शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कैसे बनाएं| प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय | प्रतिरोधक क्षमता क्या है ?

शरीर की प्रतिरोधक कैसे बढाये- हमारे शरीर रोगों से लड़ने के लिए कुदरत ने एक अनोखा हथियार दे रखा है । प्रतिरक्षा तंत्र । हमारा शरीर सारा दिन हमारा मशीन की तरह काम करता है इसलिए इसको से सुचारु रूप से चलाने के लिए इसके देखभाल करना उतना ही जरूरी है जैसे किसी मशीन की करते हैं हम। अगर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी तो वह बीमारियों से लड़ने के लिए ताकत रखता है। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको यह बताने की कोशिश करेंगे की प्रतिरोधक क्षमता है क्या और किस प्रकार इसको हम घरेलू उपाय करके बढा सकते हैं।


प्रतिरोधक क्षमता कैसे काम करती-

 किसी भी बाहरी विष या रोगाणु आदि के शरीर में प्रवेश करने पर तंत्र सक्रिय हो जाता है और कुछ खास तरह के प्रोटीन बनाता है । इस प्रोटीन को एंटीबॉडी या प्रतिपिंड कहते हैं । आमतौर पर शरीर मे पांच तरह से प्रतिपिंड बनते हैं इन सभी को तकनीकी भाषा में इम्यूनोग्लोबुलिन कहते है। इन प्रतिपिंडों में से एक है ' इम्यूनोग्लोबुलिन ई ' यह शरीर की कुछ खास तरह की कोशिकाओं जैसे मस्तूल और बेसोफिल कोशिकाओं के साथ जुड़ जाता है मस्तूल ( मास्ट ) कोशिकाएं हमारी त्वचा और अंदरूनी अंगों की सतह ढंके रहती है । आमाशय की सतह , श्वासनली की सतह और फेफड़ों की सतह भी मस्तूल कोशिकाओं से ढकी रहती है । बेसोफिल कोशिकाएं रक्त में घूमती रहती हैं। इसका आकार अंग्रेजी के अक्षर वाई की तरह होता है । इसका तना कोशिका झिल्ली में धंस जाता है और भुजाएं हमलावर रोगाणु से उलझ जाती हैं । अगर एक से ज्यादा इम्यूनोग्लोबुलिन कोशिका से जुड़ते हैं , तो उनकी भुजाएं आपस में गुंथ जाती हैं । इससे कोशिका झिल्ली में तनाव पैदा होता है।  ऐसी स्थिति में वह कोशिका को हिस्टामीन बनाने के लिए प्रेरित करता है।  

इस हिस्टामिन के कारण कोशिका में अन्य ढेर सारे रसायन बनने लगते हैं । इन्हीं रसायनों के कारण सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं ( कैपिलरी ) फैल जाती हैं। अंग में रक्त संचार बढ़ जाता है और लिम्फ ( लसीका ) स्राव  ज्यादा होने लगता है । शरीर में एलर्जी की प्रतिक्रियाएं उत्पन्न होती हैं। जैसे शरीर पर दानें निकल आना , खुजली होना , कंपकंपी छूटना , आदि । फेफड़ों की सतह पर मास्ट कोशिकाओं से जुड़ा इम्यूनोग्लोबुलिन फेफड़ों में आने वाले रोगाणुओं , धूल , परागकण आदि से उलझ जाता है । परंतु एलर्जी से जुड़ी प्रक्रियाएं शुरू होती हैं और हिस्टामीन व दूसरे रसायनों का रिसना शुरू हो जाता है । बढ़े हुए लिम्पनाव से फेफड़ों में पानी भर जाता है । फेफड़ों में इतनी ताकत नहीं कि खुद पानी को बाहर निकाल दें । इसी तरह श्वासनली में एलर्जी होने से नली सूज जाती है । उसका घेरा कम हो जाता है और उसमें भी लसीका भर जाती है । यह दमा ( अस्थमा ) के लक्षण हैं ।


