनी जीवन का सपना है कुछ भी बनना चाहते हैं उसको पहले ध्यान पूर्वक सुने और सुनकर उसको सही गलत का रास्ता दिखाएं ।कभी भी अपने बच्चों को सपने को सुनकर मजाक ना उडाय और न ही  नीचा  दिखाएं बल्कि ऐसे सपने देखने के लिए  हिम्मत दें। अपने बच्चों को समझने की कोशिश करें और उनहे  इस बात  विशवास  दिलवाएं वह जो भी करना चाहता है कि हम आपके साथ हैं क्योंकि मां-बाप बच्चों के लिए स्कूल टीचर से बढ़कर होते हैं। इसलिए अपने बच्चों के सपनों का आदर करें।

•आर्थिक स्थिति के बारे में जरूर  बताएं-अपने बच्चों को जो भी आपके घर के आर्थिक स्थिति अच्छी है या बुरी उसके बारे में जरूर शेयर करें। आपके बच्चे को अपनी हैसियत का जरूर पता होना चाहिए। यह अपने बच्चों को जरूर सीखाये की आप अपनी चादर के अनुसार ही पैर पसार सकते हैं क्योंकि आजकल बच्चे देखा देखी में पड जाते है और अपने मां-बाप की है हैसीयत  से बढ़कर कुछ बच्चों के शौक होते हैं उनका पूरा करना चाहते हैं,  पर यह आदत उनको आने वाले भविष्य में बर्बाद कर सकती हैं। अगर आप अपने बच्चों के साथ इस प्रकार का रिश्ता बनाते हैं तो इसमें किसी भी प्रकार का कोई शक नहीं कि आपके बच्चे आपकी बात समझने की जरूर कोशिश करेंगे।  कुछ लोगों का मानना है कि बच्चों को इतने सीरीयस बातें नहीं बतानी चाहिए पर मेरा  मानना है कि अपने बच्चों को अपनी आर्थिक स्थिति का अंदाजा जरूर होना चाहिए, कि यह वस्तु हमारी हैसीयत की है या नहीं क्योंकि इस प्रकार की बातें शेयर करने से बच्चा कमजोर नहीं बल्कि और मजबूत बनता है। अपनी हैसीयत के अनुसार ही बच्चों के सामने बातें करें कोई भी बच्चों के सामने झूठे सपने ना दिखाएं।

निष्कर्ष- हर मां बाप चाहता है कि उसके बच्चे भविष्य में कामयाब हो और उनका हर तरह की वह खुशी हासील हो जो भी वो चाहते है उनके सपने साकार हो।  ऐसे में  पेरेंट्स की जिम्मेवारी  बनती है कि वह अपने आसपास के माहौल को खुशनूमा बनायें  रखें।  ऐसा करने से बच्चों को ताकत मिलती है और उनका आत्मविश्वास बढ़ता है, क्योंकि बहुत कुछ बच्चा अपने घर से ही सिखता है और कुछ गुण भगवान के दिए हुए बच्चा लेकर पैदा होता है। इन्हीं में से एक गुण है सेल्फ कॉन्फिडेंस जिसे हम हिंदी में आत्मविश्वास कहते हैं। जब बच्चा छोटा होता है उसमें बहुत आत्मविश्वास भरा होता है जैसे ही वह बड़ा होता है धीरे-धीरे यह आत्मविश्वास खत्म होने लगता है, क्योंकि आज की इस भाग दौड़ भरी दुनिया में कंपटीशन बहुत ज्यादा है और ऐसे में बच्चे कंपटीशन को देखकर घबरा जाते हैं। ऐसे समय में मां-बाप की जिम्मेवारी होती हैं कि हम उनका आत्मविश्वास घटने ना दे बल्कि और उनको बेहतर भविष्य बनाने के लिए उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएं और उनका विश्वास दिलाए कि आप जो भी सपना है उसको आप साकार कर सकते हैं। ऐसे में मां-बाप इस तरह का तरीका अपनाकर अपने बच्चों को कॉन्फिडेंस लगातार बढ़ा सकते हैं और उनके काबिल होने में उनका योगदान कर सकते हैं। 

posted by kiran



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