सकारात्मक सोच के लाभ || सकारत्मक सोच कैसे बनायें | नैगटीव सोच को पोजटीव कैसे करें ||

सकारात्मक सोच के लाभ- आज हम इस आर्टिकल के माध्यम  से आपको सकारात्मक सोच के लाभ और अपने जीवन में सकारात्मक सोच को किस प्रकार अपनाएं यह शेयर करेंगे क क्योंकि हमारे जीवन में सकारात्मक सोच के लाभ ही लाभ है नुकसान कोई भी नहीं है, इसलिए जितना हो सके अपने जीवन में सकारात्मक सोच अपनाये और  एक सुखद जीवन जीने का प्रयास कीजिए।
मानवीनकाल में सुख और दुःख धुप और छाँव की तरह  आते हैं । वक्त कभी अच्छा कभी बुरा होता है । कभी अनुकूल तो कभी प्रतिकूल परिस्थिति होती है । प्रतिकूल परिस्थिति में जब मानव श्रम के साथ - साथ संयम और सहनशीलता से काम लेता है तो वक्त आश्चर्यजनक छाप छोड़ जाता है।
छोटाव बच्चा जब होश संभालता है और यह समाज के सम्पर्क में आता है तो उसे पता होता है कि उसे अपनी पहचान बनाने के लिए अपने जीवन का लक्ष्य पूरा करना है । लक्ष्य वह मंजिल है जिसमें श्रम और लगन की बहुत आवश्यकता है । आगे बढ़ने की होड़ , नाम कमाने की चाह में इन्सान इतना नहीं समझ पाता है कि " लचीली सड़क की मंजिल आसान नहीं होती । " अपनी मंजिल पाने के लिए रास्ते में आए कंकड़ को एक पुल बनाना पड़ता है।

 आजकल की युवा पीढ़ी दुनिया की चकाचौंध और आगे बढ़ने की चाह से इतनी प्रभावित है कि वह उतार चढ़ाव आते ही नकारात्मक सोच अपना लेती है । नकारात्मक सोच से उनके अन्दर क्रोध , ईर्ष्या , मायूसी के भाव उत्पन्न हो जाते हैं । यही भाव है जिससे मानव का संतुलन बिगड़ जाता है । 
कबीर दास जी ने कहा है " मना , धीरे सब कुल होय , माली सीचें सो घड़ा , ऋतु आए फल होय । "
 हे मानव  तुम ज्यादा बेचैन मत हो , क्योंकि किसी भी चीज को होने एक निश्चित समय लगता है । माली सैकड़ों घड़ी से पोधै पानी  से सींचता है लेकिन फल तभी  लगता है जब फल लगने की ऋतु आती है । 
विपरीत काल में धैर्य बड़े के पानी से फल आने बहुत महत्व होता है ; कहते हैं कि ‘ बुराई में भी एक अच्छाई जरूर होती है । ' विपरीत परिस्थिति में ही हमें यह ज्ञात होता है कि कौन अपना है और कौन पराया " अंधेरे में तो साया भी साथ छोड़ कर चला जाता है । " हीरा भी बिना रगड़ के चमकता नहीं है । हालात आप को रगड़ दे रहे हैं तो जरूर परिणाम भी अच्छा ही होगा । लगन और मेहनत का फल कभी हमें दूसरे रूप में मिल जाता है । जरूरत है तो बस खुद पर यकीन होने की । " मेहनत करों तन, मन से । " भगवान की योजनाएँ कई बार हमारे विकल्पों से बेहतर होती हैं । विपरीत परिस्थिति में कई बार आए नकारात्मक विचार मानव को गलत राह में ले जाते हैं । ' दूसरों को गिराने में मानव खुद गिर जाता है ' यह समझना बहुत जरूरी है कि भगवान कभी किसी का भाग्य नहीं लिखता परन्तु कर्म की कलम सबके हाथ में होती है । इन्सान दुनिया को धोखा दे सकता है परन्तु अपने आप को नहीं । 
गलत राह में चलते हुए इन्सान को यह जानना जरूरी है कि इसका परिणाम भी गलत ही होगा । अपने लक्ष्य को पाने के लिए इन्सान को मेहनत , परिश्रम के अलावा , धीरज , संयम , आस्था जैसे उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए । 
कैसा भी समय आए उसका डट के मुकाबला करना चाहिए । गन्ने में जहां गाँठ होती है , वहाँ रस नही होता । जहाँ रस होता है । वहाँ गाँठ नहीं होती । 
बस जीवन भी ऐसा ही है । यदि मन में किसी के लिए नफरत की गाँठ होगी तो हमारा जीवन भी नीरस होगा । धीरज रखने वाला इन्सान आत्मविश्वास की नाव में सवार होकर मुसीबत की नदी को सफलतापूर्वक पार कर जाता है ।
 इसलिए कठिन से कठिन परिस्थिति आने पर कभी भी निराश मत हो क्योंकि अंधेरे के बाद उजाला आवश्यक होता है इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है ।
प्रकृति की ओर से भी चाहे धरती पर कितने भी बड़े तूफान और बाढ़ आ जाए वह भी समय के अनुसार सब ठीक हो जाता है, फिर इंसान की समस्या तो और भी छोटी है इसलिए कभी भी बुरा समय आने घबराये नही  किसी भी तरह का कोई गलत फैसला ना ले क्योंकि भगवान कभी किसी के बुरे  में नहीं होता जो भी हो रहा है उसको स्वीकार करें।  समय आज नहीं तो कल संभल ही जाएगा ,पर इंसान को जन्म एक बार मिलता है बार-बार नहीं इसलिए कभी भी इसको गवाये नहीं बल्कि मुश्किल समय का डटकर सामना करें। 
Posted by-kiran

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