हारसिगांर (परिजात) के फायदे || हरसिंगार का बिमारियों के लिए प्रयोग कैसे करें || harsingar remedies in hindi ||

हारसिंगार के पौधे के सवास्थय लाभ-इस पौधे का  नाम ही सौंदर्य को दर्शाता है । यह अपने फूल पत्ते आदि से प्रकृति को सुन्दर बनाता है । प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण ही इसे बाग - बगीचों में लगाया जाता है । हरसिंगार की शोभा इस के फूलों  से है । जैसे कमल अरुणोदय पर , जूही संध्या के समय खिलती है , वैसे यह हरसिंगार आधी रात में खिलता है । इस के पुष्प रात के वातावरण को सुगन्धित करते हैं और रात के व्यतीत होते ही झड़ कर नीचे गिर जाते हैं । नीचे गिरे हुए फूल चांद की तरह ही गोल आकृति लिए हुए होते हैं । इसीलिए हरसिंगार को चन्द्र से सम्बंधित औषधि माना गया है । 

भूमि पर गिरे हुए हरसिंगार के फूल भी देवपूजन में प्रयोग किए जाते हैं जबकि अन्य भूमि पर गिरे हुए पुष्पों को देवताओं को भेंट नहीं किया जाता


हरसिगांर का परिचय-

यह भारत में पर्वतीय क्षेत्रों को छोड़ कर शेष सभी स्थानों पर यह वृक्ष पाया जाता है । तीन हजार फुट की ऊँचाई से अधिक स्थानों पर यह नहीं होता । इस के प्राय : 10-20 फुट ऊँचे होते हैं । इस की पत्तियां ऊपर से खुरदरी होती हैं और इन के निचली सतह पर रोम होते हैं । ये चार पांच इंच लम्बी तथा 2-3 इंच चौड़ी होती हैं । पत्रवृन्त 1/3 इंच लम्बा होता है । 

पतझड़ में पत्तियां झड़ जाती है । शरद ऋतु में फूल लगते हैं । जो रात्रि में खिलते हैं और प्रातः झड़ जाते हैं ।फल हेमन्त ऋतु में लगते हैं इस का फल छोटा , चपटा और गोलाई लिए हुए होता है । पकने पर यह भूरे रंग का हो जाता है । फल प्रायः द्विकोषीय होता है । प्रत्येक कोष्ठ में हल्के भूरे रंग का चपटा - पतला बीज होता है । 

* हारसिंगार को कितनी  मात्रा में लेना चाहिए  -मात्रा - पत्रस्वरस 10-20 मिली चूर्ण 500 मिग्रा से 1 ग्राम क्वाथ 25-30 मिली 


औषधीय प्रयोग कैसे करें-

 लिवर रोग के लिए- हरसिंगार के ताजे पत्तों का रस लिवर सम्बन्धी रोगों में लाभदायक है । 


गृध्रसी ( Sciatica ) - हरसिंगार की ताजा पत्तियों को उबाल कर पीने से सायटिका रोग ठीक होता है ।


 पेट के कीड़े ( कृमि रोग ) - इस के पत्तों के रस में गुड़ मिला कर पिलाने से बच्चों के पेट के कीड़े खत्म होते हैं ।


अस्थमा- इसकी छाल का चूर्ण या पतों का चूर्ण दो दो ग्राम लेकर पान के पते में रखकर खाने से सांस के रोग में आराम मिलता है। 


मूत्र रोग -5-7 पत्तों को उबाल कर चाय की तरह पीने से बार - बार मूत्र आने की समस्या ठीक होती है ।

 गंजापन  के लिए -

 इसके बीजों को जल में पीसकर सिर पर लगाने से गंजपन से बाल आते हैं । 

छाइयां के लिए-

 इस के फूलों को पीस कर चेहरे पर लेप लगाने से चेहरे के दाग , धब्बे एवं झाइयां आदि ठीक होते हैं ।


 कब्ज के लिए - 

यह मृदुविरेचक है इसलिए इसके क्वाथ से कब्ज ठीक होती है । पेट साफ होता है । बच्चों को भी इसका प्रयोग करवाया जा सकता है । 


रक्तशोधक  के लिए कैसे खाये -

 रक्तशोधक होने से रक्त दृष्टि में इस के स्वरस को दिया जाता है । इस के साथ अन्य रक्त शोधक द्रव्यों को भी दिया जा सकता है ।

बुखार-

 डेंगू , मलेरिया , बुखार में यह बहुत लाभदायक है । 8-10 कोमल पत्तों स्वरस में अदरक रस एवं शहद मिला देने से बुखार उतरता है । इस से लिवर और तिल्ली की वृद्धि ( Enlargement of Liver & Spleen ) भी ठीक होती है । 


मधुमेह ( शुगर )-शूगर के रोगियों हो हरसिंगार के पतों का क्वाथ पिलाने से आराम मिला है । यह स्वानुभूत है । इस के लिए 5-6 पत्तों को 1 गिलास पानी में उबाल लें । जब आधा रह जाए तो छान कर चाय की तरह पिएं । दिन में एक या दो बार पी सकते हैं ।

हरसिंगार ( परिजात) के फूलों के फायदे-
फूलों का उपयोग हरसिंगार के फूल गैस्ट्रिक और सांस की शिकायत के लिए अद्भुत काम करते हैं । ये हेयर टॉनिक के रूप में काम करते हैं और बालों को मजबूत बनाने और बालों को झड़ने से रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं ।यह बालों के सफेद होने और खोपड़ी से संबंधित अन्य समस्याओं को रोकने में भी मदद करता है । रात में खिलने वाली चमेली के प्रमुख स्वास्थ्य लाभों में से एक यह है कि यह उच्च रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकती है । 

* घुटने दर्द के लिए- 
हरसिंगार के फूलों को थोड़ा धुप में सुखाकर इसको किसी भी तेल में पकाकर एक तरह अर्क बना ले और इस तेल से घुटनों की मसाज करें कुछ ही दिनों में घुटनों के दर्द में आपको आराम महसूस होगा।
हरसिंगार के तना , बीज और छाल का उपयोग  कैसे करें -
हरसिंगार के तने का चूर्ण जोड़ों के दर्द और मलेरिया में बहुत उपयोगी होता है । पौधे के बीज बालों के झड़ने और गंजेपन में सहायता करते हैं । हरसिंगार के बीजों का प्रयोग बवासीर के इलाज में भी किया जाता है । इसकी छाल को पान के साथ खाने से खांसी ठीक हो जाती है जबकि बीज मुख्य रूप त्वचा और बालों के लिए अच्छे होते हैं । 
आयुर्वेद के अनुसार इस प्रकार हरसिंगार से आप छोटी-छोटी बीमारियों को घर बैठे ठीक कर सकते हैं अगर आपकी समस्या बहुत ज्यादा गंभीर है तो फिर अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह अवश्य करें।

Disclaimer- यह जो कुछ भी लिखा गया है इसमें हमारा खुद को कोई योगदान नहीं है ।यह हमारे आयुर्वेद के अनुसार लिखा गया है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