video game खेलने से बच्चों कैसे रोके | video game side effects |

Tittle - video game खेलने से बच्चों पर  दुष्प्रभाव-  आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से वीडियो गेम खेलने के मानसिक और स्वास्थ्य पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है इसके बारे में बताने की कोशिश करेंगे क्योंकि यह एक ऐसी लत है जो हमारे बच्चों को भविष्य को बिगाड़ रही है। इस लत के कारण बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है और बाहरी दुनिया से बिल्कुल वह अनजान बन जाते है। ऐसे में अपने बच्चों को बहुत ज्यादा वीडियो गेम खेलने से किस प्रकार रोके। 


* वीडियो गेम का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव -जब वीडियो गेम की लत , जुनून का रूप धारण कर लेती है , तो समस्याएँ बढ़ जाती हैं । इसी संदर्भ में एक वास्तविक घटना आपके समाने रख रहे हैं । यह बच्चा  बेंगलुरू  में रहता है । इस बच्चे को Dota - 2 नामक वीडियो गेम खेलने की लत लग गई । एक बार इसके माता - पिता ने इसे गेम खेलने से रोकने की कोशिश की । पर जब ऐसा हुआ , तब इस बच्चे ने गुस्से में आकर अपने घर के एक दरवाज़े को तोड़ डाला । यहीं नहीं , बच्चे का धमकी तक दे डाली ... गुस्सा इतना ज्यादा था कि उसने 8 वीं मंजिल से कूद जाने की धमकी दी। 

आप सबके के लिए  यह विडियो गेम की लत से होने वाले मानसिक रोग का बस एक ट्रेलर है । शोध बताते हैं कि वीडियो एक बच्चे को , डिप्रेशन और साईबर बुलिंग जैसे मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं । वे गेम के लिए ऐसे पागल हो जाते हैं कि इसके लिए अपनी जान तक गवां बैठते हैं ।

 मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कई वैज्ञानिकों ने उल्लेख किया है कि आजकल छोटी उम्र के बच्चों में अपराध की दरों में वृद्धि देखी जा रही है । जो बच्चे हिंसक वीडियो गेम खेलते हैं , उनमें आक्रामक बर्ताव की प्रवृत्ति बढ़ जाती है । वीडियो गेम से होने वाले साईबर क्राइम  के केस भी आम होते दिख रहे हैं । इसी का एक उदाहरण है जिसमें 15 वर्षीय लड़का अपने घर से भाग गया । पुलिस की जाँच में सामने आया कि वह बच्चा मल्टी प्लेयर वीडियो गेम खेलता था । इसमें वह ऑनलाइन  अनजान लोगों से चैट करता था । परिणामस्वरूप यह बच्चा एक ऑनलाइन टीम प्लेयर के बहकावे में आ गया । उसका ब्रेनवॉश कर दिया गया , जिसके कारण वह लड़का अपने घर से भाग गया ।


 एक वीडियो गेम आई थी , जिसका नाम था Pokémon Go . जानते हैं इस गेम को खेलने के कारण अमेरिका के एक शहर में हर रोज औसतन दो लोगों की हत्या या कार दुर्घटना में मौत होती थी !! बाद में इस गेम पर कई प्रतिबंध  लगा दिए गए । 

लेकिन कहते हैं इस गेम के शुरुआत 150 दिन में ही लगभग 150,000 यातायात दुर्घटनाएँ और 250 लोगों को मृत्यु हो गई थी । वीडियो गेम बच्चों को अकेला कर रहा है ! वीडियो गेम की लत बच्चों को सामाजिक रूप से भी प्रभावित कर रही है।  

एक युवा के शब्द है- ' बोडियो गेम मेरे जीवन की प्राथमिकता है- मैं जागता हूँ तब इसके बारे में सोचता हूँ । मैं सोने जाता हूँ , तब मैं इसके बारे में सोचता हूँ ।

 दूसरे बच्चे  का कहना था- ' गेमिंग में मैं बिल्कुल खो जाता हूँ । अब तो अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ समय बिताना भी अच्छा नहीं लगता । 

जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार-  डी.एन.ए. में भी इस बात को रखा गया । इसमें एक माता कह रही थीं कि उनके बच्चे उनहे  पसन्द ही नहीं करता । उनहे  गेमिंग की इतनी लत लग गई है कि वह कही बाहर जाना हो तो जाना नहीं चाहते।  साथ ही शो में यह भी बताया गया कि वीडियो गेम्स बच्चों को सामाजिक रूप से अलग - थलग कर रहे हैं । गेम एडिक्ट बच्चे होमवर्क में , पढ़ाई में , बाहर खेलने में और यहाँ तक कि परिवार के साथ बातचीत करने में भी कोई रुचि नहीं दिखाते हैं ।

 वीडियो गेम की लत से एक व्यक्ति के मनोबल शारीरिक बल और सामाजिक बल को तो क्षति पहुँचती ही है । पर इसके अलावा उसके परिवार को आर्थिक क्षति भी झेलनी पड़ती है ।

 ऑनलाइन गेम की दीवानगी में बच्चे अभिभावकों का ए.टी.एम. कार्ड चोरी कर खाते में से बड़ी - बड़ी रकम का नुकसान करवा देते हैं । हाल ही में एक खबर आई थी कि गेमिंग कंपनियों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नोटिस भी भेजा है । इस नोटिस में इन कंपनियों पर यह आरोप लगाया गया है कि ये बच्चों में सट्टेबाजी और जुए की लत लगा रही हैं । एक अभिभावक ने अपनी शिकायत में यह कहा कि ऑनलाइन रुपये को सट्टेबाजी में लगा दिया था । गेमिंग की लत में आकर उनके बच्चे ने एक साइट पर 50,000 रूपये का परिवार के आर्थिक नुकसान को तो शायद फिर भी वापिस भरा जा सकता है । लेकिन डराने वाला तथ्य तो यह है कि गेमिंग से हुए आर्थिक नुकसान के सदमे में युवा अपने जीवन को ही खत्म कर देते हैं । 

ऐसी ही एक खबर आपके आगे रख में वित्तीय नुकसान रहे हैं- इंजीनियरिंग कॉलेज के एक छात्र ने ऑनलाइन गेम होने के कारण फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी । छात्र कॉलेज के दूसरे वर्ष का स्टूडेंट था । वह लगातार मोबाइल पर ' जंगली ' नामक गेम खेलता रहता था । 

इस खेल से बचने के लिए सबसे पहले  माता - पिता  अपना स्क्रीन टाइम कम करें । अपने बच्चों के साथ बिना किसी गैजेट के समय बिताएँ ।  पाठकगणों ! गेमिंग के ये सब गंभीर दुष्प्रभाव सच में रौंगटे खड़े कर देने वाले हैं । पर केवल समस्या की चर्चा करने का क्या लाभ ? समस्या समझ आने के बाद उसका समाधान निकालना जरूरी है । इसलिए अब कुछ ऐसे सूत्रों को जानते हैं , जिन्हें अपनाकर वीडियो गेम के दैत्य से बचा जा सकता है । 


1. डिजिटल डीटॉक्स- एक बार एक माता ने अपने बेटे को वीडियो गेम बंद करने के लिए बोला । बेटे ने तुरंत कहा- ' क्यों बंद करू ? पापा और आप भी तो जब देखो मोबाइल पर ही लगे रहते हो । ' हो सकता है कि आप अपने गैजेट्स घर या ऑफिस के काम के लिए इस्तेमाल करते होंगे । लेकिन एक बच्चा इस बात को नहीं समझता है । इसलिए यह आवश्यक है कि माता - पिता पहले अपना स्क्रीन टाइम कम करें । 

अपने बच्चों के साथ बिना किसी गैजेट के समय बिताएँ । माने डिजिटल डीटॉक्स करें । आप जानते हैं , बिल गेट्स अपने बच्चों को कभी भी डिनर टेबल पर कोई गैजेट लेकर बैठने नहीं देते हैं । | 


वीडियो गेम्स- कितने सही , कितने गलत ! वे स्वयं उनके साथ बैठकर अनेक विषयों पर चर्चा किया करते हैं । 

