व्रत का रखने का महत्व और नियम | व्रत कैसे रखे | व्रत के लिए निषेध वस्तुए कौन सी है|

व्रत का महत्व और नियम- हमारे हिंदू धर्म में व्रत  यानी उपवास का बहुत ही अधिक महत्व बताया गया है व्रत करने से इंसान शारीरिक मानसिक और आत्मा की शुद्धि होती है और उनमें संकल्प लेने की शक्ति भी बढ़ती है। इसके साथ-साथ बुद्धि का विकास और आयु का भी लंबा होना माना जाता है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको व्रत के कुछ नियम और पालन के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करेंगे ।अगर आपको यह विचार अच्छे लगे तो इनको अपने दोस्तों और चाहने वालों में जरूर शेयर करें।


व्रत करने के नियम- 

व्रत करने के बारे में ऐसा माना जाता है कि जो लोग व्रत करते हैं उन पर प्रभु की विशेष कृपा होती है और व्यक्ति अपने पुण्य की प्राप्ति करता है । व्रत को रखने वाला इंसान के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है तभी व्रत  फलदाई माना जाता है। 

विश्व की ऐसी कोई जाती नहीं जहाँ व्रतादि न होते हो क्योंकि व्रत एक कर्म विशेष है । इसलिये कलियुग के कलुषित प्राणियों को व्रताचरण करना चाहिये । व्रत करने में सभी जातियों के मनुष्यों का अधिकार है । चाहें पतित हो बालक हो जवान हो वृद्ध हो किन्तु स्त्रियों ( महिलाओं ) को अपने स्वामी की आज्ञा से व्रत करने का अधिकार है ।

 स्वामी न हो तब पिता माता व पुत्रादि की वाणी से व्रत करें । सबके अभाव में गुरु ब्राह्मण आज्ञा से करें । 

 व्रतियों को स्नान दान पूजा और हवनादि सब संकल्प से शुरू करने का ऐसा शास्त्रो में आदेश है । अतः पहले संकल्प करें । ( संकल्प ) ताम्बे के पात्र में जल अक्षत गन्ध ( रोली ) पुष्प द्रव्य रखकर पात्र को दक्षिण ( दाहिने हाथ में लेकर करें । अगर पात्र के अभाव है तो यह सब चीजें हाथ में लेकर करें । और जैसा व्रत का विधान हो वैसे ही निराहार , दूध , जल फल या एक टाईम भोजन से करें । 

व्रत करने  का फल -  

अनायास श्रद्धा अश्रद्धा निष्ठा प्रेम से व्रत करने पर वाचिका मानसिक पापों से निवृत्ति ओर मरने पर स्वर्ग ( वैकुण्ठ धाम ) और सुयोनि प्राप्त होती है ऐसा हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों में बताया गया है।

  व्रतियों को धर्म , नियम , क्षमा , सत्य , दान , शैच , इन्द्रिय निग्रह , देवपूजा , हवन , संतोष , अस्तेय इन दसों का पालन करना चाहिये और व्रतों के अन्त में जैसा व्रत हो पैसा शक्ति अनुसार हवन ब्राह्मण को शुभ दिन चन्द्रमा दिखा कर व्रत शुरु और समाप्ति करे । 

 * व्रत में निषेध वस्तुए-

 व्रतों में त्यागने की चीजें मांस ,कांजी, मसूर, पराया अन्न , यात्रा , चमड़े में रखा पानी, ऊटनी आदि अशुभ जानवरों का दूध , सीपी , चूरण , बासी अन्न , घीया , बैगन , कुमडा , कटेरी , तरबूज , इनका त्याग करें ।

  व्रत के दिन में सोना निषेध माना गया है  , पान खाना , मैथुन ,पतिता , पाखण्डी , नास्तिक से भाषण करना , निन्दित बात का स्मरण और झूठी गंदी बातें करना अश्रुपात , ( रोना ) क्रोध , कलेश  , यह सब करना मना है ।  व्रत के दिन पर स्त्री पुरुषों की शोभा ( श्रृंगार ) देखने से , छुने से , आपस में बातचीत करने से मन में चिन्तन करने से ब्रह्मचर्य नष्ट होता है अतः ऐसा न करें व्रतों में रात दिन व्रत देवता का स्मरण करता रहे।

 जल पीने पर और औषधीग्रहण ( खाने ) पर भी व्रत नष्ट नहीं होते । 


 व्रतियों के लिये हविष्यान्न , मूलकन्द सेन्धा नमक गऊ , दूध , कटहल , आम . हरितकी , पीपल , जीरा , नारंगी , इमली , केला , तेल में न पकी वस्तु इन सब को ऋणियों ने हविसान कहा है जिनको अनेक व्रतों में काम लेने को कहा है ।, कुमारी रोगिणी , रजस्वला , अशाध - अशुद्धावस्था में हो तब दूसरों से अपने व्रत करवा लेवें या फिर भार्या पति से पत्नि से या पुत्र बहिन भ्रातादि से करवाले । इनके अभाव में ब्राह्मण से करवा ले । व्रत के दिन जितना हो सके जिस भी भगवान के लिए अपने व्रत रखा है उनके भजन स्मरण में दिन बीते। किसी भी तरह की चुगली चर्चा से दूरी बनाकर रखें उसे दिन उसे भगवान की आराधना अवश्य करने चाहिए।

* व्रत करने का वैज्ञानिक महत्व -

व्रत करने का जितना महत्व धर्म में बताया गया है उतना ही वैज्ञानिक भी बताया गया है विज्ञान के अनुसार व्रत करने से व्यक्ति की सेहत उसे ठीक बनी रहती है क्योंकि व्रत के दौरान भोजन नहीं किया जाता कुछ समय के लिए अल्पाहार लेकर ही पूरा दिन बताया जाता है ऐसा करने से व्यक्ति का पाचन तंत्र ठीक रहता है और पाचन तंत्र की क्रियाएं मजबूत बन जाते हैं व्रत रखने से व्यक्ति के शरीर में मोटापा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काबू में रहती है जिस व्यक्ति की शारीरिक क्षमता बढ़ जाती है।

निष्कर्ष- व्रत के करने के वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही कारण माने जाते हैं धर्म को मानने वाले लोग भगवान को खुश करने के लिए व्रत रखते हैं और विज्ञान को मानने वाले  अपनी सेहत को ठीक रखने के लिए व्रत रखते हैं।


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