गायत्री मंत्र का जप कैसे करें || गायत्री मंत्र की महिमा || गायत्री मंत्र के लाभ ||

गायत्री मंत्र की महिमा- हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार महामंत्र की संज्ञा दी गई है। यह मंत्र 24 अक्षरों से मिलकर बनता है। इस मंत्र में ईश्वर को प्राप्त करने की शक्ति समाई हुई है, लेकिन इस मंत्र का जप सही तरीके से करना बहुत जरूरी है। आईए जानते हैं गायत्री मंत्र का जप कैसे करें  और इससे मिलने वाले लाभ। 

गायत्री मंत्र की महिमा-

 गायत्री मंत्र का जप अगर पूरी एकाग्रता के साथ किया जाए तो व्यक्ति के शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो ईश्वर की शक्ति का एहसास हमें कराता है । इस मंत्र के अंदर 24 अक्षरों से मिलकर बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इन 24 अक्षरों में 24 अवतार 24 ऋषि 24 शक्तियां 24 सीद्धिया , 24 शक्ति बीज भी शामिल है। इस मंत्र में के जप से इन सभी शक्तियों का लाभ और सीद्धियां की प्राप्ति हमें होती हैं। इस मंत्र को जपने के लिए शुद्ध तरीके से करने से जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती हैं।

* गायत्री मंत्र का अर्थ-

ओ ३ म् भूर्भुवः स्वः तत्त्तुर्विरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ अर्थ : - ओ ३ म् ( सर्वरक्षक परमेश्वर ) , भूः ( प्राण आधार ) , भुवः ( दुखनाशक ) , स्वः ( सुख स्वरूप ) तत् ( उस ) , सवितु ( जगत के उत्पन्न करने वाले ) देवस्य ( देव के ) , वरेण्य ( वरण करने योग्य ) , भर्ग : ( शुद्ध स्वरूप ) , धीमहि ( धारण करे ) , यो ( जो ) , नः ( हमारी ) , धियः ( बुद्धि को ) , प्रचोदयात् ( सन्मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित करें ) भावार्थ : - परम पिता परमात्मा प्राणदाता है , दुःखनाशक है , और सुख के प्रदाता हैं । 

उस जगत के उत्पन्न करने वाले देव के वरण करने योग्य शुद्ध स्वरूप का ध्यान करते हैं , जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें । 

गायत्री मन्त्र को महामन्त्र कहा गया है । वेदों में हजारों मन्त्र हैं , परन्तु गायत्री मन्त्र ऐसा मन्त्र है जो सब वेदों में आया है । सभी हिन्दू उस मन्त्र का बड़े आदर और सम्मान से सिमरण करते हैं । परिणाम स्वरूप उन की बुद्धि और मन पर प्रभाव पड़ता है ।दूसरे शब्दों में गायत्री मन्त्र की उपासना का अर्थ है कि अपनी सत्प्रेरणा को इतना प्रबल बनाना ताकि सन्मार्ग पर चले बिना रहा ही न जा सके । 

कबीरदास  के शब्दों “ कबीरा जो नित करें गायत्री का जाप दूर हों सब कष्ट क्लेश , मिट जाए मन का संताप । "

 गायत्री मन्त्र की महिमा के निम्न कारण हैं- 

1- सृष्टि के आदि से सभी ऋषि - मुनि , विद्वान और उपासक गायत्री का जाप करते हैं । 

2 - सभी धर्म ग्रन्थ इस मन्त्र की महिमा का वर्णन करते हैं ।


 3- इस मन्त्र में प्रभु स्तुति , प्रार्थना एवं उपासना का होने से यह प्रयाग त्रिवेणी की भान्ति पवित्र है


4- इस मन्त्र में विशेष कर सदबुद्धि की प्रार्थना की गई है , जो मानव के लिए महत्वपूर्ण है ।


 5- गायत्री मन्त्र के लगातार जाप करने से तथा अर्थपूर्वक विचार एवं आचरण करने से मन - बुद्धि प्रतिदिन निर्मल होने लगते हैं । 

