* नवरात्रो का महत्व -नवरात्रि व्रत का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत उच्च माना जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव है जिसमें लोग मां दुर्गा की पूजा और अराधना करते हैं। यह उत्सव शक्ति की पूजा के रूप में माना जाता है, जो सृष्टि की संरक्षा और समृद्धि के लिए भगवान शिव की पत्नी और मां दुर्गा के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह उत्सव सात नवरात्रियों में पवित्रता के साथ मनाया जाता है, जिसमें हर दिन को अलग-अलग रूप में अराधित किया जाता है। नवरात्रि व्रत के दौरान, भक्त नियमित रूप से पूजा, पाठ, ध्यान, और दान आदि करते हैं ताकि उन्हें ध्यान में ध्यान लगे और उन्हें देवी का आशीर्वाद प्राप्त हो। यह उत्सव हिन्दू समाज में समर्थन, सहयोग, और पवित्रता की भावना को मजबूत करता है।
*नवरात्री माँ दुर्गा की पुजा सामग्री-
मूर्ति या चित्र- मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र पूजन के लिए आवश्यक होता है।
धूप और दीप- धूप और दीप के साथ पूजा का आयोजन किया जाता है।
अद्भुत सामग्री- इसमें बेल पत्र, दुर्वा, कुमकुम, हल्दी, चावल, नारियल, दाल, मिठाई, फल, नट, सिन्दूर, गंगा जल, और फूल आदि शामिल हो सकते हैं।
अन्न और प्रसाद- फलहार और प्रसाद की तैयारी की जाती है जो पूजा के बाद भक्तों को बांटा जाता है।
जल- पूजा के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, ध्यान और भक्ति भाव से पूजा की जाती है, जो बिना किसी वस्त्रादि सामग्री के भी की जा सकती है। जि जिसको हम मानस पूजा कहते हैं अगर आपके पास कुछ भी नहीं है तो मन केवल आपके सच्चे मन से भी खुश हो सकती है।
नवरात्रि के विशेष मन्त्र है-
नवरात्रि में मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कई मंत्रों का जाप किया जा सकता है। यह है विशेष मंत्र हैं-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे: "
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥: "या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥:
"ॐ ह्रीं क्लीं महाकाली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥: "
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥: "या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥: "
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥: "सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥: "
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥: "
- ॐ ह्रीं क्लीं महाकाली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥
- रंगों के फूल- माँ दुर्गा को रंगों के फूल बहुत पसंद होते हैं, विशेष रूप से लाल, पीला, नीला, और सफेद रंग के फूल।
फल और मिठाई- उन्हें फल और मिठाई का प्रसाद बहुत पसंद होता है, जैसे कि सेब, केला, नारियल, चीकू, गुड़, मिश्री, इलायची और खीर।
बेल पत्र- माँ दुर्गा को बेल पत्र का अर्पण करने से विशेष प्रसन्नता होती है।
धूप और दीप- पूजा के समय उन्हें धूप और दीप के आदर्श समर्पण करने का खास आनंद मिलता है।
गंगा जल- गंगा जल के अर्पण से उन्हें बहुत प्रसन्नता मिलती है, क्योंकि गंगा माँ की धारा उन्हें पवित्रता का एहसास कराती है।
दान- दुर्गा माँ के नाम पर दान करने से भी उन्हें अत्यंत प्रसन्नता मिलती है।
* नवरात्रि व्रत में निषेध वस्तुए -
नमक:- समुद्री नमक का सेवन नवरात्रि व्रत में अनुचित माना जाता है।
लाल मिर्च- लाल मिर्च भी नवरात्रि व्रत में निषेधित होती है
हिंग- हिंग का उपयोग भी व्रत में नहीं किया जाता।
गेहूं और मैदा-नवरात्रि में गेहूं और मैदा का सेवन भी नहीं किया जाता है, क्योंकि इन्हें शाकाहारी धार्मिकता में माना जाता है।
बाजार में तैयार की गई खाने की चीजें: बाजार में तैयार की गई खाने की चीजें जैसे कि पिज्जा, बर्गर, चाउमीन, मास , मछली, अंडा आदि का सेवन भी नवरात्रि में नहीं किया जाता है।
*नवरात्रि व्रत में कया खाये-
साबुदाना- साबुदाना की खिचड़ी, वड़ा, पापड़ी, और खिचड़ी का सेवन किया जा सकता है।
कुट्टू का आटा- कुट्टू के आटे से बनी चीजें जैसे कि पूरी, पकौड़े, और रोटी सेवन किया जा सकता है।
सब्जियाँ- शाकाहारी सब्जियों की सब्जियाँ जैसे कि अरबी, कच्चे केले, कटहल, आलू, आदि खायी जा सकती हैं।
फल- नवरात्रि में फलों का सेवन भी किया जा सकता है, जैसे कि केला, सेब, अंजीर, संतरा, आदि।
दही- दही का सेवन भी किया जा सकता है।