बच्चों को कुछ समय के लिए बोर होने दें- आजकल हर माता - पिता की यह सोच रहती है कि उनका बच्चा कभी उदास न हो इसलिए जब बच्चा कहता है कि वह बोर हो रहा है , तब माता - पिता भावों में आकर उसे मोबाइल या वीडियो गेम खेलने के लिए कह देते हैं । किन्तु अभिभावकों ! कृपया आप ऐसा न करें । विज्ञान इस बात की पुष्टि कर चुका है कि परिवार के साथ  बिताए कुछ पल एक व्यक्ति के अंदर सृजनात्मक विचार भरते हैं । बोरडम में बच्चे कल्पना और स्व - चिंतन के जोन में चले जाते हैं । टेनिस चैंपियन सेरेना विलयम्स और उनके पति कहते हैं- ' हम चाहते हैं हमारी बच्ची कुछ समय के लिए बोरडम में रहे । वे कुछ पल ऐसे होंगे जब वह अपने नवीन विचारों के साथ रहेगी । यह उसके विकास के लिए अति आवश्यक है ।  प्रेम के साथ सख्ती भी आवश्यक है- आजकल अभिभावक बच्चों को लेकर अति सुरक्षात्मक हैं । वे केवल लाड - प्यार से बच्चों का पालन - पोषण करना चाहते हैं । पर बच्चों को विकास के लिए प्रेम के जल के साथ डाँट फटकार रूपी सूरज की तपिश भी चाहिए । इसलिए प्रेम के साथ अनुशासन की सख्ती रखना भी आवश्यक है ।

 जाने - माने फुटबॉलर डेविड बैकहम ने 2014 में स्पोर्ट्स अवार्ड्स की स्टेज से ये शब्द कहे थे- ' वीडियो गेम एक घण्टे से ज्यादा नहीं । मुझे पता है ये शब्द कठोर प्रतीत होते हैं , पर मैं अपने बेटों को ( आउटडोर ) खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ ।

प्रसिद्ध निवेशक और अरबपति मार्क क्यूबन के समान आप भी अपने बच्चों पर थोड़ी सख्ती बरतें । मार्क अपने बच्चों को रात 10-11 बजे के बाद गैजेट का उपयोग नहीं करने देते । और तो और क्यूबन ने अपने फोन में ऐसे ऐप्लीकेशन डाल रखे हैं , जिससे वे अपने बच्चों के गैजेट इस्तेमाल का नियमित रिकॉर्ड रखते हैं । वे कहते हैं- ' जब भी मुझे लगता है कि बच्चे ज्यादा देर तक खेल रहे हैं या हानिकारक ' गेम खेल रहे हैं ; तब मैं ऐप्लीकेशन की मदद से उनके गेम बंद कर देता हूँ। 

 अभिभावकों ! आपको भी ऐसे ही पेरेंटिंग सूत्रों को अपनाना चाहिए । अपने बच्चों के पूर्ण विकास के लिए हम उन्हें कुछ देर के लिए वीडियो गेम खेलने दे सकते हैं । किन्तु साथ ही , हमें थोड़ा सख्त बनकर अपने बच्चों को इसके दुष्प्रभावों से भी बचाना चाहिए कयोंकि हमारे बच्चे हमारा भविष्य है।

निष्कर्ष- इसलिए बच्चों को कभी भी अनदेखा न करें और बच्चों के साथ-साथ खुद भी फोन को कम देखने का कंट्रोल करें तभी बच्चों का आप कंट्रोल कर पाएंगे। अगर आप खुद बहुत ज्यादा फोन में लगे रहते हो तो बच्चे आप की देखा देखी वीडियो गेम खेलने खेलने से आप उनको नहीं रोक सकते। बच्चों का तभी कंट्रोल कर सकते हैं जब आप खुद को कंट्रोल करोगे। इसलिए जब भी समय मिले  अपने बच्चों के लिए समय निकले और एक घंटा अपने बच्चों के साथ बाहर टहलने और उनके साथ दिनचर्या की बातें जरूर शेयर करें ताकि वह अच्छी और बुरी  दोनों ही  तरह ज्ञान हासिल कर सके।









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