इससे रक्तचाप गिरने लगता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है और दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है । इस अवस्था को अनाफिलेक्टिक शॉक कहते हैं । कुछ लोगों को मधुमक्खी या के विष ( विनम ) से भी एलर्जी होती है । इनके काटने पर वे तुरंत एनफिलैक्टिक शॉक का शिकार हो हैं । इन स्थितियों में अगर तुरंत चिकित्सा न मिले तो मरीज मर भी सकता है । अभी हाल तक ए का कोई प्रभावी इलाज नहीं है । सिर्फ एलजी के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर एटीटामी दवाईयां देते है लेकिन एलर्जी का पूरा इलाज नहीं होता । दवा का असर खत्म होते ही कभी दोबारा हो सकती है । लेकिन दुनिया में कई देशों में एलजी पर चल रहे परीक्षणों से कुछ आशाजनक परिणाम रहे हैं । ब्रिटेन की कंपनी पेप्टाइड थिरैपोटिक्स ने प्रति एलर्जी वैक्सीन पर कई प्रयोग किए हैं । इन प्रयोग के लिए ऐसे लोगों को चुना गया , जिन्हें खाने - पीने की चीजों से एलर्जी थी । इन लोगों को वैक्सीन देव वही चीजें खाने के लिए दी गयीं , जिनसे इन्हें एलर्जी थी पर किसी में एलर्जी के लक्षण प्रकट नहीं बर्मिंघम विश्वविद्यालय के डॉ . डेनिस स्टीनवर्थ पिछले 30 सालों से एलर्जी कारक पदार्थों पर खोज कर रहे हैं । उन्होंने इम्यूनोग्लोबुलिन के अणु में दस अमीनो एसिड का पता लगाया है , जो शरीर हिस्टामीन पैदा करने के लिए काफी हैं । इन्हीं दस अमीनो एसिड को संवाहक प्रोटीन में मिलाकर स्टीनवर्थ ने एक वैक्सीन तैयार किया है । यह वैक्सीन प्रतिरक्षा तंत्र को इन दस अमीनो एसिड से लड़ने वाला एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रकि करता है । अगली बार एलर्जी कारक पदार्थ का हमला होने पर शरीर में इम्यूनोग्लोबुलिन पैदा होते है नष्ट हो जाते हैं और हानिकारक एलर्जी प्रक्रियाएं नहीं होतीं , लेकिन शरीर के अन्य एंटीबॉडी रोगा आदि को नष्ट कर देते हैं । डाक्टरों  का मानना है कि ये वैक्सीन सभी तरह के एलर्जी कारकों खिलाफ प्रभावी होगा । अगर ऐसा हुआ तो इस वैक्सीन से अस्थमा , हैफीवर और शायद खाज बीमारियों से लड़ा जा सकता है ।


प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के सामान्य उपाय-

दिन में गर्म पानी पिए डॉक्टरों की सलाह के अनुसार प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योगाआसन, ध्यान और प्राणायाम जरूर करें। 

* खाना पकाने में हल्दी,जीरा ,धनिया ,लहसुन ,अदरक जैसे मसाले का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।


 * रोज सुबह 10 ग्राम चवनप्राश ले, शुगर के  रोगियों को शुगर फ्री चमनप्राश खाना चाहिए। 

* तुलसीदल, काली मिर्च, सौफं,  मुनक्का से बना हर्बल पेय दिन में एक या दो बार जरूर पीना चाहिए। अगर आवश्यक हो तो स्वाद के अनुसार गुड़ या नींबू का रस भी मिला सकते हैं।

* खाने में जो भी खाया वह बहुत अच्छा ही खाना खाए जिसमे भरपूर मात्रा में प्रोटीन विटामिन और कैल्शियम पाया जाता हो। जो हमारे शरीर के लिए उत्तम माना जाता है  केवल जीभ के स्वाद के लिए ना खाएं हो सके तो कम वसा वाले दूध का सेवन करें। अच्छी तरह खाना खाने से कई पोषक तत्व मिलते हैं जो हमारे शरीर के  प्रतिरक्षा का कार्य को समर्थन करते हैं। 


* प्रतिदिन शारीरिक गतिविधि भी जरूर करें जिससे आपको अच्छी नींद और चिंता कम होगी। अच्छे खान-पान के साथ शारीरिक गतिविधि करना भी अच्छे स्वास्थ के लिए बहुत जरूरी है।

* एक शोध के अनुसार नींद की कमी होने के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली के विभिन्न भागों को नकरात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।  इससे विभिन्न प्रकार के शरीर में विकार पैदा हो जाते हैं आप अपनी उम्र के अनुसार प्रतिदिन नींद के अनुशासित घंटे तय करें।


* शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए धूम्रपान न करें। धूम्रपान शरीर को बीमारियों से लड़ने को काम असफल बनाता है और शरीर बीमारियों को घेर लेता है। धूम्रपान के कारण शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं को खतरा बढ़ जाता है। बहुत अधिक शराब के सेवन से बचें अत्यधिक शराब का सेवन प्रतीक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है।

निष्कर्ष - इस प्रकार आप छोटी-छोटी बातों को ध्यान रखकर अपने शरीर के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के कारण शरीर बीमारियों से आसानी से लड़ सकता है और खुद स्वस्थ होने के लिए एक बेहतर तरीके से वह अपने आप को ठीक कर सकता है। 



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