गायत्री मन्त्र की महिमा के कुछ महान उपासकों के अनुभव- 


 1- जो स्त्री - पुरुष एक वर्ष तक आँवले का रस पी कर गायत्री का जाप करते हैं तो दीर्घायु को प्राप्त करते हैं ।( महर्षि चरक ) 


2- गायत्री मन्त्र के जाप से आत्म बल बढ़ता है । ( रामकृष्ण परमहँस )


 3- गायत्री मन्त्र से बुद्धि दिन प्रतिदिन तीव्र हो जाती है । ( विवेकानन्द ) 


4- इस मन्त्र के जाप करने से प्रेम भावना उत्पन्न होती है और सारा ब्रह्माण्ड अपना ही घर लगने लगता है । ( रविन्द्रनाथ टैगोर )


 5- यदि कुमार्ग से सुमार्ग की ओर आना हो तो गायत्री जापसे बढ़ कर और कोई औषधि नही । ( लोकमान्य तिलक )


 6- गायत्री मन्त्र से मानव ईश्वर विश्वासी बनता है । ( मदन मोहन मालवीय )


 7- मन और चित को शान्ति देने वाला एकमात्र गायत्री मन्त्र है । ( महात्मा गांधी )


 8-  गायत्री के जाप से मानव को नया जन्म मिलता है । ( डा . राधा कृष्णन )


 9- स्वामी विरजानन्द जी बचपन से गायत्री मन्त्र का जाप करते थे ; इसी जाप की शक्ति द्वारा नेत्र हीन होते हुए भी उन की स्मरण शक्ति बहुत तीव्र हो गई थी और वे वेदों के बहुत बड़े विद्वान हुए । वे संस्कृत व्याकरण के सूर्य थे । ( महर्षि दयानन्द ) 


हमारे शुभ कर्मों के फलस्वरूप हमें यह जीवन मिला है तो उसे सार्थक करते हुए अपनी दैनिक दिनचर्या में से समय निकाल कर गायत्री का जाप हम करते रहें । जब हमारा अन्तः करण शुद्ध और पवित्र होगा और ईश्वर को समर्पण होगा तो प्रभु का आशीर्वाद हमें प्राप्त होने लगेगा । जब बुद्धि सात्विक होगी तो मानसिक वाचिक और शारीरिक कर्म सब शुभ होगें । जब हम प्रभु के निकट जाएँगें तारा के गुण- जैसे कि दूसरों का उपकार करना , दुखियों के दुःख दूर करना और बेसहारों को सहारा देना आदि गुण हमारे अन्दर आने लगेंगे । डा . राधाकृष्णन जी ने कहा था , “ ईश्वर की कोई बौद्धिक परिभाषा नहीं दी जा सकती , उस को आत्मा के सहारे अनुभव किया जा सकता है ।  अत : हम भी आत्मा से अनुभव करें और अपने व्यस्त जीवन में से थोड़ा समय निकाल कर इन शब्दों पर ध्यान करते हुए गायत्री जाप को अपने जीवन में अपनाएँ । हम उस प्राण स्वरूप , दुखनाशक- सुखर तेजस्वी देवस्वरूप परमात्मा अपनी अन्र्तात्मा श्रेष्ठ करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वह हमें हमारी बुद्धि का सदैव सन्मार्ग पर चलाए ।


गायत्री मंत्र के जाप करने के लाभ यदि गायत्री मंत्र को शुद्ध और ढंग से नियमित रूप से किया जाए तो ऐसा करने से हमारा क्रोध शांत होने लगता है और व्यक्ति को चिंता जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती हैं और गायत्री मंत्र का जाप करने से मनुष्य के करियर की ग्रोथ अच्छी होती है ।समाज में मान सम्मान बढता  है।  नकारात्मक दूर होती है तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है।  गायत्री मंत्र का जाप करने से बच्चों को पढ़ाई में मन लगता है और बड़ों की भी एक एकाग्रता बढती है।  जीवन के हर समस्या का हल हो जाता है ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में माना जाता है।

Disclaimer- यह जो कुछ भी लिखा गया है इसमें हमारा खुद का कोई योगदान नहीं है यह धर्म शास्त्रों के अनुसार लिखा गया है.


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