बन्ध योग कैसे लगायें || बन्ध योग के लाभ ||

बन्ध योग कैसे लगाये और बंध योग के लगाने के स्वास्थ्य लाभ किस प्रकार मिलता है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बंध योग के बारे में बताने की कोशिश करेंगे। जिनको बनाकर आप भी अपने स्वास्थ्य को ठीक रख सकते हो ।बंध योग ऐसा आसान है जिसका अर्थ होता है रोकना। आइये जानते हैं विस्तार से बंध योग के बारे में

बन्ध ( योग ) का अर्थ  कया है रोकना । गमन को रोकने के लिए , बन्ध  लगाया जाता है । योग में इस का मुख्य उद्देश्य प्राणवायु को शरीर के एक विशेष भाग में रोककर सुषुम्ना नाड़ी को और बहाना है । इस से आन्तरिक शक्ति बढ़ाई जा सकती है । बन्ध के प्रयोग से शरीर के अन्दर के विभिन्न रोगों को ठीक किया जा सकता है । इन के प्रभाव से आध्यात्मिक सुख की अनुभूति भी होती है । प्राणायाम बन्ध के बिना अधूरे हैं । बन्ध के साथ प्राणायाम करने से अधिक लाभ मिलता है ।


इस योग में मुख्य तीन बन्ध होते है -

 1. जालंधर बन्ध : 

पद्मासन या सुखासन में बैठकर रीढ़ को सीधा रखें । प्राणायाम या बन्ध के समय कमर का सीधा रहना नितान्त आवश्यक है । दोनों हाथ घुटनों पर रखें । गहरा श्वास लेते हुए ठोड्डी को कंठ कूप में शक्ति से लगा कर रखें । इस अवस्था में छाती आगे की ओर तनी हुई होगी । यह जालंधर बन्ध है । यह कण्ठ स्थान के नाड़ी जाल को बांधे रखता है और प्राण को रोके रखता है । ऐसा यथाशक्ति करना चाहिए फिर गर्दन को ऊपर उठाते हुए श्वास को नासिका से बाहर निकालें ।


बन्ध योग के लाभ-

 गले के सभी रोगो में लाभ करता है । थायरायड , टान्सिल आदि ठीक होते हैं । 


• गला आकर्षक एवं सुरीला होता है । . कण्ठ के संकोच द्वारा इड़ा , पिंगला नाड़ियों के बन्द होने से प्राण वायु का सुषुम्ता में प्रवेश होता है ।


 • इससे आक्सीजन की अधिक मात्रा शरीर को मिलती है  और कार्बनडायक्साइड गैस बाहर निकलती है । 

विशुद्धि चक्र को जागृति मिलती है ।

उड्डीयान बन्ध :-

 पदमासन या सुखासन में बैठ कर दोनों हाथ घुटनों पर रखें । रीढ़ को सीधा रखें । श्वास को बाहर निकाल कर पेट को बलपूर्वक अन्दर की ओर खीचें जिससे फेफड़े पूरे खाली हो जाएँ । इस से पेट पीठ के साथ सट जाए . और बन्ध लग जाए । जितना समय रोका जाए रोकें फिर श्वास को लेते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएँ । लाभ पेट सम्बन्धी सभी रोगों को ठीक करता है । जैसे कब्ज , गैस , यकृत आदि के रोग । इस से मोटापा दूर होता है । मधुमेह ( शुगर ) ठीक होता है । 


मणिपुर चक्र की शुद्धि होती है । फेफड़े सशक्त होकर प्राण वायु का संचार करते हैं । 

मूल बन्ध : जालन्धर बन्ध एवं उड्डियान बन्ध की तरह शान्त अवस्था में बैठ जाएँ । गहरी श्वास प्रश्वास लेकर

श्वास गति को सामान्य करें । फिर श्वास लेते हुए गुदा को ऊपर की ओर संकुचित करते हुए बन्द रखने का प्रयास करें । इस बन्ध में नाभि के नीचे का हिस्सा खिच जाता है । अपने समर्थ अनुसार रोकें तत्पश्चात् धीरे से छोड़ें । पुनः ऐसा अभ्यास करें । यह मूल बन्ध है ।


 लाभ :-

 1. गुदा सशक्त बनता है । 

2. बवासीर , कांच आदि रोग ठीक होते हैं ।

 3. जठराग्नि ठीक होती है ।

 4. कब्ज से छुटकारा मिलता है ।

 5. मूलाधार चक्र जागृत होता है । 

6. स्वप्न दोष , शीघ्र पतन , नपुंसकता आदि विकारों में लाभ मिलता है ।


महाबन्ध :- पद्मासन या सुखासन में बैठ कर आंखे बन्द कर मन शान्त कर श्वास गति को सामान्य बनाएँ ।

 गहरा सांस भरते हुए श्वास रोकें एवं तीनों बन्ध लगाएँ तो महाबन्ध कहलाता है । लाभ-

 1. महाबन्ध का प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है ।

 स्वास्थ्य की दृष्टि से यह अति उत्तम है । 2. मानसिक एकाग्रता होती है । 


3. अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के स्राव नियमित होते हैं । 

इस प्रकार महाबन्ध से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है ।

सावधानियां कोई भी योग करने से पहले खासकर बंद योग करने का से पहले स्टारों को श्वसन तकनीक का विकास नियमित रूप से काफी लंबे समय तक कर लेना चाहिए तभी यह योग करने चाहिए

निष्कर्ष- बन्ध योग स्वास्थ्य कल्याण को बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है। जब इसे अन्य योग अभ्यासन के साथ जोड़ा जाता है तो लाभ कहीं गुना बढ़ जाता है। इस योग को किसी योग गुरु के मार्गदर्शन में सीखना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस योग को धैर्य के साथ अभ्यास करें और  आपको जल्द ही इसके लाभ देखने शुरू हो जाएंगे।

 

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