मिठाई- व्रत के लिए उपयुक्त मिठाई जैसे कि कुट्टू के लड्डू, सिंघाड़े का हलवा, आलू के हलवे, पेठा और मिष्ठान आदि खा सकते है।
मां शैलपुत्री: प्रथम देवी, जिन्हें प्रथम नवरात्रि के दिन पूजा जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी: द्वितीय देवी, जिनकी पूजा द्वितीय दिन की जाती है।
मां चंद्रघंटा: तृतीय देवी, जिन्हें तृतीया दिन पूजा जाता है।
मां कुष्माण्डा: चतुर्थ देवी, जिन्हें चतुर्थी दिन पूजा जाता है।
मां स्कन्दमाता: पंचमी देवी, जिन्हें पंचमी दिन पूजा जाता है।
मां कात्यायनी: षष्ठी देवी, जिन्हें षष्ठी दिन पूजा जाता है।
मां कालरात्री: सप्तमी देवी, जिन्हें सप्तमी दिन पूजा जाता है।
मां महागौरी: अष्टमी देवी, जिन्हें अष्टमी दिन पूजा जाता है।
मां सिद्धिदात्री: नवमी देवी, जिन्हें नवमी दिन पूजा जाता है।
* नवरात्रि में कजंक पुजा कैसे करें-
पूजा की तैयारी: पूजा के लिए ध्यान और सामग्री को तैयार करें। इसमें मां के प्रतिमा, फूल, धूप, दीप, कुमकुम, चावल, मिठाई, फल, नारियल, मिश्री, और नमक आदि शामिल हो सकते हैं।
ध्यान: पूजा करने से पहले, मां का ध्यान करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
पूजा की स्थल सजावट- पूजा स्थल को सजाएं और मां के चित्र को स्थापित करें।
धूप और दीप- धूप और दीप के साथ पूजा का आयोजन करें।
मंत्र जाप: मां के नाम के मंत्र का जाप करें, जैसे "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"।
पूजा करना: पूजा सामग्री का अर्पण करें, प्रतिमा के सामने प्रार्थना करें, चंदन का तिलक लगाएं, फूल और पुष्पांजलि का अर्पण करें।
प्रसाद बांटें- पूजा के बाद, प्रसाद को बांटें और सभी को खिलाएं।
आरती: मां के लिए आरती गाएं और उनकी महिमा गान करें।
व्रत और प्रार्थना- पूजा के बाद, नवरात्रि के व्रत का पालन करें और मां के दर्शन के लिए प्रार्थना करें।
पूजा को समाप्त करने के बाद, सभी को आशीर्वाद दें और मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।
यही मुख्य नियम हैं जिनका आपको कंजक पूजा के दौरान पालन करना चाहिए। इसके अलावा, आप अपने स्थानीय पंडित या पुजारी से संपर्क करके विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
* नवरात्रि पूजा क्यू की जाती है-
नवरात्रि पूजा का मुख्य उद्देश्य मां दुर्गा की आराधना और पूजा करना होता है। इस पर्व के दौरान, नौ दिनों तक नौ देवियों की पूजा की जाती है, जिसमें मां दुर्गा के रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की शक्ति, साहस, और साधना का प्रतीक है।नवरात्रि पूजा का महत्व यह भी है कि इस अवसर पर लोग भगवान दुर्गा की आराधना, भक्ति, और पूजा के माध्यम से अपने जीवन में शुभ और सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं। इस अवसर पर लोग मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने का आग्रह करते हैं।
इसके अलावा, नवरात्रि पूजा का महत्व है क्योंकि इस पर्व में लोग अनुष्ठान, दान, और सेवा का महत्व समझते हैं। वे अपने धर्मिक और सामाजिक दायित्वों को निभाने का प्रयास करते हैं और अधिकतर धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। साथ ही, यह पर्व हिन्दू समाज में भाईचारे, सौहार्द, और उत्साह का माहौल बनाता है, जिससे समाज की एकता और सामूहिक उत्थान होता है।
इसलिए, नवरात्रि पूजा को मानव जीवन में संतुलन, समृद्धि, और उत्तमता का प्रतीक माना जाता है।
* नवरात्रि की विशेष रगं -
लाल रंग: लाल रंग माँ दुर्गा का प्रमुख रंग है, जो उसके शूरवीरता, साहस, और रक्त को प्रतिनिधित्त करता है।
पीला रंग: पीला रंग आकार और शक्ति की प्रतिनिधित्त करता है, और उसकी आनंदमयी स्वरूप को प्रकट करता है।
हरा रंग: हरा रंग प्रकृति, उत्सव, और संतुलन का प्रतीक होता है, जो जीवन के साथी के रूप में माना जाता है।
नीला रंग: नीला रंग शांति, संजीवनी, और संतुलन का प्रतीक होता है, जो साम्राज्य और शक्ति का प्रतिनिधित्त करता है।
सफेद रंग: सफेद रंग पवित्रता, शुद्धता, और निष्काम कर्म की प्रतिनिधित्त करता है।
ये सभी रंग नवरात्रि के अवसर पर माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को प्रतिनिधित्त करते हैं और भक्तों को उनकी शक्ति, सौन्दर्य, और प्रेम का अनुभव कराते हैं। इसलिए जितना हो सके आप नवरात्रों पर शुद्ध पवित्रता और मां की मनपसंद वस्तुओं का प्रयोग करें ताकि मां दुर्गा आपसे खुश होकर आपके आशीर्वाद दे सके।
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